Tuesday, August 31, 2010

मेरी कहानी (उन्तीसवाँ भाग)

मौसम बदलता है, तारीखें बदलती हैं, सरकारें बदलती हैं ! लेकिन आस्था नहीं बदलती, सभ्यता-परम्पराएं नहीं बदलती ! इंसान कभी कभी इतनी गलती कर देता है की कुदरत से छेड़ छाड़ कर बैठता है और फिर उसके कोप का भाजन बनना पड़ता है पूरी मनुष्य जाति को जीव जंतु समुदाय को ! जंगल कट गए, ईंटा रेत पत्थर से ऊंची ऊंची बिल्डिंगे बन गयी, ऊर्जा का इस्तेमाल इतना ज्यादा होने लगा की वातावरण में गर्मी से कुदरती लाखों करोड़ों साल पुराने ग्लेसियर पिघलने लगे ! समुद्र में पानी का स्तर बढ़ने लगा, नदी नाले धीरे धीरे सुखने लगे हैं ! कहीं भूकंप, कहीं बाढ़ तो कहीं ज्वाला मुखी अपना विकराल रूप दिखलाने लगता है तो दूसरी और इंसान अपने दिमाग परमाणु , हाईड्रोजन बमों को बनाने और उनका परीक्षण करने में लगा रहा है ! एक तरफ इंसान विकास की ऊंचाइयां नापते हुए विश्व को स्वर्ग बनाने की कोशीश कर रहा है तो दूसरी और प्रदूषण का दुष्ट राक्षस अपनी दुष्ट प्रवृतियों के साथ इस धरती के अस्तित्व को ही समाप्त करने में लगा है ! इंसान के ऊपर कुदरत की मार कम है की इंसान भी इंसान का दुश्मन बन कर उसको सताने में लगा है, कभी आतंकवादी बन कर तो कभी, नक्शल वादी-मावोवादी बन कर ! विश्व के बड़े बड़े वैज्ञानिक, समाज सेवक, समय समय पर अपने लेखों द्वारा लोगों को चेतावनी देते हैं ! अभी हाल ही में विश्व के राष्ट्राध्यक्षों, शासक प्रशासकों और वैज्ञानिकों की एक बैठक हुई थी कैपन हेगन में इस विषय पर कि "प्रदूषण को कैसे रोका जाए" ? विकशित और अविकसित देशों का कहना था कि विकशित देश ऊर्जा का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं और परियावरण को दूषित ऊर्जा की ज्यादा खपत कर रही है ! अमेरिका और यूरोप के विकशित देश ऊर्जा की ज्यादा खपत पर रोक लगा दें, बढ़ता हुआ प्रदूषण रुक जाएगा ! बैठक बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गयी ! उत्तरा खंड में चीड के बहुत सारे जंगल हैं ! पतझर में चीड की बहुत सारी पतियाँ (pine needles) झर जाती हैं, रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं, इसमें फिसलन ज्यादा होती है, लोगों को इसके ऊपर चलते समय फिसलन से चोट लगने का भी खतरा रहता है ! सबसे बड़ा खतरा यह आग जल्दी पकड़ता है, और आग से हर साल जंगलात डिपार्टमेंट को करोड़ों का नुकशान हो जाता है ! साथ ही उत्तराखंड में एक लैंटाना नामक पौधे ने खेतों के खेत बर्बाद कर दिए हैं, नदी और नालों में जहाँ देखो इसकी सुरसा जैसी बढ़ती झाड़ियाँ मिल जाएँगी ! यह बढ़ते बढ़ते झाडी का रूप ले लेता है और अपने इर्द गिर्द कुछ भी पनपने नहीं देता ! इससे इतनी बदबू आती है की जानवर भी इसके नजदीक नहीं जाते ! इन दोनों का सही इस्तेमाल करने के लिए मेरे दोनों बेटों ने (राजेश-ब्रिजेश) ने कोटद्वार, पौड़ी गढ़वाल में एक फैक्टरी खोली है, "ऊर्जा रेनेवेवल सोलुसन प्राइवेट लिमिटेड" के नाम से ! यह फैक्टरी चीड की पत्तियों और लेंटाना की सुखी झाड़ियों का मशीन द्वारा पौउडर बनाकर दूसरी मशीन से फायर ब्रिकेट तैयार करती है ! ये फायर ब्रिकेट ईंट बनाने वाले भट्टों में कोयले की जगह इस्तेमाल किये जा सकते हैं (हो रहे हैं) होटलों में गैस की जगह इस्तेमाल हो रहे हैं ! इससे वातावरण में कार्वन डाईआक्षाईड को रोकने में मदद मिलती है ! कंपनी होटलों को स्मोक ल्यस चूल्हे भी देती है ! प्रदूषण को रोकने के इस कदम पर अभी तक जर्मनी और स्वीटजरलैंड के पत्रकार भारत आकर कंपनी के इस कदम से काफी प्रभावित हुए हैं और उनहोंने अपनी रिपोर्ट न्यूज चेनल से विश्व के सब देशों तक पहुंचा दी है !
2008
ई० अपना कार्यकाल समाप्त करके विश्व के कलेंडर से निकल गया और साल २००९ ने नए वर्ष का ताज सिर पर धर लिया ! १६ फरवरी २००९ ई० को मेरे घर में खुशियों का माहोल था, मेरे पोता आर्नव (ब्रिजेश-बिन्दु का लड़का) का जन्म हुआ था ! बड़ी लड़की और छोटा लड़का ! ईश्वर इन्हें कुशल रखे !

यह साल भी विरासत में बहुत कुछ साथ लाया है ! २००१ संसद के ऊपर हुए आतंकी हमले का सबसे बड़ा गुनाहगार अफजल गुरु जिसको सुप्रीम कोर्ट काफी दिन पहले फांसी की सजा दे चुकी है, अभी भी जनता के पैसों पर ऐस कर रहा है ! कहने को तो जेल में है लेकिन उसे जेल में भी वी वी ऐ पी ट्रीटमेंट मिल रहा है ! "जेड " सुरक्षा, टी वी, न्यूज पेपर, अब्बल दर्जे का मन पसंद खाना, मिल रहा है इस खतरनाक मुलजिम को ! उसने राष्ट्रपति से दया की मांग की है और केंद्र सरकार कोईं न कोई बहाना बनाकर इसको लटकाए हुए है ! सरकार की इस बेरुखी से कमलेश कुमारी (सी आर पी की लेडी कांस्टेबल ) जो इस हादसे में मारी गयी थी और उसे मरणोपरांत अशोक चक्र से अलंकृत किया गया था के परिवार वालों ने अपना रोष जाहिर करते हुए यह पीस टाईम का सबसे बड़ा वीरता का चक्र अशोक चक्र सरकार को वापिस लौटा दिया है !

तिरुपति मंदिर की यात्रा
कही दिनों से मन में एक इच्छा जाग रही थी की एक बार आंध्रा प्रदेश जाकर तिरुपति मंदिर में तिरुपति भगवान् के दर्शन करूं ! तिरुपति भगवान ने मेरी प्रार्थना स्वीकार कर दी और मुझे परिवार के साथ तिरुपति जाने का अवसर मिल गया ! १८ अप्रेल को मैं पूरे परिवार के साथ जेट एयर वेज से बैंगलौर गया ! बैंगलौर जाने का यह मेरा पहला अवसर था, साफ़ सुथरा और प्लानिग से बना शहर
बैंगलौर सचमुच में बड़ा खूबसूरत और आकर्षक है ! बड़े बड़े तकनीकी कालेज हैं, मेडिकल कालेज हैं, विदेशी कम्पनियाँ और मार्केट के आने से बंगलोर भारत का एक मशहूर शहरों में गिना जाने लगा है ! वहा हम लोग बी एस एफ के आफिसर्स म्यस में रहे ! कंटोमेंट एरिया देश के हर शहर की शान होती है वैसे ही बंगलौर का कैंट एरिया भी साफ़ सुथरा, बाग़ बगीचे और हरे भरे पार्क, सड़कें इसकी सुन्दरता को और भी बढ़ा देते हैं ! अगले दिन ७० किलो मीटर दूर रामगढ़ गए, यहीं पर सबसे मशहूर फिल्म 'शोले की शूटिंग हुई थी, इस तरह इस स्थान का महत्त्व और भी बढ़ गया है ! इसके बाद हम लोग मशहूर इतिहास का जाना पहिचाना शहर मैसूर गए ! टीपू सुलतान की राजधानी चारों और पहाड़ियों से घिरा हुआ मैसूर का किला, और उस किले में उस जमाने की धरोहर, टीपू सुलतान की तलवार, दीवारों पर उस जमाने की चित्रकारी देखने का लुफ्त उठाया ! यही चौमुंडादेश्वरी का मंदिर , नंदी और शिव मंदिर, लक्ष्मी रमण स्वामी मंदिर, वृदावन गार्डन, पार्क, लेक और उसमें बोटिंग का आनंद लिया ! कावेरी नदी इस शहर को वरदान है ! इसके किनारे का हरा भरा सुसज्जित रंग बिरंगे फूलों से सजा बगीचा यहाँ की शान है ! २० अप्रेल को हम लोग बंगलौर बस अड्डे से वोल्वो (स्टेट गवर्मेंट की बस) बस द्वारा तिरुपति बस टर्मिनल पर पहुंचे ! वहां से दूसरी बस द्वारा ४० किलो मीटर दूर एक पहाडी के ऊपर बालाजी का , विशाल और देश का सबसे धनाड्य मंदिर में पहुंचे ! इस पहाडी के ऊपर ही एक विशाल मैदान है, जहां एक अलग शहर बसा है मंदिर को चारों ओर से घेरे हुए ! मंदिर है बहुत बड़ा सजा सजाया बाजार है, लम्बी चौड़ी सड़कें हैं, इन पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए बसे हैं, पुलिस और सुरक्षा कर्मियों का बड़ा दल यहाँ हर समय मौजूद रहता है ! यहाँ होटल हैं, रेस्तरां हैं ! मंदिर पूरा सोने से मढा हुआ है, हर दरवाजे सोने के हैं, गुम्बद सोने की है ! हर तरफ सोना ही सोना ! साल के बारह महीने यहाँ भीड़ रहती है ! शाम को चार बजे मंदिर गेट पर पहुंचे, मुख्य पुजारी चौक के बीच में बड़े ज्योति पुंज के प्रकाश में बालाजी भगवान की आरती उतार रहे थे और यह दृश्य हमारी आँखों के सामने था, लाखों दर्शनार्थी लाईनों में खड़े हाथ जोड़ कर आरती का आनंद ले रहे थे ! आरती को बहुत ही नजदीक से देखने का लाभ उठाया ! अगले दिन फिर पुलिस गार्ड की निगरानी में मंदिर के अन्दर जाकर एक गज की दूरी से बालाजी विश्व नाथ भगवान् के दर्शन किये, उनसे सुख और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान माँगा और प्रशाद ग्रहण करते हुए मंदिर से बाहर आये ! प्रशाद बड़े बड़े लड्डू थे और बड़े स्वादिष्ट थे ! २१ अप्रेल को चिन्नई पहुंचे, वहां भी होटल बुक था। वहां से २२/०४ को पांडु चेरी पहुंचे, वहां समुद्र का नजारा देखा, लोटस मंदिर, अरविंदो आश्रम, गणेश मंदिर, गांघी बीच महाबलेश्वर मंदिर के दर्शन करते हुए शाम को वापिस चेन्नई अपने होटल पहुंचे, रात को आराम किया और २३ तारीख को बालाजी तिरुपति भगवान को स्मरण करते हुए विमान द्वारा दिल्ली वापिस आ गए !

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