अमेरिका में धीरे धीरे सरदी पसरने लगी है ! कुदरत विशेष प्रोग्राम के तहत अमेरिका को विशेष दर्जा देती है ! इंसान को दी गयी अनमोल सौगात कुदरत की तरफ से, और इंसान ने इस सौगात को वरदान समझ कर हृदयांगम करके इसको और चमका कर कही और रंगों से सजाकर बहुत ही ख़ूबसूरत बना दिया है ! यही कारण है लोग भारत, चीन, जापान, एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका से बड़ी संख्या में यहाँ आते हैं, पढ़ने के लिए, घूमने के लिए, और फिर यहीं रह जाते हैं ! पेड़, पौधे और बहुत सारी किस्म के फूल मौसम के साथ साथ अपना कलर बदलते रहते हैं ! हरी पत्तियां पहले गुलाबी लाल, नारंगी, पीला और परपल के साथ ही सुख कर हवा के झोंको के साथ बहुत दूर चली जाती हैं ! कबीरदास का यह दोहा याद आजाता है "पत्ता दूटा डाल से ले गयी पवन उडाय, अब के बिछुड़े कब मिले दूर पड़े हैं जाय !" कभी आसमान काले बादलों से ढक जाता है, हल्की हल्की वारीष की बूंदे और ठंडी हवाएं मौसम के मिजाज को प्रभावित करने की कोशीश करता रहता है और इंसान इस आँख मिचौनी को पहिचान ही नहीं पाता ! हमारी आदत है (मैं और मेरी पत्नी) रोज सुबह सुबह सूरज निकलने के पहले ही तीन चार किलोमीटर की सैर को निकल जाते हैं ! ठंडी हवाओं और हथेलियों को ठंड से बचाने के लिए गर्म दस्ताने, सिर पर गर्म टोपी, गर्म कपड़ों से लद कर बाहर निकलना, ये क्या मौसम बिलकुल बदला हुआ ! हवाएं है लेकिन बिलकुल नार्मल ! ये क्या कल तो ठंडी हवाएं चल रही थी, हथेलियाँ ठण्ड से जम रही थी ! और आज एक दम मौसम बदला बदला सा ! कुदरत की माया, कहीं धूप कहीं छाया ! कभी अटलांटिक महा सागर से उठने वाली खून को जमा देने वाली ठंडी हवाएं और अगले दिन सब कुछ नॉर्मल ! अक्टूबर में न्यूयार्क हाई लैंड में बर्फ पड गयी, ठंडी हवाएं चल पडी और आज जब की नवम्बर की २८ तारीख हो चुकी हैं, आज भी मौसम अपना जादुवी करिश्मा दिखा रहा है, कभी रक्त को जमा देने वाली सर्दी तो कभी बिलकुल नार्मल और हम इंसान कुदरत के इस खेल के साथ अपना टेम्प्रेचर घटा बढ़ा रहे हैं ! समय निकल रहा है मौसम नचा रहा है, और ये इंसान जमाने को बदलने वाला इंसान, समुद्र की गहराइयों से आसमान की उंचाइयां नापने वाला इंसान , उसी के इशारों पर नाच रहा है !
और उधर सुबह सबेरे आसमान क्रेन नाम के समुद्री नाम के लाखों पक्षियों से ढक जाता है जो कनाडा के बर्फीले इलाके से उड़ते हुए दक्षिण अमेरिका की ओर उड़ते चले जा रहे हैं ! बड़े बड़े समूह बनाकर ये पक्षी गर्मियों में कनाडा के समुद्री तट पर विहार करते हैं और जैसे जैसे सर्दी आने लगती है कनाडा के समुद्र बर्फ से जमने लगते हैं ये पक्षी प्रवासी बनकर दक्षिण दिशा में चले जाते हैं ! इन दलों में हर उम्र के पक्षी हैं कोई नव जवान कोई बचपन से जवानी की सीढियां चढ़ने वाले तो कोई जवानी से सीढियां उतरने वाले, उड़ते जा रहे हैं नीलाकाश में शोर मचाते हुए, नए भविष्य के स्वप्नों को आँखों में सजाते हुए ! ये ही कुदरत के रंग हैं, लेकिन आदमी अपने में ही इतना खो गया है की ऐसे अचम्भित, आश्चर्य जनक कुदरत की अनुपम भेंट को आँख भर कर देख भी नहीं सकता !
Monday, November 28, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment