Wednesday, January 26, 2011

युग द्रष्टा गोकुलसिंह नेगी तीसरा भाग


जब ये झीन्डी चौड गए उस वक्त इनकी चार संतान थी भूपेंद्र सिंह और नरेन्द्र सिंह (दो लडके ) और कमला और सरला (दो लड़कियां)! झिन्डी चौड में तीन लडके धीरेन्द्रसिंह, जीतेंद्र सिंह और गजेन्द्र सिंह, एक लड़की बिमला पैदा हुए ! शरीर से तो गोकुलसिंह जी झीन्डी चौड में बस गए थे, यहाँ आकर पानी की समस्या का निदान करना था, झीन्डी चौड को सड़क द्वारा मुख्य सड़क से जोड़ना था, पोस्ट आफिस, राशन की दुकान, बच्चों के लिए स्कूल खोलना, ये सारे कार्य उन्हें ही अपने बल बूते पर करने थे ! रात दिन एक किया, घर में बच्चों को भी देखा और सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाते लगाते इन सारी समस्याओं को भी एक एक करके सुलझाते रहे ! साथ ही उनका मन रूपी भौंरा उड़ उड़ कर देवीखेत की उन पहाड़ियों में चला जाता था जिसको उन्होंने अपने अथक परिश्रम से दुगड्डा ब्लाक का एक मशहूर रमणीक स्थान बना दिया था ! उनका एक स्वप्न था, देवीखेत को मोटर मार्ग द्वारा चेलूसेन से जोड़ना ! और आखिर उनका वह स्वपना भी साकार हुआ १४ जनवरी सन (मकर संक्राती के शुभ दिन पर) १९८४ ई० को जब यू पी रोडवेज की पहली बस देवीखेत पहुँची और उसी दिन उस समय के रक्षा मंत्री

श्री वी पी सिंह जी (ये बाद में सन १९८९ से १९९१ तक भारत के प्रधान मंत्री भी रहे) हेलीकाप्टर से देवीखेत में उतरे थे ! उस दिन उन्होंने मकर संक्राती के गेंद के मेले का भी आनंद लिया !
उन्हें स्वर्गीय श्री ज्ञानी जैलसिंह द्वारा, जो उस समय के भारत के राष्ट्रपति थे ने ताम्र पात्र देकर सम्मानित किया था ! ये फोटो उसी समय की है !
उन्होंने अपनी सबसे छोटी लड़की बिमला की शादी पेशावर काण्ड के हीरो स्वर्गीय श्री चन्द्रसिंह गढवाली के सुपुत्र के साथ करके गढ़वाल के दो स्वतन्त्र सेनानी परिवारों को आपस में मिला दिया ! उनके बड़े सुपुत्र भूपेंद्र सिंह नेगी आजन्म कम्युनिष्ट पार्टी के जिला स्तर पर जनरल सेक्रेटरी रहे और प्रदेश की सरकार और नेताओं की कुशासन, भ्रष्टाचार, घूस और रिश्वत खोरी के खिलाफ अपने समाचार पत्र "ठहरो" के माध्यम से अपनी आवाज उठाते रहे ! सन १९९७ ई० में अपने काम को अधूरा ही छोड़ कर वे स्वर्ग सिधार गए ! आज उनके अधूरे काम को पूरा करने का संकल्प लेकर उनके बड़े सुपुत्र सुधीन्द्र नेगी अपने समाचार पत्र "ढून्ढूवी'" के माध्यम से आगे बढ़ा रहे हैं ! सन १९९२ ई० में ८९ सालों की संघर्षमय जिन्दगी जीकर वे स्वर्गवासी हुए ! झीन्डी चौड में उनकी झोपडी आज एक पर्यटक स्थल बन गया है ! वे सच्चे देशभक्त थे और जब तक जीए जनता की भलाई और गरीबों को उनका हक़ दिलाने के लिए संघर्ष करते रहे ! देवीखेत में मंदिर की बगल में ही उनकी संग मरमर की प्रतिमा वहां के सभ्रांत स्थानीय लोगों द्वारा लगाई गयी है जो वहां के लोगों का उनके प्रति सम्मान और स्नेह का भाव दर्शाता है ! वे एक सच्चे देश भक्त गरीबों के मसिया, जनता के सेवक, न्याय प्रिय, एक आदर्श युग पुरुष थे, जो आज हमारे बीच नहीं हैं फिर भी उनकी शिक्षा और आदर्श हमें मार्ग दर्शन कराते हैं !

Saturday, January 22, 2011

युग दृष्टा गोकुलसिंह नेगी - भाग दो

देवीखेत ग्राम ढौरी नौबाडी और दिखेत की सीमा पर स्थित पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य घोड़े की काठी जैसी आकृति की बनी एक बहुत ही सुन्दर जगह है ! सन १९४५ ई० तक यहाँ एक प्राईमरी स्कूल ही थी ! प्राईमरी के लिए चौथी कक्षा तक की पढाई होती थी ! चौथी क्लास की परीक्षाएं जिला के शिक्षा विभाग के इन्सपेक्टर की देख रेख में होती थी ! उस जमाने में पांचवीं से सातवीं क्लास को मीडिल कहते थे और इलाके में भ्रीगुखाल, पौखाल और मटियाली ही मीडिल स्कूल थे ! इन स्कूलों में वही बच्चे पढ़ने जा सकते थे जिनके रिश्तेदार इन स्थानों में रहते थे, या कुछ समर्थवान पैसे वाले ही अपने बच्चों को शहरों में भेज देते थे ! एक दिन मेरे मामा जी गोकुलसिंह जी इसी स्थान पर कुछ स्थानीय लोगों के साथ बैठे थे और स्थानीय समस्याओं के बारे में बातें हो रही थी की अचानक उनके दिमाग में एक विचार आया की अगर देवीखेत में ही मीडिल स्कूल खुल जाय तो यहाँ आस पास के बहुत सारे बच्चों को आगे पढ़ने का अवसर मिल जाएगा ! सुझाव तो उपस्थित सब लोगों सुन्दर लगा लेकिन स्कूल की बिल्डिंग बनाने के लिए पैसे कहाँ से आएँगे यह सवाल बड़ा अहम् था ! आनन् फानन में एक स्कूल कमेटी बनाई गयी और श्री गोकुलसिंह जी को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया ! लोगों से समपर्क करना, सक्षम लोगों से डोनेसन लेना और गरीबों से श्रमदान की अपील करना ! शुभ दिन और शुभ मुहूर्त पर स्कूल बिल्डिंग की आधार शिला रखी गयी ! धीरे धीरे स्कूल की दीवारें ऊंची उठती चले गयी
सारे स्थानीय लोगों की मेहनत रंग लाई और सन १९४६ ई० में मीडिल स्कूल की पहली पांचवीं क्लास यहाँ शुरू हुई ! मीडिल स्कूल का पहला दस्ता सातवीं की परिक्षा देने जहारीखाल गया था सन १९४८ ई० में ! और आज यही मीडिल स्कूल इंटर कालेज बन गयी है ! अब तो देवीखेत गढ़वाल के नकशे पर अपनी पहिचान बन चुका था ! स्कूल के प्राणागण में उसके बाद हर साल रामलीला होने लगी और रामलीला कमेटी में मामाजी के अलावा आस पास के गाँव की जानी मानी हस्तियाँ थी ! बहुत सालों तक वे परसुराम की भूमिका निभाते रहे ! सन १९५३ ई० में उन्होंने देवीखेत में नुमायस का आयोजन कराकर तहलका मचा दिया था ! आज तो दुनिया बहुत बदल चुकी है लोगों के पास शिक्षा है, रुपया पैसा है, साधन हैं, बिजली है पानी है, लेकिन वह समय बहुत संघर्षमय था ! पैसा नहीं था, साधनों की कमी थी, सरकार खुद गरीब थी इस तरह सरकारी अनुदान नहीं मिलता था ! किसानों से लगान लिया जाता है, आज तो बहुत सारे लोगों को पता भी नहीं है की लगान किस चिड़िया का नाम है ! इन सारे सामाजिक कल्याण कारी कामों के कारण उनकी पहिचान जिला से लेकर प्रदेश तक हो गयी थी ! जनता का स्नेह और वोट उन्हें मिला और वे जिला बोर्ड के सदस्य चुने गए थे ! उस समय के प्रदेश के शिक्षा मंत्री श्री बलदेवसिंह आर्य को देवीखेत बुलवाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है ! उन्होंने बलदेवसिंह आर्य के साथ चाय नास्ता और भोजन करके छूत अछूत, उंच नीच की दूरी मिटा कर स्थानीय लोगों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया !
दिसम्बर सन १९५३ ई० में उन्होंने अपनी जन्म भूमि ढौरी सदा के लिए छोड़ दी और आ गए भावर झिन्दी चौड ! झिन्दी चौड उन दिनों एक घना जंगल था ! जंगली जानवरों का डर मलेरिया बुखार का खौफ ! उन दिनों मैं भी उनके साथ ही झिन्दी चौड गया था ! दो दिन-रात खुले आसमान के नीचे गुजारे फिर घास पूस की झोपडी बनी ! जंगल काटे गए ! पानी के लिए काफी दूर जाना पड़ता था ! वह समय भी बड़ा संघर्षमय था ! वहां भी उन्होंने समाज कल्याण का काम हाथ में लिया ! सरकारे कार्यलयों के चक्कर लगाए, पानी की व्यवस्था करवाई, सड़क का निर्माण करवाया, पोस्ट आफिस स्कूल खुलवाये !
इस तरह धीरे धीरे दुकाने खुलने लगी, गाँव बसने लगा ! और आज झिन्दी चौड कोटद्वार भावर का एक महत्त्व पूर्ण अंग बन चुका है ! इसके पूरब में पुराणों में वर्णित प्रसिद्ध मालन नदी बहती है और उत्तर में कर्ण्वाश्रम पड़ता है !
आज के झिन्दी चौड को देख कर कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है की ५८ साल पहले यह झिन्दी चौड एक भयानक जंगल मात्र था ! इस झिन्दी चौड को ये नया रूप देने का श्रेय भी श्री गोकुलसिंह जी को ही जाता है ! (बाकी अगले भाग में )

Sunday, January 16, 2011

युग द्रष्टा गोकुलसिंह नेगी

मैं, दुगड्डा ब्लाक, तहसील कोटद्वार, गाँव डाडा, पट्टी अजमिर वल्ला जिला पौड़ी गढ़वाल का रहने वाला हूँ ! मेरे गाँव के सामने से हिंवल नदी बहती है जो चेलुसेंण से निकल कर फूलवारी में गंगा में मिल जाती है ! इस नदी की विशेषता यह है की यह उत्तर से निकल कर गंगा में भी उत्तर में ही मिलती है ! मेरे गाँव के पूर्व में डबराल स्यूं पटी में ग्राम ढौरी पड़ता है, यही मेरा मामा कोट है ! मेरी माँ कौशल्यादेवी के दो भाई थे, बड़े श्री प्रतापसिंह नेगी, जो गढ़वाल की एक जानी पहिचानी हस्ती थी ! वे स्वतंत्रता सेनानी थे और बाद में सन १९७१ से १९७७ तक सांसद रहे ! उन्हीं के छोटे भाई थे श्री गोकुलसिंह नेगी ! दुबले पतले हंसमुख चेहरा, खाली जेब पर दिल के धनी, साधनहीन पर गगन छूने की आकांक्षा, गरीब थे पर अमीरों पर भी भारी पड़ते थे ! पढ़े लिखे ज्यादा नहीं थे पर पढ़े लिखों के प्रेरणा श्रोत थे ! शरीर से कृशकाय पर चट्टान से भी टकराने का इरादा रखते थे ! उनकी वाणी में मधुरता थी, पर जरूरत पड़ने पर जोश से भरी थी ! जब वे स्टेज पर खड़े हो जाते थे तो अपनी वाणी और आकर्षक शब्दों से श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध कर देते थे ! वे स्वतन्त्र सेनानी थे, जेल गए जेल की यातनाएं सही ! वे आम जनता के मसीहा थे, स्थानीय लोगों के ही नहीं बल्की दूर दराज के गाँवों के लोगों के दिलों में भी उनके लिए आदर का भाव था और उनकी सेवा भावनाओं का ही असर था की जनता ने उन्हें डिस्ट्रिक बोर्ड के सदस्य के लिए अपना कीमती वोट देकर अपना प्रेम और समर्थन उन्हें दिया ! वे जन्म से गढ़वाली थे, गढ़वाल की सभ्यता, परम्पराएं, भेष भूषा, लोक गीत और पहाडी संस्कृति उनके रग रगों में समाई हुई थी !
बचपन
श्री गोकुलसिंह जी का जन्म सन १९०३ ई० में पौड़ी गढ़वाल जनपत में डबरास्यूं पट्टी के ढौरी गाँव नंदा नेगी परिवार में हुआ था ! उनके पिता जी का नाम श्री लूंगीसिंह था ! एक जनश्रुति के मुताबिक़ सातवीं
आठवीं शताब्दी के लगभग गढ़वाल और कुमायूं पर कैतूर राजाओं का एक छत्र राज था और मेरे मामा जी के पूर्वज सर्व श्री करमदेव जी कैतूर सम्राट के सेनापति थे ! उनकी वीरता, योग्यता, साम्राज्य के प्रति वफादारी और सच्ची निष्ठा के लिए उन्हें मौजूदा ढौरी गाँव और पूरा डाबर का इलाका जागीरदारी में इनाम के तौर पर दिया गया था ! बाद में डाबर गाँव को श्री करम देव जी ने कुल पुरोहिती में ब्राह्मणों को दान में दे दिया था ! इनकी छट्टी पीढी में हिम्मत सिंह नेगी हुए, उनके लडके का नाम तेगसिंह था ! तेगसिंह के दो लडके हुए, गोपालसिंह, लूंगीसिंह ! गोपालसिंह जी के लडके रणजीतसिंह हुए, वे जंगलात विभाग में रेंज अधिकारी थे और जवानी में ही स्वर्गवासी हो गए थे ! उनके पुत्र वीरेन्द्रसिंह जी आज अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ अपनी पुस्तैनी विरासत की देख भाल कर रहे हैं ! दूसरे लडके लूंगी सिंह जी (मेरे नाना जी) के दो पुत्र सर्वश्री प्रतापसिंह, श्री गोकुलसिंह और एक मात्र पुत्री कौश्यल्या देवी (मेरी माँ) हुई थी ! मेरे बड़े मामा श्री प्रतापसिंह जी नेगी गढ़वाल की महान विभूतियों और स्वतन्त्र सैनानियों की प्रथम पंक्ती के राजनैतिक थे ! उन्होंने सांसद के तौर पर संसद में सन १९७१ से १९७७ तक गढ़वाल का प्रतिनिधित्व किया था ! ३१ दिसंबर सन १९८४ ई० में ८८ साल की उम्र में वे स्वर्गवासी हुए ! इनकी तीन लड़कियां शकुन्तला देवी, सुरवाला और विमला और एक लड़का सुरेन्द्रसिंह हुए ! सुरेन्द्रसिंह जी कोटद्वार पौड़ी गढ़वाल में आज अपने पिता जी के नाम की कालोनी "प्रताप नगर" बसा कर वहीं रह रहे हैं ! प्रतापसिंह जी के छोटे भाई गोकुलसिंह जी जो इस लेख के मुख्य पात्र हैं, इनसे सात साल छोटे थे ! जब ये केवल १५ साल के थे माँ चल बसी, कुछ ही दिन बाद उनके पिता जी भी स्वर्वासी हो गए थे ! बचपन के दिन बहुत कष्ट पूर्ण थे ! इनकी छोटी बहींन कौशल्या देवी का विवाह अजमिर पट्टी, ग्राम डाडा, के निवासी श्री लोकसिंह के बड़े पुत्र श्री बख्तावरसिंह के साथ हुआ था ! उनके तीन लडके और एक लड़की हुई !
सर पर माँ बाप का साया नहीं बड़े भाई श्री प्रतापसिंह जी सहारनपुर में सर्विस करते थे बाद में वे कोटद्वार में ही बस गए और इसी को अपनी कर्म भूमि बना दिया ! इस तरह १५ साल की उम्र में ही उन्होंने जिन्दगी के खट्टे मीठे अनुभव कर लिए थे ! बचपन के पहाड़ जैसे कष्टों को का सामना करते करते उनके इरादे भी चट्टान जैसे ही शक्त और मजबूत हो गए थे ! उन्होंने गरीबों की गरीबी देखी, उनके नादान बच्चों के आँखों में बेबसी महसूस की ! वे स्वयं तो प्राइमरी की पढाई भी नहीं कर पाए थे लेकिन वे आने वाली पीढी के हर बच्चे को शिक्षित देखना चाहते थे ! इनकी पत्नी श्रीमती गायत्री देवी (मेरी मामी जी) ने भी कष्टों की चिंता न करते हुए कदम कदम पर मामा जी का साथ दिया ! कही बार ऐसा भी समय आया की जेब में पैसे नहीं थे, घर में राशन नहीं था, लेकिन चहरे पर हर वक्त एक कुदरती मुस्कान रहती थी जो उनके कष्टों और परेशानियों को ढक दिया करती थी, बड़ी बड़ी मुशीबतें स्वयं ही हार मान कर उनके रास्ते से हट जाती थी ! ये कुदरत का ही करिश्मा था की कठीन परस्थितियों में भी वे घबराते नहीं थे ! देश गुलाम था, आजादी के दीवानों ने गुलामी की जंजीर को तोड़ने के लिए बिगुल बजा दिया था ! मेरे दोनों मामा जी भी कूद गए थे आजादी के इस महासंग्राम में ! आजादी के दीवानों को जेल में बंद कर दिया गया, उन्हें जेल में यातनाएं दी गयी, इन्होंने देश को आजाद करने के लिए सब प्रकार के कष्ट और यातनाएं सही ! १५ अगस्त १९४७ ई० को देश आजाद हुआ लेकिन लाला लाजपत राय, सुभाष चन्द्र बोस, भगतसिंह, चन्द्र शेखर आजाद जैसे शहीदों रक्त से नहा कर ! जो जिन्दा रह गए वे स्वतन्त्र सेनानी कहलाये ! देश में अपनी सरकार बनी और मेरे मामाओं को सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भागीदारी के लिए ताम्र पात्र से सम्मानित किया ! श्री गोकुलसिंह ने स्थानीय लोगों की सहायता से देवीखेत में तिरंगा झंडा फहराकर पहला स्वतंत्रता दिवस बड़े धूम धाम से मनाया ! (बाकी दूसरे भाग में )

Saturday, January 15, 2011

अरे भाई जरा देख के चलो

अरे भाई जरा देख के चलो, आगे ही नहीं पीछे भी,
ऊपर ही नहीं नीचे भी,
देखा भारत ने दूसरे वन डे में दक्षिणी अफ्रीका को कैसे एक रन से हरा दिया ! भारत की तरफ से केवल युवराज ५३ रन बना पाया और धोनी के ३८ रन, सचीन २४ सारे टीम १९० रनों पर सीमिट गयी ! मेरे जैसे कई क्रिकेट प्रेमी धोनी के आउट होते ही कम्बल में दुबक गए ! वो तो भला हो मुंसर पटेल का जिसने ४ विकेट झटक लिए, जहीर खान ने २ विकेट लिए और पूरी अफ्रीका की टीम 43 ओवर में ही १८९ रनों पर ढेर हो गयी ! आज के समाचार आने तक दोनों टीमे एक एक मैच जीत कर बराबरी पर खड़े हैं ! मैच देखने से लगता था की दक्षिणी अफ्रीका टीम काफी मजबूत टीम है, इनकी फील्डिंग, बैटिंग, बौलिंग विश्व के किसी भी देश से बेहतर ही है फिर भी ये आस्ट्रेलिया से क्यों पिछड़ जाता है ? मैच के आखिर में टीम का संतुलन अचानक गड़बड़ा जाता है !
डी डी ए की जमीन पर जबरदस्ती मसजिद बनी, कोर्ट के आदेश से गिराई गयी, लेकिन यहाँ भी राजनीति, क़ानून के धज्जियां उडाई जा रही हैं ! क्या शीलाजी (मुख्य मंत्री), बुखारी क़ानून से भी बड़े हो गए की उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशों को दर किनार करके फिर मस्जिद का ढांचा वहां खडा करने की पेशकश क्र दी ! इस तरह तो कोई भी धार्मिक संस्था किसी भी सरकारी जमीन पर जबरदस्ती मंदिर, गुरद्वारा या चर्च बनाने लगेगा फिर उन्हें कौन रोकेगा ? न्यायालय की अवमानना करने वालों को शक्त से शक्त सजा मिलनी चाहिए !
अभी लोग प्याज की छलांग और महंगाई की ऊंचाइयां ही नाप रहे थे की सरकार ने पेट्रोल की कीमतों में इजाफा करके आम आदमी के जेबों पर फिर कैंची चला दी है ! अरे भाई कांग्रेसी जब तक सोनिया मय्या और राहुल बाबा की माला जपते रहेंगे तब तक महंगाई बढ़ती रहेगी, घोटाला होते रहेंगे, बाफोर गन का जिन्न बार बार बाहर निकलता रहेगा और उसे जबरदस्ती अन्दर बोतल में डाला जाता रहेगा ! थोमस जैसे भ्रष्टाचारियों को ऊंची ऊंची कुर्सी मिलती रहेगी और ईमानदार नौकरशाह /कर्मचारी सिस्कारियां भरते नजर आएँगे ! लेकिन भाइयो यह भारत देश है, जहां पतित पावन पवित्र गंगा बहती है, जो देव भूमि है और यहाँ देवता वास करते हैं जो एक एक दुष्ट, शैतांन, पापी, भ्रष्टाचारी हत्यारे की रिपोर्ट यमराज के दरवार के पाप- पुण्य के लेखा जोखा रखने वाले श्रीमान चित्रगुप्त को देते रहते हैं ! इसी लिए कहते हैं भलाई कर भला होगा, बुराई कर बुरा होगा, कोई देखे या न देखे, ऊपर वाला तो देखता होगा ! जय हिंद, भारत माता के जय

Thursday, January 6, 2011

आज तक की खबर

पुराना साल भ्रष्टाचार की चादर तान कर विदा हो गया ! २०११ नयी उमंगों के साथ विश्व के आँगन में उतर आया ! लोगों ने ३१ दिसंबर की रात्री को जश्न मनाया, नए साल के आगमन पर स्वागत हेतु रंग बिरंगी रोशनियों से सारे घर आँगन, पार्क यहाँ तक बड़े लोगों के आँगन में खड़े पेड़ पौधे भी लाल पीली नीली रोशनियों में नहा रहे थे ! मंत्री संतरी जिन्होंने भ्रष्टाचार की दल दल से हीरा मोती सोना बटोरा था अपने घर के अन्दर छिपे बैठे थे क्योंकि पास पड़ोस वालों को पता लग चुका था और कभी भी सी बी ऐ, आयकर विभाग या विजिलेंस अधिकारी इनके दरवाजों पर दस्तक दे सकते थे ! यह तो इन्हें भी पता है की जब मीडिया में भ्रष्टाचार की खबरें छपती हैं तो सरकार हरकत में आती है, इन बड़ी नाक के भ्रष्ट लोगों को अपने बचाव करने का भरपूर अवसर देती है ! एजेंसियां छापे मारती है करोड़ों का घोटाला उजागर होता है, समय पर सी बी ऐ हो या पुलिस कोर्ट में चार्ज सीट दाखिल नहीं करती और ये बड़ी नाक वाले भ्रष्टाचारी फिर मंत्री की कुर्सी को नापाक करने उस पर जम कर बैठ जाते हैं !
नया साल आया, अमेरिका में पहली जनवरी को पांच हजार पक्षियों और एक लाख मच्छलियाँ मरी पायी गयी ! सरकार ने इन्क्वारी शुरू कर दी है यह पता लगाने के लिए की आखीर इतनी बड़ी संख्या में ये जीव कैसे काल कवलित हो गए ! जब इंसान कुदरत के साथ छेड़ छाड़ करेगा तो नतीजा किसी न किसी को तो भुगतना ही पड़ता है, या गरीब इंसान को या फिर बेजुवां जीव जंतु को !
मेरी बटालियन बीसवीं राज रिफ ३० साल बाद फिर दिल्ली आई है और मुझे अपनी पत्नी के साथ बटालियन का तीसवाँ रेजिंग डे मनाने का अवसर मिला ! तीन दिन तक बटालियन में खूब हल चल रही पुराने लोगों से मुलाक़ात हुई, और पहली से लेकर ३ जनवरी तक हर कार्य कर्म में भाग लेकर चार तारीख को सबसे विदा लेकर वापिस आ गया !
क्रिकेट
भारतीय क्रिकेट टीम आज कल साउथ अफ्रीका गयी हुई है ! पहला टेस्ट मैच साउथ अफ्रीका ने बड़े मार्जिन से जीता और ऐसा लगाने लगा था की भारत की नंबर वन की कुर्सी छीन जाएगी, लेकिन अगले ही मैच ने पासा पलट दिया और भारत ने दूसरा मैच जीत कर सीरिज बराबरी पर ला दिया ! तीसरा मैच ड्राव रहा ! मैच की विशेषता सचीन ने दो सेंचुरी लगा कर अपनी टेस्ट सेंचुरी संख्या ५१ पर पहुंचा दी है ! ११७ (नावाद) और १४६ । खेल प्रेमी सचीन को भारत रत्न देने की पेश कस कर रहे हैं ! आज सचीन तेंदुलकर विश्व के सारे खिलाड़ियों में नंबर वन है !
महंगाई
कमर तोड़ महंगाई ने आम आदमी की जीवन शैली ही बदल दी है ! प्याज सौ रुपये प्रति किलो तक की छलांग लगा चुका है ! प्याज द्वारा निकले आंसू अभी सूखे भी नहीं थे की दूध, पेट्रोल, गैस, सब्जियां और आटा चावल की कीमतें आसमान छूने लगी हैं ! जिस राज में सरकार के मंत्री घोटाले पे घोटाला करते करते सरकारी खजाना खाली कर दें, इसका वित्त मंत्री यह कहकर अपना पीछा छुड़ाने की कोशीश कर रहा हो कि इस महंगाई पर अंकुश लगाने में सरकार असमर्थ है उस देश का तो फिर भगवान ही रक्षक है ! देखते रहिये !