११ मार्च २०११ जापान के लिए विश्व युद्ध में हुई बरबादी से भी बड़ी बरबादी लेकर आया ! पहले ९ स्केल पर भूकंप ने सारे जापान को हिला दिया ! फिर समुद्र की गहराई से उठा सुनामी नामक राक्षस जो जापान के करीब २२५ स्क्वायर किलो मीटर के इलाके को समूल नष्ट कर गया ! सुनामी की भयंकर लहरों में मकान, कार, ट्रक, बसें ट्रेन, पानी के माल वाहक और सवारी जहाज तिनकों की तरह पानी की तीब्र धारा में बहती जा रही थी ! रेल की लाईनें उखाड़ दी गयी, पुल, बिजली के खम्बे, लोहे के सयंत्र प्लास्टिक के खिलौनों की तरह इस भयंकर सुनामी बाढ़ में बहते चले जा रहे थे ! यही नहीं ३० मिनट तक चली यह विध्वंस कारी लीला का पटाक्षेप भी नहीं हुआ था की फुकुशीमा शहर में लगे नुक्लेयर प्लांट में भूकंप से दरार पड़ने से धमाका होगया और आग लग गयी ! एक विपदा में फंसे लोग दोहरी मार झेलने को विवस हो गए ! जापान का करीब आधा हिस्से में बिजली गुल हो गयी और कहा जा रहा है की शायद बिजली की लाइनों को फिर से सुधारने में एक महीने के लग भग का समय लग सकता है ! परमाणु सयंत्रो में लगातार के धमाकों से पूरा जापान दहल गया है ! विश्व भर के देश अपने वैज्ञानिकों और आवश्य सामग्री के साथ जापान पहुँचने लगे हैं ! आज तक का अनुमान तौर पर दश ह़जार लोग काल कवलित हो चुके हैं कही लाख घरों की बिजली गुल हो चुकी है, लाखों लोग वे घर बार के तीन दिन से भूखे प्यासे मौत से जूझ रहे हैं !
कुछ देर पहले
अमन था, चमन था,
शांती थी खुशियाँ थी,
चारों ओर बसी बसाई बस्तियां थी,
बड़ी बड़ी हस्तियाँ थी,
कीमती कारें माल वाहक जहाज,
व्यारिक मंडी,
चहल पहल हरी झंडी,
थे शहर जापान के
समृधि स्वाभिमान के,
आसमान छूती इमारतें
थी खडी बड़ी शान से !
ये वही जापान है
गिरता रहा उठता रहा,
हर जख्म को भरता रहा !
भूकंप आया, सब गंवाया,
विश्व युद्ध के बमों ने
सारे जापान को हिलाया !
सब कुछ पटरी पर था,
अचानक ११ मार्च २०११,
नौ स्केल पर भूकंप आया,
प्रगति की हर मीनार को
उस दुष्ट दानव ने हिलाया,
फिर उठी सागर से लहरें,
और सुनामी बाढ़ ने
उत्तरी इलाके को बहाया !
हजारों मरे, लाखों हुए वेघर,
हर तरफ विनाश लीला,
अब है नुक्लियर बमों का डर !
हे मानव अब संभल जा, कुदरत से अब न टकरा,
वो तुझे खबरदार करता तेरे पल्ले कुछ न पड़ता,
उसकी सम्पदा को तू मिटाता जा रहा है,
और तेरे दुष्कर्मो से उसे गुस्सा आ रहा है ! (हरेंद्रसिंह रावत)
हजारों साल पहले माया कलेंडर ने एक भविष्य वाणी की थी, की २५ दिसम्बर २०१२ का दिन सारे विश्व के लिए बड़ा मनहूश होगा, प्रलय नामक राक्षस सारी धरती को निगल जाएगा ! गीता भी कहती है "हे अर्जुन जब जब धरती पर पाप बढ़ जाता है, चंद चांदी के टुकड़ों के लिए दोस्त दोस्त को मार देगा, बेटा बाप को या बाप बेटे को अपने रास्ते से हटा देगा, बाप-बेटी का रिश्ता बिगड़ जाएगा, रखवाला ही घर का माल उड़ा जाएगा, मंत्री संतरी कुर्सी पर बैठ कर अपनी सरकार पर सेंध लगाएगा, नेता बगुला भक्त बनकर जनता को लूटेगा, गरीबों के खून पशीने से अपने परिवार को पालेगा, दुष्ट हत्यारे, अगवा करने वाले, रिश्वतखोर, जमाखोर, चोर लुटेरे, क़ानून की कुर्सी पर बैठ कर संत फकीरों, गरीबों को सताएगा, तब तब धरती में एक हल चल होती है, कलयुग के पापों से ये धरती अस्ताचल को चली जाती है, प्रलय रूपी बादलों का कहर बरसता है ! सब कुछ बदल जाता और फिर मैं फिर अवतार लेकर एक नयी श्रृष्टि की रचना करता हूँ ! " ॐ नमो भगवते वासुदेवाया !!
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