इक्कीसवीं सदी ने दिल्ली के डेढ़ करोड़ की जनसंख्या को मेट्रो का उपहार देकर एक बहुत बड़ा उपकार किया है ! दिल्ली की बढ़ती हुई जन संख्या, सडकों पर रोज हजारों कारों और अन्य वाहनों की बढ़ोतरी ने आम आदमी का जीना दूभर कर दिया था ! सडकों की चौडाई बढाई गयी, बाहरी रिंग रोड और रिंग रोड़ों पर बहुत सारे फ्लाई ओवर बनाए गए लेकिन फिर भी बढ़ता हुआ काफिला रोज संख्या में इजाफा करता गया, सडकों पर जगह जगह जाम लगने लगा ! मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुँच पाया और कही ऐसे भी मौके आये जब मरीज ने जाम में फंस कर रास्ते में ही दम तोड़ दिया ! सरकारी/गैर सरकारी कर्मचारी समय पर कार्यालय नहीं पहुँच पाते थे ! बसों में भारी भीड़, टैक्शी, ऑटो, रिक्सा और मोटर साईकिल-स्कूटर जाम में और इजाफा करने लगे ! दिल्ली देश का दिल और देश की राजधानी, विदेशी अम्बेसियाँ और व्यवसायिकों, व्यापारियों और बहुत सी विदेशी कंपनियों के कार्यालय यहाँ दिल्ली में होने से रोज राजनयिकों का आना जाना होता रहता है ! वी आई पी और वी वी आई पी, राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, मत्रियों और नौकरशाहों का काफला पुलिस का साईरन बजाता हुआ रोज ही दिल्ली की इन सडकों पर आम आदमी की जिन्दगी में मुसीबतों के पहाड़ों में एक और पहाड़ खडा कर देता था ! इन परेशानियों की लू का झोंका इतनी जोर का चला की केंद्र सरकार और राज्य सरकार की खिड़कियाँ भी चर मराने लगी ! आखीर सरकार की नींद खुली और सन २००३ में "दिल्ली में मेट्रो रेल चलेगी" दिल्ली की जनता को सरकार ने यह आश्वासन दे दिया ! बड़ी तेजी से काम शुरू हुआ और आज २०११ आत्ते आते दिल्ली का हर हिस्सा मेट्रो से जुड़ गया ! दिल्ली ही नहीं न्वैडा गाजियाबाद और गुड़गांव को भी मेट्रो ने आपस में मिला लिया है ! इसके साथ ही मेट्रो की एक लाईन आनंद विहार/ न्वैडा से राजिव चौक होते हुए द्वारका सेक्टर २१ तक चालू हो चुकी है ! एक मेट्रो एक्सप्रेस लाईन सेक्टर २१ द्वारका से एयर पोर्ट होते हुए धौला कुंवा, शिवाजी स्टेडिंम से नयी दिल्ली तक चालू हो चुकी है ! नई दिल्ली से एयर पोर्ट तक चार स्टेशन पड़ते हैं और समय लगता है केवल १५ मिनट ! हर २० मिनट के बाद एक और मेट्रो स्टेशन पर लग जाती है ! इस लाईन पर सफ़र करने का टिकट है १५० रूपया ! सफ़र की सहूलियत, समय की बचत, एरोप्लेन जैसे सीटें और आनंद दायिक सफ़र के लिए यह रकम बहुत मामूली लगती है !
मेट्रो प्रशासन ने आम जनता को इस मेट्रो एक्सप्रेस सर्विस की जानकी देने के लिए द्वारका की हर सोसायटी को दो दो टिकटें एयर पोर्ट मेट्रो एक्ष्प्रेस में फ्री सफ़र करने लिए भिजवाई ! इतवार का दिन पहली मई (लेबर डे) मैं अपने छोटे लडके ब्रिजेश, पोती आर्शिया और पोते अर्नव के साथ शाम के पांच बजे इस मेट्रो एक्ष्प्रेस राइड के लिए घर से निकले ! २१ सेक्टर द्वारका में अपनी कार पार्क की और मेट्रो स्टेशन के दाखिल हो गए ! मामूली सी खाना पूर्ती पूरी करने के बाद हम प्लेट्फारम पर इन्तजार करने लगे ! ५.३५ पर मेट्रो चल पडी ! ६ डिब्बों की यह मेट्रो अन्दर से और बाहर से बड़ी खूसूरत लग रही थी ! स्टेश के अन्दर आते ही ऐसा लगा था की हम किसी विक्सित देश में बड़ी हाई फाई मेट्रो में सफ़र कर रहे हैं ! दोनों बच्चो ने खूब इंज्वाय किया और हमने भी ! १३ मिनट में हम शिवाजी स्टेडिंम स्टेशन पहुँच गए थे ! यहीं बहुत प्राचीन हनुमान मंदिर में दर्शन किये ! बहुत सारे बन्दर अपने बच्चों को पीठ पर बिठाए वहां चुपचाप मंदिर के बाहर दर्शनार्थियों का मंदिर से बाहर आने इन्तजार कर रहे थे, क्यों की हर आदमी मंदिर से बाहर आकर चढ़ावे के प्रशाद के साथ वहीं केले वाले से कुछ केले मोल लेकर उन बंदरों को खिला रहे थे और शुभ कर्म का लाभ उठा रहे थे ! हमने भी बंदरों के बच्चों से अपना स्नेह जताया और उन्हें केले खिलाए ! बच्चों को इधर उधर घुमाया और पूरे साढ़े ६ बजे हम फिर द्वारका के लिए मेट्रो में बैठ गए और १५ मिनट में हम द्वारका २१ सेक्टर में थे !
एयर पोर्ट मेट्रो ऐक्ष्प्रेस का यहाँ मजेदार सफ़र एक यादगार सफ़र बन गया ! बहुत मजा आया !
मेट्रो प्रशासन ने आम जनता को इस मेट्रो एक्सप्रेस सर्विस की जानकी देने के लिए द्वारका की हर सोसायटी को दो दो टिकटें एयर पोर्ट मेट्रो एक्ष्प्रेस में फ्री सफ़र करने लिए भिजवाई ! इतवार का दिन पहली मई (लेबर डे) मैं अपने छोटे लडके ब्रिजेश, पोती आर्शिया और पोते अर्नव के साथ शाम के पांच बजे इस मेट्रो एक्ष्प्रेस राइड के लिए घर से निकले ! २१ सेक्टर द्वारका में अपनी कार पार्क की और मेट्रो स्टेशन के दाखिल हो गए ! मामूली सी खाना पूर्ती पूरी करने के बाद हम प्लेट्फारम पर इन्तजार करने लगे ! ५.३५ पर मेट्रो चल पडी ! ६ डिब्बों की यह मेट्रो अन्दर से और बाहर से बड़ी खूसूरत लग रही थी ! स्टेश के अन्दर आते ही ऐसा लगा था की हम किसी विक्सित देश में बड़ी हाई फाई मेट्रो में सफ़र कर रहे हैं ! दोनों बच्चो ने खूब इंज्वाय किया और हमने भी ! १३ मिनट में हम शिवाजी स्टेडिंम स्टेशन पहुँच गए थे ! यहीं बहुत प्राचीन हनुमान मंदिर में दर्शन किये ! बहुत सारे बन्दर अपने बच्चों को पीठ पर बिठाए वहां चुपचाप मंदिर के बाहर दर्शनार्थियों का मंदिर से बाहर आने इन्तजार कर रहे थे, क्यों की हर आदमी मंदिर से बाहर आकर चढ़ावे के प्रशाद के साथ वहीं केले वाले से कुछ केले मोल लेकर उन बंदरों को खिला रहे थे और शुभ कर्म का लाभ उठा रहे थे ! हमने भी बंदरों के बच्चों से अपना स्नेह जताया और उन्हें केले खिलाए ! बच्चों को इधर उधर घुमाया और पूरे साढ़े ६ बजे हम फिर द्वारका के लिए मेट्रो में बैठ गए और १५ मिनट में हम द्वारका २१ सेक्टर में थे !
एयर पोर्ट मेट्रो ऐक्ष्प्रेस का यहाँ मजेदार सफ़र एक यादगार सफ़र बन गया ! बहुत मजा आया !
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