Monday, October 25, 2010
आजादी किस हद तक
हर देश का अपना एक सविधान होता है और देश का हर नागरिक उस सविधान की सीमाओं के अन्दर रहते हुए, अपने विचार व्यक्त कर सकता है, लेख लिख सकता है ! भाषण दे सकता है ! लेकिन जब कोई सर फिरा शख्स संविधान की सीमाओं का उल्लघन करके देश की अखंडता , सार्व भौमिकता पर ही प्रश्न चिन्ह लगाता है तो क्या उसे यह कह कर की देश आजाद है, जहां सबको कुछ भी बोलने का, विचार व्यक्त करने का अधिकार है, उसे छोड़ देना चाहिए ? अगर ऐसा है तो देश की क़ानून व्यवस्था क्या बनाए रखी जा सकती है ? देश १९४७ ई० को आजाद हुआ ! काश्मीर पर सन १९४८ ई० में पाकिस्तानी फ़ौज ने कब्बालियों का जामा पहिन कर अटैक किया ! तब काश्मीर के महाराजा हरिसिंह जी ने काश्मीर को बचाने के लिए, काश्मीर को भारत के संविधान के तहत भारतीय गण राज्य में में विलय होने की अपनी सहमति लिखित तौर पर दिल्ली दरवार में पेश कर दी थी ! पंडित नेहरू उस समय देश के प्रधान मंत्री थे ! आनन् फानन में कैबिनेट मीटिंग में एक प्रस्ताव पास करके काश्मीर को भारतीय गण राज्य में विधिवत तौर पर मिलाया गया, साथ ही काश्मीर को पाकिस्तानी चंगुल से छुडाने के लिए सीमा पर सेना भेज दी गयी थी ! अरुंधती के इस बयान ने क़ि " काश्मीर का विलय भारत में विधिवत नहीं हुआ " उसके अर्द्ध विकसित दिमाग की पोल खोलती है ! इस भारतीय नारी ने यह आग भड़का कर चंद मुट्ठी भर अलगाव वादी लोगों को तो खुश कर दिया लेकिन भारतीय संविधान का जो मजाक उसने उड़ाया है, उन महान देश भक्तों (गांधी, नेहरू, पटेल, श्यामा प्रशाद मुकर्जी, पन्त, रफ़ी अहमद किदवई, अब्दुल कलाम आजाद आदि ) जिन्होंने काश्मीर को विधिवत तरीके से भारत में मिलाया था, उनकी विस्वसनीयता पर ही अपनी गंदी उंगली उठा दी ! साथ ही कश्मीर की जनता का जिसने सहर्ष भारतीय संविधान में अपना विस्वास जताया, उनकी भावनावों को ठेस पहुँची उसका हर्जाना ये महिला क्या कभी चुका सकती है ? महान बनने की जो छलांग अरुंधती राय जी आपने लगाई , नतीजा क्या निकला, चारों और आपकी थू थू हो रही है ! आपने हाथ भी मिलाया किससे देश का गद्दार गिलानी से ! अभी भी संभल जाओ अरुंधती जी, गिलानी जैसे अलगाव वादी लोगों से दूर ही रहो आपकी बिगड़ी हुई प्रतिष्ठा लौट आएगी !
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harendra ji- ye charcha me bane rahne ke liye kuchh bhi kar sakte hai.ye log un lakhon shaheedo ke balidaanon ka majak uda rahe hai jinhone kashmeer ko akhand bharat ka hissa mankar apne pranoo ka utsarg kar diya.desh me base aise gaddaron ko vo hi saja milni chahiye jo deshdrohiyo ke liye nirdharit ho.
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