Tuesday, October 26, 2010

हम कितने भारतीय हैं ?

कभी कभी बड़ा अजीब सा लगता है जब हम लोग अमेरिका, इंगलैंड, फ़्रांस, जापान और चीन में अपना परिचय देते हैं, की हम बंगाली हैं, हम पंजाबी हैं, मद्रासी, आंध्र प्रदेश, करनाटक, गुजरात, यूं पी, मध्य प्रदेश के हैं ! विदेशी पूछते हैं की ये देश कहाँ है अभी तक सुना ही नहीं है ! फिर हम कहते हैं हम भारत के हैं और ये उसके प्रदेश हैं ! तो पहले ही हम यह क्यों नहीं कहते की हम भारतीय (इन्डियन) हैं ! अब भारत में रहने वाले लोगों की ही झलक देख लें ! देश आजाद हुआ, सरदार बल्लभ भाई पटेल के अथक परिश्रम से हिन्दुस्तान की एक तस्वीर बनी, उत्तर में काश्मीर, दक्षिण में रामेश्वर, पूरब में अरुणाचल प्रदेश और पश्चिम में गुजरात ! सन १९४८ ई० में पाकिस्तान ने भारत से खैरात में लिए गए पचास करोड़ रुपयों से हथियार खरी दे और काश्मीर पर अटैक कर दिया ! मुंह की खाई और उसे अपनी हैसियत का भी पता लग गया ! लेकिन यहाँ एक गलती हो गयी, की नेहरू जी ने भारतीय सेना को बीच में ही सीज फायर करने का आदेश दे दिया ! उस समय भारतीय सेना आगे बढ़ रही थी, अगले २४ घंटों में पूरा काश्मीर पर तिरंगा फहरा दिया जाता, लेकिन इस अचानक के सीज फायर ने एक ऐसी समस्या खडी कर दी कि समस्या तो सुलझाने के बजाय और उलझ गयी और सन १९४८ ई० से आज तक हजारों मासूम और सेना के जवान काश्मीर की भेंट चढ़ गए ! समस्या ज्यों क़ि त्यों ! ये समझ में नहीं आया क़ि हमने काश्मीर समस्या को यूं एन ओ में क्यों दिया ? यूं एन ओ ने पाकिस्तान को आक्रमण कारी घोषित करने की जगह भारत पर ही प्रेशर डालना शुरू का दिया की वहां जनमत कराओ ! भारतीय सरकार ने काश्मीर को एक अलग स्टेटस देकर वहां की आम जनता के लिए सस्ता राशन, ईधन, शिक्षा और विकास कार्यों के लिए एक अलग ही आयोग गठित किया है !
सन १९६५ ई० में पाकिस्तान ने हिन्दुस्तान पर आक्रमण कर दिया अमेरिका से मिले दान के हथियारों से ! भारत जब जीतते हुए लाहोर तक पहुँच गया तो यूं एन ओ का प्रेशर फिर भारत पर पड़ने लगा सीज फायर करो !
यूं एन ओ ने यहाँ भी पाकिस्तान की शैतानियों को नजर अंदाज कर दिया ! ताशकंद समझौते में भारत पर जोर डाल कर तमाम जीते इलाके पाकिस्तान को वापिस करवा दिए ! १९६२ ई० में चीन ने भारत पर अटैक करके जो इलाके जीते वे इलाके चीन से यूं एन ओ भारत को वापिस आज तक नहीं दिला पाया, उलटा उसे सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बना दिया ! कभी अमेरिका तो कभी ब्रिटेन भारत में काश्मीर के विलय पर उंगली उठा रहा है ! चीन यूं एन ओ की बात नहीं मानता तो यूं एन ओ ने चीन पर कौन सा प्रतिबन्ध लगा दिया ! पाकिस्तान बड़े पैमाने पर हिन्दुस्तान में आतंक वादियों को भेज कर सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार रहा है लेकिन यूं एन ओ चुप
बैठा है ! फिर हमारी ही क्या मजबूरी है कि हम यूं एन ओ की हर बात माने ? भारत देश की एक और विडम्बना देखिए कि हमारे देश के ही नागरिक, लेखक, विद्वान, विचारक महान बनने के लिए देश की ही बुराई करने में ज़रा भी शर्म महशूस नहीं करते ! इनका कहना कि ये लोग काश्मीर की आम जनता से मिले हैं (केवल अलगाव वादी और आतंकवादी) और उनके विचार सुन कर ही वे अपनी लेखनी का पैनापन भारत की अखण्डता पर चुभा रहे हैं ! इन्होंने न तो कभी काश्मीर पंडितों के बहते हुए आंसुओं को देखा न काश्मीर में जीवन और मृत्यु के बीच झूलते हुए सिखों, बौद्धों और बचे हुए हिन्दुओं को ही जाकर पूछा कि वे इस विश्व का स्वर्ग कहे जाने वाले काश्मीर में कैसे रह पा रहे हैं ! अरे वे लोग तो हर रोज सहमे सहमे, डरे डरे किसी भी अनहोनी के इंतज़ार में दिन काट रहे हैं, उनका दर्द इन महान नीरेंद नागर और अरुंधती राय जैसे महान पत्रकारों को नहीं दिखाई देता ! भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्किस्ट तो भारत के न तो कभी थे और न होंगे ! इस विचारधारा के लोग सदा से चीन का समर्थन करते आये हैं लेकिन अन्न भारत का खाते हैं ! अब एक सवाल उठता है की असली भारतीय कौन है? जिन्होंने देश की अखंडता बनाए रखने में अपना सारा जीवन ही समर्पित कर दिया, जिन क़ानून विदों, शासकों ने काश्मीर को भारत में विलय, एक सार्थक कदम बताया, देश के वे असंख्य नागरिक जो काश्मीर को नक़्शे में भारत का प्रदेश के रूप में देख कर गौरवान्वित होते हैं या वे कुछ सर फिरे पत्रकार लेखक जो चंद अलगाव वादियों की नज़रों में महान बनना चाहते हैं और कश्मीर को देश से अलग करके अखंड भारत के नक़्शे पर ही अपनी गंदी उंगली उठाते हैं ?

2 comments:

  1. bahut gahrai ke saath kashmeer ki samasya ka vishleshan kiya hai.is desh me ab vo hi dharam-nirpeksh hai jo hinduon ke khilaaf hai.

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  2. प्रशंसनीय पोस्ट .

    कृपया ग्राम चौपाल में पढ़े - " भविष्यवक्ता ऑक्टोपस यानी पॉल बाबा का निधन "

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