Monday, August 30, 2010

एक फूल चमेली का

चमेली का फूल था खिला
एक सुन्दर बाग़ में,
हंसता खिल खिलाता,
हिलता मुस्कराता,
खुशबू बिखराता ,
जिसकी भी नजर पड़ती,
देखता ही रह जाता !
विधाता ने लिखा था,
यह चमेली के भाग में ! १ !
सजती संवरती,
एक राज कुमारी उस बाग़ में आई,
फूल की सुन्दरता पर ललचाई !
सोचा इसे अपने गजरे में सजाऊँ,
इसे अपने सर का ताज बनाऊं !
उसने फूल तोड़ने को हाथ बढ़ाया,
उसी समय एक झोंका हवा का आया,
फूल टूट कर हवा के साथ चला,
कुछ दूर पर था एक सैनिक खड़ा !
फूल उसके सीने से जा लगा,
जैसे सीने पर बहादुरी का एक और मैडल आ लगा !
सैनि जा रहा था आतंकियों से लड़ने,
देश की जनता को निर्भय करने !
उसने तीन आतंकी मारे,
बाकी दुश्मन भाग गए सारे,
भागते भागते दुश्मन ने गोली चलाई,
वो सीने पर अटके फूल से टकराई,
पंखुड़ियां बिखर गयी,
पर जाते जाते सैनिक को,
दे गयी जिन्दगी एक नयी !

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