Saturday, October 31, 2009

दूसरा क्रिकेट मैच

दिल्ली कोटला मैदान, दिल्ली के खेल प्रेमियों की भीड़, ब्लैक में टिकेट बेचने वालों की मौज, सुरक्षा में पुलिस की फौज, ३१ अक्टूबर २००९ का दिन, साथ ही गुरु पर्व और कुछ सर फिरे लोंगों का जम घट, सडकों पर जाम लगा था, वहां कोटला मैदान में दर्शकों का टेम्प्रेचर कभी ऊपर कभी नीचे हो रहा था। आस्ट्रेलिया टीम २२९/५ बनाकर फील्डिंग कर रही थी, सहवाग ११, सचिन ३२ और गंभीर पैवेलियन लौट गए थे, युवराज धोनी अपने बैट का कमाल दिखा रहे थे, दोनों की पार्टनरशिप १४८ रही, युवराज ७८ और धोनी ७१ (आउट नहीं) २३०/, ६ विकेट से भारत की टीम जीत गयी ! आज के खेल समाचार समाप्त हुए, बाकी समाचारों के लिए आज न्यूज पेपर देखें !

Thursday, October 29, 2009

मुझे कुछ और करना है

मुझे अब शोर करना है, मुझे कुछ और करना है,
बस है दिल में यही मेरे, दुश्मन को कमजोर करना है!
मुझे दुश्मन से लड़ना है, न आतंकी से डरना है,
खाली वीरान बागों को, कुदरत के फूलों से भरना है !
वैसे मैं शांत हूँ, पर सजग रहता हूँ,
जुल्म मत सहो, हर भारत वासी से कहता हूँ,
ये दुनिया सहमी सहमी है,
मटमैली टोपी पहनी है,
आओं सभी को जाकरके, हमें यह बात कहानी है !
हम तो हैं सच्चे दिल के, डरते नहीं किसी से,
आतंकी का दिल नहीं है, डरता है हर किसी से,
आओ मिलके कह दो, हमें शोर करना है,
ये देश मेरा भारत, दुश्मन से नहीं डरना है !

धोनी का कमाल

धोनी ने काफी अरसे बाद आस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सेंचुरी बना कर नागपुर का क्रिकेट टेस्ट अपने नाम कर दिया ! पहला टेस्ट मैच बडोदरा में चार रन की हार का बदला नागपुर में आस्ट्रेलिया को ९९ रनों से हरा कर दिया ! जब भी इंडिया किसी बाहरी टीम से पहला मैच हारा है और खेल प्रेमियों ने तथा मीडिया वालों ने इन खिलाड़ियों की खूब खिंचाई की तभी हमारे खिलाड़ी जगे और बाकी बचे मैचों में जीत हासिल की ! पहला मैच टास् आस्ट्रेलिया ने जीता था और पहले बैटिंग करके २९२ रन का स्कोर खड़ा करके भारत को २९३ रन बनाने का न्यूता दिया ! भारत के दिग्गज एक के बाद एक एक करके २०१ पर ७ खिलाड़ी पैवेलियन लौट गए ! फ़िर आए हरभजन और प्रवीण कुमार दोनों ही बोलर, इन्होंने जो धुंवा धार बैटिंग की, हरभजन ४९ और प्रवीण कुमार ४०, स्कोर को २८८ तक पंहुचाया और मात्र चार रनों से हार का सामना करना पड़ा ! दुसरे टेस्ट में भारत ने पहले खेलते हुए स्कोर को ३५४ तक पहंचा दिया, धोनी १२४, गंभीर ७६, रैना ६२, सहवाग ४०। इस मैच को जितानेमें बौलारों की भूमिका भी सराहनीय रही ! जडेदा ने ३ विकेट ली !

Sunday, October 25, 2009

एक लम्बी यात्रा

चला जा रहा हूँ , जीवन यात्रा पर,
मंजिल कहाँ है पता भी नहीं है, या दूर है या फ़िर यहीं है !
न कोई भय न डर, उडता जा रहा हूँ बिना पर !
रात का अँधेरा, करता बसेरा उड़ते पंछी की तरह,
किसी सराय में या किसी डाल पर,
यह सोच कर कहीं सो न जाऊं, स्वपनों में खो न जाऊं!
सबेरे उठना अगले पड़ाव तक चलना,
कितने पड़ाव आयेंगे, मुसकराते फूलों में बैठे भंवरे गुन गुनाएंगे !
नए चहरे मिलेंगे, साथ साथ चलेंगे,
कुछ राहों में बिछुड़ जाएंगे, कभी खुशी कभी गम का आलम बनाएंगे !
यही सोच कर चला जा रहा हूँ आगे ही आगे,
नींद आने से पहले मंजिल तक पहुँचना चाहता हूँ !
इच्छा है नाप लूँ आसमान की ऊंचाई, समुद्र की गहराई,
जानता हूँ चलते चलते शरीर का कौन सा अंग कहाँ गिर जाए,
अनजान वीरान जंगलों में कौन सा हिसक sher बघेरा सामने आ जाए !
सूरज चाँद निकलेंगे, फ़िर अस्त हो जाएंगे, सितारे जगमगाएंगे फ़िर फीके पड़ जाएंगे,
मुस्कराते फूल भी मुरझा जाएंगे,
इन राहों में किसान होंगे, मजदूर होंगे,
नंगे भूखे बच्चे होंगे, अपंग असहाय भिखारी होंगे,
नेता होंगें seth dhanpati honge, vyaapaaree yaa अभिनेता होंगे,
इन सब से मिलकर चलना होगा, जिंदगी की हकीकत को समझाना होगा,
जिन्दगी की सांझ आने से पहले मैं मंजिल तक जाना चाहता हूँ !
मंजिल को पाना चाहता हूँ !

Saturday, October 24, 2009

अरमांन वनाम स्वपन

अरमांन मेरे स्वप्न तेरे साथ साथ चलेंगे ,
इस जग को रोशन करेंगें,
मिटा करके अंधेरे !
कलियाँ खिलेंगी, फूल बनेंगे,
गुलशन में महक और खुशबू भरेंगे,
हलचल मचेगी खिलेगा गुलशन,
मन का मयूर नाचेगा छन
भवंरों की टोली मचाएंगे शोर,
झूलेंगे फूलों में चारों और,
ओस की बुँदे फूलों पे गिरेंगी,
सारी की सारी मोती बनेंगी,
साथ रहेंगे न होंगे अकेले,
aramaann mere svapan tere,
saath saath chalenge,
roshan karenge mitaakar andhere!

Wednesday, October 21, 2009

ये गली के कुत्ते

मन्दिर में अगले दिन कोई बड़ा जश्न मनाया जाने वाला था, आज रात को मन्दिर को सजाया गया था, पूरा मन्दिर रोशनी से जगमगा रहा था ! काम कराने वालों के लिए हलवा पूरी बनी थी, खा पी कर सारे मन्दिर के अन्दर गहरी नींद में सो गए थे ! मन्दिर के बाहर जूठी पतल और कुछ हलवा पूरी बिखरी हुई थी ! गली के सारे कुत्ते इन जूठी पतलों पर झपट पड़े थे और भूक भूक करके शोर भी मचा रहे थे ! मैद्रीर वालों की नींद में खलल पड़ रहा था इसलिए कुछ लोग आकर इन्हें डंडा दिखा कर भगा भी रहे थे लेकिन कुत्ते अपना हक़ कैसे छोड़ते, वे कुछ दूर जाकर फ़िर वहीं आजाते ! मन्दिर के कर्मचारी हार मान कर फ़िर गहरी नीद में सो गए ! इधर कुत्ते भी लड़ झगड़ कर खा पी कर वहीं पतलों के ऊपर सो गए ! रात के एक बजे जब मैदिर की गली में पूरा सन्नाटा हो गया था, पदों के पंछी भी गहरी नींद में सो रहे थे, मन्दिर के गेट के बाहर एक कार आकर रुकी, उसमें से एक आदमी उतरा उसने अपने चारों और नज दौडाई, जब उसे यकीन हो गया की इधर उधर कोई नहीं है, उसने कार से एक बड़ा सा बौक्ष निकाला साथ ही एक बैग कंधें में डाल कर गेट के भीतर चला गया ! इस समय तक चार कुत्ते जग गए थे, उनहोंने बिना शोर किए उसका पीछा किया ! वह बीच पंडाल में जाकर खड़ा होगया ! उसने फ़िर चौरों और नजर दौडाई फ़िर उसने कंधे से थैला उतारा उसमें से कुछ औजार निकाले और उस बौक्ष को वहां दफनाने का उपक्रम कराने लगा ! वह वहां पर खुदाई कर पाटा इससे पहले ही चारों कुतों ने उस पर आक्रमण कर दिया, उसी बुरी तरह काट खाया ! पहले तो वह उनसे लड़ता रहा जब अति हो गयी तो उसने चिल्लाना शुरू कर दिया ! कुत्तों ने उसे बिल्कुल लंगडा बना दिया था ! शोर सुनकर मन्दिर के कारिंदे बाहर आगे, उनहोंने देखा की चार कुत्ते एक अनजान आदमी पर चिपके हु उस काट खा रहे हैं ! उनहोंने कुत्तों को मार भगाया उसे कुत्तों से छुडाया, फ़िर उसके बैग और बोक्ष को देखा, वैसे भी वह अनजान आदमी आतंकवादी लगा रहा था ! वह तो चलने फिरने से लाचार था भाग नहीं सकता था ! मन्दिर के लोगों ने उसी समय पुलिस को बुला लिया ! पुलिस ने उसका बोक्ष देखते ही कहा दिया था की यह तो टाईम बम था तथा बैग में एक पिस्तौल, १० राउंड तार बम फिट कराने के औजार थे ! उसे हिरासत में ले लिया तथा अस्पताल में भारती कर दिया ! उसके बयानों से पता लगा की वह तो एक पाकिस्तान का बड़ा ही खूंखार आतंकवादी था और अगले दिन mandiर में होने वाले समारोह में यह टाईम बम फटने वाला था ! दो तीन दिन के बाद वह आतंकवादी कुत्तों के काटे जख्मों से मर गया लेकिन अपनी सारी करतूतें पुलिस वालों को बता गया ! उसके निशाँ देह पर १० और आतंकवादी भी पकडे गए ! कहने को गली के कुत्ते, जो रोटी के बदले अपने लोगों से डंडा खाते हैं, दुद्कारे जाते हैं उनहोंने एक बहुत बड़े हादसे को बच्चा दिया नहीं तो हजारों लोगों के इस समारोह की क्या परिणिति होती सोच कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं !

द्वारका नगरी

द्वारका नाम से एक नगरी यहाँ दिल्ली में बसाई गयी है, आज इस नगरी की जन संख्या १० लाख की फिगर को पार कर गयी है ! दिल्ली सरकार ने इसको एशिया की सबसे बड़ी सिटी में तब्दील करने की कोशीश की है और इसकी सीमा और बढ़ते हुए मल्टी स्टोरी बिल्डिंग को देख कर लगता है की द्वारका सच मुच में एशिया की सबसे बडी और भारत की एक आदर्श सिटी बन जाएगी ! सबसे बड़ा आकर्षण तो इन्द्रा गांघी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा यहाँ से बहुत नजदीक है तथा आधी से ज्यादा द्वारका मेट्रो लाइन से जुड़ गयी है ! अभी काम बहुत बाकी है जैसे, डिगरी कालेज
हास्पिटल, बस अड्डे रास्ट्रीय स्तर के स्पोर्ट्स स्टेडियम, साफ़ सुथरी सड़कें, पानी की उचित व्यवस्था, सडकों के किनारे लगे कचरे के ढेर, रेडी और ठेले वाले जो सडकों के किनारे चाय, सब्जी, फल बेचते हैं उन्हें सही स्थान पर पहुंचाना, मार्केट में पार्किंग की व्यवस्था करना ! अगर देखा जाए तो इस द्वारका नगरी को एक सांसद और तीन विधायकों की जरूरत है जो अपने वोटों को लेने के लिए इस द्वारका की सही देख भाल कर सकेंगे !
आज हालत ये है की यहाँ के लिए कोइ सफाई कर्मचारी तक नहीं है अगर है तो वे कहाँ सफाई करते हैं ? मैं द्वारका टाईम्स के कैमरा मैन और रिपोर्ट्स से अनुरोध करता हूँ की वे १० सेक्टर और ६ सेक्टर की मार्केट को ६ बजे शाम के बाद देखें, गोलोक धाम मंदिर जाने वाली सारी सडकों को आकर देखें ! उन्हें स्वयं ही पता चल जाएगा की यह द्वारका सही में वही द्वारका है जिसका सरकार ने, दिल्ली वासियों ने या फिर उन तमाम लोगों ने जो इसके नाम के आकर्षण से यहाँ आकर बस गए ने कभी स्वपना देखा था ?

Sunday, October 18, 2009

चीन और भारत

भारत आजाद हुआ, देश के प्रधान मंत्री श्री जवाहरलाल जी ने फरमाया इक हम तो शांती प्रिय लोग हैं, विश्व में हमारा कोई दुश्मन नहीं है ! चाऊ इन लाई भारत आए पञ्च शील समझौते पर दोनों देशों के हस्ताक्षर हुए हिंदू चीनी भाई भाई का नारा बुलंद हुआ और १९६२ में चीन की सेना ने हिंदू चीनी भाई भाई कहते कहते देश के पूर्वी भाग पर आक्रमण कर दिया ! भारत की भूमि हथिया ली और हम खड़े खड़े देखते रहे ! आख़िर पुराने हथियारों से अम्युनेसों की कमी, कब तक रोक सकते थे हमारे जवान दुश्मनों को ! नतीजा चीन ने हमारी जमीन हड़प ली और हम कुछ भी नहीं कर सके ! आज वह पूर्वांचल और उत्तराखंड को अपना बता रहा है और हम शांती का झंडा दिखा रहे हैं या फ़िर सफ़ेद कबूतरों के गलों में शांती की तख्ती लटका कर उड़ा रहे हैं ! कभी यू एन ओ में जा रहे हैं कभी अमेरिका कभी रूस से गुहार कर रहे हैं और चीन हमारी मजबूरी पर हंस रहा है, मुस्करा रहा , अपनी सेना को आगे बढ़ा रहा है और हमारी सीमाओं के अन्दर आकर
पत्थरों पर चीन लिख कर चला जाता है ! वाह ! कितना शांती प्रिया देश है मेरा ? देश के सजग नागरिको हमें और सजग होने की जरूरत है !

दिवाली

दिवाली दिलों को जोड़ने वाली दीपो का त्यौहार है ! कहते हैं त्रेता में जब भगवान राम चन्द्र जी १४ साल के बाद अयोध्या लौट ही ही ही रहे थे तो अयोध्या वासियों ने भगवान् राम चन्द्र जी के स्वागत के लिए पूरी अयोध्या को दीप माला से सजा दिया था ! मार्ग के दोनों तरफ़ जग मग करते दीपो की पंक्तियाँ सजाई गयी थी, रास्तों में थे बिरंगे फूल बिछाए गए थे ! भगवान राम जब जंगल गए थे तो संन्यासियों का भेष बना कर गए थे ! पावों में एक मात्र खडाऊ थे उन्हें भी भरत जी अपने सर पर रख कर वापिस ले आए थे ! वे उस दिन नंगे पाँव ही अयोध्या आ रहे थे ! उस दिन अमावस्या थी और चारों ओर अँधेरा था और इस अन्धकार को झिलमिलाती रोशनी में परिवर्तित करन के लिए अयोध्या वासियों ने दीपकों की रोशनी का वह शमा बाँधा की इन्द्र लोक की शोभा भी फीकी पड़ गयी ! उस जगमगाती रोशनी में भगवान् राम भार्या जानकी और छोटा भ्राता लक्षमण के साथ अयोध्या लौटे थे ! वे सारे देश वासियों से गले मिले थे ! सारे गिलवे शिकवे दूर हुए हंसी खुशी का नया दौर शुरू हुआ था ! और भारतीय संस्कृति में यह दिन दीपावली के नाम से प्रसिद्द हुआ !
दीपावली हंसी खुशी दिलों का मेल और दीपो की जगमग जगमग करती दीपो की रोशनी का नाम है ! १५ अगस्त १९४७ में भारत आजाद हुआ और आज भी इस दिन लालकिला और राष्ट्रपति भवन दीप मालाओं से सजाया जाता है ! फ़िर ये बम पटाके बीच में कौन ले आया ! इन बम पटाकों से कुछ लोग तो खुश हो लेते हैं लेकिन इसके दूषित प्रयावरण से देश की जनता को जो स्वास्थ्य संबन्धी हानि होती है उसका खामियाजा तो आम जनता को ही भोगना पङता है ! आज इन बम पटाकों के डर से आम आदमी राष्ट्रपति भवन की जगमगाती दिवाली को देखने की हिम्मत नईं जुटा पाता है ! क्या सरकार इन बम पटाकों पर रोक लगा पाएगी और दीपावली के त्यौहार की हंसी खुशी दिल दिलों के मेल को लौटा पाएगी ?
हरेन्द्र सिंह रावत

Thursday, October 15, 2009

मेरे मन की दिवाली

मेरे मन की दिवाली में
लक्ष्मी स्नेह बरसाती है ,
और मेरी पूजा की थाली
स्वयं जगमगाती है !
मैं देख देख हर्षाता हूँ ,
मंद मंद मुस्कराता हूँ ,
प्रेम की गंगा बह जाए
हर दिल की खिड़की खुल जाए
इसी लिए हर दिवाली पर
हैपी दिवाली कहता हूँ ,
दरवाजे पर रहता हूँ
कब लक्ष्मी आ जाए,
और सोने की मोहरों दे जाए,
लक्ष्मी आती १२ बजे,
मुझे नींद आजाती है,
सर पर मेरे हाथ फेर कर
और दिल में बस जाती है !
हैप्पी दिवाली - हरेन्द्र सिंह रावत