इस साल हम लोग जुलाई १० तारीख २०११ में के एल एम एयर लाईन्स से अमेरिका गए थे ! अमस्टर डम में हमें ६ घंटे इंतज़ार करना पड़ा, वर्ना यह एयर लाईन्स काफी सुविधा जनक रही ! अमस्टर डम एयर पोर्ट के बाहर चारों ओर जहाँ तक भी नजर जाती थी कुदरती खूब सूरती साफ़ सफाई, हालैंड कितना विकसित देश है का अहसास दिला रहा था ! अमेरिका की घड़ी उस समय दिन के ३ बजा रही थी जा हमारा जहाज कनैडी एयर पोर्ट न्यू यार्क पर उतरा था ! पांच महीने मैं और मेरी पत्नी अपने बच्चों के साथ अमेरिका में रहे ! वाशिंगटन डी सी ह्वाईट हाउस देखने भी गए ! इस सफ़र में करण हमारे साथ था ! वहां कालोनी के अंदर ही स्विमिंग पूल है, छोटे बच्चों के लिए और बड़ों के लिए ! टेनिस कोर्ट है और बास्केट बौल खेलने का कोर्ट, घूमने फिरने के लिए कृत्रिम पहाडी और पहाडी के ऊपर रंग बिरंगे पौधे और फूल, सुबह सबेरेकी लालिमा के साथ वातावरण को बहुत ही खुशनुमा बना देते हैं ! हमारे साथ करण भी था ! उसने हमें हर स्थान की जानकारी दी ! जैसा नाम वैसे ही ह्वाईट हाउस अमेरिका के राष्ट्रपति का निवास व् कार्यालय ! एक पूरा दिन यहाँ बिताया ! अगले दिन हम लोग वापिस न्यूयार्क पहुंचे ! इन्हीं दिनों न्यूयार्क में अटलांटिक महासागर में भयानक तूफ़ान आया ! काफी नुकशान हुआ ! लेकिन ये तो अमेरिका है, इस तरह के तूफ़ान यहाँ कही बार आए, काफी कुछ बहाकर ले गया लेकिन अमेरिका फिर उठ खड़ा हो गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं। समय बड़ी तेजी से आगे बढ़ता रहा ! पुराने दोस्त दूर होते गए, नए मिलते रहे ! राजेश ने म्यल वेळ में अपना मकान ले लिया है, यह स्थान पूरानी जगह से ज़रा दूर पड़ता है इसलिए अद्य प्रशाद सिंह जो हमारे पड़ोसी थे से मिलना जुलना भी कम होगया था ! हाँ राजेश के एक ऐ ऐ टी के पुराने के युद्धवीर सिंह के पापा मम्मी वहीं आए हुए थे, उनके साथ हमारे दोस्ती के सम्बन्ध बहुत मजबूत हो गए थे ! वे लोग २८ सितम्बर को इंडिया वापिस आ गए थे ! बी एम चौधरी जी चंडीगढ़ में रहते हैं ! बड़े ही अच्छे इंसान हैं ! समय निकालता रहा, अत्रे और वेदांत के साथ समय का पता भी नहीं चला और १२ दिसम्बर को के एल एम एयर लाईन्स से हम लोग वापिस भारत आ गए !
Monday, January 9, 2012
Monday, December 12, 2011
वेस्ट इंडीज पर विजय जश्न
वेस्ट इंडीज ने भारत में आकर पांच वन डे क्रिकेट मैच खेले, एक जीता और चार हारे। भारत की तरफ से पांचवां और आख़िरी मैच चेन्नई में ११ दिसंबर को गौतम गंभीर की कप्तानी में खेला गया। इस मैच की विशेषता थी की इसमें सहवाग नहीं खेले और उनकी जगह मनोज तिवाडी को अपना हुनर दिखने का अवसर मिला। तिवाडी ने इसका भरपूर फायदा उठाया और पहला सतक जड़कर (१०४), कोहली के साथ ८० रन की साझीदारी से भारत को २६७/६ पर ला खड़ा किया ! वेस्ट इंडीज की तरफ से केवल एक ही खिलाड़ी पोलार्ड १० चक्कों और ५ चौकों की सहायता से ११९ रन बना पाया लेकिन वेस्ट इंडीज को हार से नहीं बचा पाया ! वेस्ट इंडीज की पूरी टीम मात्र २३३ पर सिकुड़ गयी ! भारत इस मैच को ३४ रनों से जीत गयी ! इस समय भारत वन डे में नंबर दो पायदान पर है ! अब भारत को आस्ट्रेलिया जाकर आस्ट्रेलिया टीम से भिड़ना है ! आगे भी अच्छा ही होगा !
Sunday, December 11, 2011
अमेरिका में सर्दी का जलवा
वैसे हम हर साल नवंम्बर के आखीर तक अपने देश को चले जाते थे, लेकिन २०१० और इस साल प्रोग्राम में कुछ तबदीली आगई! पिछली बार भी दिसंबर में ही भारत गए थे और इस साल भी अब चलने की तैयारी है ! आज के दिन कुछ विशेष प्रकार के पेड़ पौधों को छोड़ कर सारे पेड़ और पौधे अपने पतों को विदा कर चुके हैं। कुछ ही दिन आसमान साफ़ रहता है, जैसे आज ११ दिसम्बर को आसमान बिलकुल साफ़ नजर आ रहा है, लेकिन चन्द मिनटों में अचानक बादलों की सेना कोई काले, कोई सफ़ेद, कोई प्रभात की लालिमा ओढ़े नीले आकाश में छा जाएंगे कहा नहीं जा सकता ! सर्दी अमेरिका की वह भी न्यू ठंडी (हवाएं ऐलैंड), अटलांटिक सागर के बीच , ठंडी ठंडी हवाएं कल्पना मात्र से ही, शरीर के अंदर सिहरन पैदा हो जाती है ! फिर भीरार तो पता भी नहीं लगता की बाहर कितनी ठंड है ! यहाँ की खूबी है की घर से कार तक जाओ, कार में ए सी, माल में जाओ या मार्केट में मालूम ही नहीं पडेगा की आप घर में बैठे हैं किसी टॉप क्लास फाईब स्टार होटल में ! मैं और मेरेवी पत्नी की आदत है सुब चार बजे उठ जाना, नित्य के कामों से निवृत होकर स्नान, ध्यान, योग और फिर बाहर टहलने के लिए चले जाना ! शुरू में ठण्ड लगती है फिर तो चार पांच किलो मीटर की सैर में पूरा आनंद आ जाता है ! हाथ पावों में सर्दी चोरी चोरी से प्रवेश कर जाती है लेकिन हम भी उस से बराबर की टकर देते हैं और जितने दिन भी अमेरिका में रहते हैं, बजरंग बली की अनुकम्पा से स्वस्थ रहते हैं ! हाँ यहाँ मेडिकल काफी मंहगा पड़ता है, और अगर यहाँ मौज मस्ती करने के दौरान बिना इंशोरेंस के बीमार पड गए तो सारा मजा किर किरा हो जाता है नहीं तो यहाँ आकर नियम , संयम और घूमना फिरना जारी रखो उम्र में इजाफा होता है ! समय का पता भी नहीं लगता ! साफ़ सुथरी और चौड़ी सड़कें, जंगल, ऊंचे ऊंचे पेड़ और रंग बिरंगे पौधे, जंगलों का सरकार की तरफ से सुन्दर ढंग से रख रखाव ! बाग़ बगीचे, पार्क, लान उचित देख भाल के साथ ! हर एजेंसीज अपने कामों में सजग हैं ! इसलिए अमेरिका स्वयं भी खुश है स्वालंबी है और विश्व में नंबर वन का तगमा लगाए हुए है, पाकिस्तान जैसे भारत के पड़ोसी की हथियारों से, धन से, दिमाग की तकनीक से मदद कर रहा है और एक पाकिस्तान है जो उसी का खाता है, उसी की खैरात पर पल रहा है और उसी को आँखे दिखाता है !
११ दिसंबर को तो पूरा दिन सूर्य भगवान अपने रथ पर नील गगन पर मुस्कराते रहे और घूमते रहे ! रात को ओस पडी और १२ दिसम्बर को पूरे घास से भरे पार्क सडकों के किनारे उगी मखमली घास बर्फ से जमी पडी थी ! आज सुबह हवाएं तो नहीं चल रही है लेकिन हाथ और पांवो पर सर्दी अपना असर दिखा रही है ! सुबह आसमान बिलकुल साफ़ था लेकिन नौ बजते बजते पूरा आसमान बादलों से ढक गया है ! आत्रेय और वेदु स्कूल चले गए हैं, ९ बजे करण भी अपने कालेज चला गया है ! राजेश को जरूरी मीटिंग के लिए सिटी जाना था वह सुबह ८ बजे चला गया था ! काजल भी अपने बैंक चली गयी ! घर में मैं और मेरी पत्नी अपनी यात्रा की तैयारी में जुट गए हैं ! ३ बजे के लगभग हमें एयर पोर्ट के लिए निकलना होगा !
११ दिसंबर को तो पूरा दिन सूर्य भगवान अपने रथ पर नील गगन पर मुस्कराते रहे और घूमते रहे ! रात को ओस पडी और १२ दिसम्बर को पूरे घास से भरे पार्क सडकों के किनारे उगी मखमली घास बर्फ से जमी पडी थी ! आज सुबह हवाएं तो नहीं चल रही है लेकिन हाथ और पांवो पर सर्दी अपना असर दिखा रही है ! सुबह आसमान बिलकुल साफ़ था लेकिन नौ बजते बजते पूरा आसमान बादलों से ढक गया है ! आत्रेय और वेदु स्कूल चले गए हैं, ९ बजे करण भी अपने कालेज चला गया है ! राजेश को जरूरी मीटिंग के लिए सिटी जाना था वह सुबह ८ बजे चला गया था ! काजल भी अपने बैंक चली गयी ! घर में मैं और मेरी पत्नी अपनी यात्रा की तैयारी में जुट गए हैं ! ३ बजे के लगभग हमें एयर पोर्ट के लिए निकलना होगा !
Thursday, December 8, 2011
अइए इंदौर स्टेडिंम में ०८/१२/2011
आज होलकर स्टेडिंम में बहुत बड़ी चहल पहल थी ! वेस्ट इंडीज और भारत का चौथा वन डे मैच खेला जा रहा था इस क्रिकेट मैदान पर ! अभी तक के चारों बार टास भारत ने ही जीता और पहली बार पहले बैटिंग करने का निर्णय लिया ! पहले तीनों मैचों में सहवाग के साथ पार्थिव पटेल को ओपनर भेजा जाता रहा, लेकिन इस मैच में गौतम गंभीर को सहवाग के साथ ओपनर लाया गया। भारत का पहला विकेट १७६ पर गौतम गंभीर के रूप में गिरा ! गंभीर ने ६७ बोलों में ६७ रन बनाए ! एवरेज पहले से ही ७.५० से ऊपर रही ! वेस्ट इंडीज के बौवलरों की खूब धुनाई हुई ! रैना ने भी ४४ बोलों पर ५५ रन बनाए और बाद में २ विकेटें भी ली ! कोहली २३ पर नोट आउट रहा राहुल शर्मा ने २७ रन बनाकर स्कोर को ४१८/५ पर पहुंचा दिया ! अभी तक वन डे में सबसे बड़ा स्क्रोरर श्री लंका है जिसने नीदरलैंड के खिलाफ ४४३/9 रन बनाए थे ! ४३८/९ साउथ अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया ४३४/४ के जबाब में बनाए थे। साउथ अफ्रीका ने दूसरी बार ४१८/५ जिम्बाबे के खिलाफ बनाए थे और आज भारत ने ४१८/५ वेस्ट इंडीज की धुनाई करके बनाए। वीरेन्द्र सहवाग ने २१९ रन मात्र १४९ बोलों में, २५ चौकों और ७ छक्कों की सहायता से बनाकर विश्व के वन डे में सबसे बड़े स्कोरर बन गए हैं ! ये भी नम्बरोलौजी का ही कमाल है की टेस्ट मैचों में भी उनका सबसे बड़ा स्कोर ३१९ का है और वन डे का २१९। सहवाग को नवाब आफ नजफ़ गढ़ भी कहा जाता है ! सहवाग ने वास्तव में क्रिकेट के इतिहास में एक नया अध्याय और जोड़ा है ! भारत ने ४१८ रन ८.३६ की एवरेज से बनाए और वेस्ट इंडीज को २६५ पर ही रोक कर मैच १५३ रनों से जीत लिया ! इस तरह भारत ३ - १ से सीरीज तो जीत ही चुकी है !
Friday, December 2, 2011
चौदहवीं का चाँद
कभी "चौदहवीं का चाँद हो, या आफ ताव हो, खुदा की कसम तुम लाजवाब हो !" यह गाना हिन्दुस्तान की गली गलियों में सुनाई देता था ! मुझे भी यह गाना बहुत पसंद था ! जब भी शुक्ल पक्ष का चौदवीं का चाँद स्वच्छ नील गगन में नजर आत़ा था तो मैं बहुत देर तक एक टक चाँद को देखा करता था और उन कवियों, संगीतकारों की कलम को जिन्होंने हसीन और सुन्दर नारी की तुलना चाँद से करके चाँद को ही सुन्दरता का प्रतीक बना दिया है, नमन करने का मन करता है ! वो दिन भी क्या दिन थे, जब कोई यह भी नहीं जानता था की प्रदूषण किस चिड़िया का नाम है, खुला आसमान होता था, नील गगन में चमकते और मुस्कराते हुए असंख्य सितारे नजर आते थे और लार्ड टेनिसन जैसे कवियों को अपनी कविता लिखने के लिए आमंत्रित करते थे ! "टविन्किल टविन्किल लिटल स्टार हाउ आई वंडर ह्वाट यू आर " ! इनके बीच बड़े सज धज कर अपनी मुस्कान और प्रकाश फैलाते हुए चाँद नजर आते थे ! सितारों में उत्तर दिशा में अटल एक स्थान पर ध्रूब तारा और उसके चारों तरफ चक्कर लगाते हुए सप्त ऋषि मंडल साफ़ स्वच्छ तन मन को शांती का सन्देश देते हुए नजर आते थे ! पुराणों में अंकित है की किस प्रकार देवासुर संग्राम को समाप्त करने के लिए विष्णु ने देवताओं और असुरों को समुन्द्र मंथन के लिए तैयार कर लिया था ! शेष नाग की रस्सी और मंदराचल पर्वत का मुशल बनाकर समुद्र मंथन किया गया, वहां
से १४ रत्न प्राप्त हुए ! शंक, चक्र, गदा पद्म और लक्ष्मी तो विष्णु भगवान ने ग्रहण कर लिया ! अमृत - देवताओं में बांटा गया ! राहू ने देवता बनकर अमृत ग्रहण कर लिया साथ ही सर कटवा लिया ! राहू से राहू और केतु बन गया ! जहर का प्याला शंकर जी ने ग्रहण किया और नील कंठ नाम धराया ! ऐरावत हाथी इंद्र ने ले लिया ! भूरिश्रवा घोड़ा असुरों के गुरु शुक्र को मिला ! कल्प वृक्ष, कामधेनु गाय, सूर्य और चंद्रमां इस तरह चौदह रत्नों में चंद्रमां विष की बहिन भी कही जाती है ! लेकिन नील गगन में अँधेरे में प्रकाशित होने वाला चाँद, कविवों की रस भरी और अलंकारों से सुसजित कविता चंद्रमां को अपना प्रेरणा स्रोत बनाकर लिखी गयी कविता, चकोर जिसको निहारता हुआ अपनी सुध बुध भी भूल जाता है ! चन्द्र मुखी नाम देकर किसी सुंदर बाला के सौन्दर्य को निखारने वाला चाँद,
आज कहाँ गया वो चाँद ! धूल के आवरण से ढका हुआ चाँद, प्रदूषण से घिरा हुआ चाँद, धरती के मनुष्यों द्वारा बार बार पद दलित हुआ चंद्रमा, आज आहत पड़ा है !
इधर अमेरिका में आते ही चाँद फिर से खिल खिलाने लगता है ! वहीं कवियों का चौदहवीं का चाँद अमेरिका में मुस्कराता है ! मैंने आखिर पूछ ही लिया चाँद से की भारत में तो तुम धूल के हलके आवरण में लिपटी सिमटी सिमटी सी चिता ग्रस्त नजर आते हो और अमेरिका में आते ही उस आवरण को फेंक कर मुस्कराते हो, इसका क्या कारण है, बड़े मायूस होकर चाँद ने कहा, "ये धूल का आवरण मनुष्य की सौगात है, जो भारत के लोगों ने हिमालय पर्वत के ऊंचे ऊंचे शिखरों पर जाकर, निर्मल अविरल धारा से बहने वाली पवित्र नदियों, झरनों, तालाबों में गन्दगी गिरा कर, जंगलों के पेड़ पौधों को काट कर कुदरत की सुन्दरता को कुरूप बना दिया है ! ऐसा नहीं है की अमेरिका में प्रदूषण नहीं है लेकिन यहाँ, नदियाँ , जंगल, सड़कें साफ़ सुथरी हैं ! हर इंसान अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत है ! यहाँ तक की जंगलों में भी जहा बड़ी संख्या में लोग हाईकिंग के लिए जाते हैं वहां भी साफ़ सफाई नजर आती है !
समुद्र में भी प्रदूषित वस्तुवों का निषेध है ! जहां का नील गगन साफ़ और स्वच्छ है, वहां मुस्कराते हुए और खिलखिलाते हुए चहल कदमी करने का मजा ही और है ! जाओ भारत में भी गंगा यमुना और उन सारी नदियों की सफाई कर डालो जिनको तुमने अपने स्वार्थ सिधी के लिए गन्दगी से भर कर नालों में तब्दील कर दिया है ! हिमालय पर्वत श्रेणियों की सफेदी को बरकरार रखने के लिए वहां डाले गए कूड़े कर कट को हटा दो ! भारत को एक बार फिर उसी तरह स्वच्छ और सुन्दर बना दो जिसके लिए भारत विश्व में पहिचाना जाता था ! फिर देखना मैं हिन्दुस्तान की सर जमीन पर किस तरह खिल खिलाउंगा और जी भर के मुस्कराउंगा ! क्या भारतीय सरकार ये सब कुछ कर पाएगी ?
से १४ रत्न प्राप्त हुए ! शंक, चक्र, गदा पद्म और लक्ष्मी तो विष्णु भगवान ने ग्रहण कर लिया ! अमृत - देवताओं में बांटा गया ! राहू ने देवता बनकर अमृत ग्रहण कर लिया साथ ही सर कटवा लिया ! राहू से राहू और केतु बन गया ! जहर का प्याला शंकर जी ने ग्रहण किया और नील कंठ नाम धराया ! ऐरावत हाथी इंद्र ने ले लिया ! भूरिश्रवा घोड़ा असुरों के गुरु शुक्र को मिला ! कल्प वृक्ष, कामधेनु गाय, सूर्य और चंद्रमां इस तरह चौदह रत्नों में चंद्रमां विष की बहिन भी कही जाती है ! लेकिन नील गगन में अँधेरे में प्रकाशित होने वाला चाँद, कविवों की रस भरी और अलंकारों से सुसजित कविता चंद्रमां को अपना प्रेरणा स्रोत बनाकर लिखी गयी कविता, चकोर जिसको निहारता हुआ अपनी सुध बुध भी भूल जाता है ! चन्द्र मुखी नाम देकर किसी सुंदर बाला के सौन्दर्य को निखारने वाला चाँद,
आज कहाँ गया वो चाँद ! धूल के आवरण से ढका हुआ चाँद, प्रदूषण से घिरा हुआ चाँद, धरती के मनुष्यों द्वारा बार बार पद दलित हुआ चंद्रमा, आज आहत पड़ा है !
इधर अमेरिका में आते ही चाँद फिर से खिल खिलाने लगता है ! वहीं कवियों का चौदहवीं का चाँद अमेरिका में मुस्कराता है ! मैंने आखिर पूछ ही लिया चाँद से की भारत में तो तुम धूल के हलके आवरण में लिपटी सिमटी सिमटी सी चिता ग्रस्त नजर आते हो और अमेरिका में आते ही उस आवरण को फेंक कर मुस्कराते हो, इसका क्या कारण है, बड़े मायूस होकर चाँद ने कहा, "ये धूल का आवरण मनुष्य की सौगात है, जो भारत के लोगों ने हिमालय पर्वत के ऊंचे ऊंचे शिखरों पर जाकर, निर्मल अविरल धारा से बहने वाली पवित्र नदियों, झरनों, तालाबों में गन्दगी गिरा कर, जंगलों के पेड़ पौधों को काट कर कुदरत की सुन्दरता को कुरूप बना दिया है ! ऐसा नहीं है की अमेरिका में प्रदूषण नहीं है लेकिन यहाँ, नदियाँ , जंगल, सड़कें साफ़ सुथरी हैं ! हर इंसान अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत है ! यहाँ तक की जंगलों में भी जहा बड़ी संख्या में लोग हाईकिंग के लिए जाते हैं वहां भी साफ़ सफाई नजर आती है !
समुद्र में भी प्रदूषित वस्तुवों का निषेध है ! जहां का नील गगन साफ़ और स्वच्छ है, वहां मुस्कराते हुए और खिलखिलाते हुए चहल कदमी करने का मजा ही और है ! जाओ भारत में भी गंगा यमुना और उन सारी नदियों की सफाई कर डालो जिनको तुमने अपने स्वार्थ सिधी के लिए गन्दगी से भर कर नालों में तब्दील कर दिया है ! हिमालय पर्वत श्रेणियों की सफेदी को बरकरार रखने के लिए वहां डाले गए कूड़े कर कट को हटा दो ! भारत को एक बार फिर उसी तरह स्वच्छ और सुन्दर बना दो जिसके लिए भारत विश्व में पहिचाना जाता था ! फिर देखना मैं हिन्दुस्तान की सर जमीन पर किस तरह खिल खिलाउंगा और जी भर के मुस्कराउंगा ! क्या भारतीय सरकार ये सब कुछ कर पाएगी ?
Monday, November 28, 2011
कुदरत के अनेक रंग
अमेरिका में धीरे धीरे सरदी पसरने लगी है ! कुदरत विशेष प्रोग्राम के तहत अमेरिका को विशेष दर्जा देती है ! इंसान को दी गयी अनमोल सौगात कुदरत की तरफ से, और इंसान ने इस सौगात को वरदान समझ कर हृदयांगम करके इसको और चमका कर कही और रंगों से सजाकर बहुत ही ख़ूबसूरत बना दिया है ! यही कारण है लोग भारत, चीन, जापान, एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका से बड़ी संख्या में यहाँ आते हैं, पढ़ने के लिए, घूमने के लिए, और फिर यहीं रह जाते हैं ! पेड़, पौधे और बहुत सारी किस्म के फूल मौसम के साथ साथ अपना कलर बदलते रहते हैं ! हरी पत्तियां पहले गुलाबी लाल, नारंगी, पीला और परपल के साथ ही सुख कर हवा के झोंको के साथ बहुत दूर चली जाती हैं ! कबीरदास का यह दोहा याद आजाता है "पत्ता दूटा डाल से ले गयी पवन उडाय, अब के बिछुड़े कब मिले दूर पड़े हैं जाय !" कभी आसमान काले बादलों से ढक जाता है, हल्की हल्की वारीष की बूंदे और ठंडी हवाएं मौसम के मिजाज को प्रभावित करने की कोशीश करता रहता है और इंसान इस आँख मिचौनी को पहिचान ही नहीं पाता ! हमारी आदत है (मैं और मेरी पत्नी) रोज सुबह सुबह सूरज निकलने के पहले ही तीन चार किलोमीटर की सैर को निकल जाते हैं ! ठंडी हवाओं और हथेलियों को ठंड से बचाने के लिए गर्म दस्ताने, सिर पर गर्म टोपी, गर्म कपड़ों से लद कर बाहर निकलना, ये क्या मौसम बिलकुल बदला हुआ ! हवाएं है लेकिन बिलकुल नार्मल ! ये क्या कल तो ठंडी हवाएं चल रही थी, हथेलियाँ ठण्ड से जम रही थी ! और आज एक दम मौसम बदला बदला सा ! कुदरत की माया, कहीं धूप कहीं छाया ! कभी अटलांटिक महा सागर से उठने वाली खून को जमा देने वाली ठंडी हवाएं और अगले दिन सब कुछ नॉर्मल ! अक्टूबर में न्यूयार्क हाई लैंड में बर्फ पड गयी, ठंडी हवाएं चल पडी और आज जब की नवम्बर की २८ तारीख हो चुकी हैं, आज भी मौसम अपना जादुवी करिश्मा दिखा रहा है, कभी रक्त को जमा देने वाली सर्दी तो कभी बिलकुल नार्मल और हम इंसान कुदरत के इस खेल के साथ अपना टेम्प्रेचर घटा बढ़ा रहे हैं ! समय निकल रहा है मौसम नचा रहा है, और ये इंसान जमाने को बदलने वाला इंसान, समुद्र की गहराइयों से आसमान की उंचाइयां नापने वाला इंसान , उसी के इशारों पर नाच रहा है !
और उधर सुबह सबेरे आसमान क्रेन नाम के समुद्री नाम के लाखों पक्षियों से ढक जाता है जो कनाडा के बर्फीले इलाके से उड़ते हुए दक्षिण अमेरिका की ओर उड़ते चले जा रहे हैं ! बड़े बड़े समूह बनाकर ये पक्षी गर्मियों में कनाडा के समुद्री तट पर विहार करते हैं और जैसे जैसे सर्दी आने लगती है कनाडा के समुद्र बर्फ से जमने लगते हैं ये पक्षी प्रवासी बनकर दक्षिण दिशा में चले जाते हैं ! इन दलों में हर उम्र के पक्षी हैं कोई नव जवान कोई बचपन से जवानी की सीढियां चढ़ने वाले तो कोई जवानी से सीढियां उतरने वाले, उड़ते जा रहे हैं नीलाकाश में शोर मचाते हुए, नए भविष्य के स्वप्नों को आँखों में सजाते हुए ! ये ही कुदरत के रंग हैं, लेकिन आदमी अपने में ही इतना खो गया है की ऐसे अचम्भित, आश्चर्य जनक कुदरत की अनुपम भेंट को आँख भर कर देख भी नहीं सकता !
और उधर सुबह सबेरे आसमान क्रेन नाम के समुद्री नाम के लाखों पक्षियों से ढक जाता है जो कनाडा के बर्फीले इलाके से उड़ते हुए दक्षिण अमेरिका की ओर उड़ते चले जा रहे हैं ! बड़े बड़े समूह बनाकर ये पक्षी गर्मियों में कनाडा के समुद्री तट पर विहार करते हैं और जैसे जैसे सर्दी आने लगती है कनाडा के समुद्र बर्फ से जमने लगते हैं ये पक्षी प्रवासी बनकर दक्षिण दिशा में चले जाते हैं ! इन दलों में हर उम्र के पक्षी हैं कोई नव जवान कोई बचपन से जवानी की सीढियां चढ़ने वाले तो कोई जवानी से सीढियां उतरने वाले, उड़ते जा रहे हैं नीलाकाश में शोर मचाते हुए, नए भविष्य के स्वप्नों को आँखों में सजाते हुए ! ये ही कुदरत के रंग हैं, लेकिन आदमी अपने में ही इतना खो गया है की ऐसे अचम्भित, आश्चर्य जनक कुदरत की अनुपम भेंट को आँख भर कर देख भी नहीं सकता !
Friday, November 25, 2011
भारतीय सविंधान
जब २६ जनवरी १९५० को स्वतंत्र भारत का संविधान अस्तित्व में आया था, आम आदमी को बताया गया था की हमारा देश भारत अब एक सर्व सम्पन्न स्वतंत्र, सार्वभौमिक, प्रजातांत्रिक, धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है ! संविधान में भारत के हर नागरिक को इज्जत के साथ जीने का अवसर दिया गया है ! सबको नौकरी में समान अधिकार दिया गया, अपने धर्म को पालन करने का, अपनी भाषा बोलने का, लिखने का अपने विचार सरकार तक पहुंचाने का, समान काम के लिए समान वेतन-भता पाने का अधिकार दिया गया है ! क़ानून की नजर में सब बराबर होंगे ! किसी जुर्म में गरीब पकड़ा जाय या कोई अमीर या राजनीतिग्य का कोई परिवार का सदस्य सभी को सजा दी जाएगी ! हमारी संसदीय सरकार होगी जिसमें सबसे ऊंची कुर्सी पर तो देश का राष्ट्रपति बैठेगा लेकिन शासन की असली कुंजी प्रधान मंत्री के पास होगी ! देश में संघात्मक सरकारें शासन चलाएंगी ! देश के नागरिकों को अपने इलाके से एक सांसद और एक विधायक का चुनाव करना होगा ! कितनी पार्टियां चुनाव लड़ेंगी इसपर कोई सीमा निश्चित नहीं की गयी ! सच्चे ईमानदार, चरित्रवान, वफादार, जनता के सेवकों को ही चुनाव में खड़े होने का प्रावधान था ! प्रत्यासी पढ़ा लिखा होना चाहिए, इसका कोई प्रतिबन्ध नहीं था ! हाँ प्रत्यासी रोगी, दिवालिया, अफ़राधी, और असामाजिक संघठनों का सदस्य नहीं होना चाहिए ! संसद में जिस पार्टी का बहुमत होगा उस पार्टी का लीडर प्रधान मंत्री की कुर्सी पर बैठेगा और अपना मंत्री मंडल का गठन करेगा ! ठीक वैसे ही प्रदेश की विधान सभाओं में भी बहुमत हासिल करने वाली पार्टी का लीडर मुख्य मंत्री बनेगा और वह अपने मंत्री मंडल का गठन करेगा ! प्रदेश में राज्यपाल होगा जो केन्द्रीय सरकार द्वारा राष्ट्रपति का अम्बेजडर होगा ! शासन पद्धति को सुचारू रूप से चलाने के लिए तीन एजेंसियों का गठन किया गया था : न्यायपालिका, विधायिका और कार्य पालिका ! अमेरिका में शासन व्यवस्था चलाने के लिए ये एजेंसियां एक दूसरे से अलग हैं जिसे वहां "सेपरेशन आफ पावर" कहा जाता है ! लेकिन यहाँ विधायिका से ही कार्यपालिका का गठन होता है और कैबिनेट की सहमति से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्तियां राष्टपति द्वारा की जाती है ! अमेरिका में राष्टपति का चुनाव सीधे जनता द्वारा एक अलग ही प्रणाली से किया जाता है , लेकिन हमारे संविधान में राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों (लोक सभा और राज्य सभा) के सदस्यों और सभी प्रदेशों विधान सभा के सदस्यों द्वारा चुना जाता है ! हर सदस्य के मत पत्र की वैल्यू फिक्स करने के लिए भी फार्मूला बना है ! देश के पूरे मतदाताओं की पूरी संख्या को ५३९ से भाग दिया जाता है (आज लोक सभा के सदस्यों की संख्या ५३९ है और राज्य सभा की सदस्य संख्या २५० है ) जो फल निकलता है वही एक सदस्य के मत पत्र की वैल्यू हो जाती है ! इसी तरह प्रदेशों के विधायकों के वोटों की वैल्यू भी निकाल ली जाती है ! आज के दिन सबसे ज्यादा विधायकों की सदस्य संख्या उत्तर प्रदेश में है ! लोक सभा में घट बढ़ हो जाती है और सता पक्ष का बहुमत अल्पमत में बदल जाता है तो संसद को भंग किया जाता है और केवल ऐसे मौकों पर राष्ट्रपति अपने विवेक का प्रयोग करते हैं, विपक्ष को मौका देते हैं या संसद को भंग करके मध्यावधि चुनाव करा देते हैं ! ठीक यही व्यवस्था प्रदेशों के लिए भी है ! वहां जब सता पक्ष अल्पमत में आ जाता है तो राज्यपाल केंद्र को इसकी रिपोर्ट दे देता है और अपना सुझाव भी की विपक्ष को मौक़ा दिया जाय, वहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाय, या दुबारा चुनाव कराया जाय ! केंद्र के निर्णय पर ही राष्ट्रपित अपना आदेश देता है ! लेकिन अमेरिका में विधायिका का कार्यपालिका के गठन में कोई भूमिका नहीं रहती है ! वहां राष्ट्र पति चार साल तक अपने पद पर बने रहते हैं ! बार बार चुनाव के खर्चे से अमेरिकी सरकार अपनी जनता को आर्थिक संकट में नहीं डालती है ! राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाती है तो उप राष्ट्रपति को बाकी के पीरियड के लिए राष्ट्रपति बनाया जाता है ! यहाँ राष्ट्रपति अपनी कार्य पालिका जनता द्वारा चुने गए सदस्यों में से नहीं लेता है, तथा उन्हें मंत्री की जगह सेक्रेटरी कहा जाता है, जैसे डिफेन्स सेक्रेटरी, फौरेन सेक्रेटरी, होम सेक्रेटरी आदि । इसके अलावा वहां हर प्रदेश में अपने गवर्नर को वहां की जन्या चुनती है ! प्रदेश की शासन व्यवस्था
गवर्नर के इर्द गिर्द ही घूमती है ! केंद्र के पास रेल, विदेश, रक्षा, जहाजरानी केन्द्रीय जांच एजेंसीज हैं बाकी सारी शक्तियां प्रदेशीय सरकारके पास सुरक्षित हैं ! भारतीय संविधान में क़ानून बनाने की तीन सूचियाँ हैं, संघीय सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची ! संघीय सूची के अंतर्गत आने वाले विषयों पर केंद्र क़ानून बनाता है, राज्य सूची पर राज्य सरकारें और समवर्ती सूची पर केंद्र और राज्य सरकारें क़ानून बना सकती हैं ! राज्य सरकार द्वारा बने कानूनों पर केंद्र रोड़ा लगा सकती है या स्वयं क़ानून बनाकर राज्य सरकार के क़ानून को निरस्त कर सकती है ! हमारे संविधान में संघ (केंद्र) ज्यादा शक्तिशाली है ! इतिहास के पन्नों में अंग्रेजों से पहले केंद्र सरकार द्वारा की गयी गलतियों को सुधारने का प्रयत्न किया गया है ! विभिन्नताओं में एकता का प्रयास किया गया है !
अधिकार और कर्त्तव्य
संविधान ने तो बहुत से अधिकार जनता को दिए हैं, पर समय की आंधी ने सारे अधिकार सिमेट कर राजनेताओं की जेब के हवाले कर दिए हैं। पुलिस, सी बी ई, ई बी, राव, सी आई डी जैसी सुरक्षा एजेंसीज सरकार के आदेशों से ही काम करती है, इस तरह बहुत प्रभावशाली मंत्री, संतरी, नौकरशाह, बड़े बड़े बिजिनिस मैंन, बड़े घराने, इन एजेंसियों द्वारा की गयी पूछ ताछ से बच निकलते हैं और गरीब के गले घंटी कोई भी बाँध देता है ! समय समय पर सुप्रीम कोर्ट सरकार को हिलाती है उसे उसके कर्तव्यों के प्रति जगाती है ! यही कारण है की जनता तो कर्तव्यों के बोझ तले दबी पडी है और अधिकारों का पूरा फायदा वी वी आई पी, वी आई पी, नेता, क्लास वन अधिकारी और उनके परिवार के सदस्य उठाते हैं ! अमेरिका में पिछले राष्ट्रपति की नाबालिक लड़की बार में वीयर पीते पकड़ी गयी थी और यह जानते हुए भी की ये राष्ट्रपति की लड़की है उसे भी अन्य नागरिकों की तरह क़ानून तोड़ने का अफ़राधी माना गया ! भारत में किसी म्युनिसिपैलिटी के सदस्य के परिवार के किसी सदस्य को जुर्म करने पर पुलिस वाले एक दम हाथ नहीं डाल पाती है, अगर पुलिस ने अफ़राधी को पकड़ भी लिया तो एक फोन की घंटी बजते ही अफ़राधी छूट जाता है ! फिर संविधान सबके लिए बराबर कहाँ हुआ ! केंदीय मंत्री करोड़ों का घोटाला करने पर भी बेल पर बाहर घूम रहे हैं, एक क्लास फोर सौ पांच सौ की रिश्वत के लिए पांच सात सालों के लिए जेल की सलाखों में भेजा जाता है ! आरक्षण ने तो समानता के अधिकारों को और भी पीछे धकेल दिया है ! हाँ आज मीडिया वाले अपने समाचार पत्रों की सुर्ख़ियों में अपने अधिकारों का दिल खोल कर इस्तेमाल करते हैं ! संविधान ने बहुत कुछ दिया है लेकिन नेताओं ने अपने स्वार्थ के लिए जनता से सब वापिस ले लिया है ! एक वोट देने का अधिकार है लेकिन दुष्ट, भ्रष्टाचारी, अफ़राधी एमपी एम एल ए को वापिस बुलाने का अधिकार नहीं है ! अब देखो अन्ना हजारे जी का लोक पाल बिल क्या कुछ जनता के जख्मों पर मरहम लगा पाएगा, समय ही बताएगा !
गवर्नर के इर्द गिर्द ही घूमती है ! केंद्र के पास रेल, विदेश, रक्षा, जहाजरानी केन्द्रीय जांच एजेंसीज हैं बाकी सारी शक्तियां प्रदेशीय सरकारके पास सुरक्षित हैं ! भारतीय संविधान में क़ानून बनाने की तीन सूचियाँ हैं, संघीय सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची ! संघीय सूची के अंतर्गत आने वाले विषयों पर केंद्र क़ानून बनाता है, राज्य सूची पर राज्य सरकारें और समवर्ती सूची पर केंद्र और राज्य सरकारें क़ानून बना सकती हैं ! राज्य सरकार द्वारा बने कानूनों पर केंद्र रोड़ा लगा सकती है या स्वयं क़ानून बनाकर राज्य सरकार के क़ानून को निरस्त कर सकती है ! हमारे संविधान में संघ (केंद्र) ज्यादा शक्तिशाली है ! इतिहास के पन्नों में अंग्रेजों से पहले केंद्र सरकार द्वारा की गयी गलतियों को सुधारने का प्रयत्न किया गया है ! विभिन्नताओं में एकता का प्रयास किया गया है !
अधिकार और कर्त्तव्य
संविधान ने तो बहुत से अधिकार जनता को दिए हैं, पर समय की आंधी ने सारे अधिकार सिमेट कर राजनेताओं की जेब के हवाले कर दिए हैं। पुलिस, सी बी ई, ई बी, राव, सी आई डी जैसी सुरक्षा एजेंसीज सरकार के आदेशों से ही काम करती है, इस तरह बहुत प्रभावशाली मंत्री, संतरी, नौकरशाह, बड़े बड़े बिजिनिस मैंन, बड़े घराने, इन एजेंसियों द्वारा की गयी पूछ ताछ से बच निकलते हैं और गरीब के गले घंटी कोई भी बाँध देता है ! समय समय पर सुप्रीम कोर्ट सरकार को हिलाती है उसे उसके कर्तव्यों के प्रति जगाती है ! यही कारण है की जनता तो कर्तव्यों के बोझ तले दबी पडी है और अधिकारों का पूरा फायदा वी वी आई पी, वी आई पी, नेता, क्लास वन अधिकारी और उनके परिवार के सदस्य उठाते हैं ! अमेरिका में पिछले राष्ट्रपति की नाबालिक लड़की बार में वीयर पीते पकड़ी गयी थी और यह जानते हुए भी की ये राष्ट्रपति की लड़की है उसे भी अन्य नागरिकों की तरह क़ानून तोड़ने का अफ़राधी माना गया ! भारत में किसी म्युनिसिपैलिटी के सदस्य के परिवार के किसी सदस्य को जुर्म करने पर पुलिस वाले एक दम हाथ नहीं डाल पाती है, अगर पुलिस ने अफ़राधी को पकड़ भी लिया तो एक फोन की घंटी बजते ही अफ़राधी छूट जाता है ! फिर संविधान सबके लिए बराबर कहाँ हुआ ! केंदीय मंत्री करोड़ों का घोटाला करने पर भी बेल पर बाहर घूम रहे हैं, एक क्लास फोर सौ पांच सौ की रिश्वत के लिए पांच सात सालों के लिए जेल की सलाखों में भेजा जाता है ! आरक्षण ने तो समानता के अधिकारों को और भी पीछे धकेल दिया है ! हाँ आज मीडिया वाले अपने समाचार पत्रों की सुर्ख़ियों में अपने अधिकारों का दिल खोल कर इस्तेमाल करते हैं ! संविधान ने बहुत कुछ दिया है लेकिन नेताओं ने अपने स्वार्थ के लिए जनता से सब वापिस ले लिया है ! एक वोट देने का अधिकार है लेकिन दुष्ट, भ्रष्टाचारी, अफ़राधी एमपी एम एल ए को वापिस बुलाने का अधिकार नहीं है ! अब देखो अन्ना हजारे जी का लोक पाल बिल क्या कुछ जनता के जख्मों पर मरहम लगा पाएगा, समय ही बताएगा !
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