कहते हैं भगवान् गरीब के घर वास करते हैं ! लेकिन दिखाई नहीं देते धन पतियों को, व्यापारियों करोड़ पतियों को, शासक प्रशासक और मंत्री संतरियों को ! गरीब हमेशा सुखी नमक रोटी खाते हुए, भूखा रहते हुए, धूप और वारिश में कठिन मेहनत करते हुए, सोते जागते हुए प्रभु का नाम लेता रहता है और भगवान वहीं वास करता है जो उनको ज्यादा याद करता है, लेकिन न अपनी गरीबी को रोता है न उससे कुछ मांगता है !
रमता राम एक बहुत ही गरीब किसान के घर पैदा हुआ था, बिल्कुल अकेली संतान ! जिस दिन वह पैदा हुआ था, उस दिन वारिश हो रही थी, उनकी झोपडी जगह जगह से गरीबी के आंसू टपका रही थी ! उसके माता और पिता जी न ज्यादा खुश थे न दुखी थे ! घर में खाने पीने के लिए कुछ नहीं था, क्योंकि तीन चार रोज से लगातार वारीश होने से उसके पिता जी मजदूरी के लिए नहीं जा सके, पैसे नहीं थे, उधार वे लेते नहीं थे, जो कुछ मिल गया प्रभु इच्छा समझ कर संतोष कर लिया करते थे ! रमता राम जैसे ऊपर से उतर कर धरती पर आया, झोपडी में जैसे एक प्रकाश भर गया ! झोपडी से आसमान तो वैसे ही दिखाई देता था, जैसे पहले दिखाई देता था लेकिन अब वह टपक नहीं रहा था ! रमता राम रोया नहीं जैसे उसे पता था की इस परिवार में रोने से कुछ हासिल नहीं होगा, उलटा आँख खोलते ही वह मुस्कराने लगा ! माँ के स्तनों से बिना खाए, पिए ही दूध निकलने लगा ! घर में कुछ नहीं था लेकिन लग रहा था की भरा भरा है ! माँ पिता जी को लगा की उन्होंने कोई स्वादिष्ट भोज किया है और उनकी उदर पूर्ति हो गयी है ! अचानक एक प्रकाश पुंज उस झोपडी में उदित हुआ, एक गंभीर आवाज गूंजी, "तुम्हारी भक्ती से मैं प्रशन्न हूँ, मांगो जो मांगोगे मिलेगा, धन दौलत, मान सम्मान, इज्जत, रुतवा, सब कुछ,"
रमता राम के माता पिता जी शांत होकर बोले, "हे प्रभु सब कुछ तो दिया है तुमने, माँगने के लिए कुछ छोडा ही नहीं, बस इसी तरह मेरी इस झोपडी में वास करें ! ऐ प्रकाश सदा हमारे दिल और दिमाग में विद्यमान रहे, बस यही हमारी मांग है यही इच्छा है !" और सच much
में भगवान वहीं के hokar रह गए aur deen bandhu kalaae !
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Friday, November 6, 2009
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