Sunday, February 28, 2010

२७ फरवरी थर्ड मैच

२७ फरवरी का मैच भारत दक्षिण अफ्रीका के बीच तीसरा और आख़िरी मैच था। मैच को देखने से ऐसा लगा की धोनी की टीम क्रिकेट नहीं खेल रही है बल्की विपक्षी टीम को मौका दे रही है । इनके बौलर केवल दो विकेट लेने में कामयाब हुए और ३६५ रन पिटवा दिए, दो का अर्द्ध शतक और दो की सेंचुरी बनी। भारत पूरी टीम २७५ पर आउट हो गयी। धोनी ने केवल ९ रन बनाए, केवल विराट कोहली एक मात्र ५७ रन बना पाया । रोहित शर्मा और रैना अर्द्ध शतक के नजदीक तो पहुंचे लेकिन चूक गए । दक्षिण अफ्रिका यह मैच ९० रनों से जीत गया । सबसे खराब प्रदर्शन श्रीशांत का था, वह न ठीक से बौल्लिंग ही कर पाया न कोंई रन टीम के लिए बना पाया।

Saturday, February 27, 2010

होली आई

बजट आया होली आई, रंग बरसाने टोली आई,
रंग मंहगा, भंग मंहगा, भंग पीने होली आई ।
भांग धतूरा झोली डाले, गेरवा पहिने साधु आया,
खाली भंग का प्याला हाथ में, उसने टोली को खिखाया ।
क्या होगया है खोली को, भंग की उस गोली को,
सब तो अब मंहगा हुआ , खेलें कैसे होली को ।
भांग धतूरा लाया हूँ मैं, आओ पीलो मेरे संग।
मौज मस्ती आएगी, देखलो इसका भी रंग।
और सब ने पी लिया, बेहोश होकर गिर पड़े,
कुछ खड़े थे मस्ती में आपस में लड़ पड़े ।
साधु ने निकाले पर्श उनके और नदारत होगया,
नशा तो उतारा मगर १० हजार रुपया खो गया ।

नेशनल बजट २०१०-11

परनव मुकर्जी, भारत के वित मंत्री ने २५ फरवरी को संसद में २०१०-११ का बजट पेश कर दिया । खाश बात पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ा दिए गए । दवाइयों के दाम बढ़ जाएंगे । खाद्य सामग्री के दाम पहले ही ऊंचे चढ़े हुए हैं, शायद यह बजट इसमें कुछ और इजाफा कर दे। हाँ आयकर की सीमा 1.६ लाख से 5 लाख तक १० % टैक्श देना होगा जिसकी लिमिट अभी तक ३ लाख तक थी । वित मंत्री महोदय ने नन्ने बच्चे के डायपर भी नहीं छोड़े । अब मांवों को डायपर के लिए कुछ अधिक रकम खर्च करनी पड़ेगी । आम आदमी से हट कर यह बजट बड़े बड़े रईसों के लिए फायदेबंद है । आजादी के बाद हमारे वित मंत्रियों ने हर बजट में गरीब और अमीरों के बीच की खाई घटाने के बजाय बढाई है,और आज आलम ये है कि अमीर आसमान की ऊंचाइयों में पहुँच गया है और गरीब पहले कम से कम जमीन के ऊपर था अब जमीन में धंसने लगा है । हर बजट गरीबी रेखा से नीचे जाने वाले की संख्या में इजाफा करता जा रहा है । हर वित मंत्री अपने बजट भाषण में गरीबों की दशा सुधारने की बातें करता है लेकिन गरीबों की दशा सुधरने के बजाय और बिगड़ जाती है । बजट चाहे वो ममता बनर्जी का रेल बजट हो चाहे परनव दादा का राष्ट्रीय बजट हो देश के करोड़ों अनपढ़ लोगों को लोलीपोप देकर अपनी पार्टी का वोट बैंक बनाने की कवायद है ।

Friday, February 26, 2010

सुखी कौन है ?

सुखी वह है जो अपने मेहनत की कमाई से अपने परिवार और बच्चों को पालता है, अपने बृद्ध माता पिटा की सेवा करता है । अपनी कमाई में से साधू संतों की झोली में भी डालता है । भूखे प्यासे को समय पर खाना पानी देकर उसकी जान बचा देता है । जहां नौकरी करता है वहां मालिक और घर में परिवार का वफादार बन कर रहता है । सच्चाई और ईमानदारी से कमाए हुए धन में वरकत आती है । उस परम पिता परमात्मा को हमेशा याद रखें। ऐसे घरों में रूपए पैसे कम भी हों, घर के लोग साधारण लेकिन स्वच्छ कपडे पहिनते हैं । बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हों, पर प्राईवेट स्कूल में पढ़ने वालों के सामने अपने को हीन भावना से ग्रस्त न होने दें। परिवार को एक जुट में बाँध कर रखें । कोंई भी नय्या काम करने से पहले छोटे बड़े सभी की राय लें। कभी कभी काम के बोझ से निजात पाने के लिए सब मिलकर पार्कों में या किसी नजदीकी पर्यटक स्थल पर जा कर बच्चों का मनोरंजन करें। परिवार की हर बात में, हर समस्या का समाधान करने में बुजर्गों की सेवा लें । गृह लक्ष्मी, जब पति हारा थका घर आए तो एक मधुर मुस्कान से उनका स्वागत करे। जिन्दगी में कभी किसी हिस्ट्री सीटर या अफाराध जगत से सम्बन्ध रखने वाले व्यक्ति से दूरी बना कर रखें चाहे वह अपना रिश्तेदार ही क्यों नहो। वच्चों की पढाई लिखाई पर निगरानी जरूर रखें लेकिन उनके मनोबल को बनाए रखने में उनका हौसला अफजाई करें। अंजान व्यक्ति से बच्चों को दूर ही रखें। न किसी अंजान से कभी कोंई गिफ्ट लें। घर में वातावरण को सहज और शांत रखें । कभी कभी परिवार के सभी सदस्यों के साथ खुल कर हँसे । ऐसा परिवार सदा से सुखी रहता है ।
ज्यादा पैसे वाला, बड़ी नाक वाला, रिश्वखोर, जमाखोर, चोर डकैत, हेरा फेरी करने वाला, सरकारी जमीन जबरन हथियाने वाला, कभी सुखी नहीं रहता । आज ही एक समाचार पेपरों में आया है की बिहार के एक विधायक ने जिसके पिता बिहार विधान सभा में मंत्री हैं, ने अपनी पत्नी और च महीने की पुत्री को मार कर स्वंम आत्म ह्त्या कर दी । जिस घर में असीमित धन अनैतिक तरीके आता है, उस घर की सुख शान्ति छु मंतर हो जाती है। वहां क्लेश, झगडा, मारपीटऔर तनाव पूर्ण मौहोल बना रहता है । ऊपर से सी बी ऐ का छापा कभी भी इस परिवार की काली कमाई को बाजार में नुमायास लगा दे ।

Thursday, February 25, 2010

क्रिकेटर और सैनिक

२४ फरवरी को भारत ने साउथ अफ्रीका को दूसरे एक दिवसीय मैच में १५३ रनों से हराकर सीरिज पर कब्जा कर लिया है । भारत ४०१ पर ३ और साउथ अफ्रीका २४८ पर सारे आउट । जब वेस्ट इंडीज के ब्रेन लारा ने टेस्ट मैच में एक इन्निंग में ४०० रन बनाए थे सारे विश्व के खेल प्रेमियों ने लारा को हाथों हाथों में ले लिया था । वास्तव में बहुत बड़ी उपलब्धि थी अपने लिए उससे बड़ी देश के लिए । जब अनिल कुंबले ने एक ही टेस्ट इन्निंग में १० विकेट लिए थे और विश्व का दूसरा खिलाड़ी बना इस असंभव रिकार्ड को संभव बनाकर, उस समय भी खूब वाह वाह हुई थी । वीरेन्द्र सहवाग दो बार ट्रिपल सेंचुरी बनाने वाला पहला भारतीय है । उसके भी जैकारा लगे हैं । और विश्व में पहली बार एक दिवसीय मैचों में २०० रन बनाने वाला सचीन तन्दूलकर बना । यह भारतीय खिलाड़ी तो क्रिकेट जगत का चमकने वाला सितारा है, जिसके नाम पर वन डे में और टेस्ट मैचों ९३ सेंचुरिज और १७५९८+१३४४७ रन = ३१०४५ रन जड़ चुके हैं । उसका रिकार्ड तोड़ने की बात तो दूर है उसके आस पास भी कोई पहुँच नहीं पाएगा। विधाता ने क्रिकेटर के रूप में भारत को एक रत्न उपहार में दिया है । आज हर एक जवान पर चाहे वह जवान है या फिर बुढा है एक ही नाम है "सचीन तन्दूलकर "।
दूसरी ओर आतंक वादियों से वीरता से लड़ते हुए देश की आन वान और शान को बचाते हुए सेना का एक कैपटेन देवेन्द्रसिंह शहीद हो गया। यह वीर अपने मां बाप का एक ही लड़का था, अभी केवल २६ साल का था और २००७ में सेना में आफिसर रैंक से इसने प्रवेश किया था । सोमवार - मंगलवार रात को जम्मू-काश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए देश पर कुर्वान होगया, छोड़ गया अपने पीछे रोते हुए माता-पिता को अपनी प्यारी सी बहिन को। इसने इंजिनीयरिंग में डिग्री ले रखी थी, एम बी ए की डिग्री इसके पास थी, सिविल में किसी मल्टी कंपनी में नौकरी पा सकता था, लेकिन उसने सेना में जाना और बड़े से बड़ा रिश्क उठाना अपना लक्ष्य तय कर लिया था । सिग्नल कोर में प्रवेश पाकर भी बहादुरी का काम करने के लिए उसने पैरा कमांडो ज्वाइन किया । सेना में रिश्क है, देश के खातिर मर मिटने जजवा है, लेकिन न पैसा है, न कोई पावर है, और न एक जगह ठिकाना है । इससे बड़ी पावर तो एक पुलिस थानेदार की है । जगह जगह पोस्टिंग होती रहती है बच्चों की पढाई लिखाई में भी विवधान पड़ता है । इसी लिए आज के दिन तीनो फोर्सेस में ऑफिसर्स की करीब २० - २५ हजार जगहें खाली पडी हैं । अच्छे नव जवान ऊंची डिग्री लेकर बड़ी बड़ी पे परक लेकर ऐस की जिन्दगी बिताते हैं । एक उदाहरण के अनुसार सचीन तन्दूलकर की एक साल की आय पूरे पचास करोड़ के लग भग आंकी गयी है और एक सेना के जनरल की ज्यादा से ज्यादा १५ लाख । बड़ी ड्यूटी कौन सी है, देश के लिए कुर्वान होना या क्रिकेट में सेंचुरी बनाना ? २५ फरवरी के पेपरों में पहला और स्पोर्ट्स पेज केवल सचीन के गुण गानों से भरा था, राष्ट्रपति प्रधान मंत्री की बधाई छपी थी, और कैप्टेन देवेन्द्र की खबर "वे आतंकवादियों के साथ वीरता से लड़ते हुए शहीद हुए" पेज तीन पर छपा था । न किसी रक्षा मंत्री ने शोक सन्देश भेजा न जनता के किसी जागरूक नागरिक ने इस खबर पर गौर किया । हाय रे सैनिक तेरी यही कहानी, देश के लिए जिया देश के लिए मरा। फिर किसी ने याद भी नहीं किया !

Wednesday, February 24, 2010

२४ फरवरी २०१० - सचीन और ममता दीदी

२४ फरवरी २०१० आई और उधर भारतीय संसद में रेल मंत्री ममता बनर्जी का रेल बजट पेश हुआ धूम धडाके के साथ । बड़ी बड़ी बातें हुई, वादे किये गए, लेकिन अपने प्रदेश पश्चिमी बंगाल में कही नए प्रोजेक्ट लगाने के लिए भी बजट में अच्छी खासी रकम का इंतजाम किया गया । रेल भाड़े में कोंई बढ़ोतरी नहीं की गयी । संसद में खूब चौके छक्के लगे, ५४ नई रेलें चलाने का भरोषा दिया गया । यात्रियों की सुरक्षा का भी श्यान रखा गया । यात्रियों के खाने पीने की सुविधा और अच्छा खाना मुहिया कराने की भी बात कही गयी । दीदी ने तो यहाँ तक कहा है की रेलवे सुरक्षा दल में भूत पूर्व सैनिकों को भर्ती किया जाएगा, कम से कम फौजियों के प्रति दीदी का स्नेह तो झलका। इन भूत पूर्व सैनिकों के बारे में अभी तक किसी भी रेल मंत्री या रक्षा मंत्री ने नहीं सोचा था । सारांश में सारा बजट राजनीति से प्रेरित था तथा आने वाले दिनों में तमिलनाडू, बिहार और पश्चिमी बंगाल में होने वाले विधानसभाओं के चुनावों को मध्य नजर रखते हुए यह बजट तैयार किया गया है ।
२५ फरवरी के तमाम पेपरों का पहला पृष्ट ममता बनर्जी और सचीन तन्दूल कर के फोटों से भरा था ।
इधर पार्लियामेंट में ममता जी के जोर दार पटाके फट रहे थे और यूं पी ए सरकार के मंत्री संतरी ताली बजा रहे थे, उधर ग्वालियर में साउथ अफ्रिका के खिलाफ सचीन के धुंआदार चौके छके लग रहे थे । भारत - साउथ अफ्रिका का दूसरा एक दिवसीय मैच था । भारत ने पहले बैटिंग संभाली । सहवाग तो ९ रन बनाकर पैविलियन लौट गया था, २५ रन पर पहला विकेट गिरा । सचीन और दिनेश कार्तिक की जोड़ी ने रनों की झाड़ी लगाते हुए स्कोर को २१९ तक पहुंचाया । कार्तिक ७९ रन बना कर आउट हुआ । फिर युसूफ पठान आया, उसने ३६ रन बनाए, तीसरा विकेट ३०० रन पर गिरा । अब धोनी (कैप्टेन ) और सचीन की जोड़ी ने स्कोर को ४०१ तक पहुंचा दिया । पहल्र्र बार भारत एक दिवसीय मैच में चार सौ का लक्ष्य पार कर पाया । सचीन के २०० रन (नौट आउट ), धोनी ६८ (नौट आउट) । एक दिवसीय मैच को खेलते हुए ३९ साल हो गए हें(१९७१ से शुरू हुआ वन डे मैच) और अभी तक २९६२ एक दिवसीय मैच खेले जा चुके हैं । विश्व स्तर पर २०० रन एक दिवसीय मैचमें सची पहला खिलाड़ी है। अभी तक १९४ रन चार्ली, (जिम्बाबे), और सईद अनवर (पाकिस्तान) दो थे, १८९ बनाने वाले विवेन रिचार्ड (वेस्ट इंडीज ) और जय सूर्य (श्री लंका) के थे, सचीन का पिछला रिकार्ड १८६ रनों का था । इसने आज तक ४६ एक दिवसीय शतक , और ४७ टेस्ट शतक बना लिए हैं, शतक सेंचुरी से केवल ७ की दूरी। टेस्ट मैचों में १३४४७ रन और एक दिवसीय मैचों में १७५९८ रन बना चुके हैं सचीन । राष्ट्र पति और प्रधान मंत्री ने भी इन्हें बधाई सन्देश भेजे हैं । ३६ साल पूरे होने वाले हैं और क्रिकेट जीवन का २१वान साल लग रहा है, जिऊ सचीन, आपकी उम्र बढे, सियत अच्छी रहे यह शुभ कामना हम जैसे दर्शक दे सकते हैं ।

Tuesday, February 23, 2010

रेलवे बजट

ममता बनर्जी (दीदी) का अगला बजट २०१०/२०११ का आने वाला है । बजट की विशेता ' क़ि पश्चिमी बंगाल की हर गली में रेल लाइन बिछाई जाएगी । बंगालियों को ज्यादा से ज्यादा रेलवे में नौकरी दी जाएगी, वहां की जनता को बजट द्वारा ऐसी घुट्टी पिलाई जाएगी क़ि आगामी आने वाले चुनाव में मतदाता केवल दीदी की पार्टी को ही चुनाव जिताए और दीदी ममता को पश्चिमी बंगाल की मुख्या मंत्री सीट पर बिठाएं । इससे पहले लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, पासवान तीनों ही बिहार के रेल मंत्री थे और तीनों ने पूरे बिहार में रेल की पटरी बिछवा दी, उन पर चाहे रेल गाडी चल रही है या नहीं, इसकी चिता नहीं । पटरी बिछी होंगी तो कभी न कभी गाडी तो चलेगी ही । ये लोग रेल मिनिस्टर को सारे भारत का मिनिस्टर न समझते हुए केवल अपने प्रदेश का मंत्री समझने लगते हैं । अंधा बांटे रेवड़ी अपने अपने को दे। ठीक यही लोकोक्ती इन रेल मंत्रियों पर भी लागू होती है । हाँ ये जवान से नहीं कहते क़ि वे केवल बिहार के हैं या पश्चिमी बंगाल के हैं ! ये लोग बाल ठाकरे और राज ठाकरे से क्या कम हैं, फर्क इतना है क़ि बाल-राज ठाकरे अपने को मराठी कहते हैं, ये जवान से तो नहीं कहते पर आत्मा से यही कहते हैं । फिर देश के लिए पूरे भारत की एक अरब चालीस करोड़ जनता के बारें कौन सोचेगा ? यह एक विचार करने वाला प्रश्न है । जिस प्रदेश का कोइ कैबनिट मंत्री नहीं होगा, उसका फिर ऊपर वाला ही होगा ।

Monday, February 22, 2010

चोरी डकैती, बलात्कार और अपहरण

२००९ की शुरुआत ही चोरी डकैती बलात्कार और अपहरण जैसे संगीन जुर्मों से शुरू हुयी। और अब तो चोरी की बाईकों में सवार ये समाज के नासूर दिन दहाड़े लूटमार कर रहे हैं । इन्हें किसी का डर नहीं है । अब तो ये डकैत बड़े बड़े रसूक वालों के घर पर भी वारदात करने लगे हैं । आम आदमी वैसे ही मंहगाई की मार झेल रहा है, एक तरफ आतंकवाद का खतरा हर समय सर पर तलवार की तरह लटक रहा है । दूसरी तरफ रेलों में, बसों में सफ़र करना भी सुरक्षित नहीं रह गया है। बैंकों में आपके खाते से ये शातिर बदमाश आपकी जमा पूंजी पर डाका डाल सकते हैं, जब पता लगता है बहुत देर हो चुकी होती है । बाजारों में गले से सोने की जंजीर खींचने वाले, बन्दूक की नोक पर कार रोक कर लूट करने वाले, वाहन चोर ये तो अब आम बात हो चुकी है । अब तो इन चोरों से पुलिस वाले स्वयं सुरक्षित नहीं हैं । फिर नक्शल वादी, मावोवादी जो कही राज्यों में गरीब जनता से जबरन टैक्स लेकर थानों पर अटैक कर देते हैं, मारकाट करके हथियार और गोला बारूद लूट कर ले जाते हैं । घरों में नकली बैंक कर्मचारी बनकर, बिजली वाले, पलम्बर बन कर घरों में घुस जाएंगे, घर वालों को या तो बंधक बना देंगे या मार जाएंगे और नकदी, जेवर सोना चांदी लेकर भाग जाएंगे । पुलिस थानों में पहले तो रिपोर्ट ही नहीं लिखी जाएगी, देर सबेर रिपोर्ट लिखी भी गयी तो उस पर कोंई कार्य वाही नहीं की जाती । बलात्कारी ९ - १० साल तक की लड़कियों के साथ मुंह काला कर के उसे मार कर भाग जाते हैं । अगर पकडे गए यो सबूत न होने से छूट जाते हैं या तीन चार साल की सजा भुगत कर बाहर आकर खुले आम जनता में दहशत फैलाते हैं । अपहरण की घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं । बिजनिस में घाटा होगया, जल्दी से जल्दी लाखों करोड़ों में खेलने के स्वप्न को पूरा करने की ख्वाइस, अपहरण जैसे घीनोने अफ़राध करके फिरौती लेना । कुछ केसों में तो अफ़राध करने वाले अपने ही रिश्तेदार निकले । अगर देश के क़ानून शक्त होते और ह्त्या करने वाले, अपहरण करने वाले, डकैती के लिए हत्या करने वाले आतंकवादी, नक्शल पंथी, मावोवादियों को मृत्यु दंड की सजा होती तो काफी कुछ अफराधों पर लगाम लग जाती । संगीन जुर्म करने , ह्त्या करने वाले, देश से गद्दारी करने वालों को चाहे वे कितने रईस, बड़े नेता ही क्यों न हो, उसे भी मौत की सजा का व्यवधान होना चाहिए । हमारे देश में उच्चतम न्यायालय से मौत की सजा पाने वाला आतंकवादी अफजल गुरु जेल में पब्लिक की खून पशीने की कमाई पर ऐस कर रहा है । २६/११/२००९ का मुम्बई काण्ड का हत्यारा जेल में जेड सुरक्षा के अंतर्गत अफ़राधी कम वी ई पी का ट्रीटमेंट पा रहा है । क्या इससे क्राइम कम होगा या बढेगा ?

दक्षिण अफ्रीका और भारत फिर आमने सामने

२१ फरवरी रविवार जयपुर पिंक सिटी भारत - दक्षिण अफ्रिका का पहला एक दिवसीय मैच , भारत केवल मात्र एक रन से जीता । खेल बड़ा संघर्ष पूर्ण था ! भारत ने ५० ओवरों में ९ विकेट पर २९८ बनाए। सहवाग ४६, रैना ५८, दिनेश कार्तिक ४४, कोहली ३१, धोनी २६। जडेजा २२ रन और २९ रन देकर २ महत्व पूर्ण विकेटें! उसे मैंन आफ दी मैच के खिताब से नवाजा गया ! साउथ अफ्रीका २९७ रन बना पाया ! उसके कैप्टेन कालिस ने ८९ रन बनाए , उसके आठवें और नवेँ नंबर वालों ने श्रीशांत और नेहरा के बोलों की खूब धुनाई की । इस मैच में हरभजन, ज़हीर खान और युवराज नहीं थे ! एक बार तो ६५ रन और ३१ बोलें थी, और जीत बहुत आसान लग रही थी, लेकिन एक ऐसा समय आया जब एक बौल और चार रन, फिर एक बौल वाइड हो गयी। एक बौल और तीन रन। परवीन कुमार की आख़िरी बौल पर दो रन बनाने के चक्कर में उनका १० वां खिलाड़ी आउट होगया और भारत एक रन से जीत गया !

Sunday, February 21, 2010

मेरा नाम खान

मीडिया में बने रहने के लिए, अपनी फिल्म को हाई लाइट करने के लिए बड़े बड़े फ़िल्मी दुनिया की हस्तियाँ कैसे कैसे हतकंडे अपनाते हैं! जनता को बेवकूफ बनाने के लिए और अपना चमड़े का सिक्का चलाने के लिए शाहरुख खान जैसे एक्टर भी ऐसे स्टैंड अपना लेते हैं ! जब फिल्म "मेरा नाम है" फिल्म के शौकीनों के दिल और दिमाग में छा चुकी थी फिर यह बे वजह का तूफ़ान खड़े करने का क्या मतलब था ? मीडिया में यह सवाल उठाना की 'पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ियों को ऐ पी एल में लिया जाना चाहिए था, अपना नाम देश के तमाम अखबार की सुर्ख़ियों में फोटो के साथ छपवाने का था बस ! अब सवाल उठाता है कि अगर पाकिस्तान के खिलाड़ियों से इतना ही लगाव था तो शाहरुख खान ने उन्हें अपनी टीम में लेने के लिए बोली क्यों नहीं लगाई? भारत की जनता इतनी भोली भाली है की इन एक्टरों के हत्कंडों को नहीं समझ पाती है, भाउक हो जाते है और शाहरुख जैसे लोग अपने चाहने वालों को गम राह कर के मीडिया में छा जाते हैं ! चलो शुक्र है तूफ़ान थम गया !

Friday, February 19, 2010

भारत नंबर वन

कहे सालों के बाद भारतीय क्रिकेट टीम को नंबर वन होने का गौरव मिला तो भला वे इतनी जल्दी कैसे इस कुर्सी को छोड़ दें। दूसरा क्रिकेट टेस्ट मैच भारत और साउथ अफ्रीका के बीच १४ फरवरी से शुरू हुआ, साउथ अफीका ने टॉस जीता और पहले बैटिंग शुरू की! पूरी टीम २९६ रन पर सीमिट गयी। उनके दो खिलाड़ी अम्बला ११४ और पीटरसन १०० तक पहुँच पाए बाकी हाफ सेंचुरी तक भी न छू सके। भारत ने अच्छी शुरुआत की लेकिन उसके दो विकेट गौतम २५ और विजय जल्दी ही पैविलियन लौट गए। फिर जमी सहवाग १६५ और सचीन १०६ की जोड़ी। इन्होने भारत को जीत के नजदीक तक पहुंचा दिया। सचीन अपने जीवन की ४७ वीं टेस्ट सेंचरी बना गया । अब विश्व में केवल एक खिलाड़ी रिकी पोंटिंग (आस्ट्रेलिया का कैप्टेन) ३९ टेस्ट शतक के साथ दूसरे नंबर पर है । फिर आये क्रीज पर वी वी (१४३ नावाद)और कैप्टेन धोनी (१३२ नावाद) इन दोनों ने २५९ की साझेदारी करके रनों की संख्या ६४३ पर ६ तक पहुंचा दिया ! साउथ अफ्रीका को जीत के लिए ३४७ का लक्ष्य देकर पारी समाप्त कर दी। साउथ अफ्रीका के अमला ने तीसरे स्थान पर आकर आखिर तक बल्ला नहीं छोड़ा और १२३ व्यक्तिगत रन जोड़कर अपनी टीम को २९० तक पहुंचा दिया । यह भारत का भाग्य था की पांचवें दिन की ९ बोलें बची थी और उनका १० वां विकेट गिरगया और भारत जीत कर श्रृंखला को एक एक से बराबर कर गया । इस टेस्ट को जीतने में सबसे बड़ा योगदान हरभजनसिंह का रहा, उन्होंने ६९ रन देकर ५ विकेट झटके । भाज्जी के अब ३५५ टेस्ट विकेट हो गए। अमित मिश्र ने ३ और इशांत शरमा ने २ विकेट लिए । भारत ने यह मैच एक इन्निंग और ५७ रन से जीता और नंबर वन का ताज बचा लिया ॥

Wednesday, February 17, 2010

आर्नव का पहला जन्म दिन

ब्रिजेश का लाडला मेरा प्यारा पोता आर्नव आज १६ फरवरी को एक साल का होगया है । १६ फरवरी का दिन बड़ा ही शुभ दिन माना गया है ! मंगलवार का दिन, इस साल १६ फरवरी के दिन दिल्ली दिल्ली में करीब ३५ हजार शादियाँ हुई हैं ! हमने केक काट कर परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर आर्नव का पहिला जन्म दिन मनाया ! इस अवसर पर मैंने एक छोटी सी कविता भी बनाई :-
सदा भवानी दायिनी गौरी पुत्र गणेश,
पञ्च देव रक्षा करें ब्रह्मा विष्णु महेश!
ब्रह्मा विष्णु महेश, जन्म दिन आर्नव का आया,
सरदी में भी दिनकर ने अच्छी धूप दिखाया !
दादा कहे सुनों भी बच्चो कुछ ऐसा कर दिखलाओ,
आर्नव हैपी बर्थ डे, कह कर मस्ती मौज मनाओ !
मधुर स्वर कानों में बजने लगे हैं, गगन में सितारे सजने लगे हैं !
गन्धर्वों की टोली होकर मगन स्वरों में स्वरों को मिलाने लगे हैं !
हल चल मची है जल थल में देखो, झरने भी झंकार करने लगे हैं,
बागों में रंगीन फूलों की पंक्ती हिल हिल के आर्नव को बुलाने लगे हैं!
आर्नव का पहला जन्म दिन मनाने, मधुर स्वर में कोयल भी गाने लगी है!
नन्नी सी चिड़िया पेड़ों पे बैठे, स्वर ताल में वे गाने लगी हैं!
हंसों का जोड़ा चुगने को मोती, ताल तालियों में आने लगे हैं,
पंखों को फैला ठुमक ठुमक कर खुशी का इजहार करने लगे हैं।
देने को आशीष आर्नव को दिगपाल भी पुष्प गिराने लगे हैं,
परी लोक के परियों का दल भी महफ़िल को देखो सजाने लगे हैं !
हर फूल में हैं गुण गुनाते भंवरे खुशबू फूलों की फैलाने लगे हैं !
मधुर स्वर कानों में बजने लगे हैं, गगन में सितारे सजने लगे हैं !
१६ फरवरी २०१० दिन है मंगल वार,
एक साल का आर्नव हुआ, आशीष बारम्बार,
आशीष बारम्बार, दादा दादी गोद बिठाएं,
नाना बड़े प्रेम से इसको अपने गले लगाएं !
तुम्ही बता दो प्यारे आर्नव तुम्हे मैं क्या दूं,
जोर से बोलो नन्ने बचो "हैपी बर्थ दे तो यू "!

Tuesday, February 16, 2010

हर कदम एक संघर्ष है

कोटद्वार में मैंने कभी एक स्वप्न देखा था की मेरा भी एक दिन इस नगरी में एक घर होगा । एक प्रोपर्टी डीलर पर भरोषा किया और एक लाख पचास हजार रुपये बयाने के तौर पर दे दिए। लेकिन विडम्बना तो देखिये न प्लाट मिला न ही दिया हुआ बयाना वापिस मिला । हाँ उसने दो चेक दे दिए थे जो बौंस होगये थे । मैंने उससे बात करने की काफी कोशीश की लेकिन उसने कोइ जबाब नहीं दिया। लाचार होकर जिन्दगी में पहली बार मैंने किसी के ऊपर केस किया, आई पी सी ४२० के तहत । ११ फरवरी को मेरा बयान था, इसलिए मैं १० तारीख को ही सुबह की बस से कोटद्वार के लिए रवाना हो गया था । दो बजे मैं कोटद्वार पहुँच गया था । ११ तारीख को कोर्ट में हाजिरी दी, १२ तारीख को महाशिव रात्री थी, उधर दिल्ली से मेरी पत्नी, ब्रिजेश, बिंदु, दोनों बच्चे अर्शिया और आर्नव भी कोटद्वार पहुँच गए थे, कोटद्वार से टैक्सी ली, शोभा, श्रेया और उसके पापा के साथ हम सब हरिद्वार कुम्भ नहाने के लिए गए। साढे नौ बजे हमने स्नान कर लिया था, १० बजे से नागा साधुओं तथा अखाड़े के साधू महात्माओं का साही स्नान था। बड़ी संख्या में लोगों ने इन सन्यासियों के दर्शन किये। स्नान करने के उपरान्त हम लोग फिर चंडी मांई के दर्शन करने गए । शाम को लालढांग होते हुए वापिस कोटद्वार आये और १४ फरवरी को वापिस दिल्ली आगये । कुम्भ स्नान का अपना ही विशेष महत्त्व होता है और हमारी कुम्भ स्नान करने की अभिलाषा पूर्ण हो गयी । कोटद्वार में सिद्ध बली मंदिर में गए। मंदिर में बिरला ग्रुप ने इस ऐतिहासिक मदिर की काया पलट ही कर दी, आज यह मंदिर प्रयाटकों का आकर्षण का केंद्र बन गया है ।

हर कदम एक संघर्ष है

Tuesday, February 9, 2010

विश्व नंबर वन साउथ अफ्रीका के साथ

धोनी के धुरंदर क्रिकेट टीम आज विश्व में नंबर वन स्टैंड पर है । अभी हाल ही में इसने बंगला देश को वन डे व टेस्ट मैचों में हराया है । इस टीम के दीगज समझे जाने वाले राहुल द्राविड और वी वी लक्षमण - युवराजसिंह चोटिल होने की वजह से बाहर होगये। साउथ अफ्रीका के साथ पहला मैच अफ्रीका के ५५८/६ के जवाब में भारत के २३३ + ३१९ = ५५२ रन पूरी टीम दो बार आउट । सहवाग १०९ + १६, बद्री ५६ + ६, सचीन ७ + १०० ( 46th सेंचुरी पूरी) कैप्टेन धोनी केवल ६ + २५, (सबसे खराब प्रदर्शन )। भारतीय टीम अफ्रीका के हाथों अपनी सर जमीन पर एक इन्निंग और ६ रनों से पराजित हुई । भारतीय टीम एक बहुत ही अच्छी क्रिकेट टीम थी, इसने वर्षों की मेहनत से पहली वार विश्व में क्रिकेट मैदान में सर ऊंचा किया । पिचले दो सालों से महेंद्र धोनी वन डे में नंबर वन पर आसीन रहे । लेकिन मीडिया की चूँ चूँ ने, बड़ी बड़ी कंपनियों के ऐडों ने हमारे खिलाड़ियों को एक ही साल में आसमान में उठा दिया, इनके दिमाग खराब होगये, नतीजा आज सबके सामने है । टीम में एक द्राविड या लक्षमण के न रहने से सारी ही टीम लंगडी हो गयी, क्यों साउथ अफ्रीका के धुरंदर बौलरों की बोलों के आगे ये टिक नहीं सके । सचीन या सहवाग की संचुरी इस शर्म नाक हार पर पर्दा नहीं डाल सकती। इन खिलाड़ियों को व्यक्ति विशेष के लिए नहीं बल्की एक होकर देश के लिए खेलना चाहिए !!

Friday, February 5, 2010

मोनिका

क्या इस मेरे देश को कोंई राठोर, पी महालिंगम (गाजियाबाद के संतोष मेडिकल कालेज के अध्यक्ष) और इन्स्पेक्टर अनिल समानिया शैतानो से निजात दिला पाएगा। पी लिंगम ने मोनिका, जो गाजियाबाद संतोष मेडिकल कालेज में डाक्टरी कोर्स कर रही थी, के पिता से २५ लाख रुपये लोन लिए थे। जब मोनिका के पिता ने लोन का पैसा वापिस माँगा तो इस नर पिचास ने बेचारी निर्दोष मोनिका और उसके भाई को दूसरे जालिम पुलिस इन्स्पेक्टर की मदद लेकर पिटवाया, झूठे केस में फंसाकर डासना जेल में डाल दिया और १८ दिन तक उन्हें बाहर नहीं निकलने दिया । जनता की सुरक्षा करने वाला मनुष्य रूपी भेडिया पुलिस इन्सपेक्टर अनिल सुमानिया ने इस भाई बहिन पर इतनी मार लगाई की मोनिका की हथेली की हड्डी ही टूट गयी । और मजे की बात तो देखो इन जालिमों के डर से नोएडा के किसी अस्पताल ने मोनिका का एक्सरे तक नहीं किया। हमारा देश स्वतंत्र है और पुलिस जनता की मदद गार है। ये मदद करते हैं ये खाकी वर्दी पहिने अनिल जैसे लोग । अब केस सुप्रीम कोर्ट में जा चुका है । राष्ट्रीय सहारा के एडिटर और पत्रकार पंकजकुमार की सूज बूझ से मोनिका की कहानी बाहर आई और महालिंगम - अनिल जैसे शैतानों की करतूतें जनता तक पहुँची । (राष्ट्रीय सहारा ५ फरवरी पहला पेज और ६ फरवरी दूसरा पेज २०१०) । धन्य है वो भारतीय नारी मोनिका जो इतने जुल्म सहते हुए भी टूटी नहीं केवल जुल्मी को तोड़ने के लिए । ये रसूकदार महालिंगम-अनिल सोमानिया और राठोर जैसे लोग इस धरती के बोझ हैं, नासूर हैं जिन्हें काट कर फेंक देना चाहिए। इन्हें कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए ताकी ऐसे जालिम फिर इस तरह की हरकत न कर सकें।

भगवान इंसान से

एक दिन भगवान ने पूछा इंसान से,
क्यों तोड़ता है फूल तू और कलियों को मसलता,
देख सुन्दरता वनों की दिल तेरा क्यों मचलता,
इस गुलशन की महक को क्यों मिटाना चाहता है,
गुन गुनाते भंवरों को क्यों हटाना चाहता है।
क्यों काटता है पेड़ तू और पौधों को मिटाता,
प्रदूषण का जहर क्यों तू नदियों में है मिलाता ।
क्यों मिटाता जा रहा है कुदरत की शान को,
सोच ले कुछ देर तू तज अपने अभिमान को ।
मैंने बनायी थी धरा ये जीव जंगल के लिए,
और हर पर्वत शिखर पर थे टिमटिमाते दिए ,
तैने दिए क्यों बुझाए और पर्वत क्यों ढाये,
क्यों अपनी गन्दगी को उज्वल हिमालय पर गिराए?
कुदरत के नव रंग को तू बदरंग कर गया,
और गुलशन के चमन को विरान है तू कर गया !
अपने कुकर्मों के बोझ से अब तू क्यों बेचैन है,
दिन तो कभी का ढल चुका हो गयी अब रैन है ।
अब भी संभल कर काम कर ये धरा बच जाएगी,
नहीं तो सब मिट जाएगा जब प्रलय आ जाएगी ।

Thursday, February 4, 2010

फिर हिन्दुस्तानी कौन ?

भारतीय संस्कृति की माला गले में डाले शिव सेना महाराष्ट्र को केवल महाराष्ट्र के लोगों का बता रहे हैं। बाल ठाकरे और राज ठाकरे देश की अखण्डता पर प्रशन चिन्ह लगा रहे हैं । मुंबई से अगर तमाम दूसरे प्रदेशों के लोग बाहर चले जाएं तो मुंबई में न कोइ बिजनेस रहेगा न आजीविका के साधन रहेंगे । महाराष्ट्र जी रहा है मुम्बई के बल बूते पर ! मुम्बई की शान और वैभव है देश विदेशों से आये हजारों लाखों लोगों की मेहनत और उनके द्वारा लगाई गयी पूंजी से । फ़िल्मी दुनिया की रंगीनी से ! फिर सचीन जैसे अन्तर राष्ट्रीय स्तर पर ख्याती प्राप्त करने वाले यह कहें की मैं महाराष्ट्रीयन हूँ पर पहले हिन्दुस्तानी हूँ तो बाल ठाकरे और राज ठाकरे के पेट में क्यों दर्द होने लगता है । जिनके नाम की पार्टी बनाकर ये दोनों अपनी पहचान बना रहे हैं वे वीर शिवाजी भी अपने को हिन्दुस्तानी कहते थे ! अगर पूरा देश इसी तरह प्रदेशों में बंट कर बिहारी, मद्रासी, उड़ीया, आसामी, गुजराती, मराठी, पंजाबी, राजस्थानी, हिमांचली, उत्तराखंडी बन कर बिखर जाएंगे तो फिर अपने को कौन हिन्दुस्तानी कहेगा । जैसे पाकिस्तान का पाकिस्तानी, ईरान का ईरानी, अमेरिका का अमेरिकेन, ब्रिटेन का ब्रिटिश, रूस का रसियन, चीन के चाईनीज होते हैं, वैसे ही हिन्दुस्तान का हिन्दुस्तानी है । ये अपने को शिव सैनिक कहने वाले, केवल मराठी कहने वाले कितने लोग हैं शायद १५ % और ये १५% बाकी के ८५ % पर दबाव बनाए हुए हैं ! क़ानून भी चुप चाप तमाशबीन बन कर देख रहा है ! ये केवल असमर्थ और असहायों पर जुल्म कर सकते हैं ! कभी यह सूनने में नहीं आया है की शिव सैनिकों ने बाल ठाकरे व राज ठाकरे के नेत्रित्व में किसी आतंकवादी को पकड़ा है या मार गिराया है । भाई नाम के अंडर वर्ड के लोगों के अत्याचारों से आम लोगों की रक्षा की है । २६/११ को सारा मुम्बई शहर आतंकवादियों की गोलियों से गूंज रहा था, सैकड़ों लोग मारे गए और ये सारे मिट्टी के शेर विलों में छिपे हुए थे । जब इन्हें यकीन हो गया की सारे आतंकवादी या तो मारे गए या पकडे गए हैं तब ये बाहर निकले थे । प्रदेशों के रहते हुए भारत देश के बनों तभी देश की तरकी होगी ।