काश्मीर कभी थी दिल की धड़कन,
सुन्दर पर्वत घंने थे वन,
नदियों का मन-मोहक संगम,
फिरता भंवरा रूपी मन,
चिनार के पेड़, फूलों की घाटी,
सुगंध भरी यहाँ की थी माटी,
बाग़ बगीचे सुन्दर झीलें,
सारस बत्तखें रंग रंगीले,
फलों की रहती सदा बहार,
सेबों के थे कही प्रकार,
कुदरत डाली डाली पर,
धान की हर बाली पर,
खुशबू से भर जाती घाटी,
सुरबाला जल भरने आती !
सुबह सुबह सूरज की किरणे,
आके अलख जगाती,
छोटी छोटी चिड़ियाँ आकर,
मधुर संगीत सुनाती !
लोगों में था प्यार मोहब्बत
हिल मिल कर सब रहते थे,
हम भारती भारत हमारा,
सभी काश्मीरी कहते थे !
एक दिन एक राक्षस आया,
आतंकवाद को साथ में लाया,
बाग़ उजाड़े, मासूम मारे,
घाटी हो गयी विरान,
हत्यारे दुष्टों के डर से,
भागे संत बचाके जान !
अब तो जल रहा काश्मीर,
जल गयी सुन्दर तस्वीर,
हर रोज इस ज्वाला में
शहीद हो रहे सैनिक वीर !!
Showing posts with label हरेंद्रसिंह रावत यूएस ए. Show all posts
Showing posts with label हरेंद्रसिंह रावत यूएस ए. Show all posts
Sunday, October 31, 2010
Subscribe to:
Posts (Atom)