हाँ जनाव आज रविवार है, सारे सरकारी निजी कार्यालयों में, कारखाना फैक्टरियों में बड़े अधिकारी से लेकर छोटे से मजदूर और चपरासी तक छुट्टी कर रहे होंगे ! छ: दिन कठीन मेहनत के बाद कहीं जाकर आता है रविवार ! लेकिन यहाँ भी सभी किस्मत वाले नहीं होते ! चार हजार रुपया महीना के लेने वाले हजारों बेकार कुछ बृद्ध कुछ जवान बिना रोजगार के गार्ड्स का डंडा संभाले तमाम दिल्ली की सोसायटीज के गेटों पर खड़े मिल जाएंगे ! कृशकाया, चेहरों पर उदासी, बिना उद्देश्य के, एक निराशा भरी जिन्दगी जीने वाले ये लोग, जिनका कोई आज नहीं न कोई कल है १२ घंटे की लगातार ड्यूटी देने वाले ये लोग, बिना किसी अवकास के सश्रम ३०/३१ दिन लगातार कभी रात कभी दिन की ड्यूटी देते हैं और महीने की ७ तारीख को वेतन लेते हैं मात्र ३५००/४०००। न तो भविष्य निधि संगठन ही इनके कार्य क्षेत्र में आता है, न भविष्य निधि /पेंशन, ग्रेच्युटी और किसी किस्म की सरकार द्वारा दी हुई सुविधाएं
इन्हें मिल पाती है ! इनके ऊपर भी जिम्मेदारियां हैं, लडके हैं तो माता पिता की जिम्मेदारी, बड़े हैं तो अपने बच्चों की जिम्मेदारी ! जब मंहगाई बढ़ती है तो सबसे पहले अटैक इनके कीचन पर पड़ता है ! बच्चे को दूध नहीं मिला, बूढ़े को खिचडी नहीं बन पायी, कारण घर में पैसे नहीं हैं ! सरकार आती है, चली जाती है, देश के विधायकों और सांसदों ने अपने वेतन भत्ते बढ़ा दिए, सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की तंख्वायें बढ़ा दी, वित्त मंत्री हर साल २८ फरवरी को संसद में अपना वजट पढ़ लेता है किसी न किसी को कुछ न कुछ दे जाता है पर कभी किसी की नजर इन बेसहारा गार्डों पर नहीं पडी ! मानव अधिकार आयोग, बहुत सारी कल्याणकारी संस्थाएं समाज कल्याण के लिए कार्य कर रहीं हैं, लेकिन कभी किसी ने इन गरीब बेसहारा, बेजूवान गाड़ों की तरफ झाँक कर भी नहीं देखा ! ये सबकी नज़रों में आते हैं, मंत्री की नज़रों में आते हैं, पुलिस के बड़े बड़े अधिकारियों की नज़रों में आते हैं ! क्या भविष्य निधि के इन्स्पेक्टर, असिस्टेंट कमीशनर, रीजनल कमीशनर जो मल्टी स्टोरीज सोसाइटियों में रहते हैं उन्हें ये दीन हीन गार्ड अल्प वेतन धारी चाबीसों घंटे गेट पर खड़े नजर नहीं आते होंगे ? क्या उन्होंने कभी सुरक्षा संस्थाओं द्वारा उनका शोषण किया जाता है जानकारी हासिल करने की कोशीश की ? नहीं की ! कोई भी एजेंसी जिसके अधिकार क्षेत्र में २० या उससे ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं उन्हें पी एफ की सारी सुविधाएं मिलनी चाहिए, लेकिन इनको कुछ भी नहीं मिलता ! अगर कभी भविष्य निधि संगठन के अधिकारियों को कभी समय मिले तो द्वारका रोहिणी या किसी भी दिल्ली के बड़े पौस कालोनी के किसी भी सोसायटीज में जा कर अपनी नज़रों से देख कर यकीन कर लें की गार्ड नाम धारी ये कौम कितनी दीन हीन और परताडित कौम है !
दिल्ली की मुख्या मंत्री और कांग्रेस/ भा ज पा के नेतागण क्या आपने भी कभी इन गरीब गार्डों को नहीं देखा ? अब तो देख लो, शायद आपकी छोटी सी सहायता उनके बच्चों के मुरझाए चेहरों पर ज़रा सी मुस्कान ला दे और आपका वोट बैंक बन जाए !
Saturday, February 26, 2011
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