Saturday, May 28, 2011

ऐ पी एल का महा संग्राम

८ अप्रेल को पहला ऐ पी एल मैच शुरू हुआ था चेन्नई सुपर किंग और नाईट राईडर कोल्कता के साथ और इस मैच को चेन्नई ने मात्र २ रनों से जीत कर अपनी विजय यात्रा शुरू की ! कुल दश टीमें थी और प्रत्येक टीम ने १४ १४ मैच खेले ! कुछ मैच बड़े रोमांचकारी भी थे और कुछ ऐसे भी थे जो दर्शकों के दिल और दिमाग पर छा गया ! पांच टीमे सुपर फाईनल के लिए जी तोड़ परिश्रम करने लगे ! प्रथम स्थान पर १९ पॉइंट पाकर रोयल चैलेंजर्स बंगलौर, सुसरे पर चेन्नई तीसरे पर कोल्कता और चौथा मुम्बई इंडिया ! पंजाब (कैप्टेन गिल क्रिष्ट ) ने अपनर आखरी मैचों को कुछ रंग दिखाए थे लेकिन सारे रंग फीके पड़ गए ! २४ मई को पहला क्वालिफायर मैच पहली और दूसरी टीमों के बीच हुआ ! इसमें चेन्नई ने बंगलौर को हराकर अपनी फाईनल की सीट पक्की कर ली थी ! फिर बंगलौर को तीसरी - चौथी टीम के विजेता मुम्बई से २७ मई को भिड़ना पड़ा इस मैच में क्रिष्ट गेल छाया रहा और उसने ८९ रन ठोककर बंगलौर की जीत मुम्बई के ऊपर पक्की कर दी ! टीम ने १८५ रन २० ओवरों में बनाकर मुम्बई को १८६ रनों का लक्ष्य दे डाला लेकिन मुम्बई इंडिया मात्र ११२ रनों पर ही सीमित गयी !
२८ मई का महा संग्राम हुआ फिर रोयल चेलेंजर्स और चेन्नई सुपर किंग के बीच ! मैच चेन्नई के क्रिकेट मैदान में ही खेला गया ! कैप्टेन महेंद्रसिंह धोनी ने टास जीता और पहले बल्ले बाजी का निर्णय लिया ! चेन्नई का पहला विकेट १५९ पर एम हस्सी का गिरा, उसका निजी स्कोर था ६३, दूसरा १८८ पर मुरली विजय का विकेट गिरा उसके अपने ९५ रन थे जो उसने मात्र ५२ बोलों पर बनाए ! चेन्नई ने २० ओवरों में २०५/5 रन बनाए और बंगलौर को २०६ रन बनाने का न्योता दिया ! सारे दर्शक बड़ी बेसब्री से क्रिष्ट गेल के बले से निकलने वाले छक्कों का इन्तजार कर रहे थे लेकिन ये क्या गेल तो जीरो बनाकर पैविलियन में वापस लौट गए और डक पीछे पीछे ! विराट कोहली भी ३५ रन बना कर पविलियन लौट गए सस्ते में ही ! पूरी तीन मात्र १४७ पर सीमित गयी और २०१० के डेले पी एल विजेता चेन्नई ने २०११ का फाईनल जीत कर चेम्पियन बनने का गौरव हासिल किया ! चलो ऐ पी एल का बुखार जो ८ अप्रेल २०११ से शुरू हुआ था २८ मई को चेन्नई में ही समाप्त हुआ ! मैंन आफ द मैच का पुरस्कार मुरली विजय को मिला !

Wednesday, May 25, 2011

एक नजर इधर भी

इन चंद दिनों में देश के अन्दर कितना कुछ हो गया है जिसका किसी को भी यकीन नहीं हो रहा है ! इस अचानक के परिवर्तन से साधू सन्यासियों के, गरीबों के, गरीबी रेखा से नीचे गिरते लोगों के अब तो आसमान की ऊंचाइयां नापने वाले, गगन चुम्बी इमारतों, इन्द्रपुरी नगरी बसाने वालों को भी यकीन होने लगा है की ईश्वर नाम का कोंई जादूगर है जो जब चाहे किसी को भी ऊंचा उठाकर नीचे गिरा सकता है, लोगों को लूटने वालों को भी लुटा सकता है ! राजा को रंक बनकर परिवार सहित जेल के अन्दर बंद करा सकता है ! देखा आपने चेन्नई का पिछला मुख्या मंत्री जो कल तक अपने को दुनिया की एक महान शक्ती समझता था। केन्द्रीय सरकार को अपनी ऊंगलियों पर नचाता था, आज कैसे दीन भिखारी बनकर जेल के अन्दर भ्रष्टाचार में फंसी अपनी लाडली बेटी से मिलने जाता है और एक निर्बल असहाय गरीब इंसान की तरह फफक कर रोता है !
गृह मंत्रालय का एक जिम्मेदार अधिकारी रिश्वत खोरी में पकड़ा जाता है ! कामन वेल्थ गेम्स का सर्वे सर्वा जो सरकार के कानूनों को भी दर किनार करके अरबों का घोटाला करता है और सर ऊंचा करके दुनिया में अपनी नाकोंची रखता है मिनटों में जेल के सिकंजों में बंद हो जाता है ! यह सब कुछ करने वाला कौन है ? वह भगवान है ? सर्व शक्तीमान है ! सच्ची बात तो यह है की भारत माता की आन माँ और शान अगर बनी है तो वह केवल ईश्वर की शक्ती और देश की जनता की भक्ती से ! अगर जनता प्रधान मंत्री मन मोहनसिंह और श्रीमती सोनिया जी के भरोशे रहत्तो कल्पना करो फिर क्या होता ? ये तो सुप्रीम कोर्ट से फांसी पाया हुआ गुरु अफजल को अभी तक फांसी पर नहीं लटका पाई है, उल्टा उसकी सुरक्षा पर रोज लाखों खर्च किया जा रहा है ! मुम्बई का आतंकवादी कसव कांग्रेस के शीने पर बैठा जनता की गाढी कमाई पर ऐस कर रहा है ! आखिर कब तक जनता इन आतंकवादियों को महिमान बनकर उनकी सुरक्षा करती रहेगी ? जब मन मोहन जी से यह सवाल पूछा जाता है तो वह सोनिया जी की तरफ देखने लगते हैं और सोनिया जी सवाल को अनसुना कर देती हैं ! वोट बैंक की राजनीति कहीं वे नाराज न हो जांय, हिन्दू तो अब कांग्रेस को वोट देंगे नहीं ये भी न दें ! कांग्रेस के प्रिंस राहुल उत्तर प्रदेश की यात्रा पर गए वहां उन्हें सुनने कोई नहीं आया, आते भी क्यों इस परिवार से जनता का मोह भंग हो गया है ! सजा मिल रही है प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती रीता बहुगुणा को की " राहुल की सभा में जनता क्यों नहीं जुटी " ? अरे भाई वहा ज़माना निकल गया जब इस परिवार की टूटी बोलती थी, लोग अपने आप जुटते थे न की जुटाए जाते थे !
मनमोहन सरकार ने पाकिस्तान को मोस्ट वांटेड टेरोरिस्ट की लिस्ट दी थी जो पाकिस्तान में छिपे हुए हैं, बाद में पता लगा की उनमें से दो तो यहीं मुम्बई की जेल में बंद हैं ! अब पाकिस्तान कहता है "मन मोहन जी पहले अपने घर का कोना कोना छान मार लो फिर हमें लिखो" ! हमारी सुरक्षा एजेंसियां इतनी बेपरवाह हो गयी हैं की ऐसे गंभीर और देश की विश्वसनीयता के अहम् मसलों को भी मामूली करार दे कर उल्टा सीधा जबाब बना रही हैं ?
बुधवार २५ मई को दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर वकीलों की कैंटीन के नजदीक एक बम विस्फोट हुआ, जो एक पेट्रोल टैंक के ठीक नीचे लगाया गया था, भगवान की असीम कृपा की वह शक्तिशाली होते हुए भी फूस हो गया और दो तीन कारों को मामूली क्षतिग्रस्त करने के अलावा कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई ! पुलिस के आला अधिकारी दिल्ली की सुरक्षा का दम हर रहे हैं लेकिन .... आज कोई भी अपने को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है, सुरक्षा कर्मी भी ! आज बस इतना ही कल का इंतज़ार कीजिए !

Monday, May 2, 2011

एयर पोर्ट मेट्रो एक्ष्प्रेस



इक्कीसवीं सदी ने दिल्ली के डेढ़ करोड़ की जनसंख्या को मेट्रो का उपहार देकर एक बहुत बड़ा उपकार किया है ! दिल्ली की बढ़ती हुई जन संख्या, सडकों पर रोज हजारों कारों और अन्य वाहनों की बढ़ोतरी ने आम आदमी का जीना दूभर कर दिया था ! सडकों की चौडाई बढाई गयी, बाहरी रिंग रोड और रिंग रोड़ों पर बहुत सारे फ्लाई ओवर बनाए गए लेकिन फिर भी बढ़ता हुआ काफिला रोज संख्या में इजाफा करता गया, सडकों पर जगह जगह जाम लगने लगा ! मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुँच पाया और कही ऐसे भी मौके आये जब मरीज ने जाम में फंस कर रास्ते में ही दम तोड़ दिया ! सरकारी/गैर सरकारी कर्मचारी समय पर कार्यालय नहीं पहुँच पाते थे ! बसों में भारी भीड़, टैक्शी, ऑटो, रिक्सा और मोटर साईकिल-स्कूटर जाम में और इजाफा करने लगे ! दिल्ली देश का दिल और देश की राजधानी, विदेशी अम्बेसियाँ और व्यवसायिकों, व्यापारियों और बहुत सी विदेशी कंपनियों के कार्यालय यहाँ दिल्ली में होने से रोज राजनयिकों का आना जाना होता रहता है ! वी आई पी और वी वी आई पी, राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, मत्रियों और नौकरशाहों का काफला पुलिस का साईरन बजाता हुआ रोज ही दिल्ली की इन सडकों पर आम आदमी की जिन्दगी में मुसीबतों के पहाड़ों में एक और पहाड़ खडा कर देता था ! इन परेशानियों की लू का झोंका इतनी जोर का चला की केंद्र सरकार और राज्य सरकार की खिड़कियाँ भी चर मराने लगी ! आखीर सरकार की नींद खुली और सन २००३ में "दिल्ली में मेट्रो रेल चलेगी" दिल्ली की जनता को सरकार ने यह आश्वासन दे दिया ! बड़ी तेजी से काम शुरू हुआ और आज २०११ आत्ते आते दिल्ली का हर हिस्सा मेट्रो से जुड़ गया ! दिल्ली ही नहीं न्वैडा गाजियाबाद और गुड़गांव को भी मेट्रो ने आपस में मिला लिया है ! इसके साथ ही मेट्रो की एक लाईन आनंद विहार/ न्वैडा से राजिव चौक होते हुए द्वारका सेक्टर २१ तक चालू हो चुकी है ! एक मेट्रो एक्सप्रेस लाईन सेक्टर २१ द्वारका से एयर पोर्ट होते हुए धौला कुंवा, शिवाजी स्टेडिंम से नयी दिल्ली तक चालू हो चुकी है ! नई दिल्ली से एयर पोर्ट तक चार स्टेशन पड़ते हैं और समय लगता है केवल १५ मिनट ! हर २० मिनट के बाद एक और मेट्रो स्टेशन पर लग जाती है ! इस लाईन पर सफ़र करने का टिकट है १५० रूपया ! सफ़र की सहूलियत, समय की बचत, एरोप्लेन जैसे सीटें और आनंद दायिक सफ़र के लिए यह रकम बहुत मामूली लगती है !
मेट्रो प्रशासन ने आम जनता को इस मेट्रो एक्सप्रेस सर्विस की जानकी देने के लिए द्वारका की हर सोसायटी को दो दो टिकटें एयर पोर्ट मेट्रो एक्ष्प्रेस में फ्री सफ़र करने लिए भिजवाई ! इतवार का दिन पहली मई (लेबर डे) मैं अपने छोटे लडके ब्रिजेश, पोती आर्शिया और पोते अर्नव के साथ शाम के पांच बजे इस मेट्रो एक्ष्प्रेस राइड के लिए घर से निकले ! २१ सेक्टर द्वारका में अपनी कार पार्क की और मेट्रो स्टेशन के दाखिल हो गए ! मामूली सी खाना पूर्ती पूरी करने के बाद हम प्लेट्फारम पर इन्तजार करने लगे ! ५.३५ पर मेट्रो चल पडी ! ६ डिब्बों की यह मेट्रो अन्दर से और बाहर से बड़ी खूसूरत लग रही थी ! स्टेश के अन्दर आते ही ऐसा लगा था की हम किसी विक्सित देश में बड़ी हाई फाई मेट्रो में सफ़र कर रहे हैं ! दोनों बच्चो ने खूब इंज्वाय किया और हमने भी ! १३ मिनट में हम शिवाजी स्टेडिंम स्टेशन पहुँच गए थे ! यहीं बहुत प्राचीन हनुमान मंदिर में दर्शन किये ! बहुत सारे बन्दर अपने बच्चों को पीठ पर बिठाए वहां चुपचाप मंदिर के बाहर दर्शनार्थियों का मंदिर से बाहर आने इन्तजार कर रहे थे, क्यों की हर आदमी मंदिर से बाहर आकर चढ़ावे के प्रशाद के साथ वहीं केले वाले से कुछ केले मोल लेकर उन बंदरों को खिला रहे थे और शुभ कर्म का लाभ उठा रहे थे ! हमने भी बंदरों के बच्चों से अपना स्नेह जताया और उन्हें केले खिलाए ! बच्चों को इधर उधर घुमाया और पूरे साढ़े ६ बजे हम फिर द्वारका के लिए मेट्रो में बैठ गए और १५ मिनट में हम द्वारका २१ सेक्टर में थे !
एयर पोर्ट मेट्रो ऐक्ष्प्रेस का यहाँ मजेदार सफ़र एक यादगार सफ़र बन गया ! बहुत मजा आया !