Saturday, August 20, 2011

अन्ना की अगस्त क्रान्ति (२०११)

रोक सको तो रोक लो कोइ अन्ना हजारे आया है,
लोकपाल बिल लिए हाथ में जनता को जगाया है !
जनता का धन लूटने वालो बहुत सताया जनता को,
जर जमीन भी लूटा तुमने खूब रुलाया जनता को,
केंद्र सरकार में मंत्री सारे भ्रष्टाचारी रिश्वत खोर,
साथ में इनके नौकरशाह मदद में लगा रहे हैं जोर,
जब वोट मांगने आते हैं ये बकरी सा मिमियाते हैं,
एम एल एम पी बनते ही शेर की दहाड़ लगाते हैं !
आया ऊँट पहाड़ के नीचे घड़ा पाप का भर आया,
अन्ना नाम का एक मसीहा देश की जनता ने पाया,
बेदाग़ मसीहा अन्ना हजारे हैं गांधीवाद संत,
सारी देश की धड़कन हैं इनका कोई पन्त !
कांग्रेसी दागी चम्मचों ने वे वक्त का विगुल बजाया !
अन्ना की स्वच्छ छवि पर भ्रष्टाचारी दाग लगाया !
इन वेपेंदे के लोटों ने अन्ना पर कीचड डाला,
दिया जबाव जनता ने इनको डाल गले जूतों की माला !
डर के मारे दागियों ने अन्ना को जेल भिजवाया,
जेल के अन्दर गए हजारे वहां जेलर भी घबराया !
जनता के सैलाव को भय्या ये सरकार झेल पाई,
बाहर जेल से किया अन्ना अकल ठिकाने आई !
अन्ना हैं अनशन पर बैठे राम लीला मैदान में,
फैला रहे हैं जहर दरिन्दे छिप कर कहीं दुकान में,
अगस्त क्रांति का ये दीपक प्रज्वलित शहर और गाँवों में,
देशों और विदेशों में प्रचंड धूप और छावों में !
अन्ना ने दागियों को सविधान का पाठ पढ़ाया है,
लोकपाल बिल लिए हाथ में जनता को जगाया है !

No comments:

Post a Comment