वैसे हम हर साल नवंम्बर के आखीर तक अपने देश को चले जाते थे, लेकिन २०१० और इस साल प्रोग्राम में कुछ तबदीली आगई! पिछली बार भी दिसंबर में ही भारत गए थे और इस साल भी अब चलने की तैयारी है ! आज के दिन कुछ विशेष प्रकार के पेड़ पौधों को छोड़ कर सारे पेड़ और पौधे अपने पतों को विदा कर चुके हैं। कुछ ही दिन आसमान साफ़ रहता है, जैसे आज ११ दिसम्बर को आसमान बिलकुल साफ़ नजर आ रहा है, लेकिन चन्द मिनटों में अचानक बादलों की सेना कोई काले, कोई सफ़ेद, कोई प्रभात की लालिमा ओढ़े नीले आकाश में छा जाएंगे कहा नहीं जा सकता ! सर्दी अमेरिका की वह भी न्यू ठंडी (हवाएं ऐलैंड), अटलांटिक सागर के बीच , ठंडी ठंडी हवाएं कल्पना मात्र से ही, शरीर के अंदर सिहरन पैदा हो जाती है ! फिर भीरार तो पता भी नहीं लगता की बाहर कितनी ठंड है ! यहाँ की खूबी है की घर से कार तक जाओ, कार में ए सी, माल में जाओ या मार्केट में मालूम ही नहीं पडेगा की आप घर में बैठे हैं किसी टॉप क्लास फाईब स्टार होटल में ! मैं और मेरेवी पत्नी की आदत है सुब चार बजे उठ जाना, नित्य के कामों से निवृत होकर स्नान, ध्यान, योग और फिर बाहर टहलने के लिए चले जाना ! शुरू में ठण्ड लगती है फिर तो चार पांच किलो मीटर की सैर में पूरा आनंद आ जाता है ! हाथ पावों में सर्दी चोरी चोरी से प्रवेश कर जाती है लेकिन हम भी उस से बराबर की टकर देते हैं और जितने दिन भी अमेरिका में रहते हैं, बजरंग बली की अनुकम्पा से स्वस्थ रहते हैं ! हाँ यहाँ मेडिकल काफी मंहगा पड़ता है, और अगर यहाँ मौज मस्ती करने के दौरान बिना इंशोरेंस के बीमार पड गए तो सारा मजा किर किरा हो जाता है नहीं तो यहाँ आकर नियम , संयम और घूमना फिरना जारी रखो उम्र में इजाफा होता है ! समय का पता भी नहीं लगता ! साफ़ सुथरी और चौड़ी सड़कें, जंगल, ऊंचे ऊंचे पेड़ और रंग बिरंगे पौधे, जंगलों का सरकार की तरफ से सुन्दर ढंग से रख रखाव ! बाग़ बगीचे, पार्क, लान उचित देख भाल के साथ ! हर एजेंसीज अपने कामों में सजग हैं ! इसलिए अमेरिका स्वयं भी खुश है स्वालंबी है और विश्व में नंबर वन का तगमा लगाए हुए है, पाकिस्तान जैसे भारत के पड़ोसी की हथियारों से, धन से, दिमाग की तकनीक से मदद कर रहा है और एक पाकिस्तान है जो उसी का खाता है, उसी की खैरात पर पल रहा है और उसी को आँखे दिखाता है !
११ दिसंबर को तो पूरा दिन सूर्य भगवान अपने रथ पर नील गगन पर मुस्कराते रहे और घूमते रहे ! रात को ओस पडी और १२ दिसम्बर को पूरे घास से भरे पार्क सडकों के किनारे उगी मखमली घास बर्फ से जमी पडी थी ! आज सुबह हवाएं तो नहीं चल रही है लेकिन हाथ और पांवो पर सर्दी अपना असर दिखा रही है ! सुबह आसमान बिलकुल साफ़ था लेकिन नौ बजते बजते पूरा आसमान बादलों से ढक गया है ! आत्रेय और वेदु स्कूल चले गए हैं, ९ बजे करण भी अपने कालेज चला गया है ! राजेश को जरूरी मीटिंग के लिए सिटी जाना था वह सुबह ८ बजे चला गया था ! काजल भी अपने बैंक चली गयी ! घर में मैं और मेरी पत्नी अपनी यात्रा की तैयारी में जुट गए हैं ! ३ बजे के लगभग हमें एयर पोर्ट के लिए निकलना होगा !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment