Wednesday, January 26, 2011

युग द्रष्टा गोकुलसिंह नेगी तीसरा भाग


जब ये झीन्डी चौड गए उस वक्त इनकी चार संतान थी भूपेंद्र सिंह और नरेन्द्र सिंह (दो लडके ) और कमला और सरला (दो लड़कियां)! झिन्डी चौड में तीन लडके धीरेन्द्रसिंह, जीतेंद्र सिंह और गजेन्द्र सिंह, एक लड़की बिमला पैदा हुए ! शरीर से तो गोकुलसिंह जी झीन्डी चौड में बस गए थे, यहाँ आकर पानी की समस्या का निदान करना था, झीन्डी चौड को सड़क द्वारा मुख्य सड़क से जोड़ना था, पोस्ट आफिस, राशन की दुकान, बच्चों के लिए स्कूल खोलना, ये सारे कार्य उन्हें ही अपने बल बूते पर करने थे ! रात दिन एक किया, घर में बच्चों को भी देखा और सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाते लगाते इन सारी समस्याओं को भी एक एक करके सुलझाते रहे ! साथ ही उनका मन रूपी भौंरा उड़ उड़ कर देवीखेत की उन पहाड़ियों में चला जाता था जिसको उन्होंने अपने अथक परिश्रम से दुगड्डा ब्लाक का एक मशहूर रमणीक स्थान बना दिया था ! उनका एक स्वप्न था, देवीखेत को मोटर मार्ग द्वारा चेलूसेन से जोड़ना ! और आखिर उनका वह स्वपना भी साकार हुआ १४ जनवरी सन (मकर संक्राती के शुभ दिन पर) १९८४ ई० को जब यू पी रोडवेज की पहली बस देवीखेत पहुँची और उसी दिन उस समय के रक्षा मंत्री

श्री वी पी सिंह जी (ये बाद में सन १९८९ से १९९१ तक भारत के प्रधान मंत्री भी रहे) हेलीकाप्टर से देवीखेत में उतरे थे ! उस दिन उन्होंने मकर संक्राती के गेंद के मेले का भी आनंद लिया !
उन्हें स्वर्गीय श्री ज्ञानी जैलसिंह द्वारा, जो उस समय के भारत के राष्ट्रपति थे ने ताम्र पात्र देकर सम्मानित किया था ! ये फोटो उसी समय की है !
उन्होंने अपनी सबसे छोटी लड़की बिमला की शादी पेशावर काण्ड के हीरो स्वर्गीय श्री चन्द्रसिंह गढवाली के सुपुत्र के साथ करके गढ़वाल के दो स्वतन्त्र सेनानी परिवारों को आपस में मिला दिया ! उनके बड़े सुपुत्र भूपेंद्र सिंह नेगी आजन्म कम्युनिष्ट पार्टी के जिला स्तर पर जनरल सेक्रेटरी रहे और प्रदेश की सरकार और नेताओं की कुशासन, भ्रष्टाचार, घूस और रिश्वत खोरी के खिलाफ अपने समाचार पत्र "ठहरो" के माध्यम से अपनी आवाज उठाते रहे ! सन १९९७ ई० में अपने काम को अधूरा ही छोड़ कर वे स्वर्ग सिधार गए ! आज उनके अधूरे काम को पूरा करने का संकल्प लेकर उनके बड़े सुपुत्र सुधीन्द्र नेगी अपने समाचार पत्र "ढून्ढूवी'" के माध्यम से आगे बढ़ा रहे हैं ! सन १९९२ ई० में ८९ सालों की संघर्षमय जिन्दगी जीकर वे स्वर्गवासी हुए ! झीन्डी चौड में उनकी झोपडी आज एक पर्यटक स्थल बन गया है ! वे सच्चे देशभक्त थे और जब तक जीए जनता की भलाई और गरीबों को उनका हक़ दिलाने के लिए संघर्ष करते रहे ! देवीखेत में मंदिर की बगल में ही उनकी संग मरमर की प्रतिमा वहां के सभ्रांत स्थानीय लोगों द्वारा लगाई गयी है जो वहां के लोगों का उनके प्रति सम्मान और स्नेह का भाव दर्शाता है ! वे एक सच्चे देश भक्त गरीबों के मसिया, जनता के सेवक, न्याय प्रिय, एक आदर्श युग पुरुष थे, जो आज हमारे बीच नहीं हैं फिर भी उनकी शिक्षा और आदर्श हमें मार्ग दर्शन कराते हैं !

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