Monday, December 27, 2010

ये दुनिया कहाँ जा रही है ?

हमारे नेता धन जमा कर रहे हैं, मंत्री बन कर घोटाला कर रहे हैं ! इनके ऊपर आयोग बिठाया जाता है, सी बी द्वारा इनके घरों, गोदामों और कार्यालयों में छापे मारे जा रहे हैं, जनता की आँखों में धूल झोंका जा रहा है, मंहगाई बढ़ा कर गरीब के पेट पर लात मारी जा रही है ! पहले कलमाडी ने कामन वेल्थ गेमों के नाम पर अरबों रुपयों का चुना सरकार पर लगाया, वह क्योंकि कांग्रेस का सांसद भी है, केंद्र में सरकार भी कांग्रेस की है ! जब जनता का प्रेशर पड़ा तो सी बी ऐ हरक़त में आई और कलमाडी को पूरा मौका दिया गया की वह अपने गुनाहों को छिपाने के लिए तमाम रिकार्ड, फाईलें ग़ुम कर ले ! उसने मौके का पूरा फायदा उठाया और तमाम फायलें गायब हो गयी ! फिर भी सी बी ऐ कहती है की उसे कलमाडी के खिलाफ काफी कुछ सबूत मिल गए हैं ! देखें सी बी ऐ को क्या कुछ मिला है और कलमाडी को उसके किए कर्मों की सजा मिलती है या नहीं ! जनता के हित में कलमाडी से पूरी गमन की गयी राशी वसूल की जानी चाहिए और उसे आजन्म लोहे के सिकंजों के पीछे कर देना चाहिए ! लेकिन सरकार यह नहीं करेगी ! सरकार के पास राजदंड है जिसके बल पर वह कलमाडी द्वारा किये गए गमन की पूर्ती जनता पर आयकर और बिक्री कर लगा कर या महंगाई बढ़ाकर कर रही है, जनता रोजी रोटी के लिए रो रही है रोये, सरकार पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है ! प्रधान मंत्री चुप हैं, सब कुछ उनके आँखों के सामने हो रहा है, फिर भी मौन हैं ! राजा कलमाडी से भी आगे निकल गया घोटाला करने में ! उसने तो सारी सीमाएं पार कर दी, प्रधान मंत्री की चेतावनी की भी प्रवाह नहीं की ! जमा खोरी का आलम यह है कि प्याज रात ही रात २० - २५ से ८० - ८५ रुपये तक पहुँच गया ! जमा खोरों ने मौके का फायदा उठाया ! सब्जी मार्केट में नजर उठाने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है आम आदमी ! आज जब कि गरीब गरीबी रेखा से नीचे चला गया है वहीं करोड़ पतियों की संख्या दस से बीस गुना बढ़ गयी !
सरकार ने वोट बैंक बढाने के लिए समाज को आरक्षण, उंच नीच, बहु संख्यक अल्प संख्यक का नाम देकर बाँट दिया है ! आज आलम यह है कि देश में गरीबी, भूख मरी बेकारी की सीमा बढ़ती जा रही है, साथ ही ठगी, उठाई गिरी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, व्यभिचार, रिश्वत खोरी, ह्त्या, चोरी, डकैती दिन दहाड़े हो रहे हैं, सरकारी सुरक्षा दल
कानों में तेल डाल कर सो रहा है ! गुर्जर नेता गुर्जरों के लिए आरक्षण की मांग कर रहा है, सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ५० % आरक्षण कोटे से बाहर आरक्षण नहीं दिया दिया जा सकता ! वे रेल गाड़ियां रोक रहे हैं आम जनता की मुसीबतें बढ़ रही हैं, सरकारी सम्पति को नुकशान पहुंचा रहे हैं, लेकिन न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार कुछ कर पा रही है ! स्वीस बैंक ने भारतीय राजनायकों का जो धन उनके बैंकों में बेनामी पडा है उसे वापिस करने की पेश कश की है लेकिन केंद्र सरकार ने कोई प्रति क्रिया ब्यक्त नहीं की ! लगता है सरकार में कही मंत्री और नौकरशाहों का काला धन इन बैंकों में पडा है और वे नहीं चाहते कि उनका नाम उजागर हो !
माया कलेंडर ने भविष्य वाणी की है २५ दिसंबर २०१२ को इस पृथ्वी में प्रलय होने वाली है ! कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि अमेरिका में एक स्थान ऐसा है जो सदा बर्फ से ढका रहता है, वहां इस बर्फ के नीचे एक बड़ा विध्वंस कारी कुदरती बम दबा पडा है जो २०१२ के आखीर में विस्फोट होगा और ये पृथ्वी के लिए अनिष्ट कारी साबित होगा ! फिर ये भ्रष्ट मंत्री, नौकरशाह जनता से लुटी हुई सम्पति को कहाँ ले जाएंगे ! निकालो इस जनता के धन को बाहर और बाँट लो गरीबों में ताकी पाप की गठरी में कुछ वजन कम हो जाय ! जितने दिन भी जीना है खुश होकर जियो और औरों को भी जीने दो !

Thursday, December 16, 2010

क्या आने वाले चुनाओं में जनता इन घोटाला बाजों को फिर सता पर बिठा देगी

जनता को अब खुद फैसला करना होगा की आने वाले विधान सभा तथा लोक सभा चुनाव में किसको दिल्ली की तथा केंद्र की सता सौंपनी है ! मौजूदा सरकार को तो कतई नहीं ! डी एम के केंद्र में कांग्रेस के साथ मिली जुली सरकार में सामिल है, डी एम के के ए राजा ने अरबों रुपयों का घोटाला करके कांग्रेस की ६३ साल की जमी जमाई कुर्सी हिला दी ! सी बी सारे सपूतों के साथ उसे जेल में भेजने के लिए तैयार है लेकिन मन मोहन सरकार शायद कांग्रेस हाई कमांड के आदेश का इंतजार कर रही है ! मन मोहन सिंह जी ने अभी तक कोई भी फैसला अपने आप नहीं लिया, लेकिन कुर्सी सबको प्यारी होती है, और जब तक रिमोट उनको हिलाता रहेगा, वे कुर्सी पर जमे रहेंगे ! उधर जब सी बी ऐ ने राजा के सारे कार्यालयों, रिश्तेदारों, दोस्तों पर सिकंजा कसना शुरू कर दिया तो तमिल नाडू के मुख्य मंत्री करुना निधि उनके पत्नी और पुत्री भी संदेह के घेरे में आ गए ! अगर सरकार उन पर कारवाही करती है तो वे केन्द्रीय सरकार से अपना सम्बन्ध तोड़ देंगे ! ऐसे शैतानों से पीछा छुडाना ही बेहतर है, जो कल होना है उसे आज होने दो ! २३ दिन शरद कालीन संसद का सत्र चला डेढ़ अरब खर्च हुआ काम ढेले भर का भी नहीं हुआ ! ऐसी संसद को तो भंग कर देना चाहिए होने दो मध्यवधि चुनाव ! २ जी स्पक्त्रम ने कही बड़ी हस्तियों को बेनकाब कर दिया है ! हम गर्व करते हैं अपने न्यायालय पर की कम से कम जब राजनीति करने वाले निम्न स्तर की राजनीति पर उतर आते हैं तो सुप्रीम कोर्ट जनता को इन स्वार्थी राजनेताओं से बचाने आगे आ जाते हैं ! लेकिन न्यायपालिका के दो महारथी अपनी स्किन बचाने के लिए एक दूसरे के मथे दोष भरा मटका फोड़ रहे हैं ! फिर बताइए आम आदमी का क्या होगा ?
क़ानून व्यवस्था बिगड़ती जा रही है, दिल्ली में रोज एक घटना नारी सील हरण की घटती जा रही है, चोरी, डकैती, लूट, चेन खिंच कर भाग जाना, ह्त्या, अपहरण की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं ! सरकारी दफ्तरों में फाईलें गम हो जाती है, घोटाले के सबूत मिटाने की कोशीश की जाती है ! जिनके ऊपर पहले ही भ्रष्टाचार की आरोप लगे हुए हैं उन्हें सी वी सी का चीफ बना दिया जाता है !

एक खबर के मुताबिक़ प्रधान मंत्री मन मोहन सिंह, चिदंबरम व करूणानिधि लिटे के निशाने पर हैं ! लिटे के मददगार खुद करूणानिधि हैं, उनको किस बात की चिंता है ! फिर देश के सारे मंत्री/संतरी/नौकरशाहों और नेताओं ने अपनी पांच/सात पीढी तक के लिए धन जमा करके रखा है, चाहे घर के अन्दर सोंना /चांदी/हीरा /मोती दबा कर रख दिया हो, असीमित जमीन, जायजाद, कोठी बंगले, खरीद कर या फिर स्वीस बैंकों में बेनामी खाते खोल कर जमा कर दिया हो ! ये सरकार विदेशी बैंकों से अपने देश का पैसा वापिस क्यों नहीं ला रही है ? क्योंकि सरकार चलाने वालों का खुद का बहुत सारा पैसा वहां जमा है ! एक सर्वे के मुताबिक़ अकेले भारत के नेताओं व्यापारियों का स्वीस बैंक में इतना सारा पैसा है की अगर वह वापिस लाया जाय और हर एक नागरिक को बांटा जाय तो देश का हर किसान, हर मजदूर, हर वह आदमी जो आज एक समय की रोटी के लिए मोहताज है कम से कम इज्जत की दो टाईम की रोटी अपने परिवार के साथ अगले १०० सालों तक खा सकता है ! लेकिन ये हमारे नेता नहीं चाहते हैं की देश से गरीबी सदा के लिए विदा हो जाय ! प्रधान मंत्री कहते हैं "हम कहते हैं और दुनिया सुनती है" ! अगर सुनती है तो फिर पाकिस्तानी को उसकी आतंकवादी हरकतों के लिए प्रताड़ित क्यों नहीं करता है !
हमारे प्रधान मंत्री चीन गए थे, बैरंग लौट कर आये, चीन के प्रधान मंत्री वेंन जियाबाओ भारत आये, बड़ी उम्मीद थी उनसे की वे पाकिस्तान को उसकी आतंकवादी हरकतों के लिए कुछ कहेंगे, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा,
यूं एन ओ सुरक्षा परिषद् की स्थायी सीट के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन करेगा, लेकिन चीन का प्रधान मंत्री यहाँ पर भी मौन रहा ! वीजा पर भी कोइ ठोस बातें नहीं हुई केवल १०० बिलियन डालर के बिजिनिस पर सहमति बन पाई !
भारत की क्रिकेट टीम आजकल साउथ अफ्रिका गयी हुई है ! १६ दिसम्बर को पहला टेस्ट मैच था, वारीश की वजह से खेल देर से शुरू हुआ ! खेल ख़तम होने पर भारत १३६/९ पर था ! सहवाग ० पर सचीन ३६ पर और हरभजन २७ पर, धोनी ३३ पर अभी क्रीज पर हैं बाकी सार दिग्गज सस्ते में ही निपट गए ! साऊथ अफ्रिका के स्टेंन ने ३ और मोकल ने ४ विक्केट लेकर भारत के नंबर वन की जगह हिला दी है !

Monday, December 13, 2010

ज़रा इधर भी नजर डालिए

डेढ़ अरब खर्च और केवल दस घंटे काम
संसद का शीतकालीन सत्र २३ दिन के बाद समात्प होगया बिना कुछ काम किए ! काम क्यों नहीं हुआ क्योंकि की केन्द्रीय सरकार के एक मंत्री ने (ए राजा ) अपने मंत्रालय में १.७५ लाख करोड़ का २जी स्पेक्ट्रम घोटाला किया, विपक्ष ने जे पी सी द्वारा इस घोटाले की जाँच करने के लिए सरकार पर दबाव डाला, क्यों की सरकार के कही वरिष्ट नेता, नौकरसाह इस दलाली में फंसे पड़े हैं, जेपीसी इन्क्वारी से सरकार की रही सही साख पर आंच आ सकती है, और कही मंत्री भी जेपीसी की जांच के दायरे में आसकते हैं , तो सरकार ने साफ़ कह दिया है "क्यों की घोटाले की पूरी जिमेदारी ए राजा की थी, ये अरबों रुपयों का घोटाला करके सरकार से अलग होगया है तो अब जेपीसी इन्क्वारी करवाने का कोई औचत्य नहीं है "! विपक्ष जेपीसी की इन्क्वारी करवाने पर डटा रहा, २३ दिन नोक झोंक होती रही, एक दूसरे के ऊपर तोहमत लगती रही, सरकारी माईक, कुर्सियां टूटती रही, स्पीकर सांसदों को शांत करती रही समय भागता रहा ! डेढ़ अरब रुपया इन सांसदों के वेतन भता, लंच, डिनर, चाय नास्ते में खर्च हुआ और काम एक ढेले का भी नहीं हुआ ! एक मजदूर अगर एक दिन दो घंटे काम न करे तो उसकी मजदूरी काटी जाती है फिर ये जनता के प्रितिनिधि जनता के पैसो पर ऐस करने वालों के वेतन भत्ते इन २३ दिनों का क्यों नहीं काटा जा सकता ! जनता का विश्वास प्राप्त करने के लिए इन सांसदों को स्वेच्छा से अपना वेतन भता इन २३ दिनों का वापिस सरकारी खजाने मेंजमा करा देना चाहिए ! श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पहल करनी चाहिए, फिर देखो सारे कांग्रेसी और उनके देखा देखी विपक्ष भी अपने वेतन भते को सरकारी ख़जाने में जमा करा देंगे ! तभी तो जनता इन्हें दुबारा चुनेगी ! एक मजे की बात, भारतीय संसद में पिछली बार ९९ करोडपति सांसद थे जबकि अबके वे बढ़ कर ३०६ हो गए ! गरीब गरीबी रेखा के और नीचे चले गए ! नारा है गरीबी हटाओ देश को उठाओ (न की सांसदों को उठाओ) !
भ्रष्टाचार - सन १९४७ से पहले भारत के हर वर्ग और हर हैसियत (रजवाड़ों को छोड़ कर) के लोग एक झंडे तले इकट्ठे होकर देश की आजादी के लिए लड़े थे, कितनों ने कुर्वानियाँ दीं, कितने स्वतंत्र सेनानी वेघर हुए, कितने अपाहिज हुए, कितनी मांओं ने अपने लाल खोये, कितनी नारियों के सुहाग उजड़े और तब जाकर आजादी मिली ! लेकिन फिर वही राजे महाराजे, व्यापारी वर्ग सता के गलियारों में छा गए ! कल के डकैत, आज नेता बन गए, जनता का खून पशीने का पैसा आयकर के रूप में सरकार ने लिया और इन नेताओं ने वही पैसा भ्रष्टाचार की गंदी नाली में डाल दिया ! केंद्र सतर्कता आयोग के शीर्ष पर कांग्रेस सरकार ने जानबूझ कर एक ऐसे शक्श को बिठाया जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप न्यायालयों में विचाराधीन हैं, किसने उसका नाम सुझाया, किसकी सह पर उसको इतने महत्त्व पूर्ण कुर्सी पर बिठाया गया ? जनता सब जानती है ! सविधान रक्षा के चार पहिये, कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका इन तीनों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं, सुप्रीमकोर्ट ने हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों पर भाई भतीजावाद से प्रभावित होने की बात कही है ! केन्द्रीय मंत्री जी गंभीर आरोपों में घिरे हुए हैं ! प्रधान मंत्री जानते बुझते हुए चुप बैठे रहे ! चौथा पहिया मीडिया भी कहीं न कहीं इस दल दल के नजदीक पहुँचने लगा है ! अब जनता जनार्दन को ही आगे आकर इस भ्रष्टाचार को जल मूल नष्ट करने का आन्दोलन करना पडेगा !
नारी का सम्मान हमारी परम्परा और संस्कृति का एक हिस्सा है ! लेकिन आज रोज नारियों के प्रति दुष्ट प्रवृति के लोगों का क्रूरता भरा आचरण, असभ्य व्यवहार नारी सुरक्षा के लिए एक समस्या बन गया है ! नारी माँ है, बहिन है, दादी है, बेटी है, पत्नी है ! सारे विश्व के लोग इन रिश्तों को निभाते हैं फिर जो पापी दुष्ट प्रवृति के लोंगहैं क्या उनके घरों में उनकी माँ बहिन बेटी नहीं होती ! फिर इंसान और जंगली जानवरों में अंतर क्या है ! देहरादून में अपने को साफ्ट वियर इंजिनियर कहने वाले ने अपनी पत्नी को मार कर उसके मृत शरीर के टूकडे टूकडे करके फ्रीज में रख दिए और फिर एक एक को दूर जंगल में डालता रहा ! क्या इस तरह के आततायी को इंसान कहें या राक्षस ?
आज नारी सुरक्षा एक समस्या बन गयी है जहां दूसरी तरफ हम कहते हैं आज नारी हर क्षेत्र में आदमी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही है ! आज की मुलाक़ात बस इतनी ! जय हिंद !

Saturday, December 11, 2010

वापस दिल्ली के लिए

१७२ दिन अमेरिका में रहने के बाद ०७ दिसंबर २०१०, मंगलवार को शाम के साढे बजे राजेश हम दोनों को साथ लेकर कैनेडी अंतर्राष्ट्रीय एयर पोर्ट के लिए चल पडा ! बीच में एक जगह जाम लगा मिला बाकी सड़क बिलकुल ठीक मिली और हम लोग सवा सात बजे के लगभग एयर पोर्ट पहुँच गए थे ! अमेरिकन एयर लाईन्स फ्लाईट नं १३२ ने समय सारिणी के मुताबिक़ ठीक ९.३५ पी एम पर उड़ान भरी ! विमान में सीट नं० २४ सी डी अच्छी जगह पर मिल गयी थी ! ३९००० फीट की ऊंचाई पर उड़ते हुए, विमान ५६०० किलो मीटर का सफर तय करता हुआ लंडन के समय के मुताबिक ९.३५ ए एम पर हीथ्रो एयर पोर्ट लंडन पहुंचा ! यहाँ पर हम टर्मिनल नं० ३ पर उतरे ! वहां से बस द्वारा टर्मिनल नं० ५ पर आए, यहाँ (इंडिया) दिल्ली के लिए अलग से बोर्डिंग पास बनाया, सुरक्क्षा पंक्ति से क्लियरेंस लेकर गेट नं ० बी ३८ पर आए ! यहाँ पर हम पूरे २ घंटे और १५ मिनट रुके लेकिन इस पीरियड में हम चलते ही रहे, जैसे ही गेट पर आए जहाज में बैठने का सन्देश मिल गया ! लन्दन के टाईम के अनुसार जहाज ने हीथ्रो एयर पोर्ट से ११.५० ए एम पर उड़ान भरी ! साढ़े आठ घंटे का सफ़र करते हुए आखीर एक बज के २५ मिनट पर ब्रिटिश एयर वेज का विमान इन्द्रा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयर पोर्ट पर सकुशल उतर गया ! कस्टम क्लियरेंस में ज्यादा टाईम नहीं लगा लेकिन बैगेज कालेक्त करने में पूरा एक घंटा लगा ! ब्रिजेश बाहर इंतज़ार कर रहा था ! घर पहुंचते पहुंचते सुबह के चार बज गए थे और कैलेण्डर तारीख दिखा रहा था ०९ दिसंबर २०१०। न्यू यार्क के मुकाबले यहाँ सर्दी का स्तर काफी कम है !
साल अपने आखरी चरण पर है ! अमेरिका में तो लोग क्रिसमस त्यौहार की तय्यारी में लगे हैं, मैन हट्टन में तो हर पेड़ (कुछ पत्ते विहीन हैं तो कुछ अभी भी हरे हैं ) कलरफूल बल्बों से सजाए गये हैं ! घरों के आगे सुन्दर सा संता क्लोज सुस्कराता हुआ आने जाने वालों का स्वागत करता हुआ मिल जाएगा ! चर्चों को सजाया गया है, लोगों में एक नया जोश, एक नयी उमंग दृष्टि गोचर हो रही है ! फिर नया साल, उसका स्वागत, पुराने साल की विदाई !
इस बार भारत ने न्यूजी लैंड को गौतम गंभीर की अगुवाई में एक दिवसीय मैच में ५ - ० से परास्त करके भारतीय क्रिकेट में एक नया इतिहास रचा है ! इन मैचों में गौतम गंभीर ने दो सतक मारे सबसे ज्यादा रन बनाकर मैंन आफ दी सीरिज पर भी कब्जा जमाया !

Friday, December 3, 2010

कुछ विशेष दिन जो अमेरिका में मनाए जाते हैं

नया साल का स्वागत तो करीब विश्व के सारे ही देश करते हैं, १४ जनवरी को मकर संक्राती जिस दिन सूर्य भगवान् उत्तरायण को घूमते हैं ! २६ जनवरी तो हम भारतवासियों का महत्वपूर्ण दिवस होता है जिसको यहाँ अमेरिका में हिन्दुस्तानी अपने अमेरिकन दोस्तों के साथ मनाते हैं ! अमेरिकनों के त्यौहार ४ जौलाय स्वतंत्रता दिवस, ३१ अक्टूबर हौलो विन डे, २५ नवम्बर थैंक्स गिवन डे और २५ दिसंबर क्रिसमस डे ! वैसे यहाँ मदर डे, फादर डे, और भी जाने क्या क्या डे मनाए जाते हैं ! पिछले ७ सालों से मैं भी यहाँ के लोगों के साथ इन विशेष दिनों को मनाने के लिए सामिल हो जाता हूँ ! हौलो विन के दिन बच्चे अपनी मम्मी डैडी के साथ पास पड़ोस के घरों में जाते हैं, दरवाजों पर दस्तक देते हैं, गृह स्वामी दरवाजा खोलते हैं, मुस्कराते हुए हाथ मिलाते हैं, कभी जफी भी पा लेते हैं, फिर घर से मुट्ठी भर चाकलेट आने वाले की बाल्टी, बैग जो भी उन बचों के हाथों में होता है उसमें डाल देते हैं, बाय, बाय करके दरवाजा बंद के देते है ! यह पार्टी अगले दरवाजे की ओर बढ़ जाती है !
थैंक्स गिवन - यह दिन दोस्ती के नाम पर याद किया जाता है ! एक कहानी के मुताबिक़ 'स्कवायंटो' नाम का एक लड़का अपने गाँव पटुक्सेत अपने इंडियन जिनको 'वाम्पनोआग' कहा जाता था के साथ रहता था ! ये लोग एक बहुत ही खूबसूरत न्यू इंग्लैंड वूड लैंड में रहते थे ! वे लोग जंगली जानवरों का शिकार करते थे, मच्छली मारते थे और खेतों में मकई पैदा करके जीवन निर्वाह करते थे ! स्क़वायंटो अपने गाँव को छोड़ कर इंग्लैण्ड चला जाता है वहां वह अंगरेजी भाषा सिखता है और समुद्री यात्रा करने वालों का गाइड बन जाता है ! इस तरह वह लम्बी लम्बी यात्राएं करता रहता है ! एक दिन इंगलैंड से यात्रियों के एक दल के साथ वह अपने देश अमेरिका वापिस आ गया ! जब वह अपने गाँव गया तो मालूम हुआ की उसके गाँव के सारे लोग किसी बीमारी के कारण मर गए हैं ! वह पास के गाँव में जाकर उन्हीं लोगों के साथ रहने लगा ! कुछ दिनों के बाद इंग्लैण्ड से भ्रमण करने वाले यात्रियों का एक दल उसके गाँव पहुंचा ! उसने उन्हें अपने पुराने गाँव मेंले जाकर बसाया, उन्हें, मच्छली मारना और मकई की खेती करना सिखाया ! ये घूमाकड़ लोग इसी गाँव में बस गए और खेती करने लगे ! उसने उन लोगों को पेड़ पौधों की भी जानकारी दी की कौन सा पौधा जहरीला है और कौन सा पौधा बीमार होने पर दवाई का काम करता है ! सन १६२१ ई० में जब सर्दी का मौसम आगया तो इन घुमक्कड़ लोगों ने २१ एकड़ भूमि पर मक्की कीफसल तैयार कर दी जो कटने का इन्तजार कर रही थी ! स्क्वायंटो कीसहायता से इन घुमक्कड़ लोगों की जिन्दगी मेंएक चमत्कारी सुधार हुया, इन लोगों ने तमाम आस पास के गाँव के लोगों को बुलाकर उनके साथ मिलकर तीन दिन तक एक बड़ा भारी जसं मनाया ९० ग्रामवासियों को भोजन करवाया और उन्हें दोस्त बनाया एक दुसरे को थैंक्स किया ! इस तरह यह दिन थैंक्स गिवन के नाम से मशहूर हुआ !

Thursday, December 2, 2010

दुनिया के रंग खबरों के संग

विकिलिक्स दस्तावेजों का खुलासा, आने वाले दिनों में व्यापारियों, सटोरियों, तस्करों, बिल्डरों और उन दूसरे लोगों के ऊपर गाज गिर सकती है जो किसी न किसी रूप में सरकार और निजी धंधों से जुड़े हुए हैं !
इसकी एक खबर तो बहुत ही चौकाने वाली थी जिसमें विकिलिक्स ने हिन्दुस्तान-पाकिस्तान संबंधों के बारे में जिक्र किया है ! भारत हमेशा से शांती की टोपी लगाए हुए रहा है, और आगे भी ऐसे ही रहेगा ! ये टोपी तभी शोभा देती है की पड़ोसी भी या तो शांती की टोपी पहिन ले या कम से कम टोपी का तो लिहाज करे ! लेकिन पाकिस्तान १९४८ से ही पहला जोरदार झटका मारता आ रहा है और जब देखता है पलता कमजोर पड़ता जा रहा है अमेरिका और रूस के आगे जाकर गिडगिडाने लग जाता है की भारत को मनाओ सीज फायर कराओ और भारत मान जाता है, सब भूल भाल कर जीती हुई जमीन वापिस लौटा देता है ! बार्डर पार से पाकिस्तानी सेना के जवान भारतीय सेना के जवानों को चिढाते हुए कहते हैं "हिन्दुस्तानियों शांती के कबूतर उड़ाने वालो, तुम्हे तो फायर करने की इजाजत अपने केन्द्रीय मंत्रीमंडल से लेनी पड़ती है, हमारे तो जेब में ऑर्डर होते है जब चाहे, कभी भी कहीं भी फायर खोल देते हैं ! और तुम जब तक फोन मिलाते हो तब तक हम क्या कर देते हैं और कर देंगे खुद समझ जाओ ! इस खुलासे ने तो यहाँ तक लिखा है की अगर भारत पाक का अणु युद्ध हुआ तो पहला अटैक पाक कर देगा जिसका नतीजा बड़ा भयानक हो सकता है ! भारत के नेताओं को इस खुलासे के बाद पाकिस्तान के समंधों के बारे में गंभीरता से विचार करने की जरूरत है !
सी वी सी थामस जाने की तैय्यारी में ! अभी आए थे बेचारे, कुर्सी पर पूरी तरह बैठ भी नहीं पाए थे, ये भ्रष्टाचार का टोकरा न जाने कहाँ से आकर कुर्सी पर पहले ही बैठा हुआ मिला ! सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया जिस आदमी का पहले ही रिकार्ड दागी हो वह इतनी जिम्मेदार कुर्सी पर कैसे बैठ सकता है ! विपक्ष की सुसमा स्वराज जी ने इस नियुक्ती पर पहले विरोध जताया था लेकिन कांग्रेस के दिग्गजों ने उनकी एक न सूनी ! नतीजा चारों और थू थू हो रही है !
सदी का एक और खुलासा - कोलाबा मुंबई में युद्ध विधवाओं और मिलिटरी वेटरन्स के नाम पर एक ३१ मंजिला अपार्टमेन्ट तैयार किया गया लेकिन अलाट किया गया, मिलिटरी के दो पूर्व जनरलों को, प्रदेश के मुख्य मंत्री और उनके रिश्तेदारों को, मिलिटरी के प्रभावशाली अधिकारियों को और प्रदेश के प्रभावशाली नेताओं और नौकरशाहों को ! मजे की बात कीमत ८.५ करोड़ लेकिन फ्लेट बेचे गए केवल ८५ लाख में ! जब मामला प्रकाश में आया मीडिया में मोटे मोटे अक्षरों में खबर छपी तो आदर्श सोसायटी की फायलें ही गायब की गयी ! अब ढूँढते फिरो ! चोर चोर मौसेरे भाई ! आज की खबरें ख़त्म हुई फिर हाजिर होंगे जब फायलें मिल जाएँगी !

Wednesday, December 1, 2010

दुनिया के रंग खबरों के संग

विकीलिक्स - अमेरिका के दिल की धड़कन बढ़ गयी जब उसके बहुत ही गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक किये गए और विश्व में हर देश के प्रमुख समाचार पत्रों के प्रथम पृष्ट पर छप गए ! लोग चटकारे ले लेकर आनंद ले रहे हैं और अमेरिका की गुप्त एजेंसियों की खामियों पर उंगलियाँ उठा रहे हैं ! पता नहीं लोगों को दूसरों के दिल की धड़कन नापने में क्या मजा आता है चाहे खुद हाई ब्लड प्रेसर के मरीज ही क्यों न हों ! अब वेचारी अमेरिकन सुरक्षा एजेंसीज सी ऐ ए अंकल सिम को शर्मसार होने से नहीं रोक सकी ! इस रिपोर्ट के मुताबिक़ अमेरिका पाकिस्तान के बढ़ते हुए परमाणु शक्ती से भी चिंतित है की कहीं ये परमाणु हशियार कहीं आतंकवादियों के हाथ लग गए तो नतीजा कितने गंभीर होंगे अनुमान नहीं लगाया जा सकता ! विकीलिक्स प्रमुख जुलियन अन्साजे के खिलाफ वारंट जारी !
परवेज मुशर्रफ - पाकिस्तान के भूतपूर्व सैनिक तानाशाह और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को भारत सरकार ने वीजा देने से इनकार कर दिया, अच्छा किया, इसने कारगिल काण्ड करके फिर से भारत और पाकिस्तान के संबंधों को और बिगाड़ दिया ! उसके शासनकाल में मारे गए बलूच राष्ट्रवादी नेता नवाब अकबर बुगती के बेटे और जम्हूरी वतन पार्टी के प्रमुख तलाल अकबर जुगती ने मुशर्रफ के कटे सर लाने वाले को अ अरब रुपये और एक अकड जमीन देने का ऐलान किया है ( न भ टा वेब साईट - १/१२/२०१० । बाकी एशिया) !
भारत - सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की टेलीकाम मंत्रालय ने भारत के प्रधान मंत्री की राय की अह्वेलना करके २जी स्पेक्ट्रम आवंटन में एक प्राईवेट बिजिनिस हाउस की तरह काम किया है, इससे लगता है की दाल में कुछ काला है ! १.७५ लाख करोड़ का चुना केन्द्रीय सरकार पर लग गया और ए राजा मालामाल बन गया, साफ़ जाहिर है की दाल में सब कुछ ही काला ही काला है ! केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (सी वी सी) पी जे थामस जिनकी पामोलीन आयात घोटाले में कथित भूमिका है, वे २ जी और दूसरे केसों की इन्क्वारी कैसे करेंगे ! सवाल उठाता है की उनको सतर्कता आयुक्त बनाने में किसका हाथ है ? जो खुद घोटालों में सामिल हैं और उनके केस कोर्टों में चल रहे हैं और सरकार उन्हें ही प्रमुख पोस्टों पर बिठा रही है तो आम जनता के साथ न्याय कौन करेगा ?
क्रिकेट - भारत ने गौतम कम्भीर की कप्तानी और उसके अकेले के १३८ (नावाद) रनों की बदोलत जयपुर में १/१२/१० का वन डे मैच भी ८ विकेट और ७ ओवरों से जीत लिया ! न्यूजीलैंड २५८ और भारत २५९/२ केवल ४३ ओवरों में ! मुरली विजय ३३ और कोहली ६४। श्रीसंत ने ४७ रन देकर ४ वेकेट ली !

Sunday, November 28, 2010

हमारी आकाश गंगा (अवर सोलर सीस्टम )

( अवर सोलर सीस्टम - लेखक
स्मिथसोनियन और सेयमौर सिमोन )

आइये अपनी आकाश गंगा के बारे में जानकारी करें ! वैज्ञानिक कहते हैं की हमारी ये आकाश गंगा अरबों तारों के साथ पैदा हुई है ! जो आसमान हमारी नज़रों के आगे है वहां नौ ग्रह तथा उनके इर्द गिर्द चाँद घूमते हैं ! सबसे नजदीक का ग्रह बुध है जो सूर्य से ५८ मिलियन किलोमीटर दूर है, ८८ दिनमें यह सूर्य का एक पूरा चक्कर लगा लेता है ! इसके बाद शुक्र ग्रह आता है, यह ग्रह सूर्य से १०८ मिलियन किलोमीटर दूर है, और २२४.७ दिनों में सूर्य का चक्कर लगा लेता है ! इस ग्रह में कार्बन डाई आक्साईड और नाईट्रोजन गैसें हैं ! पृथ्वी की दूरी भी सूर्य से १०८ मिलियन किलो मीटर है और यह सूर्य का चक्कर ३६५.२४ दिनों में लगा लेती है ! २३ घंटे, ५६ मिनिट और ४ सेकिंड में (दिन रात) अपनी धुरी पर घूम जाती है ! वातावरण में नाईट्रोजन और ऑक्सिजन गैसें विद्यमान है ! पृथ्वी का एक चाँद भी है जो 24 घंटे में पृथ्वी का एक चक्कर लगा लेती है ! इसके बाद का गृह है मंगल (लाल) यह ग्रह सूर्य से २२८ मिलियन किलोमीटर दूर है और ६८७ दिनों में सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेता है ! यह अपनी धुरी पर २४ घंटे ३७ मिनिट और २३ सेकिंड में घूम जाती है ! इस ग्रह में कारवन डाई आक्साईड, नाईट्रोजन गैसें हैं ! मंगल ग्रह के अपने दो चाँद हैं ! सारे ग्रह छोटे हैं और सूर्य के काफी नजदीक हैं ! सन १९५०ई० में गढ़वाल की जूनियर हाई स्कूलों में पहली बार विज्ञान की पढाई शुरू करवाई गयी थी ! उन दिनों मंगल ग्रह की चर्चा जोरों पर थी की मंगल ग्रह पृथ्वी के बाद का पूरे यूनिवर्स में एक ही ग्रह है जहाँ जीवन संभव है ! विज्ञान की पुस्तक में बच्चों को पढ़ाया गया था की वहां बड़ी बड़ी नहरे हैं, वनस्पति होने से बहुत हरियाली है ! यहाँ तक चर्चा का बाजार गर्म था की "मंगल ग्रह से समय समय पर उड़न तस्तरियाँ पृथ्वी ग्रह पर आती हैं धरती के लोगों के साथ संपर्क करने के लिए, धरती की खुशहाली और विज्ञान के क्षेत्र में पृथ्वी के बढ़ते हुए कदमों की समीक्षा करने के लिये आते हैं" ! पेपरों में मंगल संबंधी अजीबो गरीब खबरें छपती थी ! नौ ग्रहों में इसका रंग लाल होने की वजह से यह अलग ही दिखाई देता है ! यह बहुत तेज और गुस्से वाला ग्रह है, जो लोग इस ग्रह के प्रभाव में आते हैं वे फ़ौजी वीर जवान -अफसर बनकर नाम कमाते हैं ! ये कही गुणों के माहिर होते हैं पर उनमें एक गुण विशेष होता है जिसमें वे मास्टर होते हैं !
इसके अलावा जो ग्रह सूर्य से भी और पृथ्वी से भी दूर हैं, उनमें सबसे बड़ा ग्रह है वृस्पति (जुपिटर), यह ग्रह सूर्य से ७७८ मिलियन किलोमीटर दूर है, ११.८६ साल में सूर्य का एक चक्कर लगा पाता है ! ९ घंटे ५५ मिनिट और १८ सेकिंड में अपनी धुरी पर पूरा घूम जाता है ! इसकी परिधि में हाइड्रोजन और हीलियम गैसें हैं ! अपनी तरफ खींचने की शक्ती (सर्फेस ग्रेविटी) पृथ्वी की १ है और इस ग्रह की २.१४ है, इसके ६३ चंद्रमा हैं तथा एक रिंग है ! शनि ग्रह
(सैटर्न ) यह सूर्य से १४२७ मिलियन किलो मीटर दूर है, २९.४ साल में सूर्यका एक पूरा चक्कर लगा पाता है, १० घंटे ३९ मिनिट और २२ सेकिंड में अपनी धुरी पर पूरा घूम जाता है ! इस ग्रह पर भी हाईड्रोजन और हीलियम गैसें हैं ! सर्फेस ग्रेविटी ०.७४ है इसके ५६ चंद्रमा हैं और एक हजार से ज्यादा रिंग हैं ! युरेनस - सूर्य से २८७१ मिलियम किलोमीटर दूर है, ८४ साल में सूर्य का एक चक्कर लगा पाता है ! इसमें हीलियम, हाईड्रोजन मिथाइन गैसें पायी जाती हैं ! इसकी सर्फेस ग्रेविटी ०.८६ है, २७ इसकी चंद्रमां हैं और ११ रिंग हैं ! नेपच्यून - यह ग्रह सूर्य से ४,४९८ मिलियम किलोमीटर दूर है, १६४.७९ सालों में यह सूर्य का एक चक्कर लगा पाता है, १६ घंटे, ६ मिनिट और ३६ सेकिंड में अपनी धुरी पर पूरा घूम जाता है ! इसमें भी वही गैसें पायी जाती हैं जो युरेनस में पायी जाती हैं, इसकी सर्फेस ग्रेविटी १.१० है १३ इसके चंद्रमां हैं और ५ रिंग हैं ! इकुटोरियल डायमीटर मीलों में -बुध का ३,०३२, शुक्र का
७,५२०, पृथ्वी का ७,९२६.४, मंगल का ४,२२२, वृस्पति का ८८,८४६, शनि का - ७४,८९२, युरेनस का - ३१,७६४,
नेपच्यून -३०,७७६ !
मिल्की वे गैलेक्सी
लेखक लिखते हैं की हमारा सोलर सीस्टम अरबों टिमटिमाते तारों के साथ पैदा हुआ था ४.६ अरबों साल पहले !वातावरण में धूल का बादल और हाईड्रोजन गैस ने मिलकर इस आकाश गंगा की रचना की ! धूल के बादलों और हाईड्रोजन गैस के दबाव में ये छोटे छोटे कण ज्यादा दबते गए और गर्म होते गए और उससे न्यूक्लीयर विस्फोट हुआ और ऊर्जा प्रज्वलित हुई वही चमकता हुआ प्रकाशित सूर्य का उदय काल था ! बाकी के बिखरे टुकड़े आकाश गंगा में बिचरने लगे, वही आगे चलकर ग्रह चाँद बनकर सूर्य का चक्कर लगाने लगे, अरबों खरबों चाँद और तारों के साथ नीला आकाश अनंत विशाल लाखों करोड़ों आकाश गंगा के साथ कुदरत का मनुष्य को एक अनुपम भेंट जिसकी खोज में इसकी कितनी पीढियां अन्तरिक्ष में समा गयी लेकिन खोज अभी जारी है ! रोज विज्ञान के नए चमत्कार देखने और सुनने को मिल रहे हैं ! लेकिन इसका रहस्य अभी भी रहस्य ही बना हुआ है और आगे भी रहस्य ही रहेगा, इस रहस्य से परदा उठेगा जरूर उठेगा तब, जब फिर कृष्ण का अवतार होगा ! क्यों की मनुष्य अपने स्वार्थ सीधी के लिए कुदरत की इस सुन्दर कृति को दूषित करता जा रहा है रोज अरबों टन बिषैली गैसें वातावरण में पहुंचाता जा रहा है और अपने लिए एक विस्फोट करने का इंतजाम कर रहा है !
सूर्य
हमारी आकाश गंगा की तरह इस ब्रह्माण्ड में करोड़ों आकाश गंगाएं हैं ! सूर्य की ही तरह पूरे यूनिवर्स में २०० अरब चमकते तारे हैं और उनकी रोशनी इस धरती पर आते आते करोड़ों साल लग जाते हैं ! भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता के ११ वें अध्याय में अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाते समय इन अनंत ब्रह्माडों का जिकर किया है ! उन्होंने अपने को सूर्य से भी पहले का बताया है और इस पूरे ब्रह्माण्ड का रचनाकार अपने को ही बतलाया है ! उनका कहना है की हे अर्जुन जिस सीमा के अंदर तुम रह रहे हो, ये तो केवल एक ही सूर्य द्वारा प्रकाशित आकाश गंगा है और हर आकाश गंगा को नियंत्रित करने के लिए मेरी शक्तियां, ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं ! इस तरह पूरे यूनिवर्स में इस तरह की दो सौ अरब आकाश गंगाएं हैं और हे अर्जुन "मैं ही इन सारे आकाश गंगाओं को नियंत्रित करता हूँ" !
हमारी धरती के एक सूरज है जो धरती से बहुत विशाल है करीब १३ लाख प्रथ्वी के बराबर है ये सूर्य महाराज ! सूर्य का ईधन है हाईड्रोजन गैस ! यह एक सेकिंड में करीब ४० लाख टन हाईड्रोजन गैस का इस्तेमाल करता है ! वैज्ञानिकों का मानना है इतनी ज्यादा हाईड्रोजन कंज्यूम करने के बाद भी सूर्य के पास अभी पांच छ अरब सालों तक के लिए हाईड्रोजन बाकी है ! सूर्य धरती के जीव जंतु, पशु पक्षी और पेड़ पौधों के लिए जीवन दायिनी औषधी है ! इससे प्राणी मात्र को ऊर्जा मिलती है, पेड़ पौधों को बढ़ने में मदद मिलती है, समुद्र से भाप के बादल बनाकर वारीष भी सूर्य के ताप का ही प्रताप है ! इसके बिना धरती पर जीवन संभव नहीं है ! सूर्य का केंद्र वृस्पति ग्रह के बराबर है जिसका तापमान २७,०००,००० डिग्री फायरन हाईट है ! सूर्य के भीतरी भाग को क्रोमोस्फयर और बाहरी भाग को कोरोना कहते हैं !जब पूरा सूर्य ग्रहण लगता है तो भीतरी भाग धक् जाता है लेकिन कोरोना सूर्य के किनारे किनारे नजर आता है !
बुध - इसका नाम रोम वालों ने तेज भागने वाला सन्देश पहुंचाने वाला (हलकारा) रखा ! यह ग्रह सूर्य का चक्कर तो बहुत जल्दी लगा लेता है लेकिन अपने धुरी पर घूमने में ५८.६ दिन लगाता है ! इसका आकार पृश्वी से तो छोटा है ही बल्की वृस्पति और शनि ग्रह के सबसे बड़े चाँद से भी छोटा है ! इसका अपना कोइ चाँद नहीं है ! यह वैसे दिखाई नहीं देता लेकिन सुबह और शाम जब सूर्य उदय हो रहा हो या पश्चिम दिशा में अस्त का समय हो बुध ग्रह दिखाई दे सकता है ! टेलेस्कोप से यह दिखाई देता है और धरती के चाँद की तरह या रोज अपनी आकृति बदलता रहता है ! चाँद की तरह इसके धरातल में बहुत से क्रेटर्स हैं ! यह एयरलेस प्लेनेट है, दिन के समय इसका टेम्प्रेचर ७५० डिग्री (एफ) होता है जोलोहे को गला सकता है लेकिन रात को -३०० तक चला जाता है इतना ठंडा जितना पृथ्वी के साउथ पोल जितना !
शुक्र ग्रह - पृथ्वी के बराबर होने से इसे प्रिथ्व्व की बहिन भी कहा जाता है ! रोम में इसे सुन्दरता कीदेवी कहा जाता है ! चाँद के बाद यह सबसे चमकीला ग्रह है और सुब और शाम नजर आजाता है ! इसमें सल्फुरिक एसिड और कार्बन डाई औक्षाइड गैसें हैं ! ९०० डिग्री तक टेम्प्रेचर है ! ११ अक्टूबर १९९४ ई० में स्पेस क्राफ्ट के द्वारा इस ग्रह की पूरी जानकारी ली गयी थी !
पृथ्वी - इसे ओसियन या वाटर का नाम भी दिया गया है ! यही आकाश गंगा में एक मात्र ऐसा ग्रह जिसमें तीन हिस्सा पानी है और एक हिस्सा मिट्टी कंकन पत्थर है ! स्पेस से अपोलो १५ द्वारा पृथ्वी की तस्वीर ली गयी थी !
जब सूर्या इसके नजदीक आता है तो समुद्र का पानी उबलने लगता है और जब दूर होता है तो पानी जमने लगता
है ! गर्मियों में पृथ्वी का उतरी भाग में दिन बड़े और मॉम गर्मी का होता है लेकिन दक्षिणी भाग (साउथ पोल) में दिन छोटे और सरदी का मौसम रहता फिर अगले च महीने थी इसके बिपरीत होता है ! पृथ्वी का वातावरण को संतुलित करने के लिए यहाँ नाईट्रोजन और आक्सीजन तथा छोटी सी मात्रा में कार्बन डाई आक्साईड गैंसे हैं !
चाँद के बाद पृथ्वी पर सबसे चमकीला ग्रह शुक्र है ! रोम में शुक्र ग्रह को प्रेम की देवी कहा जाता है (गौडेज आफ लव एंड ब्यूटी ) ! इसे सुबह और शाम का तारा कहा जाता है, लेकिन वास्तव में यह स्टार नहीं है बल्की एक गढ़ है (प्लानेट) ! कोइ कोइ तो शुक्र ग्रह को पृथ्वी की बहीं बताते हैं क्योंकि इन दोनों का साईज बराबर है !
यह सबसे गर्म ग्रह है, इसका टेम्प्रेचर ९०० डिग्री (एफ)। इसमें पानी की मात्रा काफी कम है !
मंगल - यह सूर्य का चौथा ग्रह है ! यह धरती के नजदीक होने से ज्यादा चमकीला लालिमा लिए हुए है ! रोमन इसे लड़ाई का देवता कहते हैं ! सन १९७० ई० में पहली बार मानव रहित स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी से मंगल ग्रह के नजदीक भेजा गया था ! इसके द्वारा भेजी गयी तस्वीरों से ऐसे लगता है की मार्स (मंगल) के दोनों पोल बर्फ से ढके हैं !
वृस्पति - ग्रहों में सबसेबड़ा ग्रह ! यह गैस प्लानेट है जो हाईड्रोजन और हीलियम गैसों से बना है ! यह ग्रह बादलों से ढका हुआ रहता है ! लेकिन पृथ्वी की तरह इन बादलों में यहाँ पानी नहीं है ! इसमें बड़ा लाल सपाट है जो पृथ्वी से तीन गुना बड़ा है ! इसे ३०० साल पहले इंसान ने टेलेस्कोप से इसे देखा था ! समय के साथ यह बढ़ता है घटता है कभी पिंक कभी प्रकाशवान होता है लेकिन यह स्पोट अपनी जगह नहीं बदलता ! सदियों से ओवल शेप में है ! १९९६ ई० में इः पता लगा की वृस्पति रिंग से घिरा हुआ प्लानेट है ! शनि, युरेनस और नेपच्यून के भी रिंग हैं । इस ग्रह का केंद्र बहुत गर्म है ! इसके १६ बड़े चंद्रमा हैं और ४७ छोटे चंद्रमा हैं ! चार बड़े चाँद का नाम है यूरोपा, गनिमेडे, ऐओ और कालिस्तो ! इन्हें गेली लियन मून कहा जाता है क्यों की गैलिलियो ने १६१० ई० में इनकी खोज की थी !
शनि - वृस्पति के बाद सबसे बड़ा ग्रह पृथ्वी जैसे ७५० प्लानेट इसमें समा सकते हैं ! इसे रोमन गौड आफ फार्मिंग कहते हैं ! चार सौ साल पहले गैलिलियो ने अपने हलके पावर के टेलेस्कोप से देखा था ! पचास साल बाद बड़े टेलेस्कोप से अन्तरिक्ष यात्री ने देखा की शनि दो ग्लोबस और एक फ्लेट रिंग से घिरा हुआ है शनि ग्रह ! यह ऋण ऐसा लगाया है की यह हजारों पतले पतले रिंगों से जुड़ा हुआ है ! यह रिंग १७००० मील के घेरे पर होते हुए तीन मील से कम मोटाई वाली है ! इसके एक बड़ा मून तथा ६ छोटे मून हैं ! ये सारे बर्फ से ढके हुए हैं !
उरेनस - इस ग्रह का पता १७८१ ई० में विलियम हर्चेल ने अपने टेलेस्कोप से लगाया ! इसका नाम ग्रीक गौड आफ हैवन और रूलर आफ वर्ड रखा गया ! इसका रिंग है ! यह पृथ्वी से पचास गुना बड़ा है ! इसके पांच बड़े चाँद हैं और २२ छोटे हैं ! इसका रिंग १७ पतले पतले रिंगों से जुड़ा हुआ है !
नेपच्यून - यह ग्रह धरती से बहुत दूर है ! इसका पता भी गैलिलियो ने किया था ! यह भी रिंग से लिपटा गैस वाला ग्रह है ! यहाँ पर आंधी तूफ़ान हर समय आता रहता है ! यह नीला दिखाई देता है ! २५ अगस्त १९८९ ई० में इस ग्रह से वोयागर २ स्पेसक्राफ्ट से इसके बारे में काफी जानकारी हासिल की गयी थी ! इसके २ बड़ी और ११ छोटे चाँद हैं ! इसकी सतह में बर्फ जमी होने का अनुमान है ! इसके बाद सबसे छोटा ग्रह प्लूटो जिसकी खोज १९३० ई० में की गयी ! इसका एक बड़ा मून भी देखा गया जिसका पता १९७८ ई० में चला ! प्लेटो का चाँद ६ दिन में इसका एक पूरा चक्कर लगा देता है ! यह है हमारी आकाश गंगा १ युनिअर्स गैलेक्सी !

ख़बरें आज तक की

भारत में क्या हो रहा है, हमारी एशियन गेम की उपलब्धि और न्यूजी लैंड पर वन डे क्रिकेट मैच में विजय !
आदर्श सोसायटी की महत्त्व पूर्ण फाईलें गायब हो गयी हैं ! इस सोसायटी में कही महान हस्तियों के फ्लेट अलाटमेंट का राज दबा पड़ा था ! महाराष्ट्र के मुख्या मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था। पूर्व सेनाध्यक्ष का नाम भी इन फाईलों में था ! अब फ़ाइल ही गम हो गयी है किस्सा भी खत्म !

२८ नवम्बर को गोहाटी में पहला वन डे क्रिकेट मैच भारत और न्यूजी लैंड के बीच खेला गया ! भारत यह मैच ४० रनों से जीत गया ! भारत के २७६ रन के मुकाबले न्यूजी लैंड २३६ ही रन जुटा पाया ! भारत की तरफ से कोहली ने १०५ रन बनाए और उसे मैन आफ दी मैच घोषित किया गया ! युवराज ने ४२ रन और ३ विकेटें लेकर अपनी वापिसी दर्ज करवा दी ! गौतम गंभीर इस मैच का कैप्टेन था और उसने ३८ रन बटोरे ! असवीं और श्री सांत ने ३, ३ विकटें ली ! मजे की बात यह थी की भारत इस टीम में नये खिलाड़ियों के साथ उतरा था ! इसमे धोनी, सहवाग, सचीन, हरभजन, ज़हीरखां, द्राविड ईश शर्मा को आराम दिया गया था !
भारत ने एशियन खेलों में क्या पाया !
२००६ के मुकाबले भारत ने कामनवेल्थ गेमों के बाद एशियन गेमों में भी अपनी पकड़ मजबूत की और १४ गोल्ड मैडल के साथ छटे स्थान पर रहा ! अपने गोल्ड मैडल वीरों से भी मिलें :
१ पंकज आडवाणी - विलियर्द
२ बजरंग लाल (आर्मी) रोइंग
३ रंजन सोधी शूटिंग
४ प्रीजा श्रीधरन एथलेटिक
५ सुधासिंह 3000meetar (एथलेटिक)
६ सोमदेव वर्मन और सुमनसिंह - टेनिस डबल
७ सोमदेव वर्मन टेनिस सिंगल
८ विकास कृष्ण बाक्षिंग
९ अश्वनी अन्कुजी बाधा दौड़
10 अब्राहम जोसफ बाधा दौड़
११ कबड्डी महिओला और पुरुष - दो गोल्ड
१२ रिले रेस ( ४ = ४०० ) ४ लड़कियां (मंदीप, मंजीत कौर, सिमी जौन, अश्वनी
१३ विजेंद्र बौक्षिंग
कौन कहाँ पर पूरी जानकारी नीचे दी गयी है !
संख्या नंबर देश का नाम गोल्ड सिल्वर ब्रोंज टोटल

१ चीन १९९ ११९ ९८ ४१६
२ साउथ कोरिया ७६ ६५ ९१ २३२
३ जापान ४८ ७४ ९४ २१६
४ इरान २० 14 २५ ५९
५ कज़ाकिस्तान १८ २३ ३८ ७९
६ भारत १४ १७ ३३ ६४
७ चाइनीज ताइपेई १३ १६ ३८ ६७
८ उज़बेकिस्तान ११ २२ २३ ५६
९ थालैंड ११ ९ ३२ ५२
१० मलेसिया ९ १८ १४ ४१
११ होँग कोंग़ ८ १५ १७ ४०
१२ नोर्थ कोरिया ६ १० २० ३६
१३ स अरबिया ५ ३ ५ 13
१४ बहरीन ५ ० ४ ९
१५ इंडोनेसिया ४ ९ १३ २६
१६ सिंघापुर ४ ७ ६ १७
१७ कुवैत ४ ६ १ ११
१८ क़तर ४ ५ ७ १६
१९ फिलिपाईन्स ३ ४ 3 १०
२० पाकिस्तान ३ २ ३ 8
३६ देश टोटल ४७७ ४७९ ६२१ 1577

अगले एशियन गेम में फिर मिलेंगे ! जय हिंद -

Wednesday, November 24, 2010

भारत के टाईगर

कहते हैं एक सौ साल पहले अकेले भारत में ५० हजार टाईगर थे, जो आज सीमिट कर दो हजार के लगभग रह गए हैं ! पूरे विश्व में आज सात और आठ हजार के लगभग टाईगर बचे हैं ! जंगल कट गए, कुदरती तालाब झीलें सूखने लगी, जंगलों में सड़क बनाने, पत्थर तोड़ने के लिए बारूद जैसे भयानक आवाज करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल होने से भी टाईगर के बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ने से उनकी आने वाली नस्ल धीरे धीरे समाप्ति के कगार पर है ! शेर या टाईगर का शिकार करना रजवाड़ों, रईसों और अंग्रेजों का शौक रहा है ! एक आंकड़े के मुताबिक़ अकेले सरगुजा के महाराजा ने अपने जीवन काल में ११०० टाईगरों का शिकार किया था ! फिर जंगल कटने से जंगली जानवर भी कम होते चले गए, बाकी बचे हुए टाईगर गाँव के नजदीक आकर पालतू जानवरों को मारने लगे, कभी कभी तो वे आदमियों और बच्चों को ही उठाने लगे, नतीजा गाँव वालों ने मरे हुए जानवरों के शरीर पर जहर मिला कर उन्हें मार डाला, इस तरह उनके आतंक से गाँव वालों को तो छुटकारा मिल जाएगा लेकिन कुदरत की दी हुई टाईगर नाम के इस खूबसूरत तोहफे को हम जल्दी ही खो देंगे ! कहीं ऐसा न हो की टाईगर नाम का जीव इतिहास के पनों में डैनासोर की तरह बंद हो जांए ! चोरी चोरी शिकारी इनका शिकार कर रहे हैं ! पैसे के लोभ में ये लोग टाईगर को मार कर उसकी खाल, दांत, नाखून, हड्डियों को बेच देते हैं ! हड्डियों से दवाइयाँ बनाई जाती है, दांत और नाखूनों से नेकलेस बनाया जाता है, कुछ लोगों का विश्वास है की इस नेकलेस को पहिनकर वे भी शारीरिक और जिस्मानी तौर पर टाईगर की तरह ताकतवर बन जाएंगे !
कदम कदम पर मौत के शौदागर
एक मादा
टाईगर तीन साल की उम्र पूरी होने पर एक समय में एक से सात बच्चे देती है लेकिन उनमें दो या तीन ही बच पाते हैं ! नर टाईगर की उम्र चार साल होने पर वह एक पूरा जवान टाईगर स्वालंबी बन जाता है, बच्चों को आँख खोलने में तीन से चार दिन का समय लग जाता है ! नर टाईगर जंगल के करीब तीन सौ वर्ग किलोमीटर तक अपनी सीमा का मालिक होता है ! उसकी उस सीमा में तीन से चार परिवार होते हैं ! मादा टाईगर प्रेगिनेंसी के ३ महीने बाद बच्चों को जन्म देती है ! बच्चों के लिए एक ऐसी गुफा का चुनाव करती है जो सुरक्षित हो, पानी नजदीक हो, खाने के लिए जानवर नजदीक हों ! पहले के एक महीने तक मादा को बच्चों की सुरक्षा की ज्यादा ही चिंता रहती है, उस वक्त उन्हें, चील और लोमड़ी जैसे जीवों से बचाना होता है ! पिता के अलावा इन नादान बच्चों को दूसरा टाईगर, शेर, भालू भी उठा ले जाता है ! एक महीने बाद उनकी माँ उन्हें जानवरों के शिकार पर पालती है, बच्चे मां का दूध पीना बंद कर देते हैं ! दो महीने बाद माँ उन्हें खतरा भांपने की ट्रेनिंग देती है, वह चिड़ियों जैसी एक अजीब आव्वज करती है और बच्चे खतरा समझ कर छिप जाते हैं ! दो महीने के बाद माँ बच्चोंको शिकार के लिए साथ ले जाती है करीब एक मील के घेरे तक ! बच्चे शिकार खाकर जल्दी ही बढ़ने लगते हैं ! उन बच्चों में भी एक ज्यादा चतुर चालाक और ताकतवर होता है, ज्यादा शिकार खाता है और पहले हाथ मारता है ! पांच महीने पूरे होते ही वे अपनी माँ के साथ लम्बे लम्बे सफ़र पर जाने लगते हैं ! बच्चे मोर, खरगोश, गिलहरी जैसे छोटे छोटे जीवों को मार देते हैं ! उन्हें शिकार करने की ट्रेनिंग दी जाती है ! वे अपनी माँ की मदद करने लगते है झाडी से जानवरों को भगा कर अपनी माँ की तरफ भगाते हैं और माँ उन्हें मार देता है ! जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं उन्हें ज्यादा शिकार की जरूरत होने लगती है, माँ को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है ! सात महीने पूरे होते होते तक माँ बच्चों को अपनी सुरक्षा और शिकार को पकड़ने के गुर सिखाने लगती है ! शिकार करना इतना आसान नहीं होता १५ - १६ बार तो असफता ही मिलती है लेकिन १६ वें या १७ वें कोशीश रंग ले आती है और एक बड़ा सा जानवर काबू में आजाता है !
कभी कभी अनजान नर टाईगर आ जाता है तो मादा बच्चों को बचाने के लिए उस से भीड़ जाती है और कभी जख्मी भी हो जाती है ! ९ महीने होने पर बच्चे ४५ किलो वजन के और ६ फीट की लम्बाई ले लेते हैं ! वे इस उम्र में आपस में लुका छिपी का खेल खेलते हैं ! पेड़ भी चढ़ने लगते हैं ! अब माँ को ज्यादा शिकार करने के लिए गुफा से दूर भी जाना पड़ता है ! जब काफी देर के बाद बच्चों की माँ वापिस आती है तो वे माँ से लिपट जाते हैं ! १२ महीने के होते ही उन्हें माँ अपने साथ शिकार कहाँ मिल सकता है, उन स्थानों पर ले जाती है, माँ शिकार को घायल करके छोड़ देती है और देखती है की बच्चे किस तरह उस घायल जानवर को मारते हैं और खाते हैं ! टाईगर अमूमन सूबह और शाम अपने शिकार को मारते हैं, पानी के नजदीक जब वे पानी पीने आते हैं ! वे, मोर, खरगोश, हिरन, बारहसिंघा, जंगली बकरा, जंगली भैंसा, हाथी का बच्चा, गैंडे का बच्चा तथा मौक़ा पड़ने पर झील या तालाब से मगरमच्छ के बच्चे का भी शिकार कर देते हैं ! जब बच्चे १६-१७ महीने के होजाते हैं तो आपस में खेलना छोड़ देते हैं, अगर खेल खेल में गुस्से में आगये तो एक दूसरे को चोट पहुंचा देते हैं ! २० महीने के बाद ये बच्चे जवान टाईगर बन जाते हैं जो बचों में ज्यादा मजबूत और ताकतवर होता है वह माँ का घर छोड़ कर अपना इलाका चुन लेता है ! ज्यादा से ज्यादा बच्चे २४ महीने तक अपनी माँ की छत्र छाया में रहते हैं उसके बाद अपने इलाके के स्वंभू बन जाते हैं ! मादा टाईगर को प्रभावित करने के लिए दो नर टाईगर जबरदस्त फाईट करते हैं और जो जीतता है वह मादा टाईगर से सम्बन्ध बनाने में कामयाब होता है ! ये झाडी में चुप चाप अपने शिकार का इन्तजार करते हैं, उनके शरीर की धारियां घास या झाड़ियों में छिपने के लिए उनकी मदद करता है ! हाँ पेड़ के बन्दर की नजर उस पर पड़ जाती है और वह शोर मचाकर सभी जानवरों को सावधान कर देता है !
इसकी जीब का द्रब्य (सलीवा) आंटी सेफ्तिक होता है इस तरह जब यह आराम कर रहा होता है यह अपनी जीब अपने जख्मों पर फिराता रहता है ! इस तरह शिकार खेलते हुए जो चोट या जख्म इन के शरीर पर लगी होती है जल्दी ही ठीक होजाती है ! कभी कभी एक टाईगर के शिकार मारने पर अचानक दूसरा टाईगर आकर उस शिकार पर अपना अधिकार जमाने लगता है फिर दोनों का संग्राम शुरू हो जाता है जो जीतता है वह पहले शिकार पर हाथ साफ़ करता है और दूसरा टुकुर टुकुर अपनी बारी आने के इंतज़ार में दूर जाकर लेट जाता है ! टाईगर अपने प्रतिद्वन्दी को अहसास दिनाने के लिए की यह इलाका उसका है पेड़ पर पंजों का निशाँ लगा देता है !
बंगाल का नर टाईगर पूँछ सहित १२ फीट लंबा होता है ! पूछ पूरी लम्बाई का तीसरा हिस्सा पड़ता है इस तरह असली लम्बाई ८ फीट हुई ! वजन दो सौ केजी ! मादा का कद कम होता है !
टाईगर का भविष्य
टाईगर का भविष्य अन्धकार में है ! विश्व के वाईल्ड लाईफ संगठन इसको बचाने का भरसक यत्न कर रहा है ! विश्व के सारे देशों को इस जीव को बचाने के लिए उचित कदम उठाने के लिए निर्देश दिए गए ! भारत में सरकार भी चिंतित है ! इनके लिए आरक्षित क्षेत्र बनाए गए हैं ! सार्थक कदम उठाए गए हैं लेकिन फिर भी कुछ दुश्मन तश्कर अपने निजी स्वार्थ केलिए इन वेजुवान जीवों की ह्त्या कर रहे हैं ! क्या आप इन जीवों को बचाने का कोइ कारगर कदम उठाने जा रहे हैं ! (साभार नेचुरल वर्ड टाईगर लेखक वाल्मिक थापर )

Tuesday, November 23, 2010

BUDDHA: उल्लुओं की मीटिंग में फंस गया एक हंस

BUDDHA: उल्लुओं की मीटिंग में फंस गया एक हंस

खबरों के जंगल में

भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल बज चुका है, आम आदमी अब जगने लगा है, सुप्रीम कोर्ट सरकार के कार्य शैली पर उंगली उठाने लगी है ! १.७५ लाख करोड़ रुपयों का घोटा हुआ और प्रधान मंत्री चुपचाप देखते रहे ! वो तो पूरा देश नमन करेगा जनता पार्टी अध्यक्ष श्री सुबरामनियम स्वामी को जिन्होंने केन्द्रीय मंत्री ए राजा के खिलाफ १.७५ लाख करोड़ के घोटाले को उजागर किया ! सुप्रीम कोर्ट तक वे इस केस को ले गए ! लेकिन पूरा कांग्रेस संगठन इसको घोटाला नहीं मानता ! क्यों की इस घोटाले में केन्द्रीय सरकार के सभी मंत्री, संतरी और नौकरशाह सामिल हैं ! क्या जनता आने वाले संसद चुनावों में वही गलती दुबारा करेगी जो उनहोंने २००९ ई० में की थी ! अरे ये कांग्रेस सरकार तो उस हद तक चली गयी की उसने सी वी सी का चेयरमैन एक दागी नौकरशाह को बना दिया है ! कामनवेल्थ गेम्स के भ्रष्टाचारियों को खुला छोड़ रखा है की जाओ शेरो जो घोटाला किया है उसको रफा दफा करने की कोशीश करो ! सारे साक्ष्य मिटा दो, जो रास्ते में आते हैं उन रुकावटों को हटा दो ! लेकिन भ्रष्टाचारियो कहाँ तक बचोगे, जनता का रौद्र रूप करवट लेने लगा है, वे धीरे धीरे अपने ढंग से इन भ्रष्टाचारियों को घेरने का जाल तैयार करने लगा गयी है ! देश सच्चे नागरिक देश की मिट्टी के कण कण से जुड़े लोग आगे आ रहे हैं ! सन १९७७ ई० में जो आन्दोलन लोक नायक श्री जयप्रकाश जी ने चलाया था जिसकी ज्वाला में उस जमाने की महान हस्ती
श्रीमती इन्द्र गांधी भी नहीं बच पायी थी, तो आज तो ये बे मौसमी कीट पतंगे हैं जिनको जलाने में जनता को ज्यादा परेशानी नहीं होगी !" भ्रष्टाचारियो, शासको, नौकरशाहों बचना चाहो बचलो, सामत आने वाली है,
दूर गगन में बादल फट गए ये बाढ़ तो खप्पर वाली है ! "
एशियन गेम
हम कहते हैं हम चीन से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं ! एशियन गेम में आजतक चीन १६५ गोल्ड, ८५ सिल्वर और ७९ ब्रोंज लेकर ३२९ मैडलों पर कब्जा कर चुका है और हमारा देश कांग्रेस शासित देश कज़ाकिस्थान के बाद ८ वें नम्बर पर ७ गोल्ड १२ सिल्वर, २० ब्रोंज लेकर कुल जमा घटा कर ३९ मैडल बटोर पाया है ! सन १९६० तक तो चीन अंतर्राष्ट्रीय खेलों से बाहर था और आज आलम यह है की ओलम्पिक में नम्बर वन फिर दूसरे गेमों की तो कहने ही क्या ! जन संख्या के हिसाब से भी चीन के बाद हमारा ही नंबर आता है फिर खेलों में क्यों नहीं ? यहाँ भी राजनीति, भाई भतीजा वाद !
क्रिकेट
वैसे क्रिकेट भी इन राजनीतिज्ञों से बचा नहीं है, फिर भी बी सी सी ऐ के धनाढ्य होने के कारण वहां ये चोच नहीं मार पाते ! हमारी टीम ने कुछ दिन पहले आस्ट्रेलिया को मात दी थी और अब न्यूजी लैंड की टीम भी तीन टेस्ट मैचों में से दो को तो ड्राव कराने में कामयाब हो गयी लेकिन तीसरा मैच एक इन्निंग और १९८ रनों से हार गयी ! इसमें राहुल के १९१, (मैन आफ दी मैच) गंभीर के 78, सहवाग के ७४, सचीन के ६१ और धोनी के ९८ रन मददगार साबित हुए ! इस टेस्ट सीरिज में हरभजन अपनी दो सेंचुरी और 10 विक्केट लेने में कामयाब रहा तथा मैन आफ दी सीरिज पर पहली बार कब्जा जमाया ! न्यूजी लैंड १९३ और १७५, भारत ५६६/८.पारी समाप्ति की घोषणा !
लक्ष्मी नगर का हादसा
कुछ दिन पहले पूर्वी दिल्ली में एक बिल्डिंग के गिरने से ७०-८० लोगों के मरने की खबर थी ! खूब हंगामा हुआ ! दिल्ली सरकार ने एम सी डी को इस हादसे का जिम्मेदार ठहराया वहीं भाज पा अपना पल्ला झाड कर उलटा केंद्र और दिल्ली सरकार पर वार कर रही थी लेकिन विधान सभा में दोनों पार्टियों को जैसे सांप सूंग गया किसी ने भी इस विषय पर चर्चा के लिए जोर नहीं दिया ! मतलब यह की हैं जनता को दिखाने के लिए काँग्रेस और भा ज पा सता और विपक्षी पार्टियां हैं लेकिन जनता की नजर बचाकर ये एक ही चक्की के दो पाट हैं और इनके बीच में जनता पीस रही है ! आज तक इतना ही कल आएँगे बहुत कुछ नया लेकर

Thursday, November 18, 2010

जिन्दगी के ७५ बसंत

हाँ आज मैंने अपनी जिन्दगी के ७५ बसंत पूरे कर लिए हैं और ७६ वीं सीढ़ी में कदम रख दिए ! २००३ ई० में मैं इन दिनों उटाह (अमेरिका) में था ! उसके बाद २००६ से २०१० तक मैं अपना जन्म दिन अमरीका में ही मनाता आ
रहा हूँ ! यहाँ मेरा सबसे छोटा पोता है वेदान्त, मैं उसके साथ बच्चा बन जाता हूँ ! आत्रेय सात साल का हो गया है, लेकिन दादा के साथ उसका भी लगाव ज्यादा ही है ! इस तरह दोनों बच्चों के साथ अपना जन्म दिन मनाने का आनंद ही और है !आज सुबह उठ कर परमपिता परमात्मा को नमस्कार किया, स्नान करके पूजा की, योगा प्रायाम करके २ मील की सैर करने कालोनी के पूरब दक्षिण में एक छोटी सी पहाडी है, उसके ऊपर खड़े होकर सूरज की प्रथम सुनहरी किरणों के नज़ारे देखे, फिर बच्चों के बीच हंसते खेलते हुए उन्हें स्कूल भेजा ! काजल और मेरी पत्नी ने मुझे जन्म दिन पर बधाई दी और गर्म गर्म मीठे हलवा खिला कर मीठे मूंह से दिन की शुरुआत हो गयी ! कम्यूटर पर मेल देखी, कही दोस्तों, साथियों और भारत से बच्चों की मेल देखी सब मेरे जन्म दिन की बधाई के थे !
दिल्ली से मेरी पोती आर्शिया और पोता अरनव ने भी मुझे जन्म दिन की वधाई दी अपनी तूतली बोली में (वह अभी एक साल और ९ महीने का है ) ! पटपडगंज दिल्ली से लड़की का तथा मेरी ध्योती नीतिका ने भी फोन पर अपना सन्देश दिया ! राजेश इस समय बंगलौर में है एक जरूरी मीटिंग के लिए, उसने भी फोन करके जन्म दिन की बधाई दी इसी तरह ब्रिजेश और बिन्दू भी पीछे नहीं रहे ! फिर दोस्तों के फोन आने शुरू हुए, कुछ पूछते थे "रावत जी अब कितने साल के हो गए "? और मैं गर्व से कहता की "अनुमान लगाओ," *७०, ८० ", ७० तक तो मैं मुस्कराता रहता लेकिन जब ८० कहते तो मैं आपा खो देता, "कमाल करते हैं आप, अभी बहुत सारे बच्चे मुझे अंकल कह कर पुकारत्ते हैं और आप मुझे ८० का बताते हैं ", वे कहते
"रावत जी माफ़ करना, आपका कसरती शरीर देखकर तथा बालों से आप ६५ के लगते हैं लेकिन चहरे की झुरियां हमें चक्कर में डाल देती हैं यकीन मानो आपके शरीर की लचक और स्फूर्ति देखकर कोई आपको ६०-६५ से से ऊपर का नहीं कह सकता और मेरे मन में खुशियों की फूल झड़ियां झड़ने लगती ! शाम तक बच्चे स्कूल से वापिस आजाते हैं फिर हो जाती बचों के साथ लुका छिपी, कबड्डी कबड्डी, दौड़ भाग ! एक सजन ने मुझे पूछा "रावत जी आप इस उम्र में भी इतनी दौड़ भाग वह भी बच्चों के साथ कैसे करलेते हैं " ? मैं जबाब देता हूँ, सुबह सुबह उठ कर स्नान ध्यान, योग, कसरत, प्राणायाम और सूरज निकलने के साथ ही २ मील की सैर ये सब मेरे दैनिक कार्य कर्म में सामिल है !
मैं यहाँ ६ दिसंबर तक हूँ फिर इंडिया चला जाउंगा और वहां भी यह नियम इसी तरह पालन किया जाएगा ! यहाँ के लोगों के पास पैसा है, सजा सजाया शानदार मकान है, महंगी कार हैं, दिमाग है, वह सब कुछ है जिसको हम भौतिक सुख कहते हैं, लेकिन मन की शांती नहीं है , जिस्मानी स्थिरता नहीं है ! जवानी पैसा कमाने और भाग दौड़ में बीत जाता है और बुढापा बीमारियों के बोझ तले बीतता है ! मैं योग गुरु बाबा रामदेव के बताए हुए वसूलों का पालन करता हूँ , दिमाग को चिंता मुक्त रखता हूँ ! आप भी इस विधि को अपनाइए !

Sunday, November 14, 2010

भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी

सदियों पहले लोक नायक जय प्रकाश नारायण ने चम्बल के डाकुओं को शांती सन्देश देकर उन्हें अपने हथियारों सहित समर्पण करने का अनुरोध किया था और प्रदेश व केन्द्रीय सरकार को समर्पण करने वाले डाकुओं को अमन चैन की जिन्दगी जीने के लिए, समाज की मुख्या धारा से जुड़ने के लिए ग्राम, जिला स्तर पर स्कीम बनाने की प्रार्थना की थी ! लोक नायक के अनुरोध को स्वीकार करते हुए उस समय के नामी ग्रामी और दैशत फैलाने वाले डाकुओं ने आत्म समर्पण कर दिया था ! संत विनोवा भावे ने भी इस शुभ कार्य को अंजाम तक पहुंचाने में लोकनायक की बड़ी मदद की थी ! श्री जयप्रकाश नारायण जी समाजवाद के समर्थक सच्चे देश भक्त थे ! उस जमाने के त्रिमूर्ति जय प्रकाश नारायण, मनोहर लाल लोहिया और नरेंद्र देव विपक्ष में रहकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार की योजनाओं का जो आम आदमी के हितों की रक्षा न करके बड़े घरानों के हितों की चिता करती थी, का घोर विरोध करते थे ! वे जनता से जुड़े असली नेता थे ! सन १९७७ ई० तक भ्रष्टाचार की भनक तो सुनने को मिलती थी लेकिन ८० प्रतिशत तक राजनीतिग्य, नौकरशाह ईमानदार थे ! हाँ पुलिस में घूसखोरी और रिश्वत खोरी की दो चार घटनाएं प्रकाश में आ जाती थी ! सन १९६२ ई० में रक्षा उपकरणों की खरीदारी में दलाली लेने का पहला केस प्रकाश में आया था, उस समय प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू और रक्षा मंत्री मेनन थे ! केस रफा दफा कर दिया गया था ! तश्कर, जमाखोर, मिलावट करने वाले, जुवारी, समाज को धर्म और उंच नीच की सीमाओं में बांटने वाले अपने पंख फैलाने लगे थे ! सन १९७५ ई० में इन्द्रा गांधी के प्रधान मंत्रित्व काल में देश में अमर्जेंसी लग गयी ! वह एक अन्धकार युग था, पुलिस और सरकार से जुड़े लोगों ने अपने विरोधियों को खूब सताया ! तमाम विपक्षी नेता जेलों में डाले गए ! सन १९७७ ई० के चुनाव ने कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा और जनता पार्टी के नाम पर
जिसको भी टिकट मिला चाहे वह डाकू-लुटेरा, तश्कर, जमाखोर था, सब जीत कर सांसद बन गए ! क़ानून तोड़ने वाले क़ानून बनाने वाले हो गए ! महंगाई बढ़ गयी, क़ानून व्यवस्था चरमराने लगी, पूरी जनता जनता पार्टी के राज में अपने को ठगा हुआ महसूस करने लगी ! वे इस गठ बंधन के आपसी झगड़े से परेशान हो गए ! हर सता से जुड़ने वाला अपनी मन मानी करने लगा ! सांसद और प्रदेशों में विधायक अपने गुंडे पालने लगे ! कल तक विहड़ों में छिपने फिरने वाले आज क़ानून गले में डाल कर भ्रष्टाचार जैसे अवैओध काम करने लगे, पहले छिप कर करते थे अब खुले आम करने लगे ! "जब सैंया कोतवाल तो डर काहे का" ! वही क़ानून बनाने वाले, कौन किसको पकड़ता ! फिर जनतापार्टी में प्रधान मंत्री की कुर्सी हथियाने के लिए फूट पड़ गयी और लोक नायक जयप्रकाश नारायण द्वारा सभी विपक्षी पार्टियों का गठ जोड़ नॉर्थ और साऊथ ब्लाक के चौराहे पर फूट गया ! सन १९८० ई० के मध्यावधी चुनाव में कांग्रेस बड़ी शक्ती शाली पार्टी बन कर फिर सतापर काविज हो गयी ! जनता ने सोचा कांग्रेस कितनी भी खराब क्यों न हो फिर भी इस जंगली राज से तो अच्छी ही है और इस बार फिर कांग्रेस की झोली वोटों से भर दी गयी ! कांग्रेस में भी परिवर्तन आगया और सच्चे ईमान दार सांसद विधायक किनारे कर दिए गए और पावरफूल, पुराने राज घराने , व्यापारी वर्ग के लोग, डाकू बाहुबली सता में आने लगे ! जनतापार्टी के हिस्टरी सीटर अपने गुंडों की फ़ौज के साथ आया राम गया राम बनकर सता पार्टी के साथ जुड़ने लगे ! भारतीय संविधान में एक सांसद या विधायक को भारत का नागरिक होना चाहिए, मानसिक तौर पर स्वस्थ होना चाहिए, १८ साल की उम्र वोट देने के लिए और २५ साल चुनाव लड़ने के लिए होनी चाहिए, बाकी कोई शर्त नहीं रखी गयी न शिक्षा का बंधन ही रखा गया, अंगूठा टेक मंत्री तक बन सकता है ! और इसी का फायदा उठाते हुए रौबदार, दभंग, ऊंची पहुँच वाले पैसे वाले लोग, दहशत फैलाने लोग संसद व विधान सभाओं में भरने लगे ! हर किसी को ऐश आराम की जिन्दगी जीने की इच्छा है, सैर सपाटे के लिए कीमती कार, विदेश यात्रा, बंगला, सुन्दर पार्क, कीमती फर्नीचर, इन सबके लिए पैसे चाहिए, अगर वेतन भता से पूर्ती नहीं होती तो ऊपर की कमाई का जरीया ढूँढा जाने लगा ! जनता के पैसों पर डाका पड़ने लगा ! इन्क्वारी बैठने लगी, लेकिन इन्क्वारी भी तो वही लोग कर रहे हैं जो भ्रष्टाचार के दल दल में स्वयं भी फंसे हुए हैं, फिर रिजल्ट क्या होगा ? कुछ दिन पहले एक खबर छपी थी की पी एम आफिस का एक यू डी सी ग्रेड का क्लर्क दो साल तक तीन ऐ ए एस अधिकारियों का वेतन भता लेता रहा, जो पी एम ऑफिस में डेपूटेशन पर आये थे और दो साल पहले ही अपने स्टेट को पोस्ट हो चुके थे ! क्लर्क पकड़ा गया था फिर क्या हुआ कोई जानकारी नहीं मिली ! क्या एक मामूली सा क्लर्क इतना पडा काण्ड कर सकता है वह भी लगातार दो साल तक और किसी की नजर में भी नहीं आया, जब की हर साल ऑडिटर आकर अकाऊनट्स का औडिट करते हैं ! अधिकारियों की सैलेरी सीधे बैंक अकाउंट में जाती है वहां से उनके अकाउंट्स से पैसे कैसे निकाले जाते रहे सबकी नज़रों के सामने ! इसी तरह हर मिनिस्ट्री में हो रहा होगा कौन पूछ रहा है ! एक एम पी या विधायक एक साल में ही करोड़ पति बन जाता है कैसे ? सी बी ऐ इन्क्वारी चलती है और अचानक बंद हो जाती है क्यों ? कहने का मतलब आज हिन्दुस्तान की मिट्टी का रंग भी भ्रष्टाचार के रंग में रंग गया है ! जहां भी खोदोगे भ्रष्टाचार की जड़ नजर आएगी !
हम कहते हैं हमारा देश आर्थिक दृष्टि से चीन को भी पीछे छोड़ देगा ! ऐसे भ्रष्टाचारी लोग क्या देश को आगे बढ़ने
देंगे ? आजकल चीन में एशियाड खेल हो रहे हैं, सब कुछ प्रोग्राम के मुताबिक़ हो रहा है, न कोई अफरा तफरी, न भाग दौड़ ! वहां भी औरगनाईजर घोटाला कर रहे होंगे लेकिन इस सीमा तक नहीं की मूल तो पूरा खा गए और ब्याज लगा दिया कामनवेल्थ गेम की तैय्यारियों में ! चीन, जापान, साऊथ कोरिया जैसे देश बिना किसी हूँ हां के एशियाड और ओलम्पिक बड़े आराम से सम्पन कर देते हैं और हमने केवल १९८२ के बाद एक कामनवेल्थ गेम औरग्नाईज किया और नतीजा सबके सामने है ! दुर्जन, भ्रष्टाचारी मजे में घूम रहे हैं और आम जनता इनके दुष्कर्मों के बोझ तले दबी जा रही है ! आएगा कभी कोई पालनहार इस देश को बचाने वाला इसी उम्मीद पर जी रहे हैं करोड़ों देश वासी आम आदमी का लवादा पहिनकर !

क्रिकेट के नीले आकाश में

आज भारत में अगर कोई खेल है तो वह क्रिकेट है ! भीड़ क्रिकेट में, पैसा क्रिकेट में, मनोरंजन क्रिकेट में और सबसे बड़ी बात फिक्सिंग भी क्रिकेट में ! पहले भारत के गाँव, नगर और शहरों में गुल्ली डंडा खेला जाता था , स्कूल के बच्चे, बुजुर्ग भी जब फुर्सत में होते थे गुल्ली-डंडा से सुस्ती भगाते थे ! अंग्रेज क्रिकेट को अपने साथ लाये और १९४७ ई० में स्वयं तो वापिस चले गए लेकिन बौल बैट को यहीं छोड़ गए ! अगर विश्व क्रिकेट के रिकार्ड पर नजर ड़ालें तो आप देखेंगे की सभी रिकार्ड्स होल्डर इंग्लैण्ड से बाहर के ही खिलाड़ी हैं ! बड़े बड़े नामी गरामी क्रिकेटियर वेष्ट इंडीज, (लारा, सोबर्स ), आस्ट्रेलिया, (ब्रेड मैन, उन्हें क्रिकेट का जनक कहा जाय तो भी कम है, ), श्री लंका ( मुरली थरण ८०० विकेट लेने वाला प्रथम बौलर), भारत (सचीन, कपिल, गावस्कर, अनिल कुम्बले) ! ये तो नामी गरामी नाम है जिन्होंने बैटिंग और बौलिंग में नाम कमाया है ! इसके अलावा क्रिकेट जगत में जो भी अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट मैच, वन डे मैच या फिर केवल टी २० खेला है वह रातों रात करोडपति बन गया ! सचीन इमानदारी से अपना सालाना आयकर करोड़ों में देता है, उसी तरह गावस्कर, राहुल द्राविड और लक्षमण भी देता होगा ! अब वर्तमान भारतीय क्रिकेट टीम कैप्टेन महेंद्र सिंह धोनी की बात करें ! २००७ तक इनको शायद ही कोई जानता होगा ! द्राविड के कैप्टेन बनते ही उसे विकेट कीपर की पक्की जगह दे दी गयी जिस पर कैप्टेन बनने के बाद भी उसकी पक्की पकड़ है ! बैटिंग में सिक्स्सर लगाने और रनों का अम्बार लगाने पर पाकिस्तान के भूतपूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने इसे बधाई दी थी और उसके पीछे लटके बालों की भी सराहना की थी ! २००७ में पहले उसे टी २० का कैप्टेन बनाया गया, फिर वन डे का फिर फूल फ्लेज्ड भारतीय क्रिकेट टीम का कैप्टेन ! भारतीय क्रिकेट असोसियन विश्व का सबसे धनवान संस्था है ! खुद ही अनुमान लगाया जा सकता है की एक धनवान संस्था के टीम कैप्टेन की इनकम कीतनी होगी ? करोड़ों में या फिर अरबों में ! उसकी अगुवानी में भारतीय क्रिकेट टीम टेस्ट मैचों में विश्व स्तर पर पहली बार प्रथम पायदान पर पहुँची है ! लेकिन पिछले कुछ दिनों से इनकी बैटिंग स्पीड पर काली नजर लग गयी है, उन्हें ये नजर समय रहते झड़वा देनी चाहिए ! वैसे उनकी शादी साक्षी नाम की एक सालीन और सुन्दर लड़की से हुई है और शादी के बाद ही उनके बैट ने रन बटोरने कम कर दिए हैं ! आगे आगे देखिये होता है क्या ? लेकिन कहते हैं भाग्यवान के नक्षत्र जब गर्दीश में होते हैं तो अचानक ही कोई न कोई तारणहार निकल आता है और इसका जीता जागता उदाहरण सामने है, आस्ट्रेलिया के खिलाफ टेष्ट सीरीज जीताने में सचीन का योगदान तथा पुजारा (नया) और लक्षमण (पुराने चावल) की बैटिंग मददगार रही ! आजकल न्यूजी लैंड की टीम भारत आई है ! पहला टेस्ट हरभजन के समझ बूझ और ११५ रनों (पहली टेस्ट सेंचुरी) के कारण न्यूजी लैंड जीती बाजी हार गया ( एक बार तो केवल १५ रनों पर ५ भारतीय टापके खिलाड़ी पैविलियन लौट गए थे ) ! मुरलिथारण ने क्रिकेट से विदा लेते समय कहा था की आने वाले दिनों का हीरो भारतीय स्पिनर हरभजन बनेगा ! न्यूजीलैंड और भारत का दूसरा मैच १२ नवम्बर से शुरू हो गया है, न्यूजीलैंड ३५० और आज चौथे दिन के खेल ख़त्म होने पर २३७/४, भारत की और से हरभजन ने १११ (अविजित) ने फिर दूसरी सेंचरी लगाकर भारत को ४७२ तक पहुंचा दिया है और भारत को १२२ रनों की लीड दिला दी है ! (सहवाग ९६, गंभीर ५४, लक्षमण ७४, आखरी विकेट श्री शांत २४। उसने आखरी विकेट के लिए हरभजन के साथ मिलकर 105 रनों का योगदान देकर एक रिकार्ड कायम करदिया है ) ! लगता हैयह मैच भी बिना रिजल्ट के ड्राव रहेगा !

Tuesday, November 9, 2010

प्यार के अलग अलग रंग

दरिया और सरिता १२ वीं क्लास में साथ साथ पढ़ते थे ! सरिता तो पहले से ही फैजावाद केन्द्रीय विद्यालय में थी और दरिया का पिता सेना में हवलदार थे और उन्हीं दिनों आसाम से पोस्टिंग होकर फेमिली के साथ फैजाबाद आए थे ! क्योंकि दरिया आसाम में भी केन्द्रीय विद्यालय में पढ़ता था इस लिए यहाँ उसे केन्द्रीय विद्यालय में दाखिला आराम से मिल गया ! सरिता के पिता बनवारी लाल बचपन में ही अपने गाँव (हरियाणा) छोड़ कर यहाँ फैजाबाद आ गए थे ! पहले उन्होंने एक व्यापारी के यहाँ नौकरी की ! अपनी योग्यता, लगन, कठीन मेहनत और वफादारी से जिस सेठ के यहाँ वे नौकरी करते थे उन्होंने उसकी लगन, मेहनत और वफादारी से खुश होकर अपनी कंपनी में उसे २५% का हिस्सेदार बना दिया और अपनी लड़की की शादी उसके साथ कर दी ! सेठ जी की एक लड़की और एक लड़का था ! उनके स्वर्गवासी होने के बाद उनके वाणिज्य व्यापार का जिम्मा बनवारी लाल और उनके साले के कन्धों पर पड़ गया था ! सेठ जी अपनी वसीयत में दोनों को आधे आधे का हिस्सेदार बना गए थे ! दोनों ही मेहनती, कर्मठ और ईमानदार थे इसलिए व्यापार में दिन दुगुनी और रात चौगुनी उन्नति होती चली गयी व्यापार फैलता गया ! अब उनकी गिनती फैजाबाद में प्रतिष्ठित इज्जतदार नागरिकों में होने लगी ! कही स्कूल, अनाथालय, लावारिस बच्चों के होस्टलों में वे हर महीने डोनेशन देने लगे थे ! इधर दरिया एक फ़ौजी हवलदार का लड़का था ! उसके दादा भी सेना में हवलदार थे और उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में हिस्सा लिया था बर्मा बौडर पर ! रहने वाला वह भी हरियाणा का ही था, जाति विरादरी के हिसाब से भी दोनों खान दानी थे ! गाँव में जमीन भी थी और खाने के अलावा बेचने के लिए भी अनाज पैदा हो जाता था ! लेकिन आर्थिक दृष्टि से दोनों में जमीन आसमान का अंतर था ! इसलिए दरिया क्लास में अपनी पढाई पर ही विशेष ध्यान देता था, उसके अगल बगल में क्या हो रहा है, उसकी क्लास में कितनी लड़कियां पढ़ती हैं, कैसे लगती हैं, इस ओर उसने कभी ध्यान दिया ही नहीं ! उसने अपने पिता को सेना की ड्यूटी करते हुए देखा था, सुबह चार बजे से लेकर रात के दश बजे तक ! कभी कभी तो पूरी रात ही वे ड्यूटी पर रह जाते थे ! इस तरह कठीण मेहनत से कमाए हुए अपने पिता जी की कमाई से आये पैसों का वहा सही सदपयोग करना चाहता था ! मेहनत करता था और क्लास में प्रथम स्थान पाता था ! उसे तो यह भी पता नहीं था की जो इन्ने गिन्ने लड़कियां उसकी क्लास में पढ़ते हैं उनका नाम क्या है ! उसने सरिता का नाम तो सुना था पर देखा नहीं था ! वह एक अच्छी लड़की थी ! उसने कभी भी सो नहीं किया था की वह एक बड़े व्यापारी की लड़की है ! साधारण कपडे पहिनती थी और केवल अपनी पढाई से मतलब रखती थी ! मेहनत करती थी पर मैथ्स में कमजोर थी ! वह जानती थी की 'दरिया सारे बिषयों में होशियार है लेकिन मैथ्स में तो उसे महारत हासिल है' ! वह दरिया से मैथ्स सीखना चाहती थी लेकिन उसे बात करने की उसकी हिम्मत ही नहीं हुई ! समय निकलता जा रहा था, बोर्ड की परिक्षा की तारीखें नजदीक आ रही थीं ! आखिर हिम्मत करके एक दिन सरिता स्कूल की छुट्टी होने के बाद बाहर बरगद पेड़ के नीचे खड़े हो कर दरिया का इन्तजार करने लगी ! दरिया क्लास से सबसे बाद में निकलता था और सीधे बिना दांये बांये देखे अपने घर की तरफ चल देता था ! जैसे ही वह वरगद के पेड़ के नीचे से निकल रहा था उसे बीच रास्ते में सरिता दिखाई
दी ! दरिया को देखते ही सरिता ने उसका रास्ता रोकते हुए कहा, "माफ़ करना मैंने आज आपको बड़े विश्वास और भरोषे के साथ कुछ जिम्मेदारी देने के लिए रोका है, आशा है आप मेरे भरोषे का मान रखेंगे "! दरिया के पूछने पर उसने उससे मैथ्स सीखने की इच्छा जाहीर की ! दरिया ने उसे मैथ्स सिखाने की हामी भर दी ! दरिया ने उसे कहा की "मैथ्स तो मैं आपको सिखा दूंगा लेकिन कहाँ सिखाउंगा ?" , सरिता ने कहा "मेरे घर पर ! मैंने अपने मम्मी पापा से किसी अच्छे टीचर से मैथ्स सिखाने की इजाजत ले रखी है "! अगले दिन दरिया सरिता के साथ ही उसके घर गया ! सरिता के पापा और मम्मी से मिला ! उसके पापा ने कुछ जबाब सवाल करने के बाद उसे पूछा की वह ट्यूशन के कितने पैसे लेगा ! उसने जबाब दिया, "पढ़ाना मेरा शौक है पैसा कमाना नहीं, सरिता को मैथ्स पढ़ाते पढ़ाते मेरा भी तो रिविजन हो जाएगा "! जबाब सुनकर
बनवारी लाल खुश होगये और उन्होंने उसे सरिता को मैथ्स पढ़ाने की इजाजत दे दी ! इस पढ़ने पढ़ाने के दौरान कब इन दोनों की नजरें चार हुई और अन्दर ही अन्दर दिल के अन्दर कब प्रेम का पौधा अंकुरित हो गया दोनों को पता भी नहीं चला ! लेकिन विडम्बना तो देखिये, दिल की बात कभी इन दोनों की जवान पर नहीं आई ! वैसे भी दोनों की आर्थिक विषमताएं दोनों के दिल की आवाज दबा रही थी ! सरिता अपने मम्मी पापा से बाहर नहीं जा सकती थी, दरिया के पास पैसा नहीं था और वह किसी का मोहताज बनना नहीं चाहता था ! दोनों ही एक दूसरे को जीवन साथी बनाना तो चाहते थे लेकिन बात मन की मन में रह गयी और समय की गाडी बहुत आगे निकल गयी ! बोर्ड की परीक्षा भी हो गयी दोनों पास भी हो गए और आगे कालेज में दोनों की दिशाएं भी बदल गयी ! समय बहुत तेजी से निकलता चला गया ! सरिता के लिए अच्छे अच्छे रिश्ते आने लगे, लेकिन या तो परिवार ठीक नहीं मिला या लड़का सरिता के जोड़ का नहीं मिला ! सरिता के पापा ने एक दो बार दरिया के बारे में सोचा भी कि "दरिया एक सुन्दर कद काठी का मेहनतकस नव जवान है और सरिता के लिए योग्य भी है लेकिन गरीब है, एक मामूली सैनिक के लडके के हाथों अपनी फूलों की सेज में पली लाडली लड़की का हाथ दे देना कोई अकलबंदी नहीं है" ! उधर दरिया ने भी कालेज से निकलने के बाद अपने परिवार की परंपरा को आगे बढाते हुए आर्मी ज्वाइन करदी लेफ्टिनेंट की रैंक से ! पहली पोस्टिंग जम्मू काश्मीर में हुई कैप्टेन की रैंक के साथ ! वहां आतंकवादियों के एक भारी खतरनाक दल का सफाया करने के एवज में दरिया को केवल डेढ़ साल की सर्विस में ही पीस टाईम का दूसरे नंबर का मेडल 'कीर्ति चक्रा' भारत के राष्ट्रपति के हाथों से लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ! देश के प्रमुख अखबारों के प्रथम पृष्ट पर उसकी फोटो के साथ उसकी बहादुरी के कारनामें उजागर किए गए थे ! राष्ट्रपति से मेडल लेते हुए उसकी सुन्दर तस्वीर भी अलग से छपी थी ! अखबार सरिता के ममी पापा ने भी देखा और सरिता ने भी ! फोटो देखते ही वे उसे पहिचान भी गए ! सरिता के लिए लड़का ढूंढते वक्त उन्हें उसकी याद नहीं आई क्योंकि उस समय तक वह उनकी बराबरी का नहीं था ! आज वही दरिया एक सेना का बहादूर अफसर 'कृति चक्रा ' से सम्मानित की वर्दी में उन्हें अपना दामाद नजर आने लगा ! सरिता को बिना कहे ही मन की मुराद मिल गयी, ईश्वर ने उसके दिल की पुकार सुन ली ! बनवारी लाल ने फ़ौरन अखबारों में छपे टेलेफोन पर दरिया के पिता से संपर्क किया और दरिया और सरिता का रिश्ता पक्का कर दिया गया ! इस तरह बिना ओंठ हिलाए ही दोनों की
मन की मुराद पूरी हो गयी, दोनों की शादी बड़े धूम धाम की गयी ! ये हैं प्यार के अलग अलग रंग !

Monday, November 8, 2010

आज तक क्या देखा और क्या सुना

आज ८ नवम्बर २०१० है ! इस बीच बहुत कुछ घट गया ! विश्व के नक़्शे पर नजर डालने पर पता चलता है कि ये दुनिया तो मिनिट मिनिट पर बदलती जा रही है ! कामनवेल्थ गेम आखीर भारत में हो ही गए ! सरकार ने दिल खोल कर आयोजकों को धन दिया कामनवेल्थ गेमों को सफल बनाने के लिए, आयोजकों ने भी बड़ी इमानदारी से ६५% अपनी जेबों में डाल कर बाकी के ३५ % लगा दिए, कुछ पुल गिर गए, कुछ मजदूर मर गए या घायल हो गए ! आम आदमी की जेब पहले भी खाली होती थी अब ७० हजार करोड़ की भरपाई के लिए सरकार ने मंहगाई बढ़ा दी ! ऊपर जनता के दबाव में आकर आयोजकों के ऊपर इन्क्वारी बिठा दी, इस पर भी तो पैसा लगेगा, इस से होने वाला तो कुछ नहीं है, जब पहले के घोटाला उजागर होने पर भी कुछ नहीं हुआ तो अब क्या होगा ! जनता तो बेचारी गऊ है गऊ भूखी प्यासी भी रहेगी फिर भी दूध देगी !
हमारे प्रधान मंत्री अभी हाल ही में चीन गए थे ! वहां के प्रधान मंत्री के साथ वार्ताएं चली ! सीमा पर जो विवाद उठा है, अरुणाचल प्रदेश पर भी चर्चा हुई, सन ६२ ई० में चीन ने जो भारतीय इलाका अपने कब्जे में कर लिया था शायद उस पर भी बात हुई होगी, नतीजा क्या निकला ? प्रधान मंत्री श्री मन मोहन सिंह खुद मानते हैं कि "चीन पर इतवार नहीं पर ६२ जैसा जंग नामुमकिन" ! यह तो पहले से ही पता था फिर चीन यात्रा की क्या जरूरत थी ?
अमेरिकी राष्ट्रपति भारत में
अमेरिका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा आज कल भारत की यात्रा पर हैं ! पहले वे मुम्बई में उतरे, वहां हवाई अड्डे पर महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति को एक ऐसी पुस्तक भेंट की जिसको वे अमेरिका के राष्ट्रपति भवन में सुरक्षित रखेंगे ! मुख्य मंत्री श्री अशोक चव्हाण जी ने यह पुस्तक उन्हें महाराष्ट्र की याद दिलाने के लिए दी है, भारत की याद दिलाने के लिए नहीं ! वैसे ओबामा का हवाई अड्डे पर उतरते ही भव्य स्वागत किया गया ! तथा पूरी मुम्बई में उनका स्वागत हुआ ! स्वागत समारोह एक स्कूल में हुआ था जहां बच्चों ने रंगा रंग प्रोग्राम में राष्ट्रपति ओबामा और उनकी पत्नी को भी डांस में शामिल कर दिया ! नन्ने नन्ने मासूम बच्चों ने जब विश्व के इस महान हस्ती को अपने साथ डांस करते पाया तो वे बहुत ही प्रशन्न हुए साथ ही बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ने भी इन मासूम बच्चों के बीच आकर मुम्बई के लोगों के दिलों में एक विशेष जगह बना दी एक अमिट छाप छोड़ दी ! कालेज के विद्यार्थियों से भी वे मिले और उनके सवालों के जबाब भी उन्होंने दिया ! दिल्ली आकर वे प्रधान मंत्री से मिले, संसद के दोनों सदनों को उन्होंने सम्भोधित किया ! जब उन्होंने हिन्दी में धन्यवाद कहा तो सारे सांसदों ने डेस्क बजाकर अपनी खुशी जाहीर की ! चाहे हमारे प्रधान मंत्री ने कभी एक भी शब्द हिन्दी में न बोला हो लेकिन डेस्क तो उन्होंने भी थप थपाई ! भारत को अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा से काफी अपेक्षाएं हैं ! उन्होंने विश्वास दिलाया है कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का समर्थन करेगा ! भारत आज विश्व की एक उभरती हुई शक्ती है और अमेरिका - भारत की दोस्ती इस सदी की जरूरत है ! राष्ट्रपति और उनकी पत्नी भारत की सभ्यता, संस्कृति,
यहाँ की परम्पराएं, यहाँ की ऐतिहासिक सम्पदा से बहुत प्रभावित हुए हैं ! भारत के वैज्ञानिकों का वे बड़ा आदर करते हैं, उन्होंने कहा कि शून्य की खोज भारत ने की, सुपर कंप्यूटर भारतीयों ने बनाया ! किंग मार्टिन लूथर महात्मा गांघी के अहिंसा आन्दोलन के समर्थक थे ! भारत एक धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक देश है, निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र की ताकत है ! उन्होंने ने माना है कि पाकिस्तान के अन्दर आतंक वाद फल फूल रहा है ! और इसी आतंकवाद को समाप्त करने के लिए अमेरिका पाकिस्तान को आर्थिक सहायता दे रहा है ! पाकिस्तान के अन्दर आतंकी ठिकाने अमेरिका को मंजूर नहीं है, मुम्बई के हमलावरों को सजा मिलेगी ! उन्होंने विश्वास जताया है कि हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के संबंधन आपसी बातचीत से सुलझ जाएंगे ! साथ ही काश्मीरके बारे में उन्होंने कहा कि अमेरिका काश्मीर के मामले में दखलंदाजी नहीं करेगा ! हाँ अगर भारत - पाकिस्तान चाहेगा तो अमेरिका इस समस्या को सुलझाने में मदद कर सकता है !
भारत भी तो अमेरिका से कुछ चाहता है , यह - १बी और एल -१ बीजा शुल्क में कमी ! भारत की ऐ टी कंपनियों पर अमेरिका में लगी पावंदी हटाई जाय ! भारत के प्रधान मंत्री ने साफ़ कह दिया है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत और आतंकवाद साथ साथ नहीं चल सकता ! अभी भारत के प्रधान मंत्री मन मोहनसिंह और अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा के बीच वार्ता चल रही है ! जैसे ओबामा से पिछले अमेरिका के राष्ट्रपति क्लींटन ने यहाँ राजस्थान में यहाँ के लोगों पर अपने करिश्मा का जादू चलाया था ठीक वही करिश्मा ओबामा ने मुम्बई में बच्चों के बीच डांस करके दिखा दिया ! वैसे विशेषज्ञों का कहना है कि ओबामा भारत में अमेरिकियों के लिए नौकरी तलाशने के लिए आए हैं, वे यहाँ बिलियन डॉलर इन्वेस्ट करने जा रहे हैं ! जो भी होगा अच्छा ही होगा ! वैसे खुद अमेरिका में अमेरिका के न्यू डायनेमिक राष्ट्रपति बराक ओबामा का करिश्मा की सुई नीचे गिरने लग गयी है, उनकी पार्टी (डेमोक्रेटिव) प्रतिनिधि सभा (हॉउस ऑफ रिप्रेसेंटेटिव} में अल्पमत में आ गयी है और अभी उन्हें राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठे हुए दो साल भी पूरे नहीं हुए हैं !
टेस्ट क्रिकेट
आजकल न्यूजी लैंड की क्रिकेट टीम भारत आई हुई है ! पहला टेस्ट मैच जो ४ नवम्बर से ८ नवम्बर तक चला ड्राव रहा ! भारत ४८७+२६६ ( सहवाग १७३ + १, द्रविड़ १०४ +१, सचिन ४०+१२, लक्षमण ४०+९१, हरभजन ६९+११५ (पहला शतक), न्यूजीलैंड ४५९+२२/१ > रैना और धोनी सस्ते में निपट गए ! आज तक की खबरें ख़तम हुई !

Thursday, November 4, 2010

जिन्दगी को संवारने के लिए

हमारा यह शरीर पंच तत्व का है ! ईश्वर एक सुन्दर सी आकृति रूप में बच्चे को माँ बाप के आँगन में उतार देता है साथ ही उस बच्चे की देख रेख की भी जिम्मेदारी उनके कन्धों में डाल देता है ! अब माँ बाप जैसे माहौल में होंगे उसी तरीके से बच्चे की देख रेख, लालन पालन वे अपनी हैसियत से करते हैं ! यहाँ तक बच्चा अपने पिछले कर्म और संसकारों के सहारे पंहुचता है, अगर अच्छे कर्म थे तो किसी ऊंच्चे खानदान में, किसी ईश्वर भक्त के आँगन में, किसी सरस्वती की उपासना करने वाले सज्जन के घर में जन्म लेता है, नहीं तो किसी गरीब की झोपडी या किसी मजदूर की तपस्या से कमाई हुई पूंजी के तौर पर गुदड़ी का लाल बनकर उनके अतृप्त मन को तृप्त करने के लिए उनके घर का चिराग बन जाता है ! जब तक बच्चा होश संभालता है तब तक माँ बाप उसकी हर हरकत पर नजर रखते हैं ! उसके खान पान, रहन सहन और बोल चाल पर उसके माँ बाप की शिक्षा, सभ्यता और संस्कारों का असर पड़ता है ! ज्यों ज्यों वह बड़ा होता जाता है पास पडोस के बच्चों की संगत करता है, स्कूल जाता है वहां विभिन्न संस्कार और परस्थितियों से जूझते माँ बाप के बच्चे पढ़ते हैं, जिस बच्चे के विचारों से उसके विचार मेल खाते हैं, उस से उसकी दोस्ती हो जाती है ! अगर वह बच्चा संस्कारिक है, अच्छी सभ्यता वाला, अच्छी भाषा बोलने वाला है तो ये गुण उसके खान पान रहन सहन पर भी असर डालते हैं ! खान पान में पांच तत्वों की पूर्ती होती रहती है, इसी हिसाब से दिमाग बढ़ता है, शरीर बढ़ता है, पांच ज्ञान इन्द्रियाँ और पांच कर्म इन्द्रियों का विकास होने लगता है ! अगर माँ बाप का आँगन जो बच्चे की जिन्दगी की पहली सीढी है वही विकृत है, घर का माहौल ही दूषित है तो बच्चे का विकास भी वैसे ही होगा ! यहाँ पर सवाल उठता है की क्या बच्चे के संस्कार, खान पान पर और भाषा पर माँ बाप के गरीबी और अमीरी का असर पड़ता है ? अमीरी और गरीबी का असर तो बच्चे के खान पान रहन सहन, पहनावा और वातावरण पर पड़ता है लेकिन बुद्धी के विकास में अमीरी गरीबी आड़े नहीं आती ! माँ बाप गरीब हैं और अच्छे संस्कार और भाषा वाले हैं, महत्वाकांक्षी हैं, बच्चों के भविष्य के प्रति सजग हैं और लगनशील हैं उनके बच्चे झोपड़ियों से निकल कर बंगलों में पहुँच जाते हैं ! हाल ही में दो मजदूरों के बच्चे एक
ऐ ए एस में निकला है तो दूसरा ऐ ऐ टी के लिए क्वालीफाई कर गया है ! यह तो जीता जगता उदाहरण है ! फिर सभी अम्मीरों और नौकरसाहों के बच्चे ऊँची डिग्री नहीं ले पाते जो गरीबों के बच्चे ले जाते हैं ! हाँ राज नीति ही एक ऐसा स्थान है जहां सारी सीटें नेताओं और नौकरशाहों के लिए आरक्षित हैं !
अब रही इस पंच तत्व रूपी शरीर को संवारने की बात तो हर इंसान को जब वह स्वावलंबी हो जाता है तो उसे अपने शरीर का ध्यान स्वयं ही करना पड़ता है ! आज के इस मशीनी युग में जब इंसान भी खुद मशीन बन गया है, जिस शरीर को पुष्ट करने के लिए वह कमाने के लिए भाग दौड़ कर रहा है उसके बारे में सोचने का तो उसे कभी मौका ही नहीं मिलता ! आइए इस बारे में बात करें की हमारे इर्द गिर्द बिखरी हुई छोटी छोटी वस्तुएं, छोटी छोटी जानकारियाँ हमारी जिन्दगी को संवार सकती हैं ! सुबह उठते ही अपने हाथ देखिए, ठंडियों में हल्का सा गर्म पानी और गर्मियों में ठंडा पानी मुंह में भर दीजिये, ठन्डे पानी से आँखों में छूमा दीजिए तब तक, जब तक आँखों में मिर्च न लग जाँय ! फिर मुंह के पानी को नाक के द्वारा बाहर निकाल दीजिए ! इससे एक तो आँखों की रोशनी बनी रहती है चश्मे की जरूरत नहीं पड़ती, नाक का और गले का टेम्प्रेचर सम रहने से जुकाम लगने के चान्स्यज कम हो जाते हैं ! शाम को सोते हुए हलके गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी डाल कर पी जाँय ! इससे पेट में पलने वाले परजीवी कीड़े ख़त्म हो जाते हैं ! ताली बजाने से शरीर के अन्दर के तमाम हिस्सों गुर्दे, फेफड़े, दिल, आंतें (छोटी बड़ी), गला, कान, आँखें, नाक, पेनक्रीज, थायराइड, लीवर को प्रेसर मिलता है ! शरीर को वार्म अप करने के लिए हल्का सा व्यायाम जरूरी है ! प्राणायाम जैसे अग्निसार, कपालभाती, अनुलोम -विलोम, उजई, भामरी, नाडी शोधन आदि ! इससे शरीर दिन भर चुस्त और प्रश्न्चित रहता है ! प्रसालन में परेशानी हो रही हो तो सुबह उठते ही दो गिलास गुनगुना पानी पीकर सौ दो सौ कदम चलिए, त्रिकोण आसन पांच बार बाएं और पांच बार दाहिने झुकिए ! अगर वायु की शिकायत है तो सुबह खाली पेट एक लहसुन छील कर साबुत पानी के साथ निगल जाँय ! मुंह का स्वाद ठीक नहीं है तो लंच या डिनर से दश मिनट पहले एक छोटा सा टुकड़ा अदरक का नमक मिलाकर चूस लें ! मुंह का स्वाद ठीक हो जाएगा और खाने में स्वाद आएगा ! इस तरह ईश्वर की दी गयी इस अमूल्य जिन्दगी को हम संवार सकते हैं और जितनी साँसे उस परम पिता ने हमें दे रखी हैं उनका आनंद ले सकते हैं !

Wednesday, November 3, 2010

एक नया सूरज निकलेगा

पुराना साल जाता है नया आता है, एक उत्साह, एक उमंग एक नया स्वप्न जहन में उतर आता है ! इसी तरह बीते दिन की खट्टी मीठी यादों को संजोकर नए दिन का इंतज़ार रहता है ! हर कोई उगते सूरज को नतमस्तक होकर नमस्कार करता है, लेकिन शाम को जब वही सूरज पश्चिम दिशा में अपनी लालिमा बिखेरते हुए अपनी अंतिम यात्रा की सूचना देता है तो कोई बिरले ही उनके दर्शन करता है ! जो दर्शन करते भी हैं वे शाम का नजारा देखना चाहते हैं की सूरज जब अस्ताचल को जाने लगता है तो कैसे लगता है ? कुछ सैलानी सूरज की अंतिम यात्रा में कुदरत के अद्भूत रंग देखते हैं कुछ ऐसी भी दिल वाले होते हैं जो सूर्यास्त की सीनरी को अपने बैठक की दीवार पर लगा कर बैठक की शोभा बढाते हैं !
आज मैं सुबह सुबह पूरब दिशा में खुलने वाली अपने घर की खिड़की के पास बैठकर उगते सूरज के दर्शन कर रहा था ! जहां पर सूरज उगने वाले थे वहा कुछ दूर तक काले बादलों की परतें जमा थी ! धीरे धीरे सूरज की किरणे बिखरती गयी और ये बादलों के टूकडे किरणों के प्रभाव में स्वरूप बदलते गए ! मैं एक टक से पूरी एकाग्रता से बादलों के पल पल में बदलते हुए रूप रंग देखता रहा ! पहले लगा की मेरे सामने एक विशाल पर्वत खडा है, उस पर्वत के आगे खेत हैं, कहीं कहीं पर बड़ी बड़ी झीलें झीलों में खिले हुए कमल के फूल, विचरण करने वाली बतखें, खेत धान की पक्की हुई फसलों से भरी हुई, उनके बीच से निकलता हुआ रास्ता जो पहाड़ की चोटी तक चला गया है ! पहाड़ के पीछे से एक नदी बहती हुई, पर्वत शिखर से झरना बन कर गिरती है और इन खेतों की मीढों से टकराती हुई आगे विशाल झील में मिल जाती है ! इस नदी के किनारे कही प्रकार के पेड़ पौधे कही रंगों में दिखाई दे रहे हैं ! जैसे जैसे सूरज का रथ आगे बढ़ता है वैसे ही इन बादलों का स्वरूप भी बदलता जाता है ! धान के विशाल खेत धीरे धीरे सूखे घास में बदल जाते हैं ! झीलें धीरे धीरे सिकुड़ती हुई सूखती जा रही हैं ! उगते हुए सूरज की चढ़ती हुई किरणें काले बादलों को छितर बित्तर करती हुई चारों और फैलती जा रही हैं ! सूरज पूरी तरह निकल आये हैं और बादल जो उनके रथ के आगे दुष्टों की तरह जाल बिछाते जा रहे थे दूम दबाकर भागते नजर आ रहे हैं जैसे सच्चाई के आगे झूठ फ़िका पड़ जाता है, जैसे सज्जनों के आगे दुष्ट ज्यादा देर नहीं टिक पाते ठीक वैसे ही आज के भ्रष्टाचारी, जालिम, दुष्ट, अत्याचारी, हत्यारे और झूठे सूरज की तेज किरणों में जल कर राख हो जाएंगे ! भारत भूमि में भी एक दिन एक ऐसे ही सूरज निकलेगा जिसकी तेज किरणों के आगे ये तमाम भ्रष्टाचारी,
रिश्वत खोर, जमाखोर, देश द्रोही, गद्दार, आतंकवादी, हत्यारे, झूठे, सब्ज बाजार दिखाने वाले आयाराम गया राम नेता इन काले बादलों की तरह बिखर जाएंगे ! इसी आशा और विश्वास के साथ भारत माता की धुल धूसरित करोड़ों किसान, सैनिक, मजदूर, मासूम बच्चे, महिलाएं जी रहें हैं और इन्तजार कर रहे हैं उस भगवान कृष्ण की जिन्होंने स्वयं अपने मुंह से कहा था "यदा यदा हि धर्मंस्य ग्लानिर्भ व् ति भारता, अभ्युत्थानम धर्मस्य तदाअत्मानं सृजाम्यहम !!

Sunday, October 31, 2010

हाय काश्मीर

काश्मीर कभी थी दिल की धड़कन,
सुन्दर पर्वत घंने थे वन,
नदियों का मन-मोहक संगम,
फिरता भंवरा रूपी मन,
चिनार के पेड़, फूलों की घाटी,
सुगंध भरी यहाँ की थी माटी,
बाग़ बगीचे सुन्दर झीलें,
सारस बत्तखें रंग रंगीले,
फलों की रहती सदा बहार,
सेबों के थे कही प्रकार,
कुदरत डाली डाली पर,
धान की हर बाली पर,
खुशबू से भर जाती घाटी,
सुरबाला जल भरने आती !
सुबह सुबह सूरज की किरणे,
आके अलख जगाती,
छोटी छोटी चिड़ियाँ आकर,
मधुर संगीत सुनाती !
लोगों में था प्यार मोहब्बत
हिल मिल कर सब रहते थे,
हम भारती भारत हमारा,
सभी काश्मीरी कहते थे !
एक दिन एक राक्षस आया,
आतंकवाद को साथ में लाया,
बाग़ उजाड़े, मासूम मारे,
घाटी हो गयी विरान,
हत्यारे दुष्टों के डर से,
भागे संत बचाके जान !
अब तो जल रहा काश्मीर,
जल गयी सुन्दर तस्वीर,
हर रोज इस ज्वाला में
शहीद हो रहे सैनिक वीर !!

Wednesday, October 27, 2010

उसकी शर्ट मेरी शर्ट से सफ़ेद क्यों है ?

हम हमेशा दूसरों की साफ़ सफाई, उनकी उन्नति और विकास की तारीफ़ करते रहते हैं ! दूसरे की सफ़ेद शर्ट अपनी शर्ट से अच्छी लगती है, क्यों लगती है, इस विषय पर विचार करने का समय नहीं है ! एक तरफ हमारा इतिहास कहता है की भारतीय संस्कृति, सभ्यता और विकास विश्व के अन्य देशों से पहले का हैं दूसरी ओर हम दूसरोंके मुकाबले अपने को अभी भी अन्य विक्सित देशों से पिछड़ा हुआ समझते हैं ! आज अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस, चीन, जापान, जर्मनी अपनी मेहनत से ऊंचाइयां नापते चले जा रहे हैं वहीं हमारे नेता जनता का पैसा बटोर कर विदेशी बैंकों में जमा करने में लगे हैं और दावा करते हैं की २०२० तक हम विश्व के नंबर वन होंगे ! अमेरिका का इतिहास बताता है की सन १८५० ई० तक अमेरिका के उत्तर पश्चिम पहाडी इलाके के लोग (जिन्हें यहाँ के लेखक, पत्रकार, उपन्यास कार इतिहास कार इन्डियन अमेरिकन मूल निवासी बताते हैं ) छोटे छोटे कब्बीलों में रहते थे ! रोलैंड समीति अपने उपन्यास "कैप्टेन'स डाग" में लिखते हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति जफ्फर्सन ने अपने दो सेना के अधिकारियों को इन इलाकों में भेजा वहां के इलाकों का नक्शा बनवाने, वहां की जन जातियों से संपर्क करने के लिए ! उन में से एक का नाम था कैप्टेन लेविस और दूसरे का नाम था क्लार्क ! लेविस के साथ एक कुता है जिसके माध्यम से यह उपन्यास लिखा गया है साथ ही इनके साथ दश बारह लोग भी इनके सामान, राशन ले जाने और इनकी मदद के लिए साथ थे अमेरिका के उत्तरी पश्चिमी इलाके
के तमाम प्रदेश, उटाह, न्यू हेम्फाशायर, मेसाच्युट, वरमोंट, अलास्का, अरिजोना,नेवादा, केलिफोर्निया आदि प्रदेशों में रहने वाले कब्बायली अलग अलग फिरकों में बँटे हुए थे, जंगली जानवरों को मार कर खाते थे और उनकी खाल ओढ़ते थे ! खेती के नाम केवल मकई की खेती करते थे ! कुत्ते और घोड़े पालते थे और जरूरत पड़ने पर उन्हीं को मार कर उनका मांस खा जाते थे ! शिकार करने के लिए उन लोगों के पास धनुष वाण होते थे जो छोटे छोटे जानवरों को मारने में सक्षम होते थे ! चाकू छूरी ही इनके हथियार थे ! ये जन जातियां अचानक एक दूसरे के ऊपर आक्रमण कर देते थे, आदमियों बच्चों को मार देते थे और लड़कियों और जवान औरतों के साथ साथ उनका राशन और घोड़े भी ले जाते थे ! ये जन जातियां अपने अपने जातियों के गाँव बसाकर झोपड़ियां बनाकर रहते थे ! कैप्टेन लेविस इलाकों में पाए जाने वाले जानवरों और पशु पक्षियों के नमूने इकट्ठे करते थे, वहां के लोगों के रहन सहन सहन, खान पान, और इलाके में पड़ने वाले जंगल, पहाड़, नदियाँ, झरने, मिट्टी किस किस्म की है, समुद्र से दूरी, आवागमन के साधन आदि जानकारियों का दस्तावेज तैयार करता था और कैप्टेन क्लार्क इलाकों का नक्शा बनाता था ! नदी, झरने, पहाड़ों के नाम उसी समय रखे गए थे जैसे एक नदी का नाम जैफ्फर्सन रिवर उसी समय पड़ा ! वहां के लोग इतने भूखे थे की एक घटना के मुताबिक़ कैप्टेन क्लार्क ने बन्दूक से एक हिरन मारा, हिरन पूरा मरा भी नहीं होगा की तमाम आस पास वाले स्थानीय जन जाति के लोग उस हिरन पर भूखे शेर की तरह टूट पड़े और एक घंटे के अन्दर कच्चा ही सारे हिरन को हजम कर गए ! जब कुछ नहीं मिलता तो जंगल में एक विशेष प्रकार बेल की जड़ें भी खा लिया करते थे ! स्थानीय कब्बायली (ब्लेक फूट) रात के समय इनके कैम्पों में आकर लूट पाट कर जाते थे लेकिन बन्दूक से बहुत डरते थे ! उन दिनों इन अमेरिकनों के पास बारूद से भरने वाली बंदूकें होती थी ! जानवरों और पक्षियों के ताल मेल पर लेखक लिखता है की इस खोजी टीम को बार बार एक कौवा दिखाई देता था जो पूरा काला होते हुए भी उसके दो तीन पंख सफ़ेद थे, वह जब किसी हिंसक पशु, जैसे शेर, बाघ, भालू को कहीं नजदीक देखता था तो काव काव करके सबको सचेत कर देता था ! कुछ क्ब्बायली बड़े मददगार और विश्वनीय भी थे ! इन जन जातियों से मेल मिलाप करने के लिए वे एक फ्रांसिसी और उसकी जन जाति बी बी को साथ ले गए थे जिसने इन लोगों और कब्बायालियों के बीच में बात करवाई और इंटर प्रेटर का काम किया ! कुछ उन दिनों की जन जातियों के नाम इस प्रकार हैं, (इलाका मिसौरी रिवर से मानदं इन्डियन) नेज़ पर्श, फ्लेट हेड, यांकतों सिओक्ष, सिओक्ष, टेटन सिओक्ष, ब्लेक फिट इन्डियन (चोर), चिनोक इंडियन !
इन लोगों ने पैसिफिक सागर और अटलांटिक सागर के साथ वाले इलाकों में पूरा सर्वे किया ! उस समय इलाके में मिलने वाले जीव जन्तु थे, भालू, भेड़िया, हिरन, बाराहशिन्घा जंगली बकरा, भैंसा, खरगोश, गिलहरी, चिड़ियाएँ ! पहाड़ों की चदाई बड़ी कठीन थी ! जून जौलाय में भी पहाड़ बर्फ से ढके रहते थे ! इन लोगों ने ४१४२ मील की यात्रा की और पूरे ३ साल इन इलाकों में गुजारे ! एक कैम्प का नाम तो इन लोगों ने स्थानीय जन जाति के नाम पर रख दिया "क्लैट्साप इंडियंस " । आज डेढ़ सौ सालों में इन सारे प्रदेशों में जा कर देखने से पता लगता है विकास क्या होता है? मेहनत किसको कहते हैं ? जनता से टैक्स लिया जाता है तो वह पैसा इलाके के विकास पर ही खर्च किया जाता है ! सारे जन जाति अगर गाँवों में रहते हैं तो जमींदार बन कर जहां आधुनिकता की सारी सुविधाएं मौजूद हैं ! बाकी बहुत से नगरों और शहरों में इज्जत से रह रहे हैं ! जब हमारे हाथों में भी यह जादू की छडी आजाएगी , हम भी ऐसा ही करने लगेंगे और फिर हमें यह नहीं कहना पडेगा की उसकी शर्ट मेरी शर्ट से सफ़ेद क्यों है ?

Tuesday, October 26, 2010

हम कितने भारतीय हैं ?

कभी कभी बड़ा अजीब सा लगता है जब हम लोग अमेरिका, इंगलैंड, फ़्रांस, जापान और चीन में अपना परिचय देते हैं, की हम बंगाली हैं, हम पंजाबी हैं, मद्रासी, आंध्र प्रदेश, करनाटक, गुजरात, यूं पी, मध्य प्रदेश के हैं ! विदेशी पूछते हैं की ये देश कहाँ है अभी तक सुना ही नहीं है ! फिर हम कहते हैं हम भारत के हैं और ये उसके प्रदेश हैं ! तो पहले ही हम यह क्यों नहीं कहते की हम भारतीय (इन्डियन) हैं ! अब भारत में रहने वाले लोगों की ही झलक देख लें ! देश आजाद हुआ, सरदार बल्लभ भाई पटेल के अथक परिश्रम से हिन्दुस्तान की एक तस्वीर बनी, उत्तर में काश्मीर, दक्षिण में रामेश्वर, पूरब में अरुणाचल प्रदेश और पश्चिम में गुजरात ! सन १९४८ ई० में पाकिस्तान ने भारत से खैरात में लिए गए पचास करोड़ रुपयों से हथियार खरी दे और काश्मीर पर अटैक कर दिया ! मुंह की खाई और उसे अपनी हैसियत का भी पता लग गया ! लेकिन यहाँ एक गलती हो गयी, की नेहरू जी ने भारतीय सेना को बीच में ही सीज फायर करने का आदेश दे दिया ! उस समय भारतीय सेना आगे बढ़ रही थी, अगले २४ घंटों में पूरा काश्मीर पर तिरंगा फहरा दिया जाता, लेकिन इस अचानक के सीज फायर ने एक ऐसी समस्या खडी कर दी कि समस्या तो सुलझाने के बजाय और उलझ गयी और सन १९४८ ई० से आज तक हजारों मासूम और सेना के जवान काश्मीर की भेंट चढ़ गए ! समस्या ज्यों क़ि त्यों ! ये समझ में नहीं आया क़ि हमने काश्मीर समस्या को यूं एन ओ में क्यों दिया ? यूं एन ओ ने पाकिस्तान को आक्रमण कारी घोषित करने की जगह भारत पर ही प्रेशर डालना शुरू का दिया की वहां जनमत कराओ ! भारतीय सरकार ने काश्मीर को एक अलग स्टेटस देकर वहां की आम जनता के लिए सस्ता राशन, ईधन, शिक्षा और विकास कार्यों के लिए एक अलग ही आयोग गठित किया है !
सन १९६५ ई० में पाकिस्तान ने हिन्दुस्तान पर आक्रमण कर दिया अमेरिका से मिले दान के हथियारों से ! भारत जब जीतते हुए लाहोर तक पहुँच गया तो यूं एन ओ का प्रेशर फिर भारत पर पड़ने लगा सीज फायर करो !
यूं एन ओ ने यहाँ भी पाकिस्तान की शैतानियों को नजर अंदाज कर दिया ! ताशकंद समझौते में भारत पर जोर डाल कर तमाम जीते इलाके पाकिस्तान को वापिस करवा दिए ! १९६२ ई० में चीन ने भारत पर अटैक करके जो इलाके जीते वे इलाके चीन से यूं एन ओ भारत को वापिस आज तक नहीं दिला पाया, उलटा उसे सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बना दिया ! कभी अमेरिका तो कभी ब्रिटेन भारत में काश्मीर के विलय पर उंगली उठा रहा है ! चीन यूं एन ओ की बात नहीं मानता तो यूं एन ओ ने चीन पर कौन सा प्रतिबन्ध लगा दिया ! पाकिस्तान बड़े पैमाने पर हिन्दुस्तान में आतंक वादियों को भेज कर सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार रहा है लेकिन यूं एन ओ चुप
बैठा है ! फिर हमारी ही क्या मजबूरी है कि हम यूं एन ओ की हर बात माने ? भारत देश की एक और विडम्बना देखिए कि हमारे देश के ही नागरिक, लेखक, विद्वान, विचारक महान बनने के लिए देश की ही बुराई करने में ज़रा भी शर्म महशूस नहीं करते ! इनका कहना कि ये लोग काश्मीर की आम जनता से मिले हैं (केवल अलगाव वादी और आतंकवादी) और उनके विचार सुन कर ही वे अपनी लेखनी का पैनापन भारत की अखण्डता पर चुभा रहे हैं ! इन्होंने न तो कभी काश्मीर पंडितों के बहते हुए आंसुओं को देखा न काश्मीर में जीवन और मृत्यु के बीच झूलते हुए सिखों, बौद्धों और बचे हुए हिन्दुओं को ही जाकर पूछा कि वे इस विश्व का स्वर्ग कहे जाने वाले काश्मीर में कैसे रह पा रहे हैं ! अरे वे लोग तो हर रोज सहमे सहमे, डरे डरे किसी भी अनहोनी के इंतज़ार में दिन काट रहे हैं, उनका दर्द इन महान नीरेंद नागर और अरुंधती राय जैसे महान पत्रकारों को नहीं दिखाई देता ! भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्किस्ट तो भारत के न तो कभी थे और न होंगे ! इस विचारधारा के लोग सदा से चीन का समर्थन करते आये हैं लेकिन अन्न भारत का खाते हैं ! अब एक सवाल उठता है की असली भारतीय कौन है? जिन्होंने देश की अखंडता बनाए रखने में अपना सारा जीवन ही समर्पित कर दिया, जिन क़ानून विदों, शासकों ने काश्मीर को भारत में विलय, एक सार्थक कदम बताया, देश के वे असंख्य नागरिक जो काश्मीर को नक़्शे में भारत का प्रदेश के रूप में देख कर गौरवान्वित होते हैं या वे कुछ सर फिरे पत्रकार लेखक जो चंद अलगाव वादियों की नज़रों में महान बनना चाहते हैं और कश्मीर को देश से अलग करके अखंड भारत के नक़्शे पर ही अपनी गंदी उंगली उठाते हैं ?

Monday, October 25, 2010

आजादी किस हद तक

हर देश का अपना एक सविधान होता है और देश का हर नागरिक उस सविधान की सीमाओं के अन्दर रहते हुए, अपने विचार व्यक्त कर सकता है, लेख लिख सकता है ! भाषण दे सकता है ! लेकिन जब कोई सर फिरा शख्स संविधान की सीमाओं का उल्लघन करके देश की अखंडता , सार्व भौमिकता पर ही प्रश्न चिन्ह लगाता है तो क्या उसे यह कह कर की देश आजाद है, जहां सबको कुछ भी बोलने का, विचार व्यक्त करने का अधिकार है, उसे छोड़ देना चाहिए ? अगर ऐसा है तो देश की क़ानून व्यवस्था क्या बनाए रखी जा सकती है ? देश १९४७ ई० को आजाद हुआ ! काश्मीर पर सन १९४८ ई० में पाकिस्तानी फ़ौज ने कब्बालियों का जामा पहिन कर अटैक किया ! तब काश्मीर के महाराजा हरिसिंह जी ने काश्मीर को बचाने के लिए, काश्मीर को भारत के संविधान के तहत भारतीय गण राज्य में में विलय होने की अपनी सहमति लिखित तौर पर दिल्ली दरवार में पेश कर दी थी ! पंडित नेहरू उस समय देश के प्रधान मंत्री थे ! आनन् फानन में कैबिनेट मीटिंग में एक प्रस्ताव पास करके काश्मीर को भारतीय गण राज्य में विधिवत तौर पर मिलाया गया, साथ ही काश्मीर को पाकिस्तानी चंगुल से छुडाने के लिए सीमा पर सेना भेज दी गयी थी ! अरुंधती के इस बयान ने क़ि " काश्मीर का विलय भारत में विधिवत नहीं हुआ " उसके अर्द्ध विकसित दिमाग की पोल खोलती है ! इस भारतीय नारी ने यह आग भड़का कर चंद मुट्ठी भर अलगाव वादी लोगों को तो खुश कर दिया लेकिन भारतीय संविधान का जो मजाक उसने उड़ाया है, उन महान देश भक्तों (गांधी, नेहरू, पटेल, श्यामा प्रशाद मुकर्जी, पन्त, रफ़ी अहमद किदवई, अब्दुल कलाम आजाद आदि ) जिन्होंने काश्मीर को विधिवत तरीके से भारत में मिलाया था, उनकी विस्वसनीयता पर ही अपनी गंदी उंगली उठा दी ! साथ ही कश्मीर की जनता का जिसने सहर्ष भारतीय संविधान में अपना विस्वास जताया, उनकी भावनावों को ठेस पहुँची उसका हर्जाना ये महिला क्या कभी चुका सकती है ? महान बनने की जो छलांग अरुंधती राय जी आपने लगाई , नतीजा क्या निकला, चारों और आपकी थू थू हो रही है ! आपने हाथ भी मिलाया किससे देश का गद्दार गिलानी से ! अभी भी संभल जाओ अरुंधती जी, गिलानी जैसे अलगाव वादी लोगों से दूर ही रहो आपकी बिगड़ी हुई प्रतिष्ठा लौट आएगी !

Friday, October 22, 2010

फ़ार्म हाउस

यहाँ हमारी कालोनी के उत्तर में गेट से बाहर निकलते ही एक सड़क पड़ती है, इस सड़क के पार उत्तर में एक बहुत बड़ा फ़ार्म हाउस पड़ता है ! पश्चिम में सड़क है जो आगे जाकर है हाई वे ११० से मिल जाती है ! फ़ार्म हाउस करीब २० बीघे के करीब है ! आज कल इस फ़ार्म हाउस में मकई, बैंगन, टमाटर, पालक और कद्दू की बिक्री चल रही है ! ३१ अक्टूबर को हर साल अमेरिका में हैलोवीन का त्यौहार एक अजीब तरीके से मनाया जाता है ! यहाँ अक्टूबर आते ही हरेक अमेरिकन के घर के आगे भूत प्रेतों की आकृतियाँ विभिन्न रंगों से रंगी हुई नजर आने लगती हैं ! साथ ही रंग बिरंगी रोशनियाँ विशेष त्यौहार का अहसास करवाती हैं ! बड़े बड़े कद्दू (पम्पकिन) लाकर उनपर भी भूत प्रेतों के चित्र बना कर घर के बाहर सजा दिए जाते हैं ! इन फ़ार्म हाउसों से लाखों करोड़ों डालरों की खरीद फरोख्त होती है ! हम भी कल २१ अक्टूबर को इस फ़ार्म हाउस में गए ! मैं तो देख कर दंग रह गया ! टमाटर बिखरे पड़े थे कुछ पक्के और बहुत सारे सड़े पड़े थे , बैगन करीब एक एक केजी के टनों में अच्छे भी थे और कुछ सड़े पड़े थे, एक एक पौधे पर १०-१२ बैंगन एक साथ लगे हुए थे ! कद्दू तो पूरे खेतों में सेल के लिए लगा रखे थे और ज्यादा खरीददार कद्दू ही खरीद रहे थे ! कद्दू के अलावा ग्राहक को पूरी छूट है की वह स्वयं खेतों में जाकर अपनी मन पसंद के टमाटर, बैंगन, मकई तोड़ कर ले सकते हैं ! कद्दू के लिए खरीददार को खेतों में तोड़ने के लिए नहीं जाना पड़ता वे टूटे हुए मिल जाते हैं ! बैंगन तथा टमाटर खेतों में ही सड़ गल गए हैं लेकिन कद्दूवों की अच्छी देख भाल होने से एक भी सडा गला नहीं दिखाई दिया ! अध्याप्रशाद सिंह जी मेरे साथ थे, उनहोंने १३ केजी टमाटर लिए और मैंने ८ केजी साथ ही जितनी भी मकई हम लाए थे सब मुफ्त मिल गयी ! इसके अलावा ताजे फलों की दुकान भी लगी हुई थी इस फ़ार्म हाउस के अन्दर !

Sunday, September 19, 2010

देश के लोग विदेश में

यहाँ अमेरिका में बहुत से मतलब लाखों की संख्या में हिन्दुस्तानी मूल के लोग हैं ! कुछ कही पीढ़ियों से रह रहे हैं, कुछ पिछले चालीस या पचास सालों से हैं ! जो पहले से हैं जिनके दादा परदादा यहाँ आए थे और यहीं के होकर रह गए, एक दो पीढी वाले लोग भी धीरे धीरे यहीं के र्रंग में रंग गए हैं ! अब एक तीसरी प्रकार के लोग हैं जो ऐ ऐ टी या मेडिकल से डिग्री पी एच डी करके यहाँ आकर अपना कैरियर बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं ! मकान किराए पर लेने से अच्छा है बैंक से लोन लेकर ही मकान खरीद लें ! और हर नया हिन्दुस्तानी यहाँ आकर इंजिनीयर डाअच्छी कमाई कर रहे हैं, कुछ यहीं की लड़की से शादी करके यंही के हो जाते हैं, लेकिन ज्यादातर लडके अपने हिन्दुस्तानी मूल की लड़कियों से ही शादी करते हैं ! उनके बच्चे यहीं के रंग में रंग गए, जिन्होंने हिन्दुस्तान देखा ही नहीं है जिनको यह भी पता नहीं है की उनके माँ बाप हिन्दुस्तान के हैं और उनके दादा दादी नाना नानी हिन्दुस्तान में रह रहे हैं !
यहाँ १८ तारीख को राजेश के दोस्त युद्धवीर सिंह के लड़की के जन्म दिन पर उनके घर गए थे ! वहां काफी हिन्दुस्तानी परिवार के लोग आए हुए थे, कुछ के माँ बाप हमारी तरह भारत से यहाँ आए हुए थे और कुछ ऐसे भी थे जिनको ३५ - ४० साल यही हो गए, सर्विस से अवकास ले चुके हैं, लेकिन फिर भी पार्ट टाईम जाब कर रहे हैं ! एक सज्जन मिले वोहरा जी, दिल्ली कीर्ती नगर में उनकी प्रोपर्टी है ! प्रोपर्टी उनके साले, रिश्तेदार देखते हैं जो कभी कभी उनके पास य्याहं अमेरिका भी आते हैं ! इनकी तीन लड़कियां हैं और तीनों की शादी अच्छे परिवारों में हुई है और लड़की दामाद यहीं अमेरिका में अच्छी नौकरियों में हैं ! अब ६५ पार कर चुके हैं लेकिन मस्त हैं, पैसों की कमी नहीं, पार्ट टाईम जाब करते हैं ताकी समय कटता रहे और बेकार बैठे ठाले से होने वाली दिमागी परेशानियों से बच के रह सकें ! मैंने जब उनसे पूछा की " क्या उन्हें अपनी जन्म भूमि के खेतों की खूसबू की याद आती है, " उनका दिल भर गया, कहने लगे, " आपने मेरी नाजुक रग को छू दिया, जब कभी फुर्सत में होता हूँ, मन उड़ कर चला जाता है अपने उन हरे भरे खेतों में, लोक गीतों में, उस मिट्टी की भिनी भिनी खुशबू में ! बहुत याद आती है लेकिन इस मकडी के जाल से अब छूट नहीं सकता ! अब यहीं को हो कर रहा गया ! कभी अगर जाने का मन होता है तो पत्नी तैयार नहीं होती, वह पोते पोतियों में खो गयी है ! एक सजन कहने लगे की "हम ६ महीने के लिए आते थे, लडके ने ग्रीन कार्ड बना दिया, और फंस गए, न जाते बनाता है न रहते बनता है ! एक और सजन मिले जिनकी उम्र ६२ हो गयी है और अभी तक कुंवारे हैं ! उनका कहना है "तलाश है एक अच्छी अपनी की जो अभी तक नहीं मिली है, मैं जात पांत, धर्म देश के बंधन से बहुत ऊंचा उठ गया है, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, अमेरिकाम, बंगाली, पाकिस्तानी, चीनी कोई भी हो लेकिन कोई जो मुझे पसंद है, मुझे पसंद नहीं करती, जो मुझे पसंद करती है वह मुझे नहीं जचती है " ! वैसी जन्म दिन पार्टी बड़ी मजेदार रही ! ६ - ७ घंटे पता ही नहीं लगा की समय कैसे निकल गया !

Friday, September 17, 2010

रामायण के रहस्य (पांचवां भाग)

रावण जब सीता जी का हरण करके लाया था तो भक्त विभीषण ने रावण को आगाह किया था की वह जो कुछ भी कर रहा है वह एक राजा के कर्म क्षेत्र के बाहर है ! नैतिकता भी पर स्त्री का अपहरण करने की इजाजत नहीं देता ! अब अगर लंका को बचाना है तो सीता जी को आदर के साथ भगवान राम को सौंप दो ! इस से नाराज होकर रावण ने उन्हें लात मार कर अपनी सभा से बाहर निकाल दिया था ! वे संत थे इसलिए फिर भी उन्होंने रावण के पाँव पकड़ लिए और विनती की कि वे अधर्म का रास्ता छोड़ कर भगवान राम की शरण में चले जांय ! लेकिन रावण ने उसकी एक भी बात नहीं मानी और धिक्का देकर लंका को ही छोड़ कर जाने को कह दिया ! वह भगवान की शरण में आ गया और भगवान राम ने उसी समय उसे राज तिलक करके लंकापति घोषित कर दिया ! रावन के मरने के बाद विधि विधान से लंका के राजा के रूप में उनका राज तिलक कर दिया गया ! अब जानकी जी भगवान राम के सामने लाई गयी ! भगवान जी ने उनकी पवित्रता की परीक्षा करने के लिए उन्हें अग्नि में प्रवेश करने को कहा ! इस तरह सीता जी का प्रतिविम्ब अग्नि में प्रवेश कर गया और असली सीता जी अग्नि से बाहर आ गयी ! रावण
के पास एक पुष्क विमान था, अयोध्या जाने के लिए इसी विमान को तैयार किया गया ! जब विमान में राम, लक्ष्मण, सीता जी, हनुमान जी, सुग्रीब, जामवंत, अंगद और विभीषण बैठ गए और विमान उड़ने के लिए तैयार हो गया तो जिस पर्वत को हनुमान जी हिमालय से उखाड़ कर लाए थे संजीवनी वटी के साथ वह उठ कर हनुमान जी की पीठ पर चिपक गया यह कह कर कि "मुझे हिमालय पर्वत से उखाड़ कर अपना मतलब सिद्ध करके मुझे यहीं छोड़ कर जा रहे हो "? भगवान् राम ने कहा "नहीं हम तुम्हे ऐसे ही नहीं छोड़ेंगे, अब हम तुम्हे विंद्रावन में स्थापित करेंगे और आने वाले दिनों में वहीं पर तुम्हारी पूजा होगी "! इस तरह उस पर्वत खंड को हनुमान जी ने मथुरा के नजदीक वृंदा वन में उतार दिया और द्वापर में कृष्ण जी ने इसी पर्वत को गोवर्धन पर्वत के नाम से उसकी पूजा शुरू करवाई !
भगवान् राम अयोध्या पहुंचे, वहां उनका राज्य भिषेक किया गया ! अयोध्या में राम राज्य था ! सब लोग सुखी थे, राज्य में चारों और अमन चैन और शांती का माहोल था ! पर शायद माता सीता जी को अभी और कष्टों का सामना करना था ! भगवान राम ने एक धोबी के अपनी पत्नी को कहे गए शब्दों के कारण कि " राम ने अपनी पत्नी को एक साल तक रावण की कैद में रहने पर भी अपना लिया लेकिन मैं रामचंद्र जी की तरह तुम्हे नहीं अपना सकता " ! इसी बात को लेकर भगवान ने मर्यादा के नाम पर सीता जी को वनवास दे दिया ! लक्ष्मण जी को आदेश दिया गया कि वे सीता जी को जंगल घुमाने के बहाने जंगल में छोड़ कर आएं ! कितना कष्ट हुआ होगा लक्ष्मण जी को ! लेकिन राज्याज्ञा थी इसलिए भारी मन से वे सीता जी को वियावान जंगल में छोड़ कर वापिस अयोध्या आ गए ! आते हुए कितना आंसू बहाया होगा उन्होंने ! जिनकी सुरक्षा के लिए वे भगवान राम के साथ १४ साल वनवास में रहे, सीता को रावण की कैद से छुड़ाने के लिए मेघनाथ द्वारा चलाया गया ब्रह्माश्त्र को आत्मसात किया और मुर्छित हुये थे ! आज उसी महारानी सीता माता को वे जंगल में असुरक्षित छोड़ कर आ गए ! उधर जंगल में भटकती सीता जी को महर्षि बाल्मिकी जी मिल गए और वे सीता जी को अपने आश्रम में ले गए ! इसी आश्रम में सीता जी का पुत्र लब का जन्म हुआ ! एक दिन सीता जी चश्मे से पानी लाने जा रही थी, लब आँगन में खेल रहा था ! बाल्मिकी जी ध्यान मग्न होकर लिखने में लीन थे ! सीता जी लब को बाल्मिकी जी के भरोषे पर छोड़ कर चश्मे पर चली गयी ! अचानक बाल्मिकी जी का ध्यान टूटा, देखा बालक लब वहां नहीं है ! उन्होंने चारों ओर ढूँढा लेकिन बच्चे का कहीं भी पता नहीं चला ! अब वे सीता जी को क्या जबाब देंगे, इसी डर के मारे उन्होंने जल्दी से 'कुश' इकट्ठा किया उसे एक गद्दी पर रख कर अपनी मन्त्र शक्ती से एक बच्चे को प्रकट कर दिया ! कुछ देर बाद सीता जी पानी लेकर आ गयी, उनके साथ साथ लब आ रहा था जो बिना बाल्मिकी जी की जानकारी के अपनी माँ के साथ चला गया था ! इस तरह लब कुश दो भाई हुए ! भगवान् रामचंद्र जे अश्वमेध यज्ञ किया ! अश्वमेध यज्ञ का घोडा आश्रम में चला गया वहां लव कुश ने घोड़े को बाँध दिया ! शत्रुघन लक्षमण लव कुश के वाणों से घायल हो गए ! भगवान् राम अब स्वयं इन दोनों बच्चों से युद्ध करने मैदान में पंहुचे ! हनुमान जी किसी तरह आश्रम में पहुंचे वहां उन्हें सीता माता के दर्शन हुए ! यह सुनकर की लव कुश अपने पिता भगवान् राम से युद्ध कर रहे हैं सीता जी जल्दी से वहां आई और दोनों बच्चों को बताया की 'जिनसे तुम लड़ाई करने जा रहे हो वे तुम्हारे पिता श्री रामचंद्र भगवान हैं" ! माता सीता ने दोनों बच्चों को अपने पिता के हवाले किया और स्वयम धरती माँ की गोद में समा गयी !

Thursday, September 16, 2010

रामायण के रहस्य (चौथा भाग)

अब भगवान राम अपनी सेना को साथ लेकर लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे ! वहां उन्होंने शिव लिंग की स्थापना की ! भगवान राम जब शिव लिंग की स्थापना के लिए किसी पुरोहित की तलाश में थे तो अचानक लंका पति रावण ब्राह्मण का भेष बनाकर वहां पूजा स्थल पर पहुँच गया !, उन्होंने विधि विधान से शिव जी की पूजा की और लिंग स्थापना में राम का सहयोग किया ! भगवान राम के अलावा इस भेद को कोई भी नहीं जान पाया ! रावण ने स्वयं रामेश्वर में शिव लिंग स्थापित करके और शंकर की पूजा करके, अपने स्वर्ग जाने की पहली सीढी तैयार कर दी थी ! फिर रामचंद्र जी ने लंका जाने के लिए समुद्र से रास्ता माँगा ! लेकिन तीन दिन बीतने पर भी समुद्र में जब कोई हलचल नहीं हुई तो भगवान् क्रोधित हो गए और उन्होंने धनुष पर वाण चढ़ा दिया, इस से भगवान् के क्रोध की अग्नि से समुद्र जलने लगा, चारों ओर हां हां कार मच गया ! जल चर ब्याकुल होने लगे, तब कहीं जाकर समुद्र की नींद खुली ! वे हाथ जोड़ कर राम के आगे खड़े हो गए और कहने लगे "प्रभु मैं तो जड़ हूँ, जल्दी से सजग नहीं हो पाता, मेरी गलती की सजा मेरे अन्दर पलने वाले इन जीव जंतुओं को मत दो ! इस तरह समुद्र के अनुनय विनय करने पर भगवान् का गुस्सा ठंडा हुआ ! राम बोले, "लेकिन जो बाण धनुष पर चढ़ चुका है उसका क्या करें " ? ! समुद्र ने दुखी होकर कहा "प्रभु मेरे उत्तर दिशा में कुछ दुष्ट लोग बसते हैं जो मुझे बहुत कष्ट पहुंचाते रहते हैं, आप इस वाण से उनका संहार करें ! इस तरह भगवान् ने वह वाण उत्तर दिशा की ओर चला दिया और दुष्टों का संहार किया ! समुद्र ने फिर भगवान् को समुद्र पार करने की विधि बताई और इस तरह से पूरी बानर और रिक्ष सेना सागर पार हो गयी ! उधर रावण को राम की सेना लंका पहुँच गयी है, का समाचार मिला ! लेकिन न रावण को न उसके सभा सदों को इस समाचार से कोई अचम्भा हुआ न वे भयभीत ही हुए ! जैसे रावण को पहले से ही पता था की 'श्री रामचंद्र जी लंका विजय करने आएँगे' सो आ गए ! भगवान राम ने मर्यादा का पालन करते हुए बाली पुत्र अंगद को रावण के दरवार men शांती का प्रस्ताव लेकर भेजा ! अब अंगद के रास्ते में लंका दरवार जाने के लिए कोई रुकावट नहीं थी, क्योंकि उनका प्रतिद्वन्दी रावण पुत्र अक्षय कुमार हनुमान जी के हाथों मारा जा चुका था ! अंगद ने रावण के दरवार में अपना पाँव धरती पर रोपते हुए रावण से कहा कि "आपकी सेना का कोई भी वीर अगर मेरे पाँव को उठा देगा तो मैं भगवान राम का एक सेवक राम की सेना की हार मान कर सेना सहित लंका से खाली हाथ लौट जाउंगा !
मेघनाथ जैसे इन्द्रजीत अंगद का पाँव नहीं उठा पाया, तमाम शूरमा पशीना पोंछते नजर आए ! जब रावण दरवार के सारे वीर रणधीर अंगद के पाँव को उठाना तो दूर की बात है हिला भी नहीं पाए तो रावण क्रोधित होकर अपने आसन से उठा और अंगद का पाँव उठाने के लिए उसके सामने आकर जैसे ही झुका, अंगद ने जल्दी से अपना पाँव हटाते हुए कहा, "रावण मेरे पांवों में पड़ने से तुम्हारा उद्धार नहीं होगा, भगवान राम के चरणों में गिरो मुक्ती मिल जाएगी " ! ठीक उसी समय अंगद ने रावण के सिर से उसका राज मुकुट उतार कर राम की ओर फेंक दिया ! वह केवल रावण का राज मुकुट ही नहीं था बल्की राजा की चार शक्तियां, साम, दाम, दंड, भेद भी थे जो रावण से सदा के लिए विदा हो गए ! उसका ऐश्वर्य, तेज, वैभव, गौरव और सारी सिद्धियाँ भी उससे जुदा हो गयी ! रावण को सब ज्ञान है लेकिन वही सिंघ नाद, वहीं घमंड वही ऐंठ ! एक एक करके उसके सेना के बड़े बड़े दिग्गज रण क्षेत्र में ढेर होते गए लेकिन फिर भी उसके माथे पर कभी कोई सिकन नहीं आई ! रावण का लड़का मेघनाथ, जिसने देवताओं के राजा इंद्र को हराकर इन्द्रजीत का खिलाप पाया था, कही मायावी शक्तियों का जानकार था ! उसके पास घोर तपस्या से प्राप्त किया हुआ एक ब्रह्माश्र भी था ! जब उसकी सारी मायावी शक्तियां लक्ष्मण जी के आगे बेकार हो गयी तो उसने अपनी जान बचाते हुए लक्ष्मण जी पर ब्रह्माश्र चला दिया, जिसे लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए ! हनुमान जी हिमालय पर्वत से संजीवनी वटी लाते हैं जिससे लक्ष्मण जी स्वस्थ हो जाते हैं ! फिर लक्ष्मण जी के हाथों मेघनाथ मारा जाता है, रामचंद्र जी कुम्भ करण को भी अपने धाम पहुंचा देते हैं ! रावण रामचंद्र जी सहित सारी सेना को नाग पास में जकड़ देता है, नारद जी के कहने पर हनुमान जी विष्णु के वाहन पक्षी राज गरुड़ को लाते हैं, जो सारे नागों को निगल कर राम सहित पूरी सेना को नाग पास घेरे से बाहर निकाल लेते हैं ! रावण को अपने पुत्र अहिरावण की याद आती है जो पाताल लोक का स्वामी है ! वह अपनी मायावी शक्तियों का सहारा लेकर सारी राम सेना को मन्त्र मोंह में बाँध कर राम -लक्ष्मण को पाताल लोक ले जाता है ! राम चाहते तो अहिरावण को यहीं मार डालते लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और जानबूझ कर उसके साथ पाताल लोक चले गए ! साथ ही हनुमान जी भी अपने स्वामी राम की टोह लेते हुए पाताल लोक पहुँच जाते हैं ! हनुमान जी को द्वार पर मकर ध्वज नामक द्वार पाल ने रोक दिया ! हनुमान जी ने अपनी सारी तरकीबें अजमा ली लेकिन मकर ध्वज के आगे उनकी एक न चली ! युद्ध में भी वह बराबर की टक्कर दे रहा था ! हनुमान जी का माथा ठनका कि पाताल लोक में इतना वीर रणधीर, चतुर और सभ्य अहिरावण का द्वार पाल कौन हो सकता है ! हनुमान जी ने उसे उसके पिता का नाम पूछ लिया ! उसने पिता का नाम हनुमान बताया ! अब हनुमान जी हैरान हो गए कि "मैं तो ब्रह्मचारी हूँ फिर मेरा लड़का ये मकर ध्वज कैसे हो सकता है "? उसने बताया कि "मेरे पिता हनुमान जी जब लंका सीता माता की खोज लेने के लिए जा रहे थे तो आसमान में उड़ते हुए उनके शरीर से एक बूंद पशीने की समुद्र में गिर गयी थी, मेरी माँ मच्छली ने उस बूंद को उदर-अस्त कर दिया था उसी पशीने की बूँद से मेरा जन्म हुआ !" हनुमान जी ने कहा, "मैं ही तुम्हारा पिता हनुमान हूँ, मैं भी अपने स्वामी राम को अहिरावण के चंगुल से छुड़ाने के लिये आया हूँ, तुम मुझे अन्दर जाने दो " ! मकरध्वज ने कहा कि "मैं अपने स्वामी के साथ गद्दारी नहीं कर सकता, बिना मुझे हराए आप अन्दर नहीं जा सकते" ! आखीर में हनुमान जी ने मकरध्वज को अपने पाँव के बाल से बाँध दिया और अन्दर जाकर अहिरावण को सेना सहित मार कर भगवान् राम लक्ष्मण को सकुशल वापिस ले आये ! द्वार पर बंधे हुए मकर ध्वज की तरफ
इशारा करते हुए भगवान राम ने हनुमान जी से पूछा कि "यह कौन है और इसे बाँध के क्यों रखा हुया है "! हनुमान जी ने रामचंद्र जी को सारी कहानी बता दी ! भगवान् राम ने उसे खुलवाकर लक्ष्मण जी से उसे पाताल लोक की गद्दी पर बिठाने के लिए कहा ! उसी समय मकर ध्वज का राज तिलक किया गया ! राम-लक्ष्मण को लेकर हनुमान जी अपने समर कैम्प में पहुंचे ! रामा दल में फिर से खुशी की लहर दौड़ गयी ! अब लंका में केवल एक रावण ही बचा रह गया जिसको भगवान् जी ने युद्ध भूमि में गिरा कर अपने धाम में पहुंचा दिया और यही रावण की इच्छा थी !
(अगले भाग में जारी )

Wednesday, September 15, 2010

रामायण के रहस्य (तीसरा भाग)

पम्पा सरोवर में स्वर्ग जाने से पहले तपस्वनी सबरी ने भगवान् राम को सुग्रीब का पता दिया था और उनसे अनुरोध किया था की "सीता माता का पता लगाने के लिए किशकिन्धा पर्वत पर आप सुग्रीब से मित्रता करें, वे अपनी बन्दर सेना द्वारा आपकी सहायता करेंगे " ! भगवान जी ने अपने हाथों से सबरी के शव को मुखाग्नि दी उन्हें पंचतत्व के सुपुर्द किया और किशकिन्धा की ओर चल पड़े ! किशकिन्धा पर्वत पर सुग्रीब अपने चन्द मंत्रियों के साथ बाली के भय से छिप कर रह रहा था ! उसने पर्वत के नीचे दो वनवासी भेष में धनुष वाण धारण किए दो क्षत्रिय वीरों देख कर हनुमान जी को पता लगाने के लिए उनके पास भेजा ! हनुमान जी ने ब्राह्मण भेष बना कर उनके नजदीक जाकर उनका परिचय पूछा ! जब भगवान ने अपना परिचय दिया, वन वन फिरने का कारण बताया, तो हनुमान जी अपने असली रूप में आकर उनके चरणों में गिर पड़े और कहने लगे, "भववन मैं तो ठहरा एक निरा बन्दर आपको पहचान नहीं पाया, पर आप तो परब्रह्म परमेश्वर हो, सब जानते हुए भी कैसे अनजान बन गए" ? भगवान रामचंद्र जी ने हनुमान जी को अपने गले लगा लिया ! हनुमान जी दोनों भाइयों को अपने कन्धों पर बिठाकर पर्वत के ऊपर जहाँ सुग्रीब छिपा हुआ था ले आए, सुग्रीब से भगवान का परिचय कराया ओर दोनों की मित्रता कराई ! बाली बानरों का राजा और सुग्रीब का बड़ा भाई था ! दोनों आपस में बड़े प्रेम से रहते थे, लेकिन विधि को इनका प्रेम रास नहीं आया और एक दिन बाली ने सुग्रीब को अकारण ही मार पीट कर राज भवन से भगा दिया और उसकी पत्नी को अपनी पत्नी बनाकर रख लिया ! चौकी नाम के महामुनि के शाप के कारण बाली किशकिन्धा पर्वत पर नहीं जा सकता था ! सुग्रीब इसी पर्वत पर रहने लगा अपने मित्रों के साथ, यह स्थान उसके लिए सुरक्षित था ! स्वयं सुग्रीब सूर्य पुत्र होते हुए बड़ा बलशाली था लेकिन बाली से कम क्योंकि बाली ने बहुत कठीन तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान माँगा था कि "कोई भी शत्रु जो मेरे साथ आमने सामने का युद्ध करेगा उसका आधा बल मुझ में समा जाय "! ब्रह्मा जी ने तथास्तु कहकर वरदान की पुष्टी कर दी थी ! इस तरह कोई भी यहाँ तक स्वयं भगवान रामचंद्र जी भी शत्रु रूप में उसके सामने नहीं पड़ना चाहते थे और मजबूरी में उन्होंने उस पर छिप कर वाण मारा ! ये बाली वही बाली था जिसने रावण को छ: महीने तक अपनी बगल में दबाकर रखा था ! अंत समय में भगवान राम ने उस से कहा था कि "अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे प्राण दान दे सकता हूँ" ! उसने जबाब दिया था, "भगवन, इस समय मैं आपके हाथों मरकर, सब पापों से मुक्त होकर , आपके धाम को जा रहा हूँ, इस शुभ अवसर को मैं कैसे छोड़ दूं, अब तो मुझे इजाजत दो, पर जाने से पहले मैं अपने प्रिय पुत्र अंगद को आपके सुपुर्द कर देना चाहता हूँ, मेरे बाद सुग्रीब उसे कोई नुकशान न पहुंचा पाए " ! भगवान् राम ने उसे आश्वासन देकर विदा किया और अपने धाम पहुंचा दिया ! सुग्रीब के साथ रिक्ष राज जामवंत भी थे ! इस तरह अब भगवान राम की सेना में बंदरों के अलावा रीछ भी सामिल हो गए थे ! सुग्रीब का राज तिलक किया गया, अंगद को राजकुमार बना दिया गया !
हनुमान जी
रामायण के पात्रों में बजरंग बली हनुमान जी का विशिष्ट स्थान है ! उन्हें पवन तनय, शंकर भगवान् का बारहवां अवतार बताया गया है, उनकी माता तेजस्वनी अन्जनी हैं, पिता बानरों के राजा केशरी हैं ! शंकर सुवन केशरी नंदन, तेज प्रताप महा जगबंदन ! रामायण का सुन्दरकाण्ड हनुमान जी के नाम पर है ! जब सीता जी की खोज करते करते अंगद के नेतृत्व में हनुमान जी, जामवंत बानर सेना के साथ समुद्र तट पर पहुंचे, तो समुद्र कूद कर उस पार लंका में जाने के लिए किसको भेजा जाय, यह सवाल खड़ा होगया ! अंगद नायक हैं , उन्हें नहीं भेजा जा सकता ! इसके अलावा भी अंगद के न जाने का एक और कारण भी था ! रावण का पुत्र अक्षय कुमार और बाली पुत्र अंगद एक ही आश्रम में एक ही गुरु जी से शिक्षा ले रहे थे ! किसी बात को लेकर गुरु जी अंगद से खपा होगये और उन्होंने उसे शाप दे दिया कि "अगर वह रावण की नगरी लंका में प्रवेश करेगा तो रावण पुत्र अक्षय कुमार के हाथों मारा जाएगा "! इस तरह जब तक अक्षय कुमार ज़िंदा है, अंगद लंका नहीं जा सकता था , इस बात को जामवंत जी जानते थे ! जामवंत जी कहते हैं, "जवानी में लंका से भी दूर तक की छलांग लगा सकता था, लेकिन अब बुढा होगया हूँ, छलांग मार कर लंका में जा तो सकता हूँ, लेकिन वापिस नहीं आ सकता ! हनुमान जी अपनी शक्ती से बे खबर एक ओर चुप चाप खड़े थे ! वे बचपन में बड़े शरारती थे, ऋषि मुनियों को बहुत तंग करते थे, उनकी इस शरारत से तंग आकर एक महर्षि ने उन्हें शाप दे डाला, "कि जब तक कोई तुम्हे यह याद नहीं दिलाएगा कि तुम कितने वलवान और शक्तिशाली हो, तुम्हे अपने बल का ज्ञान नहीं होगा" ! जामवंत जी इस बात को जानते थे, इसलिए उन्होंने हनुमान जी को याद दिलाया कि "तुम तो बड़े बलशाली और पराक्रमी हो, तुम्हारे लिए समुद्र पार करना बड़ा आसान है, उठो और छलांग लगाओ " ! जैसे ही उन्हें अपनी ताकत की याद दिलाई गयी वैसे ही बिना एक क्षण की भी देर किए उन्होंने समुद्र में छलांग लगा दी और लंका पहुँच गए ! वहां माता सीता जी का पता किया, भक्त विभीषण जी से मुलाक़ात की, कही राक्षसों के साथ अक्षय कुमार को मौत के घाट उतारा और आते आते लंका को ही जला आए ! (बाग़ ४ में जारी)