Saturday, February 26, 2011

आज रविवार है

हाँ जनाव आज रविवार है, सारे सरकारी निजी कार्यालयों में, कारखाना फैक्टरियों में बड़े अधिकारी से लेकर छोटे से मजदूर और चपरासी तक छुट्टी कर रहे होंगे ! छ: दिन कठीन मेहनत के बाद कहीं जाकर आता है रविवार ! लेकिन यहाँ भी सभी किस्मत वाले नहीं होते ! चार हजार रुपया महीना के लेने वाले हजारों बेकार कुछ बृद्ध कुछ जवान बिना रोजगार के गार्ड्स का डंडा संभाले तमाम दिल्ली की सोसायटीज के गेटों पर खड़े मिल जाएंगे ! कृशकाया, चेहरों पर उदासी, बिना उद्देश्य के, एक निराशा भरी जिन्दगी जीने वाले ये लोग, जिनका कोई आज नहीं न कोई कल है १२ घंटे की लगातार ड्यूटी देने वाले ये लोग, बिना किसी अवकास के सश्रम ३०/३१ दिन लगातार कभी रात कभी दिन की ड्यूटी देते हैं और महीने की ७ तारीख को वेतन लेते हैं मात्र ३५००/४०००। न तो भविष्य निधि संगठन ही इनके कार्य क्षेत्र में आता है, न भविष्य निधि /पेंशन, ग्रेच्युटी और किसी किस्म की सरकार द्वारा दी हुई सुविधाएं
इन्हें मिल पाती है ! इनके ऊपर भी जिम्मेदारियां हैं, लडके हैं तो माता पिता की जिम्मेदारी, बड़े हैं तो अपने बच्चों की जिम्मेदारी ! जब मंहगाई बढ़ती है तो सबसे पहले अटैक इनके कीचन पर पड़ता है ! बच्चे को दूध नहीं मिला, बूढ़े को खिचडी नहीं बन पायी, कारण घर में पैसे नहीं हैं ! सरकार आती है, चली जाती है, देश के विधायकों और सांसदों ने अपने वेतन भत्ते बढ़ा दिए, सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की तंख्वायें बढ़ा दी, वित्त मंत्री हर साल २८ फरवरी को संसद में अपना वजट पढ़ लेता है किसी न किसी को कुछ न कुछ दे जाता है पर कभी किसी की नजर इन बेसहारा गार्डों पर नहीं पडी ! मानव अधिकार आयोग, बहुत सारी कल्याणकारी संस्थाएं समाज कल्याण के लिए कार्य कर रहीं हैं, लेकिन कभी किसी ने इन गरीब बेसहारा, बेजूवान गाड़ों की तरफ झाँक कर भी नहीं देखा ! ये सबकी नज़रों में आते हैं, मंत्री की नज़रों में आते हैं, पुलिस के बड़े बड़े अधिकारियों की नज़रों में आते हैं ! क्या भविष्य निधि के इन्स्पेक्टर, असिस्टेंट कमीशनर, रीजनल कमीशनर जो मल्टी स्टोरीज सोसाइटियों में रहते हैं उन्हें ये दीन हीन गार्ड अल्प वेतन धारी चाबीसों घंटे गेट पर खड़े नजर नहीं आते होंगे ? क्या उन्होंने कभी सुरक्षा संस्थाओं द्वारा उनका शोषण किया जाता है जानकारी हासिल करने की कोशीश की ? नहीं की ! कोई भी एजेंसी जिसके अधिकार क्षेत्र में २० या उससे ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं उन्हें पी एफ की सारी सुविधाएं मिलनी चाहिए, लेकिन इनको कुछ भी नहीं मिलता ! अगर कभी भविष्य निधि संगठन के अधिकारियों को कभी समय मिले तो द्वारका रोहिणी या किसी भी दिल्ली के बड़े पौस कालोनी के किसी भी सोसायटीज में जा कर अपनी नज़रों से देख कर यकीन कर लें की गार्ड नाम धारी ये कौम कितनी दीन हीन और परताडित कौम है !
दिल्ली की मुख्या मंत्री और कांग्रेस/ भा ज पा के नेतागण क्या आपने भी कभी इन गरीब गार्डों को नहीं देखा ? अब तो देख लो, शायद आपकी छोटी सी सहायता उनके बच्चों के मुरझाए चेहरों पर ज़रा सी मुस्कान ला दे और आपका वोट बैंक बन जाए !

Saturday, February 19, 2011

विश्व कप 2011

विश्व कप २०११ की जिम्मेदारी १९९६ की तरह फिर भारत-श्री लंका और बंगला देश को मिली है ! दंगल शुरू हो चुका है ! पहला मैच भारत और बंगला देश के मध्य शनिवार १९ फरवरी को हुआ था ! बंगला देश ने टास जीता और भारत को बैटिंग के लिए आमंत्रित किया ! भारत की ओपनिंग जोड़ी वीरेन सहवाग और सचीन तन्दुलकर मैदान में उतरे। सचीन २८ रन पर अपनी ही गलती से रन आउट हुए ! भारत का पहला विकेट ३९ पर गिरा ! फिर अपने निजि स्कोर ३९ पर गौतम गंभीर भी पैवेलियन लौट गए ! फिर आए विराट कोहली ! इन दोनों ने भारत के स्कोर को बड़ी तेजी से आगे बढ़ाया ! दूसरा विकेट १५२ पर गिरा था, सहवाग के १७५ (१४ चौके और ५ छके ) और कोहली के १०० (नावाद) की जोड़ी ने स्कोर को ३५५ पर पहुंचाया ! युसूफ पठान के ८ रन जुड़ते ही चौथे विकेट के साथ ५० ओवर पूरे और भारत के ३७० रन पूरे ! २००७ में भारत बंगलादेश से हार गया था और सेमी फाईनल तक भी नहीं पहुँच पाया था ! बंगलादेश २८३ रन ९ विकेट पर ५० ओवरों में बना पाया ! इस तरह भारत विश्व कप का पहला मैच ८७ रनों से जीत गया ! १९८३ में कैप्टेन कपिल देव ने भी १७५ रन बनाए थे विश्व कप में और कप जीत के लाए थे ! कपिल १७५ पर आउट नहीं हुए थे ! उन्होंने केवल १३८ बोलों (१६ चौके और छ छके ) में ही १७५ रन बवाए थे जबकि सहवाग ने १४० बोलें खेली ! भारतीय खिलाड़ियों को फिल्डींग में मेहनत करनी पड़ेगी ! श्रीसंत हमारा सबसे महँगा बौलर रहा, उसने केवल ५ ओवरों में विना विकेट लिए ही ५३ रन बंगलादेश की झोली में डाल दिए ! मुनाफ पटेल ने ४ विकटें ली वहीं जहीर खान ने २ और हरभजन, युसूफ पठान और युवराज ने एक एक विकटें ली ! बंगलादेश की तरफ से इकबाल ने ७० रन बनाए और कैप्टेन शकीब ने ५५ रन बटोरे बाकी सब ४० से नीचे ही रहे ! शुरुआत अच्छी रही, आगे भी जीत भारत की ही होगी !

Sunday, February 13, 2011

चलो भैरों गढ़ी वनाम लंगूरी भैरों




गढ़वाल आठवीं सदी तक ५२ गढ़ियों में बंटा था ! इन ५२ गढ़ियों में एक गढ़ी भैरों गढ़ी भी है ! वैसे पूरा उत्तरा खंड देव भूमि से जाना जाता है ! गंगोत्री, यमनोत्री, गौरी कुण्ड, केदार नाथ, बद्री नाथ, नर-नारायण पर्वत, नील कंठ, जोशीमठ, हरिद्वार, रूद्र प्रयाग, देव प्रयाग, कर्ण प्रयाग, श्री नगर, गुप्त कासी, ऋषिकेश, सहस्त्र धारा, नैनीताल, रानी खेत, कर्वाश्रम और भी बहुत सारे सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थान हैं जिन्हें कुदरत ने खूबसूरती से तरासकर उत्तराखंड की सुन्दरता में चार चाँद लगा दिए हैं ! देश विदेश से असंख्य पर्यटक बड़ी संख्या में यहाँ आते हैं, यहाँ कदम कदम पर मंदिरों में शीश झुकाते हैं, गंगा - यमुना, मंदाकिनी, अलक नंदा, भागीरथी, राम गंगा में डुबकी लगाते हैं ! प्रवतों से गिरते झरने, श्वेत आवरण से लिपटी ऊंची ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं, हरे भरे खेत, रंग विरंगे फूलों से महकती फूलों की घाटी में खो कर दिल यहीं छोड़ जाते हैं ! कुछ सैलानी तो ऐसे भी होते हैं जो बार बार इस देव भूमि में आते हैं, कुछ वापिस चले जाते हैं कुछ यहीं के हो कर रह जाते हैं !

इन खूब सूरत पहाड़ियों के ऊपर एक पहाड़ पर एक बहुत प्राचीन मंदिर है "लंगूर भैरों " मंदिर" ! गढ़वाल का एक मात्र रेलवे स्टेशन कोटद्वार से गढ़वाल मोटर ऑनर्स यूनियन की बस द्वारा दुगड्डा, फतेहपुरी, गुमखाल होते हुए केतुखाल में बस से उतरना पड़ता है ! यहाँ से पहाडी पर चढने के लिए मंदिर कमिटी ने सीमेंट रोडी बदरपुर से एक घुमावदार आराम दायक रास्ता शीधे मंदिर के आँगन तक बना रखा है ! पहली फरवरी २०११ मंगलवार को मैं अपनी पत्नी और पुत्र ब्रिजेश के साथ अपनी कार द्वारा एक बजे के लगभग हरिद्वार पहुंचे ! वहां योग गुरु स्वामी राम देव जी के उद्योग नगर पहुंचे जहां १०-१२ एकड़ भूमि पर केवल दवाइयां ही बनती हैं ! एक घंटा यहाँ घूमने में लगा ! फिर पहुंचे गंगा किनारे अलकनंदा होटल, यहाँ ६ घंटे के लिए एक कमरा लिया (किराया ६७५ रुपये), गंगा में स्नान किया, यहीं होटल में भोजन किया और ६ बजे कोटद्वार के लिए चल पड़े ! लुथापुर फैक्टरी में पंडित जी को बुला रखा था, यहीं पूजा की और रात कोटद्वार शोभा के घर पर रहे ! अगले दिन मैं अपनी पत्नी के साथ भैरों गढ़ी मंदिर दर्शन करने के लिए गया ! केतुखाल में चार छ: दुकाने हैं, यहाँ से चढ़ाई चढ़नी शुरू की, बड़े आराम से हम अगले पड़ाव तक पहुंचे ! वहां पर हनुमान जी का और काली माँ का मंदिर है ! यहाँ दर्शन करने के बाद हम पहुंचे भैरों बाबा के मंदिर में ! यहाँ से चारों तरफ दूर दूर तक का नजारा देखने लायक था ! पहाड़ों के ऊपर बसे गाँव, नदी, पर्वत श्रेणियां, पहाड़ों से पीछे लम्बे चौड़े मैदान, जंगल और दौड़ती हुई रेल और सडकों पर दौड़ती हुई बहुत सारी, मोटर, ट्रक, कारें ! मंदिर में पूजा की, पुजारी जी जो बचपन से ही मंदिर से बंधे हैं से मंदिर के बारे जान कारी ली ! यहाँ सब कुछ है, कुदरत की सुन्दरता, सड़क, आराम दायक रास्ते, गाँवों से दूर ऊंचाई पर सजा सजाया मंदिर, लेकिन पानी की समस्या है ! अब स्थानीय लोगों के सहयोग से मंदिर कमिटी के प्रयास से प्रदेश सरकार ने नय्यार नदी से पानी लाने के लिए पाइप लाइन बिछा दी गयी हैं ! लगता है अब जल्दी ही इस पूरे इलाके के साथ साथ सामने लैंसी डाउन की भी पानी की समस्या सुलझ जाएगी !

मंदिर का इतिहास
डाक्टर विष्णुदत्त कुकरेती जी ने अपनी पुस्तक "हिमालयीय संस्कृति की रीढ़ लंगूरी भैरों" में विवरण इस प्रकार दिया है,
डा० कुसुमलता पांडे ने अपने शोध प्रबंध गढ़वाल में लिखा है की 'रात प्रदेश के सात भाई सौरंयाल और नौ भाई कोठियाल नमक खरीदने बनिए की दुकान पर गए ! रात्री में भैरव सौरयाल की कंडी में बैठ गए ! प्रात: उन लोगो ने प्रस्थान किया ! लंगूर गढ़ी में इन्होंने ज्यों ही भोजन बनाकर बांटना प्रारम्भ किया, सात भाइयों का हिस्सा किया तो आठवां हिस्सा अपने आप हो गया ! इस बीच नमक की कंडी फट गयी, भैरव नाथ का लिंग वहां प्रकट हुआ ! इस लिंग के आठ हिस्से हुए जो अष्ट भैरव कहलाए, ये आठों हिस्सों में गिर गए, और उन स्थानों पर इनके मंदिर बन गए ! सबसे पहले मंदिर में हमीं गए थे, हमारे बाद धीरे धीरे लोगों का समूह आता गया ! पुजारी जी कह रहे थे की ख़ास ख़ास पर्वों पर यहाँ अच्छी खासी भीड़ होती है ! श्रद्धालु आते हैं मिन्नतें माँगते हैं और प्रश्नवित होकर अपने घरों को लौटते हैं !

Saturday, February 12, 2011

इंसान कहाँ जा रहा है

इंसान जब तक जमीन पर है इंसान कहलाता है लेकिन सत्ता की कुर्सी मिलते ही शैतान बन जाता है ! भारत भूमि कभी देव भूमि कही जाती थी आज असुर नगरी कहलाती है, किस नेता पर यकीन करें सबकी जेबें खाली हैं ! सभी मंत्रालय रिश्वतखोर, नौकरशाह करते चाकरी उस उद्योगपति की दुकानदार जमाखोर की जो इनकी जेबें भरता है, काला धन विदेशी बैंकों में बेनाम नाम से करता है ! आय कर वाले छापा मार रहे हैं, बैंकों के लाकर खुलवा रहे हैं, चल अचल सम्पति का व्योरा मांग रहे हैं ! सुरेश कलमाडी, राजा अरबों रुपयों का चुना सरकार पर लगाकर बजा रहे हैं बैंड बाजा ! एक सूचना के मुताबिक़ अकेले राजा ने जब वे केंद्र में मंत्री थे तीन हजार करोड़ रुपयों की घूस ली थी ! सारी राशि अकेले ही डकार गया ! अब कांग्रेस के वरिष्ट नेता और मंत्री उसे बचाने का उपक्रम कर रहे हैं ! कुछ दिन तो ड्रामा चलेगा फिर सारी फाइलें गुम हो जाएँगी और कलमाडी और राजा इज्जत के साथ छोड़ दिए जाएंगे ! फिर मंत्री बनेंगे फिर घोटाला करेंगे और......!
शीला जी ने दिल्ली की मुख्या मंत्री की कुर्सी पर बैठे बैठे १२ साल पूरे कर लिए हैं ! सुनते हैं कांग्रेसी जश्न मनाने जा रहे हैं और महंगाई के तले दबे गरीबोंके जख्मों पर नमक छिड़कने का प्रोग्राम बना रहे हैं ! उधर मिश्र में जनता द्वारा १८ दिनों की क्रान्ति रंग लाई और मिश्र के तानाशाह राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को अपने ३० साल के शासन से रुखसत लेनी पडी ! जनता एक नीरीह गाय की तरह जालिम शासकों प्रशासकों का जुल्म सह सकती है तो अंगार बनकर उन्हें जला भी सकती है ! आखिर कार सता पर चिपकने वाला मुबारक ११ फरवरी २०११ के दिन जनता के आगे घुटने टेक गया ! जनता की जीत हुई मिश्र एक तानाशाह के चंगुल से आजाद हुआ !
भारत देश में सरकार कौन चला रहा है ? मन मोहनसिंह या कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी या फिर राहुल गांधी ?
राहुल गांधी ने बिहार विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को जिताने का बेड़ा उठाया था और ४ सीटें गँवा दी ! अब कांग्रेस राजकुमार यूपी विधान सभा का नेत्रित्व करने जा रहा है, गरीबों की झोपड़ियों में खाता सोता है, जनता वोट किसको देगी आने वाला समय बताएगा ! वैसे जनता अब काफी सजग हो गयी है, इस भ्रष्ट, रिश्वत खोर, जमाखोर, महंगाई बढाने वाली कांग्रेस से अब उसका मोंह भंग हो गया है ! अब शायद ही वह दुबारा सता पर काविज हो पाएगी ! मनमोहन सिंह देश के प्रधान मंत्री आँख रहते भी धृतराष्ट्र बन रहे हैं और एक और महाभारत की व्यूह रचना कर रहे हैं ! उनके मंत्री मंडल में शकुनी, दुशासन, दर्योधन, जयद्रथ जैसे क्रूर भ्रष्ट, दुराचार, अत्याचारी लोग सामिल हैं ! बढ़ रही बबूल की शाखा, होगा वही जो राम रची राखा !