Tuesday, August 31, 2010

मेरी कहानी (तीसवाँ भाग)





इस साल जौलाय के महीने आते आते तबियत कुछ खराब हो गयी थी, कारण दो तीन चक्कर अपने गाँव के लगाने पड़े ! गाँव जाने के लिए आज भी चढ़ाई उतराई करनी पड़ती है ! इस बार पत्नी अकेले ही अमेरिका गयी जौलाय के महीने में ! अगस्त में करण के एडमिशन के लिए उर्वशी (मेरी बिटिया ) करण को साथ लेकर अमेरिका गयी और एक महीना अपने भय्या के पास रहकर वापिस इंडिया आ गयी ! करण ने डिग्री कोर्स करने के लिए अमेरिका के कालेज में ही एडमिशन ले लिया है !

केदार नाथ बद्री नाथ यात्रा

केदार नाथ बद्री नाथ दोनों ही तीर्थ स्थान उत्तरा खंड में हिमालय की गोद में विश्व प्रसिद्द बहुत प्राचीन मंदिर हैं ! जहां केदार नाथ पुराणों में वर्णित मंदाकिनी नदी के तट पर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है वहीं बद्री नाथ पवित्र पाविनी अलकनंदा के किनारे एक विशाल और बद्री नारायण का प्राचीन मंदिर है ! सेना में नौकरी करने के बावजूद भी अपने ही उत्तरा खंड के जग प्रसिद्द मंदिरों के दर्शन करने का अवसर नहीं मिला ! मंदिर के किवाड़ तो हर साल मई के महीने में खुल जाते हैं लेकिन एक तो भीड़ बहुत हो जाती है दूसरा मौसम कब बदली हो जाय, कब आंधी चल पड़े या बारीश हो जाय कहा नहीं जा सकता ! इसलिए इन स्थानों पर यात्रा करने का सबसे अच्छा सितम्बर-अक्टूबर का महीना रहता है !
केदारनाथ (ज्योतिर्लिंग)

अब के बच्चों के साथ पक्का मन बना लिया की बद्री धाम और केदार नाथ मंदिरों के दर्शन करने जरूर जाना है ! १९ सितम्बर को मैं ब्रिजेश-बिन्दू, आर्शिया और आर्नव को लेकर इस तीर्थ यात्रा पर निकल पड़े ! रात को कोटद्वार रहे, अगले दिन यानी २० सितम्बर को शोभा-जवानी, श्रे, जेठू जी (जगमोहनसिंह गुसाईं) दीदी टाटा सोमू से पौड़ी के लिए चल पड़े ! हमारे साथ राकेश नैथानी भी थे ! राकेश जी का गौरी कुंड में होटल है ! हमारे साथ सबसे नन्ना यात्री आरनव था, केवल सात महीने का ! जिले का मुख्यालय पौड़ी पहुंचे ! यह स्थान एक पहाडी की ढलान पर है ! बहुत ही रमणीक और आकर्षक है ! सामने उतर की ओर हिमालय की सफेद पहाड़ियां, नीचे, ऊपर उठती हुई पर्वत श्रीखंलाएं, रंग विरंगे फूलों की घाटियाँ मन को मोह लेने वाली ! बरसात समाप्त हो चुका है, नदी नाले शुद्ध जल धारा के साथ बह रही हैं ! मौसम न ज्यादा गर्मी है न सर्दी, यात्रा के लिए बिलकुल उपयुक्त मौसम है ! श्रीनगर, रूद्र प्रयाग (मंदा किनी अलकनंदा का संगम), तिलवाड़ा , अगस्तमुनी, गुप्तकाशी (पुराणों के मुताबिक़ पांडवों द्वारा गुरु ह्त्या और स्व गोत्र ह्त्या के कारण भगवान शंकर पांडवों से रूष्ट होकर इसी स्थान पर गुप्त हुए थे) ! यहाँ पर शंकर भगवान का मंदिर है, केदारनाथ के रईस पंडों के बंगले हैं, होटल हैं, सजा सजाया बाजार है ! पहाडी की गोद में बसा बड़ा ही सुन्दर स्थान है गुप्त काशी ! चारों ओर हरे भरे खेत, धान झंगोरा, मडुवा, उर्द और भी मौसम के फल उपलब्ध हैं ! चश्मे, झरने और पहाड़ियों से उतरती हुई नाले और नदियाँ उत्तराखंड की पहिचान है । फाटा होते हुए रात को गौरी कुंड पहुंचे ! रात यहीं होटल में रहे ! मंदाकिनी के किनारे बसा गौरी कुंड चारों ओर पहाड़ों से घिरा हुआ है, सर्दियों में यह स्थान भी बर्फ से ढक जाता है ! स्नान करने के लिए तप्त कुंड है, जहां यात्री सुबह सबेरे स्नान करते हैं ! यहाँ से केदारनाथ जाने का १४ मील पैदल रास्ता है ! घोड़े, पालकी, पिठू भी मिल जाते हैं ! जो पैदल नहीं जाना चाहते वे वापिस फाटा आकर हेलीकाफ्टर से केदारनाथ जाते हैं ! २१ तारीख को हम वापिस फाटा आये ! यहाँ पर सरकारी और निजी कंपनियों द्वारा भी हेलीकाफ्टर की सुविधा दी जाती है ! भीड़ बहुत थी फिर भी हर दश मिनट में एक हेलीकाफ्टर सवारी लेकर जा रहा था, जैसे ही हमारा नंबर आया, घाटी में धुंध आगई और हमारे हेलीकाफ्टर की उड़ान रद्द हो गयी ! एक रात फाटा में ही होटल में रहना पड़ा ! ठण्ड काफी थी स्नान के लिए गर्म पानी की जरूरत थी जो हमें एक बाल्टी २०-२५ रुपये में मिली ! यहाँ भी पांडे ही होटल, रेस्तरां और मार्केट पर अपना दबदबाव बनाए हुए हैं ! अगले दिन पहले ही फ्लेट से हम लोग केदारनाथ पहुँच गए ! यहाँ पर भी पांडे अपने अपने जजमानों को लेने के लिए हेलीपैड पर पहुँच जाते हैं ! आगे ये ही लोग गाईड करते हैं, जरूरी हुआ तो अपने जजमान को अपने ही धर्मशाला में ठहराएंगे, पूजा पाठ करवाएंगे, शिव जी के दर्शन भी वही कराते हैं ! पुराणों के अनुसार जब भगवान शंकर गुप्तकाशी में गुप्त हो गए तो पांडव उनके दर्शनों के लिए केदारनाथ पहुंचे, यहाँ भी वे बैल बनकर गुप्त होने जा रहे थे लेकिन भीम ने उनकी टाँगे पकड़ ली इस तरह शिव जी का धड से नीचे वाला हिस्सा यहीं रह गया और सिर नेपाल काठमांडू में जा निकला जहां पर आज विश्व विख्यात "पशुपति" मंदिर है ! केदारनाथ में यहीं पर यह विशाल मंदिर देश विदेश के लोगों का आस्था और विश्वास का केंद्र है ! यहाँ जहां शिव जी का परिवार ही गणेश जी के साथ वहीं पांडवों की प्रतिमाएं भी विद्यमान हैं ! मुझे और जेठू जी को पितरों को पिंड दान भी करना था, इसलिए बाल तो गौरी कुंड में ही कटवा लिए थे,
पूजा यहाँ गौरी कुंड में की और केदारनाथ में जाकर भी की ! यहाँ शंकर भगवान के दर्शन किये और अगले दिन की फ्लाईट से वापिस फाटा आये !

बद्रीनाथ
फाटा से रूद्र प्रयाग, गौचर आये ! यहाँ एक हलके जहाज़ों को उतरने के लिए एक छोटा हवाई अड्डा है जो केवल गर्मियों में ही इस्तेमाल किया जा सकता ही ! यहाँ डिग्री कालेज है, हर तरफ कुदरत की सुन्दरता बिखरी हुई है !
नन्द प्रयाग, चमोली, पीपल कोटि, हेलेंग होते हुए जोशीमठ पहुंचे ! नवम्बर में जब बद्रीनाथ के द्वार बंद हो जाते हैं तो बद्री नाथ की पूजा यहीं जोशीमठ में होती है ! यहाँ मंदिर में भगवान् पद्माशन में ध्यान मग्न हैं ! बहुमूल्य आभूषण से सस्ज्जित, ललाट पर मुकुट, मुकुट पर हीरा जड़ा है ! अगल बगल में नर-नारायण हैं ! उद्धव कुवेर और नारद की मूर्तियाँ हैं ! हनुमान जी, गणेश जी, लक्ष्मी जी की प्रतिमाएं हैं ! साथ ही एक तप्त कुंड है जहां यात्री श्रद्धा भक्ती से स्नान करते हैं और पूनी का लाभ उठाते हैं ! पुरानों में वर्णित अलकनंदा के किनारे हिमालय की गोद में बसा बद्रीनाथ जन जन की श्रद्धा का केंद्र बिन्दु है ! भारत के कोने कोने से लोग भक्ती भाव से यहाँ विपरीत परस्थितियों में भी पहुंचाते हैं अपने दुखों का निवारण करने हेतु ! पुराणों में वर्णित है की जो भी यात्री सच्ची आस्था से यहाँ अपने पितरों को पिंड दान करता है उसे फिर कहीं भी गया, बाराणसी में पिंड दान करने की जरूरत नहीं पड़ती है ! कहते हैं एक बार ब्रह्मा जी अपनी ही लड़की पर मोहित हो गए थे, इससे शिव जी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने ब्रह्मा जी का सर धड से अलग कर दिया ! अब ब्रह्मा जी का सर शिव जी के त्रिशूल पर ही चिपक गया ! इसके लिए वे स्वर्ग से लेकर धरती के सभी पवित्र स्थानों के दर्शन कर आये लेकिन ब्रह्माजी का सर जो त्रिशूल पर चिपका तो चिपका ही रह गया ! जब वे इस पवित्र बदरीधाम पहुंचे तो ब्रह्मा जी का सर अपने आप यहाँ गिर गया और शिव जी ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो गए ! पहले ब्रह्मा जी के पांच सर थे उसके बाद अब उनके एक ही सर है !
यहाँ बड़े बड़े पांडे रहते हैं उनके बड़े बड़े होटल चलते हैं, धर्मशालाएं हैं, साफ़ सुथरा बाजार है, मंदिर के नाम पर लाखों लोगों की रोजी रोटी चलाती है, साधू है सन्यासी हैं, फ़कीर हैं, और एक बहुत बड़ी संख्या भिखारियों की है जिनको भगवान ही का सहारा है और भगवान ही उन्हें पालते हैं ! मंदिर जाने के लिए अलकनंदा पर पुल है ! यहाँ दर्शन करने के लिए पंचशिला, नाराद्शिला, वसुधारा, शेष नेत्र, चरण पादुका ! १४४००० फीट की ऊंचाई पर माणागांव है जो भारत और चीन की सीमा पर है ! एक रात श्री सतपाल जी महाराज संसद सदस्य जी के होटल में रहे और अगले दिन सुबह ही बदीनाथ जी का स्मरण करते हुए कोटद्वार के लिए निकल पड़े ! २५ सितम्बर को हम दिल्ली वापिस पहुंचे !


केदार नाथ और बद्री नाथ की छात्र छाया में पौड़ी से लेकर आगे गोपेश्वर, गुप्तकाशी, चमोली, रूद्र प्रयाग कर्णप्रयाग, सोनप्रयाग, पीपलकोटी, गौचर, जोशीमठ आदि इलाके काफी सम्पन हैं, सभी साधन होने की वजह से स्थानीय लोग खेती करते हैं और खेतों को हरा भरा रखते हैं ! यहाँ सड़कें, पानी बिजली की सुविधा होने के साथ ही जिला मुख्यालय, कोर्ट कचहरी, स्कूल, कालेज, तकनीकी शिक्षा के केंद्र होने की वजह से भी असली गढ़वाल का चेहरा यही है ! धार्मिक स्थान होने से मोटर गाड़ियां इस लाईन पर बहुत चलती हैं, इस तरह बेकारी नाम की समस्या इन स्थानों पर नहीं है ! नौकरी पेशा वाले यहाँ के लोग भी हैं, यहाँ के जवान भी सेना के हर रेजिमेंट मेंट, कोर सेना के तीनों फोर्सों में सेवा रत हैं, अधिकारी रैंक के भी हैं तो जे सी ओज जवान भी हैं ! लेकिन ज्यादातर ये लोग अवकास लेने के बाद अपने खेत खलियानों को देखने वापिस अपनी जन्म भूमि को विकसित करने आ जाते हैं ! सरकार भी मेहनतकश लोगों की मदद करती है
"ओउम"
! ! जय केदार नाथ, जय बद्री विशाल !!

मेरी कहानी (उन्तीसवाँ भाग)

मौसम बदलता है, तारीखें बदलती हैं, सरकारें बदलती हैं ! लेकिन आस्था नहीं बदलती, सभ्यता-परम्पराएं नहीं बदलती ! इंसान कभी कभी इतनी गलती कर देता है की कुदरत से छेड़ छाड़ कर बैठता है और फिर उसके कोप का भाजन बनना पड़ता है पूरी मनुष्य जाति को जीव जंतु समुदाय को ! जंगल कट गए, ईंटा रेत पत्थर से ऊंची ऊंची बिल्डिंगे बन गयी, ऊर्जा का इस्तेमाल इतना ज्यादा होने लगा की वातावरण में गर्मी से कुदरती लाखों करोड़ों साल पुराने ग्लेसियर पिघलने लगे ! समुद्र में पानी का स्तर बढ़ने लगा, नदी नाले धीरे धीरे सुखने लगे हैं ! कहीं भूकंप, कहीं बाढ़ तो कहीं ज्वाला मुखी अपना विकराल रूप दिखलाने लगता है तो दूसरी और इंसान अपने दिमाग परमाणु , हाईड्रोजन बमों को बनाने और उनका परीक्षण करने में लगा रहा है ! एक तरफ इंसान विकास की ऊंचाइयां नापते हुए विश्व को स्वर्ग बनाने की कोशीश कर रहा है तो दूसरी और प्रदूषण का दुष्ट राक्षस अपनी दुष्ट प्रवृतियों के साथ इस धरती के अस्तित्व को ही समाप्त करने में लगा है ! इंसान के ऊपर कुदरत की मार कम है की इंसान भी इंसान का दुश्मन बन कर उसको सताने में लगा है, कभी आतंकवादी बन कर तो कभी, नक्शल वादी-मावोवादी बन कर ! विश्व के बड़े बड़े वैज्ञानिक, समाज सेवक, समय समय पर अपने लेखों द्वारा लोगों को चेतावनी देते हैं ! अभी हाल ही में विश्व के राष्ट्राध्यक्षों, शासक प्रशासकों और वैज्ञानिकों की एक बैठक हुई थी कैपन हेगन में इस विषय पर कि "प्रदूषण को कैसे रोका जाए" ? विकशित और अविकसित देशों का कहना था कि विकशित देश ऊर्जा का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं और परियावरण को दूषित ऊर्जा की ज्यादा खपत कर रही है ! अमेरिका और यूरोप के विकशित देश ऊर्जा की ज्यादा खपत पर रोक लगा दें, बढ़ता हुआ प्रदूषण रुक जाएगा ! बैठक बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गयी ! उत्तरा खंड में चीड के बहुत सारे जंगल हैं ! पतझर में चीड की बहुत सारी पतियाँ (pine needles) झर जाती हैं, रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं, इसमें फिसलन ज्यादा होती है, लोगों को इसके ऊपर चलते समय फिसलन से चोट लगने का भी खतरा रहता है ! सबसे बड़ा खतरा यह आग जल्दी पकड़ता है, और आग से हर साल जंगलात डिपार्टमेंट को करोड़ों का नुकशान हो जाता है ! साथ ही उत्तराखंड में एक लैंटाना नामक पौधे ने खेतों के खेत बर्बाद कर दिए हैं, नदी और नालों में जहाँ देखो इसकी सुरसा जैसी बढ़ती झाड़ियाँ मिल जाएँगी ! यह बढ़ते बढ़ते झाडी का रूप ले लेता है और अपने इर्द गिर्द कुछ भी पनपने नहीं देता ! इससे इतनी बदबू आती है की जानवर भी इसके नजदीक नहीं जाते ! इन दोनों का सही इस्तेमाल करने के लिए मेरे दोनों बेटों ने (राजेश-ब्रिजेश) ने कोटद्वार, पौड़ी गढ़वाल में एक फैक्टरी खोली है, "ऊर्जा रेनेवेवल सोलुसन प्राइवेट लिमिटेड" के नाम से ! यह फैक्टरी चीड की पत्तियों और लेंटाना की सुखी झाड़ियों का मशीन द्वारा पौउडर बनाकर दूसरी मशीन से फायर ब्रिकेट तैयार करती है ! ये फायर ब्रिकेट ईंट बनाने वाले भट्टों में कोयले की जगह इस्तेमाल किये जा सकते हैं (हो रहे हैं) होटलों में गैस की जगह इस्तेमाल हो रहे हैं ! इससे वातावरण में कार्वन डाईआक्षाईड को रोकने में मदद मिलती है ! कंपनी होटलों को स्मोक ल्यस चूल्हे भी देती है ! प्रदूषण को रोकने के इस कदम पर अभी तक जर्मनी और स्वीटजरलैंड के पत्रकार भारत आकर कंपनी के इस कदम से काफी प्रभावित हुए हैं और उनहोंने अपनी रिपोर्ट न्यूज चेनल से विश्व के सब देशों तक पहुंचा दी है !
2008
ई० अपना कार्यकाल समाप्त करके विश्व के कलेंडर से निकल गया और साल २००९ ने नए वर्ष का ताज सिर पर धर लिया ! १६ फरवरी २००९ ई० को मेरे घर में खुशियों का माहोल था, मेरे पोता आर्नव (ब्रिजेश-बिन्दु का लड़का) का जन्म हुआ था ! बड़ी लड़की और छोटा लड़का ! ईश्वर इन्हें कुशल रखे !

यह साल भी विरासत में बहुत कुछ साथ लाया है ! २००१ संसद के ऊपर हुए आतंकी हमले का सबसे बड़ा गुनाहगार अफजल गुरु जिसको सुप्रीम कोर्ट काफी दिन पहले फांसी की सजा दे चुकी है, अभी भी जनता के पैसों पर ऐस कर रहा है ! कहने को तो जेल में है लेकिन उसे जेल में भी वी वी ऐ पी ट्रीटमेंट मिल रहा है ! "जेड " सुरक्षा, टी वी, न्यूज पेपर, अब्बल दर्जे का मन पसंद खाना, मिल रहा है इस खतरनाक मुलजिम को ! उसने राष्ट्रपति से दया की मांग की है और केंद्र सरकार कोईं न कोई बहाना बनाकर इसको लटकाए हुए है ! सरकार की इस बेरुखी से कमलेश कुमारी (सी आर पी की लेडी कांस्टेबल ) जो इस हादसे में मारी गयी थी और उसे मरणोपरांत अशोक चक्र से अलंकृत किया गया था के परिवार वालों ने अपना रोष जाहिर करते हुए यह पीस टाईम का सबसे बड़ा वीरता का चक्र अशोक चक्र सरकार को वापिस लौटा दिया है !

तिरुपति मंदिर की यात्रा
कही दिनों से मन में एक इच्छा जाग रही थी की एक बार आंध्रा प्रदेश जाकर तिरुपति मंदिर में तिरुपति भगवान् के दर्शन करूं ! तिरुपति भगवान ने मेरी प्रार्थना स्वीकार कर दी और मुझे परिवार के साथ तिरुपति जाने का अवसर मिल गया ! १८ अप्रेल को मैं पूरे परिवार के साथ जेट एयर वेज से बैंगलौर गया ! बैंगलौर जाने का यह मेरा पहला अवसर था, साफ़ सुथरा और प्लानिग से बना शहर
बैंगलौर सचमुच में बड़ा खूबसूरत और आकर्षक है ! बड़े बड़े तकनीकी कालेज हैं, मेडिकल कालेज हैं, विदेशी कम्पनियाँ और मार्केट के आने से बंगलोर भारत का एक मशहूर शहरों में गिना जाने लगा है ! वहा हम लोग बी एस एफ के आफिसर्स म्यस में रहे ! कंटोमेंट एरिया देश के हर शहर की शान होती है वैसे ही बंगलौर का कैंट एरिया भी साफ़ सुथरा, बाग़ बगीचे और हरे भरे पार्क, सड़कें इसकी सुन्दरता को और भी बढ़ा देते हैं ! अगले दिन ७० किलो मीटर दूर रामगढ़ गए, यहीं पर सबसे मशहूर फिल्म 'शोले की शूटिंग हुई थी, इस तरह इस स्थान का महत्त्व और भी बढ़ गया है ! इसके बाद हम लोग मशहूर इतिहास का जाना पहिचाना शहर मैसूर गए ! टीपू सुलतान की राजधानी चारों और पहाड़ियों से घिरा हुआ मैसूर का किला, और उस किले में उस जमाने की धरोहर, टीपू सुलतान की तलवार, दीवारों पर उस जमाने की चित्रकारी देखने का लुफ्त उठाया ! यही चौमुंडादेश्वरी का मंदिर , नंदी और शिव मंदिर, लक्ष्मी रमण स्वामी मंदिर, वृदावन गार्डन, पार्क, लेक और उसमें बोटिंग का आनंद लिया ! कावेरी नदी इस शहर को वरदान है ! इसके किनारे का हरा भरा सुसज्जित रंग बिरंगे फूलों से सजा बगीचा यहाँ की शान है ! २० अप्रेल को हम लोग बंगलौर बस अड्डे से वोल्वो (स्टेट गवर्मेंट की बस) बस द्वारा तिरुपति बस टर्मिनल पर पहुंचे ! वहां से दूसरी बस द्वारा ४० किलो मीटर दूर एक पहाडी के ऊपर बालाजी का , विशाल और देश का सबसे धनाड्य मंदिर में पहुंचे ! इस पहाडी के ऊपर ही एक विशाल मैदान है, जहां एक अलग शहर बसा है मंदिर को चारों ओर से घेरे हुए ! मंदिर है बहुत बड़ा सजा सजाया बाजार है, लम्बी चौड़ी सड़कें हैं, इन पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए बसे हैं, पुलिस और सुरक्षा कर्मियों का बड़ा दल यहाँ हर समय मौजूद रहता है ! यहाँ होटल हैं, रेस्तरां हैं ! मंदिर पूरा सोने से मढा हुआ है, हर दरवाजे सोने के हैं, गुम्बद सोने की है ! हर तरफ सोना ही सोना ! साल के बारह महीने यहाँ भीड़ रहती है ! शाम को चार बजे मंदिर गेट पर पहुंचे, मुख्य पुजारी चौक के बीच में बड़े ज्योति पुंज के प्रकाश में बालाजी भगवान की आरती उतार रहे थे और यह दृश्य हमारी आँखों के सामने था, लाखों दर्शनार्थी लाईनों में खड़े हाथ जोड़ कर आरती का आनंद ले रहे थे ! आरती को बहुत ही नजदीक से देखने का लाभ उठाया ! अगले दिन फिर पुलिस गार्ड की निगरानी में मंदिर के अन्दर जाकर एक गज की दूरी से बालाजी विश्व नाथ भगवान् के दर्शन किये, उनसे सुख और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान माँगा और प्रशाद ग्रहण करते हुए मंदिर से बाहर आये ! प्रशाद बड़े बड़े लड्डू थे और बड़े स्वादिष्ट थे ! २१ अप्रेल को चिन्नई पहुंचे, वहां भी होटल बुक था। वहां से २२/०४ को पांडु चेरी पहुंचे, वहां समुद्र का नजारा देखा, लोटस मंदिर, अरविंदो आश्रम, गणेश मंदिर, गांघी बीच महाबलेश्वर मंदिर के दर्शन करते हुए शाम को वापिस चेन्नई अपने होटल पहुंचे, रात को आराम किया और २३ तारीख को बालाजी तिरुपति भगवान को स्मरण करते हुए विमान द्वारा दिल्ली वापिस आ गए !

Monday, August 30, 2010

एक फूल चमेली का

चमेली का फूल था खिला
एक सुन्दर बाग़ में,
हंसता खिल खिलाता,
हिलता मुस्कराता,
खुशबू बिखराता ,
जिसकी भी नजर पड़ती,
देखता ही रह जाता !
विधाता ने लिखा था,
यह चमेली के भाग में ! १ !
सजती संवरती,
एक राज कुमारी उस बाग़ में आई,
फूल की सुन्दरता पर ललचाई !
सोचा इसे अपने गजरे में सजाऊँ,
इसे अपने सर का ताज बनाऊं !
उसने फूल तोड़ने को हाथ बढ़ाया,
उसी समय एक झोंका हवा का आया,
फूल टूट कर हवा के साथ चला,
कुछ दूर पर था एक सैनिक खड़ा !
फूल उसके सीने से जा लगा,
जैसे सीने पर बहादुरी का एक और मैडल आ लगा !
सैनि जा रहा था आतंकियों से लड़ने,
देश की जनता को निर्भय करने !
उसने तीन आतंकी मारे,
बाकी दुश्मन भाग गए सारे,
भागते भागते दुश्मन ने गोली चलाई,
वो सीने पर अटके फूल से टकराई,
पंखुड़ियां बिखर गयी,
पर जाते जाते सैनिक को,
दे गयी जिन्दगी एक नयी !

मेरी कहानी (अठाईसवां भाग)

२००७ ई० में मैं अपने परिवार के साथ मथुरा वृन्दावन गया, वहां भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का स्मृत चिन्ह जो वृन्दावन की कण कणों में विद्यमान है के दर्शन किए ! रास लीला मंदिर आज भी उतना ही सजग है जितना भगवान के बाल लीला काल में था ! देश विदेशों के लाखों नर नारी मस्त हो कर हरे राम हरे कृष्ण की ध्वनी के साथ ऐसे नाचते हैं की तन मन की सुध बुध भूल जाते हैं ! यहाँ तक की बृद्ध भी लगातार एक ही लेय ताल में मस्त हो कर नाचते नजर आते हैं ! यमुना का तट, कदम की डाली, गोवर्धन पर्वत मौन होकर भगवान श्री कृष्ण के आने का इन्तजार कर रहे हैं ! आवादी बढ़ गयी, यमुना का जल दूषित हो गया, मंदिरों के साथ साथ मल्टी स्टोरीज बिल्डिंगे भी बड़ी मात्रा में बन गयी हैं ! दुकाने , हट, रेडी वाले, ठेली वाले, रिक्से बड़ी मात्रा में हर नुकर और हर गली में मिल जाएंगे ! वृन्दावन में बन्दर हर पेड़ और हर मकान की छत पर या खिड़की पर बैठ मिल जाएंगे ! ये आपको कोई नुकशान नहीं पहुंचाएंगे, हाँ चश्में को जेब में ही रखें ! मुझे भी किसी सज्जन ने वृन्दावन में प्रवेश होने से पहले ही चेतावनी दे दी थी की बन्दर आँखों से चस्मा उतार देते हैं ! लेकिन शायद मैं भूल गया था और मार्केट से गुजरते हुए मैंने चस्मा आँखों पर लगा लिया ! अचानक कहीं से एक बन्दर आकर मेरे कंधे पर बैठा और इतमिनान से मेरे चश्मे को आँखों से उतार कर छलांग लगाता हुआ पेड़ पर चढ़ गया ! जब तक मैं संभल पाता, बन्दर पेड़ की ऊंचाइयां नाप चुका था ! सामने बैठे एक दुकानदार ने मुझे कहा "इसको कुछ खिला दो, चस्मा वापिस दे देगा" ! कुछ दूरी पर एक हलवाई से डब्बल रोटी पकोड़ी लाया, हाथ जोड़ कर विनती की, "हे श्री हनुमान जी की सेना के सेना नायक, कृपया अपनी भेंट ले जांय और मेरा चस्मा मुझे लौटा दें " ! और सचमुच चमत्कार हो गया ! बन्दर महोदय चश्मे को मुंह में दबाए छलांग लगाते हुए मेरे सामने आये एक हाथ से मेरा चस्मा मुझे वापिस किया और दूसरे हाथ से डब्बल रोटी पकोड़ी ली और छलांग मार कर पेड़ पर चढ़ गए ! २७ मार्च २००७ ई० को हम पूरे परिवार के साथ शिरडी मंदिर गए, वहीं साईं बाबा के दर्शन किए ! मौसम ठीक था ! बच्चों की परीक्षाएं हो चुकी थी बच्चे भी साथ थे करण, नीतिका, आर्शिया ! निज्जामुद्दीन स्टेशन से रेल द्वारा स्टेशन पहुंचे वहां से मंदिर के लिए बस का सहारा लेना पड़ा ! यहाँ सारी सुविधाएं हैं , अच्छे अच्छे होटल हैं, मंदिर के भीतर ही बहुत सारी दुकाने हैं ! मंदिर के बाहर भी दुकाने हैं लेकिन ये मंदिर सामग्री बहुत मंहगी देते हैं ! सुबह चार बजे बाबा की आरती होती है, इस आरती का विशेष महत्त्व है ! इसलिए बहुत लम्बी लाईन लग जाती है ! मंदिर में ज्योति लगातार जलती रहती है !
दर्शन करने के लिए बहुत कुछ है, बाबा का शयन कक्ष, वह पेड़ जिसके नीचे बाबा पहले आ कर बैठे थे ! कुदरत भी मेहरवान है इस स्थान की खूबसूरती को और बढाने के लिए ! साईं बाबा के नाम का जाप करते हुए हम लोग वापिस दिल्ली आ गए !
पाकिस्तान की भूत पूर्व प्रधान मंत्री और जेड ए भूट्टो की लड़की बेनजीर भूट्टो कही सालों बाद पाकिस्तान वापिस आई थी, २७ दिसम्बर २००७ को किसी निर्दयी आतंकवादी ने उसे गोली का निशान बना दिया ! उसी दिन उसकी मृत्यु हो गयी !
२० मई २००८ मैं अपनी पत्नी के साथ अमेरिका के लिये रवाना हो गया ! २९ जून को ब्रोंक्स जू देखने गए ! यह जू जंगल में है जहां पानी से भरे नाले हैं, आसमान को छूते पेड़, किस्म किस्म के पौधे
, एक तरफ जंगल में मंगल तो दूसरी और विशाल चिड़िया घर है ! हर जानवर के लिए उसकी आदत को ध्यान में रखते हुए लम्बी चौड़ी जगह बांटी गयी है ताकी वह कुदरती माहौल का अनुभव करे ! शेर है तो उसको घूमने फिरने के लिए काफी बड़ा इलाका है ! इसी तरह रीछ के लिए गुफा है ! हाथी ऊँट घोड़े जंगली बकरे, हिरन, जेब्रा, जिर्राफ, दरियाई घोड़ा, मगर, भेडिया, चीते, बाघ, बन्दर सबको उनकी मन पसंद जगह और माहोल दिया गया है ! चिम्पाजी, गोरीला, गिब्बन, गिलहरी जैसी पूँछ वाले बन्दर, रिंग टेल्ड लेमूर, वर्वेट बन्दर, ओरेंज उतांस और भी कही तरह के बन्दर की जातियां इस जू की शान है ! उल्लू की कही किस्में, विभिन्न प्रकार की चिड़ियाएँ इस जू में देखने को मिल जाती है ! एक सिरे से दूसरे सिरे तक जाने के लिए, मोनो रेल, बस या फिर स्काई राइडिंग का इंतजाम है ! हर स्थान पर गाइड है जो हर जानवर और उसकी आदतों की जानकारी पर्यटकों को देता है ! झील हैं उसमें कछुवे हैं मच्छलियां हैं ! अक्वेरियम है जिसमें कुदरती आक्सीजन और पानी का प्रबंध है ताकि जल जंतु स्वछंद हो कर घूम फिर सकें ! हजारों किस्म की तितलियों का एक अलग ही प्रदेश है ! हर स्थान पर रेस्तरां हैं जहां खाने पीने की वस्तुएं मिल जाती हैं ! पूरा जू देखने के लिए पूरा एक दिन चाहिए ! हाथी और ऊँट की सवारी बच्चों के मनोरंजन के लिए हर समय तैयार रहती है !
ओलम्पिक २००८ का आयोजन चीन ने किया और ५१, गोल्ड, २१ सिल्वर, २८ ब्रोंज मेडल के साथ विश्व में नम्बर वन के विक्टरी स्टैंड पर आकर खड़ा हो गया ! अमेरिका, ३६ गोल्ड, ३८ सिल्वर और ३६ ब्रोंज के साथ नम्बर दो पर खिसक गया ! भारत को बहुत सालों बाद अभिनव बिंद्रा ने शूटिंग में एक मात्र गोल्ड दिलाया, बोक्सिंग में विजेंदर और कुस्ती में सुशील कुमार ने ब्रोंज लेकर संतोष कर लिया !
०४ नवम्बर 2008 के दिन अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव हुआ जिसमें पहली बार एक अश्वेत बराक हुस्सेन ओबामा को अमेरिका की जनता ने राष्ट्रपति के लिए चुना ! वे ४७ साल के हैं पेशे से वकील हैं ! १८ नवम्बर २००८ को हम दोनों मिंया बीबी वापिस इन्डिया चले गए !

मुंबई पर आतंकी हमला
२६ नवम्बर २००८ को पाकिस्तान द्वारा पाले गए आतंकियों ने समुद्री मार्ग से आकर अचानक मुंबई पर हमला करके सैकड़ों निर्दोष लोगों की ह्त्या कर दी ! इस जघन्य ह्त्या काण्ड की विश्व भर के राष्ट्राध्यक्षों द्वारा निंदा की गयी ! एक तरफ पाकिस्तान भारत पर शांती वार्ता के लिए दबाव डाल रहा था और दूसरी और उसके सैनिक और ऐ एस ऐ संगठन भारत पर आतंकी हमला करने की साजिस रच रहे थे ! अमेरिका द्वारा दान खाते की रासी से ये आतंकी हथियार गोला बारूद खरीद रहे हैं और "हम तो मरेगे ही पड़ोसी को चैन से नहीं रहने देंगे" का इरादा करते हुए आतंक का माहोल बना रहे हैं ! इन्होने २६ नवम्बर से २९ नवम्बर तक करीब १० वारदातें की जिसमें १७३ लोग मरे, ३०८ घायल हुए ! ताज महल होटल को आग के हवाले कर दिया ! बाक़ी आतंकी तो सारे मारे गए थे एक अजमल कसब नाम का आतंकी को ज़िंदा पकड़ लिया गया था ! ६ मार्च २०१० को ट्रायल कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई ! आजकल हाई कोर्ट में उसके केस की सुनवाई चल रही है ! करोड़ों रुपये उसके खाने पीने सुरक्षा पर लग रहे हैं और अभी पता नहीं है की यह केस कितना और खींचेगा ! उधर पाकिस्तान ने पहले तो मरे और जिन्दे आतंकवादियों को पाकिस्तानी मानने से ही इनकार कर दिया ! जब ज्यादा जोर पड़ा और अंतर्राष्ट्रीय विरादरी में पाकिस्तान की साख गिरने लगी तो उसने मुंबई के आतंकवादियों को पाकिस्तानी नागरिक स्वीकार कर लिया ! अब तो आलम यह है की ये आतंकवादी पाकिस्तान के लिए ही सर दर्द बन गए हैं !

Saturday, August 28, 2010

मेरी कहानी (सत्तायसवां भाग)

२००७ मई के महीने में हम दोनों पति पत्नी यहाँ न्यू योर्क आ गए थे ! ०८ जून २००७ को यहीं मेरा पोता वेदान्त का जन्म हुआ (राजेश-काजल का दूसरा पुत्र) ! यहाँ का मौसम अप्रेल से बदली होने लगता है ! सरदी बर्फ से शुरू होती है और बर्फ के पिघलने के साथ ही समाप्त हो जाती है ! गर्मी यहाँ होती नहीं है लेकिन कभी कभी टेम्प्रेचर बढ़ जाता है ! यहाँ गर्मी आती तो है लेकिन कम ! इस तरह अप्रेल से नवम्बर तक यहाँ घूमने फिरने मौज मस्ती करने का भरपूर आनंद लिया जा सकता है ! नवम्बर से मार्च तक दिल्ली के मौसम से रूबरू होते हैं ! दिल्ली का अपना मौसम तो होता ही नहीं है, राजस्थान में आंधी चली तो पूरा दिल्ली आंधी द्वारा लाया गया बालू और धुंध से घिर जाएगा, शिमला में बर्फ पडी तो शीत लहरों की ठंडी हवाएं दिल्ली वालों को ठिठुरने के लिए मजबूर कर देगी ! दिल्ली वाले अपने गर्म कपड़ों को अप्रेल के महीने तक रेडी मेड रखते हैं ! दिल्ली में एक नदी है यमुना ! शास्त्रों में वर्णित ! यमनोत्री से निकल कर कही ऊंचे ऊंचे पर्वत शिखरों से नीचे उतर कर उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश, हरियाणा के किसानों के खेत खलियानों को हरा भरा करती हुई दिल्ली आते आते तक एक गंदे नाले में परवर्तित हो जाती है ! हरियाणा अगर बचा हुआ पानी यमुना में छोड़ देता है तो गर्मियों में दिल्ली वालों की प्यास बुझ जाती है, नहीं तो बड़े लोगों के बंगलों में तो शुद्ध जल की वर्षा होती रहती है, गरीब जमीन के अन्दर से निकले नमकीन पानी पीकर ही गुजारा कर लेते हैं ! मौसम को देखते हुए हमारा भी प्रोग्राम इसी तरह बनता है मई से नवम्बर तक अमेरिका बड़े बेटे के पास, दिसंबर से अप्रेल -मई दिल्ली छोटे बेटे के पास ! इन्हीं दिनों एक बार वरमोंट अमेरिका का न्यू हेम्पशायर से लगा हुआ प्रदेश की ख़ूबसूरत वादियों को देखने के लिए गया बच्चों के साथ ! वूड स्टोक नामक सिटी एक पहाडी की गोद में बसा हुआ है ! साथ ही एक नदी भी है जो पहाड़ों के शिला खण्डों से टकरा टकरा कर नीचे उतरती है ! हम जरा नदी के साथ साथ और आगे चले गए, वहां नदी विशाल शिला खण्डों से टकरा कर घंने जंगलों के बीच से दिल को हिलाने वाला शब्द करती हुई नीचे उतर रही थी ! नदी के दोनों तरफ पक्की सड़कें हैं, कहीं कहीं पर उन जंगलों में सैलानियों के लिए, हाईकिंग करने का पूरा बंदोबस्त है ! यात्रियों की सुरक्षा का भी पूरा प्रबंध है ! स्थानीय सरकार और जनता ने मिलकर उसे रमणीक बना दिया है की एक बार जाने वाला उस घाटी को बार बार देखना चाहता है ! जंगल में मंगल वाली कहावत चरितार्थ हो जाती है कुदरत की इस अनुपम छटा को देख कर ! एक पर्वत शिला खंड का सहारा लेकर खड़ा था, एक बार तो ऐसा लगा की मैं यहाँ पहले भी आया हूँ, जैसे ये मेरी जानी पहिचानी जगह है ! जितनी उग्रता से नदी पर्वतों से नीचे उतरते हुए होती है उतनी ही शांत वह मैदानों में आकर हो जाती है ! नवम्बर में दिल्ली वापिस चले गए !

Thursday, August 26, 2010

मेरी कहानी ( छब्बीसवां भाग )

राजेश जनवरी २००४ को एक साल के लिए अमेरिका से इंगलैंड चला गया था ! वहां इंग्लैण्ड काजल की ममी डैडी, मेरी लड़की उर्वशी और ध्योता करण और ध्योती नीतिका भी टूर वीजा पर गए ! वहां इन लोगों ने एक महीने खूब घुमाई की ! जनवरी २००५ में राजेश-काजल आत्रेय के साथ वापिस अमेरिका न्यू योर्क आ गए ! मैं अब के अकेला मार्च के महीने में अमेरिका आया बच्चों के पास ! यहाँ लौंग ऐलैंड, मेलविल में फ्लेट लेकर बच्चे रह रहे थे ! उस समय पूरा इलाका बर्फ से ढका हुआ था ! सीत लहरें चल रही थी ! इलाका साफ़ सुथरा और घूमने के लिए काफी अच्छा था ! कालोनी को घेरते हुए एक पगडंडी बनी थी डेढ़ दो किलो मीटर की, इसी पर सुबह शाम घूमने का लुफ्त उठाता था ! सड़क पार अध्या प्रशाद्सिंह एक हिन्दुस्तानी परिवार रहता है ! ये लोग उत्तर प्रदेश जिला प्रताप गढ़ के ठाकुर हैं ! अचानक इनसे मुलाक़ात हो गयी और फिर इनके साथ बहुत ही अच्छे सम्बन्ध बन गए ! काफी घुमाई की, न्यू यार्क शहर, (मैनहट्टन), जहां २००१ में आतंक वादियों ने दो वर्ड ट्रेड टावर गिराए थे वह स्थान भी देखा ! इम्पायर स्टेट की गगनचुम्बी इमारत के ऊपर चढ़ कर जिसमें न्यू यार्क, समुद्र, जंगल आलीशान इमारतें देखी ! यहीं पर एक लघु पिक्चर भी दिखाई गयी ! जिसमें न्यू योर्क का इतिहास, कही टापुओं को मिलाने के लिए समुद्र के अन्दर सुरंगे, समुद्र के ऊपर विशाल पुल, मल्टी स्टोरीज बिल्डिंगे, स्कूल कालेज, विश्व के लोगों का संगम मैनहट्टन, चाइना टाउन, जौहन हाईट (यह भारतीयों की बस्ती है) ! जगमगाता हुआ मार्केट जहां संसार के हर देश का सामान उपलब्ध है ! टाइम स्क्वायर, और बहुत सी गलियाँ, सारे देशों की अम्बेसीज, संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय, पुराने और आधुनिक चर्च, समुद्र की लहरों से खेलने वाले सैलानी सिटी के हर कोने में सुविधावों से लैश बीच, छोटे बड़े जहाज, मोटर बोट, होटल, रेस्टोरेंट, जैसे सारी दुनिया यही आकर बस गयी हो ! भारतीय लोगों के बड़े बड़े स्टोर "पटेल ब्रदर्स, जेवेलेर्स शाप", जहां हिन्दुस्तानियों के लिए अपने देश की सारी वस्तुवें मौजूद हैं !
यहाँ अमेरिका में भारतीय राजपूतों की एक बड़ी "राजपूत सभा" है ! साल में एक बार सारे अमेरिकन राजपूतों की सालाना मीटिंग होती है, कभी न्यू यार्क में तो कभी दूसरे प्रदेशों में ! इस साल मीटिंग न्यू यार्क में ही थी, शेर बहादुरसिंह जी इसके अध्यक्ष थे, उनहोंने हमें भी इस मीटिंग में सामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा था और हमारे परिवार के सारे सदस्य इस मीटिंग में सामिल हुए थे ! तीन या छ महीने में प्रदेश स्तर पर राजपूत सभा की मीटिंगे होती रहती हैं ! मीटिंग शुरू होने से पहले दुर्गा की पूजा का विधान है और एक बार तो एक मीटिंग में श्री एस बी सिंह के अनुरोध पर मुझे ही पूजा करने का दायित्व निभाना पड़ा ! एक बार हनुमान मंदिर में मैंने कविता पाठ किया और लोगों ने कविता की सराहना की ! बल्की उस कविता की चंद पंक्तियाँ मंदिर कमेटी की मैगजीन में भी छापी गयी !
जौलाय में मेरी पत्नी आ गयी थी और मैं अगस्त में दिल्ली चला गया ! पत्नी भी दिसम्बर में दिल्ली आ गयी थी !
मई २००४ ई० के संसद चुनाव में कोई भी सिंगल पार्टी बहुमत में न आने से कांग्रेस के नेतृत्व में यू पी ए ने केंद्र में सता संभाली और डा० मन मोहनसिंह प्रधान मंत्री बनाए गए ! एक सज्जन, ईमानदार, महान अर्थशास्त्री और योग्य शासक मिला था देश को ! जनता खुश थी ! लेकिन जनता को बाद में पता चला की सता का केंद्र बिंदु तो कहीं और है ! मन मोहन सिंह जी, प्रधान मंत्री हैं पर सता का रिमोट कंट्रोल तो कांग्रेस अध्यक्ष के हाथ में है ! मंहगाई, बेकारी का प्रतिशत बढ़ने लगा, गरीबों की संख्या में इजाफा होने लगा, पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा, सता के गलिहारों में भ्रष्टाचार जोर पकड़ने लगा, लेकिन मन मोहन जी की सज्जनता फिर रंग लाई और २००९ ई ० के संसद के चुनाओं में कांग्रेस की यू पी ए को फिर गद्दी दिला दी ! मन मोहनसिंह जी की दूसरी पारी शुरू हो गयी है प्रधान मंत्री की कुर्सी पर !
अक्टूबर २१, २००७ फिर एक बुरी खबर लेकर आया, मेरा चहेरा भाई अवकाश प्राप्त ले.कर्नल मनोहरसिंह दिल का दौरा पड़ने से स्वर्ग सिधार गया ! एक मुस्कराता हुआ चेहरा, एक हंसने हंसाने वाला भाई अचानक हमारे मध्य से चला गया संसार के सारे बंधनों को तोड़ कर ! वह तो चला गया लेकिन सारे परिवार को दुखी छोड़ गया !

Wednesday, August 25, 2010

एक और यात्रा (न्यू योर्क से बोस्टन तक)







२१ अगस्त को अचानक कुछ और ऐतिहासिक स्थानों को देखने का प्रोग्राम बन गया ! बोस्टन (माच्यूसेट्स स्टेट ), न्यू हम्पशायर और वरमोंट की सुन्दर पहाड़ियों और घाटियों को देखने को मन ललचाया, तो फिर क्या था सामान तैयार किया और चल पड़े मंजिल की ओर ! अब के परिवार के सभी लोग जा रहे थे ! राजेश की ऑफिसियल मीटिंग भी थी न्यू हम्पशायर में, इस तरह "एक पंथ दो काज" वाली कहावत को चरितार्थ करने का अच्छा मौक़ा था ! दो पार्टी बनी एक रेल और बस द्वारा और दूसरी पार्टी सीधे कार द्वारा ! मैं और करण बस - रेल द्वारा जाने के लिए तैयार हो गए ! राजेश बच्चों के साथ कार से चल पड़ा ! यहाँ अमेरिका में कही बार आ चुका हूँ, कही जगह घूम भी चूका हूँ लेकिन केवल कार द्वारा ही सफ़र किया है ! यह पहला अवसर था अमेरिकन बस और ट्रेनों, मेट्रो में सफ़र करने का ! यहाँ अपने घर से कुछ ही दूरी पर पड़ता है फार्मिंगडेल रेलवे स्टेशन, हमने इस स्टेशन से ११ बजे वाली ट्रेन पकड़ी और बाथापेज, हिक्सविल्ल होते हुए जमैका पहुंचे ! यहाँ की ट्रेनों में कोई बड़ा छोटा नहीं है ! सब की सीटें एक जैसी हैं गद्दीदार और आराम दायक ! बाथ रोम साथ सुथरे और आधुनीक सुविधाओं से लैस ! भीड़ भी नहीं थी ! सरकारी कर्मचारी सतर्क और अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार रहते हैं, ड्यूटी के समय तन - मन से ड्यूटी और छुट्टी का समय बिना किसी चिंता के मस्ती से छुट्टी का आनंद लेते हैं ! जमैका से हमने मैनहट्टन तक मेट्रो पकड़ी और एक बजे चायना टाउन न्यू योर्क सिटी पहुंचे ! यहाँ पर बोस्टन जाने के लिए लकी स्टार नामक एजेंसी की बस खडी थी, हमारे बैठते ही बस चल पडी ! रास्ते में जंगल पहाड़ियां, नदी नाले, लम्बे चौड़े घास के मैदान आते गए, और हम कुदरत के इन हसीन नजारों का अवलोकन करते हुए आगे बढ़ते रहे ! बस में आराम दायक सीटें थी ! अमर्जेंसी में बस के अन्दर ही बाथ रोम की व्यवस्था है ! ड्राइवर- क्लीनर अच्छे गाइड भी थे, हर सिटी और कस्बे के बारे में जानकारी देते रहते थे ! यात्रियों के साथ उनका व्यवहार मित्रता पूर्ण था ! साढे चार घंटे की यात्रा सहज और आराम दायक लगी ! पौने पांच बजे हम लोग बौस्टन बस स्टेंड पर पहुंचे ! राजेश हमारा इंतज़ार क्वींसी मार्केट पर कर रहा था ! वहां जाने के लिए हमें सुरक्षा गार्ड ने रेलवे स्टेशन से ट्रेन लेने की सलाह दी ! स्टेशन पर हमें ट्रेन के गार्ड से ही भेंट हो गयी ! गाडी तैयार खडी थी, उसने हमें उसमें बैठने के लिए कहा ! हम स्टेशन की तरफ टिकट लेने के लिए जाने लगे, उसने रोक दिया और कहा, "एक स्टेशन के लिए आपको टिकट लेने की जरूर नहीं है " ! हम बिना टिकट के ही बैठ गए, टिकेट चेक करने वाला आया, उसे गार्ड ने हमारे बारे में पहले ही बता दिया था, उसने हमसे कुछ नहीं पूछा और आगे चला गया ! उनके मित्रता पूर्ण व्यवहार से हमें अपना भारत याद आया ! क्या हमारे रेलवे कर्मचारी भी विदेशी यात्रियों से ऐसा ही मित्रता पूर्ण व्यवहार करते हैं ? एक प्रश्न पूछते हैं हम अपने आप से अपने चरित्र के बारे में ! हम क्वींसी मार्केट पहुंचे वहां पर राजेश का दोस्त पंकज अपनी पत्नी दीपा और दो बच्चियों रैना और रिया के साथ खडा था ! उसने हमें क्वींसी मार्केट और बोस्टन की जानकारी दी !
बोस्टन अमेरिका के इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है ! स्वतंत्रता का पहला बिगुल यहीं से बजा था ! क्वींसी मार्केट के सामने वाली बिल्डिंग में ही पौल रेवियर के नेतृत्व में स्वतंत्रता सेनानियों की मीटिंग चला करती थी, यहीं पर ब्रिटिश आर्मी के खिलाफ मोर्चा बंधी की योजना बनती थी ! पौल रेवियर यहाँ की जनता में बहुत मशहूर है और लोग आज भी उसके कारनामें अपने बच्चों को सुनाते है ! एक घटना के मुताबिक़ अंगरेजी सेना अगले दिन पौल रेवियर और उसके साथियों के ऊपर अचानक हमला करने की योजना बना रहे थे, वहीं एक १०-१२ साल का लड़का अंग्रेजों के अस्तबल में काम करता था, उसके कानों में बात पड़ गयी ! वह लड़का रात को ही पौल रेवियर के पास आया और उसे अंग्रेजों के षडयंत्र की जानकारी दे दी ! सरदी का मौसम चारों ओर बर्फ ही बर्फ, पौल रेवियर ने बर्फ के ऊपर घोड़े में बैठ कर पूरी रात सारे साथियों को होशियार कर दिया, अपने हथियार और गोला बारूद को सुरक्षित जगह पर छिपा दिया ! अगले दिन सबेरे ही अंगरेजी सेना वहां पहुँची लेकिन यहाँ तो स्वतंत्रता सेनानियों की पूरी तैयारी थी ! ब्रिटिस सेना को मुंह की खानी पडी ! यहाँ पर देखने को बहुत कुछ है, विशाल समुद्र में बोट मोटर बोट की सैर, अक्वेरियम जहां हर तरह के जल जीव और बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी मच्छलियाँ यहाँ देखने को मिल जाती हैं ! गगन चूमती इमारतें, होटल, रेस्टोरेंट, रंग बिरंगे फूलों से लदे बाग़ बगीचे, लम्बे चौड़े पार्क, हरे भरे जंगल बच्चों के मनोरंजन के लिए हर प्रकार की सुविधाएं यहाँ मौजूद हैं ! शुक्रवार शाम से और इतवार के ६ बजे तक यहाँ मेला लगा रहता है, लगता है जैसे सारी दुनिया यहीं आकर इकट्ठा हो गयी है ! इन दिनों होटलों में कमरे भी नहीं मिलते पहले ही बुक हो जाते हैं ! रात को पंकज के पास रहे !
ह्वाईट माउन्टेन
अगले दिन यानी २२ अगस्त को हम सब लोग न्यू हम्पशायर ग्रीन लीफ इस्टेट्स पंकज के घर से उत्तर की ओर चल पड़े ! दो घंटे के बाद हम ह्वाईट माउन्टेन एरिया में थे ! यहीं से हम बस में बैठे और बस ने हमें दो मील पर जाकर उतार दिया ! उसके बाद एक पहाडी नाले के साथ साथ आगे बढे ! रास्ता सुविधाजनक था ! हमारे साथ चार बच्चे थे वेदान्त तीन साल का था वह भी हमारे साथ चल रहा था ! सबसे छोटी रिया थी जो अपनी मम्मी की गोदी में ही रही ! नाले के दोनों किनारों में सीधी चट्टाने थीं ! बाईं तरफ की चट्टान के साथ साथ लकड़ी का पुल बना था जो करीब आधा मील लंबा था और नाले के साथ साथ ऊपर उठता जा रहा था ! इस नाले पर दो झरने भी मिले करीब १५-२० फीट ऊंचाई से गिरने वाले, जो इस संकरी घाटी में कुदरत के करिश्मों का बयान कर रहे थे ! ऊंचे ऊंचे पेड़ों और विभिन प्रकार के पौधों से घिरा हुआ जंगल उठती हुई चट्टानें यही तो है व्हाईट माउन्टेन, धरती के ऊपर कुदरत का करिश्मा ! हम लोग हाईकिंग कर रहे थे और रास्ते में भालू की गुफा, भेडिये की गुफा को देखते हुए आगे बढ़ रहे थे ! इस पहाडी से दो नाले निकलते हैं जो कहीं कहीं ऊंचाई से गिरने पर प्रपात बनाते हैं और सैलानियों का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं ! विशाल शिला खण्डों के ऊपर से गुजरता है विशाल जल राशि जो आगे चल कर नदीं में मिल कर एकाकार हो जाती है ! दूर बहुत दूर दिखाई देता है क्षतिज जहां ये पहाडी श्रृंखलाएं मिल जाती हैं नीले आकाश से ! आसमान बादलों से ढका था, कभी कभी हल्की हल्की बुँदे गिरने लगती थी ! एक सिरे से दूसरे सिरे तक का पहाडी सफ़र कभी चढ़ाई तो फिर उतराई पूरी करके हम वापिस घर की ओर चल पड़े, पंकज के घर !




एक लेख के अनुसार २५००० साल पहले (आईस एज) बर्फीले युग के बाद बर्फ के पिघलने से बनी है ये घाटियाँ, झीलें चश्मे ! विशाल शिला खंड भी बर्फ से कटे हैं ! १८०० ई० के बाद यहाँ सैलानी इन खूबसूरत वादियों और पर्वत श्रृंखलाओं को देखने के लिए आने लगे ! मूस यहाँ का एक बहुत बड़ा पापुलर जंगली जानवर है ! यह बारहसिंघे की नसल का है लेकिन उससे बड़ा और ताकतवर है ! हम तो नहीं देख पाए लेकिन कहते हैं शाम को सडकों पर आजाते हैं ! न्यू हम्पाशायर और कनिटिकट की नदी जो वरमोंट और हम्पशायर की सीमा है के आस पास के इलाके में भी मूस मिल जाते हैं ! २३ अगस्त को बच्चों को एक ऊंचे पर्वत के समतल स्थान पर ले गए, वहां म्यूजियम, रौलर कास्टर रेल और दूसरे और भी कही चींजे बच्चों दिखाई और उनका मनोरंजन किया ! २४ अगस्त को हम लोग वापिस अपने घर आगये !