Sunday, October 30, 2011

जहां मौसम भी ताना साह बन जाता है

हाँ यहाँ अमेरिका में मौसम अपनी दादागिरी दिखाता रहता है ! अभी तो अक्टूबर समाप्त भी नहीं हुआ था और शनिवार का दिन २९ अक्टूबर सुबह हलके बादल ! फिर धीरे धीरे बादलों की बड़ी सेना दल बल सहित सारे नील गगन को आच्छादित कर गयी ! पहले हल्की हवाएं चली फिर हल्की बुँदे और फिर बर्फ पड़ने लगी ! यहाँ शनिवार और रविवार की छुट्टी होती है इसलिए हिन्दुस्तानी लोग बच्चों का जन्म दिन या त्यौहार मिलकर शनिवार और रविवार को ही मनाते हैं ! तो इस साल भी २६ अक्टूबर का त्यौहार बहुत सारे साथियों ने एक स्थान में इकट्ठे मनाने का प्रोग्राम बनाया २६ अक्टूबर को ही मेरे पोते आत्रेय का जन्म दिन भी था ! सारे भारतीयों ने २९ तारीख को यह त्यौहार उद्धवीर सिंह के घर पर मनाया ! उसी दिन मौसम की पहली बर्फ गिरी ! सर्दी काफी बढ़ गयी ! हमारी टमाटर और लौकी की बेल सूखने लगी है ! अगले दिन यानी ३० को आसमान बिलकुल साफ़ था लेंकिन ठंडी हवाएं चल रही थी और मखमली हरी घास के ऊपर बर्फ जमी पडी थे ! हम, मैं और मेरी पत्नी जयंती देवी सुबह सबेरे पूर्व की लालिमा से पहले ही उठने वालों में से हैं ! चाहे मौसूम कोई भी रंग बदल दे हमारा रूटीन बना रहता
है ! जिस दिन बारीश होती है हम बाहर घूमने नहीं जा पाते ! आज यानी ३१ अक्टूबर को जब सुबह उठे बाहर हरी घास के ऊपर ऐसा लग रहा था की सफ़ेद चद्दर बिछा रखी हो ! पाला पड़ने लग गया है ! हरे पेड़ पौधे रंगीन बनाने लगे हैं ! पाती लाल गुलाबी हो गए हैं फिर पीले पड़ जाएंगे और फिर सुख कर हवा के झोंखों में दूर चले जाएंगे !
कबीर दास जी का यह दोहा याद आ जाता है - "पता टूटा डाल से पवन गयी उडाय, अबके बिछुड़े कब मिले दूर पड़े हैं जाय ! आज भी १२ बजे के बाद मौसम ने अपना नया रंग दिखा दिया है, आसमान बादलों से ढक गया है ठंडी हवाएं चलने लगी हैं ! इस साल अगस्त के आखीर में अटलांटिक महासागर में तूफानी लहरों ने जन जीवन को काफी प्रभावित कर दिया था, और उसके बाद मौसम में ऐसा बदलाव आया की कभी कभी तो पूरे हफ्ते ही सूर्य भगवान के दर्शन ही नहीं होते ! एक दिन अगर आसमान साफ़ है तो अगले पांच दिनों तक मौसम फिर खराब हो जाएगा ! सर्दी अमेरिका (न्यूयार्क, लौंग ऐलैंड, म्यल विल ) में शुरू हो चुकी है !

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