Monday, August 2, 2010
अमेरिका में हनुमान मंदिर
अमेरिका में रहने वाले हिन्दुस्तानी अपनी परम्परा, संस्कृति और सभ्यता को जीवित रखे हुए हैं ! यहाँ हर प्रदेश में जहां जहाँ भी हिन्दुस्तानी हिन्दू अच्छी संख्या में हैं, मंदिर बनाते हैं ! ये यहाँ पर उंच नीच, छोटा बड़ा के झमेंलों में न पड़ते हुए संगठित होते हैं ! मंदिर समिति बनाते हैं ! अपनी आर्थिक स्थिति के मुताबिक़ मंदिर के नाम पर चंदा इकट्ठा किया जाता है ! यहाँ सभी वर्ग के लोग हैं, कोई डाक्टर इंजिनियर है तो कोई वकील है, तो कोई बड़ा व्यापारी है, कहने का मतलब जो भी यहाँ अमेरिका में आया है वह अपनी योग्यता की डिग्री लेकर ही आया है, इस तरह मंदिर के नाम पर चंदे की रकम इतनी हो जाती है की यहाँ मंदिर समिति जमीन लेकर आराम से मंदिर बना देती है ! दो तीन मंदिरों में जाने का मौका मुझे यहीं न्यू यार्क में मिला ! गणेश मंदिर, यह मंदिर साउथ इंडियनों के प्रयाशों का फल है ! काफी बड़ा मंदिर है, सभी देवी देवताओं की मूर्तियाँ इस मंदिर में हैं ! बाहर कार पार्किंग के लिए काफी जगह है ! कुछ लोग तो यहाँ आकर, रामायण और सत्य नारायण की कथा भी करवाते हैं ! एक मंदिर है "हनुमान मंदिर", यह मंदिर भी करीब ३०-३५ साल पुराना है ! कहते हैं यहाँ (हेमप् स्टेड सिटी में ) पहले स्कूल था, गुरुमां जो राजस्थान की रहने वाली हैं, ने यहाँ आकर यहाँ बसे हिन्दुस्तानी हिन्दुओं की सहायता से मंदिर कमेटी बनाई और इस स्कूल को खरीद लिया ! फिर स्कूल की जगह मंदिर ने ले ली ! काफी बड़ा मंदिर है, एक बड़ा हौल है जिसने हनुमान जी की एक बड़ी और एक मीडियम साईज की संगमरमर की मूर्ती है ! दूसरे हौल में गणेश जी, शिव पार्वती जी, दुर्गी माँ, काली की प्रतिमाएं हैं, इसी हौल में कृतिरिम पहाडी बनी है उस पहाडी के ऊपर शिव जी की प्रतिमा है और उनके सर से पानी की धारा ऊपर उठती हुई नीचे गिरती है ! फिर शिव लिंग स्थापित है, साथ में नंदी और छोटी छोटी मूर्तियाँ गणेश, कार्तिकेय और माँ पार्वती हैं ! इसी हौल में दक्षिण भाग में नौ गृह : बृहस्पति , बुध, शुक्र, शनि, मंगल, चन्द्र, राहू, केतु और उनके बीच में घूमते हुए सूर्य रथ के ऊपर विराजमान हैं ! बाहर कार पार्किंग है जिसमें मदिर में आने वाले दर्शनार्थी अपनी कार मंदिर परिसर में ही खडी कर सकें ! वैसे मंदिर रोड के किनारे ही है, लेकिन व्यवस्था इतनी अच्छी है की मंदिर में आने के बाद बच्चे सुरक्षित रहते हैं और ममी पापा आराम से पूजा अर्चना करते हैं बिना बच्चों की चिता किये ! हर शनिवार को कोई न कोई भक्त सारे मंदिर में आने वालों को खाना देता है ! राम नवमीं शिव रात्री, कृष्ण जन्माष्टमी, होली, दिवाली और दशहरा मंदिर में बड़े धूम धाम से मनाया जाता है ! नीचे बेसमेंट है जिसमें एक सभागार बनाया गया है, जिसमें मीटिंगे होती हैं, कभी कभी भारत से बड़े संगीतकार, प्रसिद्द तबला वादक, शहनाई के जादूगर इसी सभागार में आकर प्रोग्राम देते हैं और अमेरिकन भारतियों को कुछ देर ही सही हिन्दुस्तान की धरती के दर्शन करा देते हैं ! एक सजन जिन्हें यहाँ ३० साल हो चुके हैं, अच्छा बिजनिस है, बच्चे सारे सर्विस कर रहे हैं, "कहने लगे यहाँ आने वाला हर भक्त मंदिर सेवा के लिए तैयार रहता है और मंदिर लोगों को मिलाने का एक ज़रीया भी है" ! जब मैंने उन्हें पूछा की क्या वे यहाँ खुश हैं ? बड़े मायूस होकर कहने लगे, "रावत जी, क्या बताऊँ, की मैं यहाँ कितना खुश हूँ, वहां भारत में माँ अकेली है, यहाँ सास बहु की बिलकुल नहीं बनती, वे इस समय ८१ साल की हो चुकी हैं, उनकी सेवा करना चाहता हूँ, कर नहीं सकता ! बच्चे न गुजराती बोलते हैं न हिन्दी बोलते हैं, आगे की पीढी ने तो अपनी परम्पराएं और सभ्यता ही भूला दी है ! अब पछता रहा हूँ, क्यों आया मैं यहाँ, यहाँ पैसा है, रुतवा है, मकान है लेकिन मन की शांती नहीं है ! जो अपनी जन्म भूमि में है वह सब यहाँ नहीं है ! लोग जब तक सर्विस करते हैं उन्हें सोचने का अवसर नहीं मिलता, लोग सोचते हैं वे खुश हैं, लेकिन रिटायर होने के बाद, अकेलापन, फिर अपना देश याद आता है"! कल वहां रामायण का पाठ था, दो सज्जनों ने अपने बच्चों का जन्म दिन मंदिर में मनाया, हम भी (मैं और मेरी पत्नी) इसमें सामिल हुए, पूजा अर्चना हुई विधि विधान से, हनुमान जी की आरती हुई, प्रसाद वितरण हुआ, हमने प्रसाद लिया, खाना खाया और रात के ११ बजे के करीब अपने निवास स्थान पर पहुंचे ! यहाँ म्येलविल में एक परिवार जिला प्रतापगढ़ यूं पी का रहता है ! इनका नाम है अध्यप्रशाद सिंह ! ये यहाँ अमेरिका में पिछले ४०-४५ सालों से हैं ! इनके तीन लड़कें हैं, बड़ा अशोक, दूसरा विजय और तीसरा अजय ! अध्य प्रशाद सिंह अजय-गीता के साथ ही रहते हैं ! विजय क्वींस में रहते हैं, इनका घर हनुमान मंदिर के नजदीक ही है ! विजय स्वयं मंदिर कमेटी के सदस्य हैं और इनका परिवार इनकी पत्नी, एक पुत्र और एक लड़की इस मंदिर के हर कार्य कर्मों में सहयोग देते हैं ! आज इनकी लड़की का जन्म दिन था और आज के भजन-कीर्तन, रामायण पठन-पाठन में अध्य प्रशाद्सिंह जी के परिवार का ही सबसे बड़ा योगदान था ! अजय अपनी कार में मुझे और मेरी पत्नी को मंदिर ले गए थे तथा घर भी इन्होने ही पहुंचाया ! अजय एक मिलनसार हंसमुख और हर किसी की मदद करने वाला तीन बच्चों का बाप है ! गीता इनकी पत्नी सहारनपुर की रहने वाली है ! अमेरिका में हिन्दुस्तान की सभ्यता और परम्पराओं को जीवित रखने वाला परिवार है यह !
Saturday, July 31, 2010
मेरी कहानी (चौदवां भाग)
जिस समय मैं बच्चों को दिल्ली छोड़ कर जम्मू कश्मीर जा रहा था अचानक मेरे दिमाग में एक ख्याल आया की "अब क्योंकि मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी का ग्रेजुएट हूँ, १५ साल की फ़ौज की पेंशन वाली सर्विस भी हो गयी है, क्यों अब दर दर की ठोकर खाऊँ ! रिटायरमेंट लेकर बच्चों के साथ रहूँ ! भूत पूर्व सैनिक कोटे से दिल्ली में ही सर्विस मिल जाएगी" ! उन दिनों तक हवलदार था और आगे का प्रोमोशन कब तक मिलेगा, कुछ पता नहीं था ! रिटायरमेंट लेने के लिए भी एक बार यूनिट में तो जाना ही था ! बच्चों के साथ दिल्ली में गाँव से माँ को बुला लिया था ! मैं पूँछ चला गया ! दो तीन महीने जम जमाव में लग गए ! नया साल १९७४ आ गया था, कलेंडर बदली हो गया और दफ्तरों में नया कलेंडर लग गया ! जिन्दगी की असलियत भी यही है, पुराना चला जाता है उसकी जगह नया ले लेता है ! जब तक कुर्सी है चाहे वह एक लिपिक की हो या भारी भरकम मंत्री की इज्जत होती है, लेकिन कुर्सी की ! पहली अप्रेल १९७४ को मेरा दूसरा लड़का ब्रिजेश रावत का जन्म हुआ ! तीनों बच्चों के जन्म दिन पर मेरी माँ साथ रही ! यह सब मेरी माँ का आशीर्वाद है की आज मेरे तीनों बच्चे बहुत ही अच्छी पोजीशन पर हैं ! इन्हीं दिनों पता लगा की मैं भी अगले प्रोमोशन के लिए लाईन में हूँ, इसके लिए प्रोमोशन टेस्ट पास करना जरूरी था ! अब सारा ध्यान टेस्ट पर लग गया और प्री रिटायरमेंट का इरादा पीछे छूट गया ! छ हफ्ते का केडर किया, टेस्ट हुआ, मैं और मेरा साथी कमलसिंह दोनों टेस्ट पास कर गए और इन्तजार शुरू हो गया प्रोमोशन पाने का ! कमल मेरे से एक नंबर पहले था और उसके बाद मेरा नंबर था ! इन्हीं दिनों कमान अधिकारी ने मुझे ड्यूटी पर दिल्ली भेजा दस दिन के लिए ! दिल्ली आकर बच्चों को भी देखने का अवसर मिल गया ! ब्रिजेश एक महीने का हो गया था ! अच्छा तंदुरुस्त था ! चांदनी चौक में जेवेलर को बटालियन के लिए शील्ड मोमेंटो का आर्डर बुक करना था ! दिल्ली का काम पूरा करके मैं वापिस यूनिट में चला गया !
पहले की लोकेशन प्रोपर पूंछ थी लेकिन इस बार हमें पूंछ नदी पार करते ही, उत्तर में सेखलू नामक जगह मिली थी ! यहाँ से आगे चल कर मंडी नदी के साथ साथ मंडी नामक एक छोटा क़स्बा पड़ता है ! वैसे एक जवान की जरूरतों को पूरी करने लिए यूनिट के अन्दर ही सी. एस. डी (ऐ) कैंटीन होती है तथा कभी कभी चाय नास्ता के लिए सिविल बनिया की कैंटीन भी यूनिट के अन्दर होती है, फिर भी घूमने के बहाने हम लोग कभी मंडी तो कभी पूंछ बाजार चले जाते थे ! उन दिनों सच मुच में शांती का माहोल था ! न कोई आतंकवाद का भय, न कोई घूस पैठ न कोई दंगा फसाद की कोई समस्या थी ! सिविलियन जो यूनिट की सीमा के अन्दर काम करने आते थे उनके पहचान पत्र बने हुए थे ! चारों कम्पनियां ऊंची ऊंची पहाड़ियों के ऊपर मोर्चे बनाकर लाईन आफ कंट्रोल पर नजर रखने के लिए तैनात की गयी थी ! मैं बटालियन के मुख्यालय में अकाउंट आफिस में कार्य रत था ! बटालियन के सूबेदार मेजर दिलजान सर्विस पूरी करके पेंशन चले गए थे और उनकी जगह १९७३ ई० में भगवानसिंह नए सूबेदार मेजर बने ! ले.कर्नल मन मोहन कुमार बकाया पूरे पांच साल यूनिट की कमांड करके १०५ टी ए बटालियन के सी ओ बन कर चले गए थे और ले.कर्नल एच एन पालीवाल (कभी सेंटर के टू आई सी कन्हैया लाल जी के सुपुत्र) नए कमांडिंग आफिसर यूनिट में पोस्ट होकर आ गए ! उनके सेकंड इन कमांड थे मेजर पारीख ! १२ जून १९७६ ई० का दिन मेरी जिन्दगी का एक यादगार दिन बन कर आया, इसी दिन मुझे हमारे सी ओ साहेब ने नायब सुबेदारी के स्टार लगाए ! अब मैं जूनियर कमीसंड आफिसर था और जूनियर से सलूट का अधिकारी बन गया था ! पीटी ड्रेस बदल गयी थी, सफ़ेद हाफ बांह की शर्ट सफ़ेद निकर और सफ़ेद ही पी टी शूज ! जिम्मेवारी का बोझ कन्धों पर आ गया, चहरे पर एक रौब, एक खुशी की चमक ! जे सी.ओज म्यस में इन्ट्री हो गयी थी ! यूनिट की डायजेस्ट बुक (यह बुक आफिसर्स म्यस में रखी जाती है और इसमें रोज की महत्वपूर्ण घटनाओं का विवरण अंकित किया जाता है) में नाम अंकित हो गया था ! अब तो ऐसे लगने लगा की समय जैसे बहुत तेजी से भाग रहा हो और अगली मंजिल पर कुछ और नया होने वाला है !
सेखलू में तीन साल का फील्ड टेनुयर कब बीत गया पता ही नहीं लगा ! यूनिट को नया पीस स्टेशन मिला " बीकानेर" राजस्थान ! अभी वीकानेर में जम जमाव कर ही रहे थे मेरे बड़े भाई श्री कुंवरसिंह ४ नवम्बर १९७६ को हमें छोड़ कर स्वर्ग सिधार गए ! वे अपने पीछे पांच लडके दो लड़कियां और अपनी पत्नी बिमलादेवी को छोड़ गए ! बड़ा लड़का मुनीन्द्र १७ साल का था और १२ वीं में फेल हो गया था ! गाँव गया किसी तरह से परिवार को संभाला, सभी बच्चों को पढाई जारी रखने को कह कर मैं वापिस अपनी ड्यूटी पर बीकानेर आ गया !
इन दिनों दिल्ली में बहुत कुछ घट गया था, श्रीमती इन्द्रा गांधी ने सन १९६९ ई० में राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की अचानक मृत्यु होने पर नए राष्ट पति के लिए वी वी गिरी जो उस समय उपराष्ट्र पति थे का नाम प्रोपोज कर दिया, लेकिन कांग्रेस की कार्य समिति के १५ में से १३ सदस्य संजीव रेड्डी को
राष्ट्रपति बनाना चाहते थे ! इससे कांग्रेस का विभाजन हो गया ! कारण तो बहुत सारे थे लेकिन इसी बात को मुद्दा बनाया गया ! इन्द्रा जी की नयी कांग्रेस और कांग्रेस के दिग्गज जो वास्तव में पार्टी की असली जड़ें थी, कामराज, निजिंग्लाप्पा मोरारजी देसाई (उस समय देश के वित् मंत्री), मोहनलाल सुखाडिया आदि पुरानी कांग्रेस (इन्हें सिंडीकेट कांग्रेस भी कहा जाने लगा था ) बन कर कांग्रेस बाँट गयी ! वी वी गिरी कार्यवाहक राष्ट्रपति भी थे, उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए इस पद से त्याग पत्र दे दिया ! अब राष्ट्रपति की कुर्सी खाली थी, संविधान में कोई प्रोवीजन नहीं था की अगर ऐसी स्थिति आ जाए तो कौन इस कुर्सी पर बैठेगा ! आनन् फानन में संविधान में एक क्लोज और जोड़ा गया और भारत के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को भारत का कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया ! मोरारजी देसाई को वित् मंत्री पद से हटाया गया ! वी वी गिरी जीत गए और इन्द्रा गांधी की पकड़ सता पर मजबूत हो गयी ! सन १९७१ में समय से पहले ही संसद के चुनाव करा दिए गए ! इन्द्रा गांधी की कांग्रेस अपने बल बूते पर सता में आ गयी ! सन १९७१ की लड़ाई से इन्द्रा जी का कद और भी बढ़ गया ! इन्हीं दिनों इन्द्रा जी के चुनाव को उनके विरोधी ने कोर्ट में चैलेन्ज कर दिया और इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रधान मंत्री इन्द्रा गांधी के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया ! उस समय इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे "जगमोहन" ! विपक्ष जय प्रकाश नारायण की अगुवाई में एक छतरी के नीचे आ गए ! इसमें कम्युनिस्ट पार्टियों के लोग भी शामिल हो गए, तथा जन संघ (आज की भारतीय जनता पार्टी) जिसके प्रमुख थे अटल बिहारी बाजपेयी और लाल कृष्ण अडवानी ! रैलियाँ निकाली जानी लगी, सडकों में जाम लगाया गया ! हड़ताल, नारे बाजी, "इन्द्रा गांधी इस्तीफा दो", आम जनता भी सडकों पर आ गयी ! क़ानून व्यवस्था चरमराने लगी ! संसद और विधान सभाओं में काम ठप हो गया ! संन १९७५ ई० में कांग्रेस सरकार ने देश में अमर्जेंसी लगा दी ! नेताओं की धर पकड़ शुरू हो गयी ! विधान सभाएं और संसद भंग कर दी गयी ! जेल भरी जानी लगी ! आम आदमी के सडकों पर आने जाने में प्रतिबंद्ध लग गया ! १९७६ में संसद के चुनाव होने थे वे भी कैंसिल हो गए ! जब विदोह ज्यादा ही भड़क गया तो सन १९७७ ई० में संसद के चुनाव कराए गए ! इसमें कांग्रेस के कदावर और इन्द्रा जी के ख़ास सहयोगी हेमवती नंदन बहुगुणा और जग जीवन राम भी इन्द्रा जी से अलग हो गए ! १९७७ का चुनाव जनता पार्टी बहुत भारी मतों से जी गयी, स्वयं इन्द्रा गांधी को भी इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा ! स्वतंत्रता के बाद पहली बार देश में कांग्रेस सता से बाहर हुई ! मोरारजी देसाई प्रथम विपक्षी प्रधान मंत्री बने ! चरणसिंह जी गृह मंत्री ! मोराजी देसाई ने कुर्सी पर बैठते ही सबसे पहले अमर्जेंसी को हटाया ! जनता में खुशी की लहर चल पडी ! घर घरों में दीप जलाए गए ! आम आदमी समझने लगा की जनता पार्टी की जीत आम आदमी की जीत है और अब कोई भाई भतीजा वाद नहीं होगा, सब को नौकरी मिलेगी, महंगाई समाप्त हो जाएगी, अमीर गरीब की खाई काफी कम हो जाएगी ! सबको समान न्याय मिलेगा ! हर भारतवासी के रोटी कपड़ा और मकान की समस्या नहीं रहेगी !
पहले की लोकेशन प्रोपर पूंछ थी लेकिन इस बार हमें पूंछ नदी पार करते ही, उत्तर में सेखलू नामक जगह मिली थी ! यहाँ से आगे चल कर मंडी नदी के साथ साथ मंडी नामक एक छोटा क़स्बा पड़ता है ! वैसे एक जवान की जरूरतों को पूरी करने लिए यूनिट के अन्दर ही सी. एस. डी (ऐ) कैंटीन होती है तथा कभी कभी चाय नास्ता के लिए सिविल बनिया की कैंटीन भी यूनिट के अन्दर होती है, फिर भी घूमने के बहाने हम लोग कभी मंडी तो कभी पूंछ बाजार चले जाते थे ! उन दिनों सच मुच में शांती का माहोल था ! न कोई आतंकवाद का भय, न कोई घूस पैठ न कोई दंगा फसाद की कोई समस्या थी ! सिविलियन जो यूनिट की सीमा के अन्दर काम करने आते थे उनके पहचान पत्र बने हुए थे ! चारों कम्पनियां ऊंची ऊंची पहाड़ियों के ऊपर मोर्चे बनाकर लाईन आफ कंट्रोल पर नजर रखने के लिए तैनात की गयी थी ! मैं बटालियन के मुख्यालय में अकाउंट आफिस में कार्य रत था ! बटालियन के सूबेदार मेजर दिलजान सर्विस पूरी करके पेंशन चले गए थे और उनकी जगह १९७३ ई० में भगवानसिंह नए सूबेदार मेजर बने ! ले.कर्नल मन मोहन कुमार बकाया पूरे पांच साल यूनिट की कमांड करके १०५ टी ए बटालियन के सी ओ बन कर चले गए थे और ले.कर्नल एच एन पालीवाल (कभी सेंटर के टू आई सी कन्हैया लाल जी के सुपुत्र) नए कमांडिंग आफिसर यूनिट में पोस्ट होकर आ गए ! उनके सेकंड इन कमांड थे मेजर पारीख ! १२ जून १९७६ ई० का दिन मेरी जिन्दगी का एक यादगार दिन बन कर आया, इसी दिन मुझे हमारे सी ओ साहेब ने नायब सुबेदारी के स्टार लगाए ! अब मैं जूनियर कमीसंड आफिसर था और जूनियर से सलूट का अधिकारी बन गया था ! पीटी ड्रेस बदल गयी थी, सफ़ेद हाफ बांह की शर्ट सफ़ेद निकर और सफ़ेद ही पी टी शूज ! जिम्मेवारी का बोझ कन्धों पर आ गया, चहरे पर एक रौब, एक खुशी की चमक ! जे सी.ओज म्यस में इन्ट्री हो गयी थी ! यूनिट की डायजेस्ट बुक (यह बुक आफिसर्स म्यस में रखी जाती है और इसमें रोज की महत्वपूर्ण घटनाओं का विवरण अंकित किया जाता है) में नाम अंकित हो गया था ! अब तो ऐसे लगने लगा की समय जैसे बहुत तेजी से भाग रहा हो और अगली मंजिल पर कुछ और नया होने वाला है !
सेखलू में तीन साल का फील्ड टेनुयर कब बीत गया पता ही नहीं लगा ! यूनिट को नया पीस स्टेशन मिला " बीकानेर" राजस्थान ! अभी वीकानेर में जम जमाव कर ही रहे थे मेरे बड़े भाई श्री कुंवरसिंह ४ नवम्बर १९७६ को हमें छोड़ कर स्वर्ग सिधार गए ! वे अपने पीछे पांच लडके दो लड़कियां और अपनी पत्नी बिमलादेवी को छोड़ गए ! बड़ा लड़का मुनीन्द्र १७ साल का था और १२ वीं में फेल हो गया था ! गाँव गया किसी तरह से परिवार को संभाला, सभी बच्चों को पढाई जारी रखने को कह कर मैं वापिस अपनी ड्यूटी पर बीकानेर आ गया !
इन दिनों दिल्ली में बहुत कुछ घट गया था, श्रीमती इन्द्रा गांधी ने सन १९६९ ई० में राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की अचानक मृत्यु होने पर नए राष्ट पति के लिए वी वी गिरी जो उस समय उपराष्ट्र पति थे का नाम प्रोपोज कर दिया, लेकिन कांग्रेस की कार्य समिति के १५ में से १३ सदस्य संजीव रेड्डी को
राष्ट्रपति बनाना चाहते थे ! इससे कांग्रेस का विभाजन हो गया ! कारण तो बहुत सारे थे लेकिन इसी बात को मुद्दा बनाया गया ! इन्द्रा जी की नयी कांग्रेस और कांग्रेस के दिग्गज जो वास्तव में पार्टी की असली जड़ें थी, कामराज, निजिंग्लाप्पा मोरारजी देसाई (उस समय देश के वित् मंत्री), मोहनलाल सुखाडिया आदि पुरानी कांग्रेस (इन्हें सिंडीकेट कांग्रेस भी कहा जाने लगा था ) बन कर कांग्रेस बाँट गयी ! वी वी गिरी कार्यवाहक राष्ट्रपति भी थे, उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए इस पद से त्याग पत्र दे दिया ! अब राष्ट्रपति की कुर्सी खाली थी, संविधान में कोई प्रोवीजन नहीं था की अगर ऐसी स्थिति आ जाए तो कौन इस कुर्सी पर बैठेगा ! आनन् फानन में संविधान में एक क्लोज और जोड़ा गया और भारत के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को भारत का कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया ! मोरारजी देसाई को वित् मंत्री पद से हटाया गया ! वी वी गिरी जीत गए और इन्द्रा गांधी की पकड़ सता पर मजबूत हो गयी ! सन १९७१ में समय से पहले ही संसद के चुनाव करा दिए गए ! इन्द्रा गांधी की कांग्रेस अपने बल बूते पर सता में आ गयी ! सन १९७१ की लड़ाई से इन्द्रा जी का कद और भी बढ़ गया ! इन्हीं दिनों इन्द्रा जी के चुनाव को उनके विरोधी ने कोर्ट में चैलेन्ज कर दिया और इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रधान मंत्री इन्द्रा गांधी के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया ! उस समय इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे "जगमोहन" ! विपक्ष जय प्रकाश नारायण की अगुवाई में एक छतरी के नीचे आ गए ! इसमें कम्युनिस्ट पार्टियों के लोग भी शामिल हो गए, तथा जन संघ (आज की भारतीय जनता पार्टी) जिसके प्रमुख थे अटल बिहारी बाजपेयी और लाल कृष्ण अडवानी ! रैलियाँ निकाली जानी लगी, सडकों में जाम लगाया गया ! हड़ताल, नारे बाजी, "इन्द्रा गांधी इस्तीफा दो", आम जनता भी सडकों पर आ गयी ! क़ानून व्यवस्था चरमराने लगी ! संसद और विधान सभाओं में काम ठप हो गया ! संन १९७५ ई० में कांग्रेस सरकार ने देश में अमर्जेंसी लगा दी ! नेताओं की धर पकड़ शुरू हो गयी ! विधान सभाएं और संसद भंग कर दी गयी ! जेल भरी जानी लगी ! आम आदमी के सडकों पर आने जाने में प्रतिबंद्ध लग गया ! १९७६ में संसद के चुनाव होने थे वे भी कैंसिल हो गए ! जब विदोह ज्यादा ही भड़क गया तो सन १९७७ ई० में संसद के चुनाव कराए गए ! इसमें कांग्रेस के कदावर और इन्द्रा जी के ख़ास सहयोगी हेमवती नंदन बहुगुणा और जग जीवन राम भी इन्द्रा जी से अलग हो गए ! १९७७ का चुनाव जनता पार्टी बहुत भारी मतों से जी गयी, स्वयं इन्द्रा गांधी को भी इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा ! स्वतंत्रता के बाद पहली बार देश में कांग्रेस सता से बाहर हुई ! मोरारजी देसाई प्रथम विपक्षी प्रधान मंत्री बने ! चरणसिंह जी गृह मंत्री ! मोराजी देसाई ने कुर्सी पर बैठते ही सबसे पहले अमर्जेंसी को हटाया ! जनता में खुशी की लहर चल पडी ! घर घरों में दीप जलाए गए ! आम आदमी समझने लगा की जनता पार्टी की जीत आम आदमी की जीत है और अब कोई भाई भतीजा वाद नहीं होगा, सब को नौकरी मिलेगी, महंगाई समाप्त हो जाएगी, अमीर गरीब की खाई काफी कम हो जाएगी ! सबको समान न्याय मिलेगा ! हर भारतवासी के रोटी कपड़ा और मकान की समस्या नहीं रहेगी !
Friday, July 30, 2010
मेरी कहानी (तेरहवां भाग}
मार्च के प्रथम सप्ताह में हमारी सेनाएं वापिस अपने स्थायी जगहों पर जाने लगे ! हमारी यूनिट भी वापिस नसीराबाद आ गयी थी ! मुझे परिक्षा देने दिल्ली जाना था, सो दो महीने की छुट्टी लेकर मैं दिल्ली चला गया ! वहां मामा जी के फ्लेट में जाकर परीक्षा की तय्यारी की, परिक्षा दी और वापिस यूनिट में आ गया ! यूनिट के लगातार ६ साल जम्मू कश्मीर में रहने और फिर ७१ की लड़ाई में सामिल होना, युद्ध के दौरान उसके जवानों द्वारा किये गए वीरता के कार्यों से खुश होकर सेना मुख्यालय ने यूनिट को आराम देने के लिए मुंबई, "महाराष्ट्र गुजरात हेडक्वाटर्स" कोलाबा मुंबई भेज दिया ! सितम्बर में यूनिट पूरे साजो सामान तमान जवान ऑफिसरों की फेमिलियों के साथ मुंबई पहुंचे ! फरवरी ७, ८ और ९, १९७३ को बटालियन ने "क्याक म्यांग हेड इरावदी डे" बटालियन डे मनाया ! इस अवसर पर अवकास प्राप्त ऑफिसर्स, जे सी ओज और जवान बहुत बड़ी संख्या में सामिल हुए ! सुबह मंदिर में पूजा आरती, उसके बाद युद्ध भूमि में बटालियन द्वारा किये गए वीरता के कार्यों की समीक्षा, शहीदों को श्रधांजलि दी गयी ! बाहर से कलाकारों को बुलाया गया था ! गाना-बजाना, नाटक, हास्य ब्यंग और कही दूसरे आईटम पेश करके मेहमानों और जवानों का मनोरंजन किया गया ! बूढ़े-जवानों को फ़ौजी जिन्दगी ताजी करने केलिए म्यूजिक चेयर, १०० मीटर दौड़, बौली बौल, बास्केट बौल और भी बहुत से हंसाने हंसाने वाले खेल तमाशे दिखाए गए ! तीन दिन कब बीत गए पता भी नहीं चला ! ऑफिसर्स जेसीओज की ग्रुप फोटो खिची गयी! यूनिट में यह दिन हर साल मनाया जाता है लेकिन इस साल का बटालियन डे एक स्पेशल था, अमन चैन के साथ वह भी मुंबई में ! उस जमाने में मुंबई बम्बई था, मेल मिलाप और भाई चारे का था ! उस समय न कोई राज ठाकरे या बाल ठाकरे जैसा ऊंचे कद का ऊंची नाक का मराठी था जो मुंबई केवल मराठी भाषी और मराठी लोगों का बत लाता ! हाँ नक्षलवाद जैसी समस्याएँ उस समय भी थी लेकिन उनमें कोई राजनीतिक नेता सामिल नहीं था, इसलिए उनको कंट्रोल करने की कोई समस्या नहीं थी ! मेजर रामचंद्र ले.कर्नल बनकर चौथी राज रिफ की कमान करने पोस्ट हो गए और उनकी जगह टू ऐ सी मेजर
वी एन वधवा आगये थे ! वे कनाडा ऑफिसर्स स्टाफ कालेज से कोर्स करके यूनिट में आए थे ! बहुत ही काबिल और मेहनती प्रशासक थे ! शांत मधुर भाषी, जूनियर से नजदीकी बनके रखते थे ! वीर, परिश्रमी जवानों का हमेशा हौशला अफजाई करते थे ! मुझे दो साल उनके मातहत काम करने का मौका मिला और काफी कुछ सिखने को मिला ! अब वे ले.जनरल के रैंक से अवकास ले चुके हैं ! मुम्बई देखने को बहुत कुछ है, 'गेट वे आफ इण्डिया ' समुद्र के किनारे ! यूरोपियन सबसे पहले व्यापार करने इसी स्थान से यहाँ आये थे ! वोट मोटर वोट बड़ी संख्या में समुद्र में घूमने के लिए उपलब्ध हैं ! चौपाटी, समुद्र के किनारे बैठ कर या समुद्र की लहरों का मजा लेने के लिए मुम्बई की सबसे हसीन जगह "चौपाटी जाएंगे भेल पूरी खाएंगे बैंड बाजा बाजेगा डम डम डम " ! समुद्र के किनारे "चोर बाजार" ! उस समय की सबसे बड़ी व्यापार मंडी थी मुम्बई ! देश के सभी प्रान्तों के लोग मिल जाते थे मुम्बई में ! सर्विस मिल जाती थी, पैसा भी था लेकिन रहने की जगह नहीं मिल पाती थी ! लोकल ट्रेन हर पांच मिनट की सर्विस, पर भीड़ उस जमाने में भी बहुत थी ! सरकारी बसें आराम से मिल जाती थी ! अंधेरी मुम्बई हवाई अड्डा सब कुछ देखने का अवसर मिला ! कोलाबा, नेवी नगर मुम्बई की सबसे साफ़ सुथरी जगह ! यहीं से छत पर खड़े हो कर कही बार पूर्ण मासी के दिन समुद्र की ऊंची उठती लहरें देखने का लुप्त उठाया ! उस समय के बस ड्राइवर और कंडक्टर बड़े अच्छे लोग थे ! बाहर से आने वालों और सैनिकों के साथ मित्रता का व्यवहार करते थे ! एक बार मैं बस में तो चढ़ गया लेकिन जेब में पूरे पैसे नहीं थे ! बस अंधेरी से कोलाबा कैम्प जा रही थी ! मैं अपने दो छोटे छोटे बच्चों के साथ था ! मैंने कंडक्टर को अपनी परेशानी बतलाई, उसने बिना ज्यादा पूछ ताछ के मुझे टिकट de दिया और बाकी पैसे अपनी जेब से मिला दिए और सकुशल कैम्प पहुंचा दिया ! ऐसे लोग थे us जमाने men मुम्बई के ! १५-१६ महीने के बाद ही यूनिट को फिर जम्मू कश्मीर पूंछ सेक्टर जाने का आदेश हो गया ! नंबर के महीने में यूनिट ने मुंबई छोड़ दी और पूंछ सेक्टर सेकलू मंदी के नजदीक चली गयी ! उन्ही दिनों सेना मुख्यालय के आदेश के मुताबिक़ जो ऑफिसर्स/जेसीओज/जवान फील्ड में सर्विस कर रहे हैं उसके परिवार को रक्षा मंत्रालय की तरफ से फ्री मकान देश के सभी कंटोमेंट एरिया में दिए गए ! मैंने भी आवेदन किया और मंजूर हो गया ! बच्चों को दिल्ली कैंट (काबुल लाईन्स) सदर सेपरेटेड क्वाटर्स में छोड़ कर मैं २५ नवम्बर को पूंछ चला गया !
वी एन वधवा आगये थे ! वे कनाडा ऑफिसर्स स्टाफ कालेज से कोर्स करके यूनिट में आए थे ! बहुत ही काबिल और मेहनती प्रशासक थे ! शांत मधुर भाषी, जूनियर से नजदीकी बनके रखते थे ! वीर, परिश्रमी जवानों का हमेशा हौशला अफजाई करते थे ! मुझे दो साल उनके मातहत काम करने का मौका मिला और काफी कुछ सिखने को मिला ! अब वे ले.जनरल के रैंक से अवकास ले चुके हैं ! मुम्बई देखने को बहुत कुछ है, 'गेट वे आफ इण्डिया ' समुद्र के किनारे ! यूरोपियन सबसे पहले व्यापार करने इसी स्थान से यहाँ आये थे ! वोट मोटर वोट बड़ी संख्या में समुद्र में घूमने के लिए उपलब्ध हैं ! चौपाटी, समुद्र के किनारे बैठ कर या समुद्र की लहरों का मजा लेने के लिए मुम्बई की सबसे हसीन जगह "चौपाटी जाएंगे भेल पूरी खाएंगे बैंड बाजा बाजेगा डम डम डम " ! समुद्र के किनारे "चोर बाजार" ! उस समय की सबसे बड़ी व्यापार मंडी थी मुम्बई ! देश के सभी प्रान्तों के लोग मिल जाते थे मुम्बई में ! सर्विस मिल जाती थी, पैसा भी था लेकिन रहने की जगह नहीं मिल पाती थी ! लोकल ट्रेन हर पांच मिनट की सर्विस, पर भीड़ उस जमाने में भी बहुत थी ! सरकारी बसें आराम से मिल जाती थी ! अंधेरी मुम्बई हवाई अड्डा सब कुछ देखने का अवसर मिला ! कोलाबा, नेवी नगर मुम्बई की सबसे साफ़ सुथरी जगह ! यहीं से छत पर खड़े हो कर कही बार पूर्ण मासी के दिन समुद्र की ऊंची उठती लहरें देखने का लुप्त उठाया ! उस समय के बस ड्राइवर और कंडक्टर बड़े अच्छे लोग थे ! बाहर से आने वालों और सैनिकों के साथ मित्रता का व्यवहार करते थे ! एक बार मैं बस में तो चढ़ गया लेकिन जेब में पूरे पैसे नहीं थे ! बस अंधेरी से कोलाबा कैम्प जा रही थी ! मैं अपने दो छोटे छोटे बच्चों के साथ था ! मैंने कंडक्टर को अपनी परेशानी बतलाई, उसने बिना ज्यादा पूछ ताछ के मुझे टिकट de दिया और बाकी पैसे अपनी जेब से मिला दिए और सकुशल कैम्प पहुंचा दिया ! ऐसे लोग थे us जमाने men मुम्बई के ! १५-१६ महीने के बाद ही यूनिट को फिर जम्मू कश्मीर पूंछ सेक्टर जाने का आदेश हो गया ! नंबर के महीने में यूनिट ने मुंबई छोड़ दी और पूंछ सेक्टर सेकलू मंदी के नजदीक चली गयी ! उन्ही दिनों सेना मुख्यालय के आदेश के मुताबिक़ जो ऑफिसर्स/जेसीओज/जवान फील्ड में सर्विस कर रहे हैं उसके परिवार को रक्षा मंत्रालय की तरफ से फ्री मकान देश के सभी कंटोमेंट एरिया में दिए गए ! मैंने भी आवेदन किया और मंजूर हो गया ! बच्चों को दिल्ली कैंट (काबुल लाईन्स) सदर सेपरेटेड क्वाटर्स में छोड़ कर मैं २५ नवम्बर को पूंछ चला गया !
Wednesday, July 28, 2010
मेरी कहानी (बारहवां भाग)
१९७१ भारत पाक संग्राम
३ दसंबर १९७१ रात के १२ बजे और पाकिस्तानी हवाई हमला, हमारे ईयर बेस पर गोला बारी, पठानकोट, अमृतसर, जम्मू, ये सभी सीमा से लगे नगरों पर अचानक का हमला ! भारतीय सेना पहले से तैयार थी और उन्हें पाकिस्तान की इस हरकत का पता था, इसलिए काउंटर अटैक करके पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को कुछ को गिरा दिया बाकियों को भगा दिया ! पहल पाकिस्तान ने की और भारत पाकिस्तान लड़ाई शुरू हो गयी थी ! संयुक्त राष्ट्र संघ को भी मालूम था की लड़ाई पाकिस्तान ने ही शुरू करके अंतर्राष्ट्रीय आदेशों का उल्लंघन किया है लेकिन अमेरिका का दबदबाव यू एन ओ पर इतना था की कोई भी कुछ भी कहने से बचता रहा ! अमेरिका फिर भी पाकिस्तान को अस्त्र शस्त्रों से सहायता देता रहा ! देश में अमर्जेंसी लग गयी थी ! भारतीय सेना को आगे बढ़ने का और पाकिस्तान की धरती पर पाकिस्तानियों को सबक सिखाने का आदेश हो गया था ! पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान की सीमावों के अन्दर हमारी सेना बड़ी तेजी से प्रवेश करने लगी ! प्रधानमंत्री श्रीमती इन्द्र गांधी, रक्षा मंत्री जग जीवन राम थे ! पूर्वी कमान के आर्मी कमांडर ले.जनरल जगजीतसिंह अरोरा और पाकिस्तान के कमान के कमांडर ले.जनरल नियाजी थे ! भारतीय सेना के सेनाध्यक्ष एस एच एफ मानेकशा थे, बाद में उनकी बहादुरी और कुशल नेतृत्त्व के लिए उन्हें फील्ड मार्शल के रैंक से नवाजा गया ! एयर फ़ोर्स के चीफ थे एयर फील्ड मार्शल अर्जुन सिंह ! बंग बंधु मुजीबुर रहमान पश्चिमी पाकिस्तान की जेल में बंद थे ! पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे जनरल याया खान ! मैं कुछ सैनिकों को लेकर नसीरावाद आया हुआ था, दफ्तर से कुछ जरूरी पेपर ले जाने थे ! २ दिसंबर को हम लोग नसीरावाद पहुंचे और ३ की रात बमबारी शुरू हो गयी ! उन दिनों रेडियो काफी पापुलर हो चुके थे ! समाचार और उसके बाद सरकारी आदेश उन तमाम जवान /ऑफिसर्स को जो यूनिट के बाहर, छुट्टी अस्थायी ड्यूटी पर थे, तुरंत यूनिट में हाजिर होने को कहा गया था ! तमाम फौजियों के लिए रेलवे सफ़र फ्री था ! मैंने अगले दिन सुबह ही सारे जवानों को जो मेरे साथ नसीराबाद आये थे, इकठ्ठा किया और रेलवे स्टेशन पहुंचे ! स्टेशन पर सिविलियनों ने फूल मालाओं से हम सारे फौजियों का स्वागत किया, चाय नास्ता खिलाया और भारी मन से विदाई दी ! जेसलमेर के लिए ट्रेन पकड़ी और ट्रेन भी भागती हुई हवा से बात करती हुई मंजिल की ओर जाने लगी ! पाकिस्तानी हवाई हमलावरों ने इसी गाडी को निशाना बनाने के लिए जेसलमेर स्टेशन पर लड़ाकू विमानों से गोले गिरा कर स्टेशन को बुरी तरह से नष्ट कर दिया ! ईश्वर की इच्छा थी की हमारी ट्रेन १० मिनिट लेट थी नहीं तो ट्रेन का कोई यात्री नहीं बचता जिसमें सारे फ़ौजी ही थे ! जेसलमेर स्टेशन पर रात झाड़ियों में बिताई, अगले दिन मिलिटरी कानवाई रामगढ़ होते हुए हमें हमारी यूनिट में पहुंचा गए ५ दिसंबर की शाम को ! हमारा डिविजन किशनगढ़ किले के दक्षिण में कैम्प लगाए था ! हमारी यूनिट थ्री राज रिफ को आदेश था किशनगढ़ के पूरब उत्तर में इसलामगढ़ के किले को कब्जे में करने का ! तथा आर्टलरी को सपोर्ट देना था ! हमारी यूनिट आगे बढ़ गयी, पीछे से खबर आई की रहीमयार खान से पाकिस्तानी ३७ टैंको ने लोंगेवाल भारतीय चौकी पर हमला कर दिया है ! लोंगेवाल में हमारे ब्रिगेड की केवल एक कंपनी तैनात थी, खबर आते ही पूरा डिविजन लोंगेवाल मोर्चे पर भेज दिया गया ! तुरंत एयर फ़ोर्स को इन टैंको को ध्वस्त करने के लिए कहा गया ! ३६ टैंको को उनमें सवार सैनिकों के साथ आग के हवाले कर दिया गया और एक को ज्यों का त्यों म्यूजियम में रखने के लिए दिल्ली पहुंचाया गया ! यहाँ पर हमारे काफी सैनिक मारे गए पर पाकिस्तान का कोई भी सैनिक/अधिकारी बच कर नहीं जा पाया ! (इस लड़ाई पर बार्डर और हिन्दुस्तान की कसम नाम से दो फ़िल्में भी बन चुकी हैं ) !
उधर दूसरे फ्रंट पर थ्री राज रिफ इसलामगढ़ किले पर बिना सपोर्ट के ही डटी हुई थी ! वहां पाकिस्तान की मेकेनाईज कंपनी थी टैंको के साथ लेकिन उन्हें टैंक इस्तेमाल करने का हमारे जवानों ने अवसर ही नहीं दिया ! हमारी यूनिट का एक वीर हवलदार दयाराम इस लड़ाई में वीर गति को प्राप्त हुआ ६-७ जख्मी हुए ! सुबह किले पर तिरंगा फहरा दिया गया था ! हवलदार दयाराम को वीर चक्र (मरणोपरांत ) दिया गया !
नेवी
भारती नेवी ने वाईस एडमिरल कोहली की कमान में कराची पोर्ट पर हमला कर दिया ! पाकिस्तान की पश्चिमी नेवी कमान की कमर टूट चुकी थी ! उनके युद्ध पोत और पंडूबियां समुद्र में डुबाई गयी थी ! पूर्व में हमारे नेवी के जवानों ने वाईस एडमिरल कृष्ण के नेत्रित्व में विक्रांत को लेकर पाकिस्तान के फ़ौजी अड्डे चिटगांव और काक्ष बाजार को तहस नहस कर दिया ! उनके कही जंगी जहाज
पंडूबियां, गन वोट, कार्गो, पेट्रोल टैंकर, और ३ व्यावसायिक और युद्ध पोत समुद्र में डूबा दिए गए ! एक हजार नौ सौ पाकिस्तानी सेलर आफिसर्स मारे गए और १४१३ पकडे गए ! उनका १४ वां हवाई स्काडन पूरी तरह नष्ट किया गया ! ! हमारा खुखरी नामक युद्ध पोत दुशमनों द्वारा अरबियन सागर में डुबाया गया ! इस युद्ध में नेवी के १८ ऑफिसर्स और १७६ सेलर शहीद हुए ! नेवी ने उनके परिवार वालों के लिए कोलाबा में नेवी नगर बसाया, फ्लेट बना बना कर शहीदों की विधवाओं को ये फ्लेट अलाउट किए गए !
भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान की १३००० स्क्वायर मील जमीन पर कब्जा कर दिया था ! जिसको बाद में शिमला समझौते में वापिस कर दिया गया ! १६/१२/१९७१ को पाकिस्तान के पूर्वी कमान के आर्मी कमांडर ए ए के नियाजी ने ९०,००० पाकिस्तानी सैनिकों और सिविलियनों के साथ भारतीय सेना के पूर्वी कमान के आर्मी कमांडर जगजीत सिंह अरोरा के सामने आत्म समर्पण कर दिया ! लड़ाई बंद हो गयी ! पूर्वी पाकिस्तान बंगलादेश बन गया ! १०/०१/१९७२ को मुजीबुर्र रहमान को पाकिस्तान में जेल से रिहा किया गया ! १२/०१/१९७२ को उन्हें नए बंगलादेश का प्रथम राष्ट्रपति बनाया गया ! बाद में नया संविधान बना और उन्हें उनकी जनता ने प्रधान मंत्री बना दिया !
लड़ाई समाप्त होने के दो दिन पहले पाकिस्तानी सेना ने वहां बड़ा कत्ले आम किया ख़ास तौर पर अल्प संख्यक डा०, टीचर और प्रभावशाली लोगों को मौत के घाट उतारा गया ! औरतों को बेइज्जत किया गया ! उनके जुल्मों की रिपोर्ट स्वयं पाकिस्तान के मानव अधिकार आयोग ने तैयार करके पाकिस्तान की सरकार को सौंपी थी और सेना के दुर्दांत जनरलों को इस सबके लिए जिम्मेवार बताया गया था ! अमेरिका के राष्ट्र पति रिचर्ड निक्शन और उसके रक्षा मंत्री किशंगर ने मिलकर भारतीय सेना के खिलाफ पाकिस्तान को मदद देने के लिए अपना युद्ध पोत बंगाल की खाड़ी में भेजा ! साथ ही जोर्डन और ईरान के रास्ते युद्ध सामग्री भी भेजी गयी ! इसके जबाब में रूस ने भी अपने युद्ध पोत बंगाल की खाड़ी में भेज दिए की अगर अमेरिका युद्ध में सामिल होता है तब रूस भी युद्ध में कूद पडेगा ! रूस बंगलावासियों को पाकिस्तान के चंगुल से बचाना चाहता था और इसलिए भारत की सहायता करने को आगे आ गया था ! अगर कहीं ये दो महाशक्तियां आपस में टकरा जाती तो लड़ाई १३ दिनों की जगह लम्बी खिंच जाती और भारत पाकिस्तान की भूमि पर विश्व युद्ध छिड जाता ! दोनों के युद्ध पोत हिंद महासागर में १८/१२/१९७१ से ०७/०१/१९७२ तक तैनात रहे ! निक्शन को खतरा था की भारत ने युद्ध जीतने के बाद यदि पश्चिमी पाकिस्तान पर अटैक कर दिया और पाकिस्तान का अस्तित्व समाप्त हो गया तो रूस का प्रभाव एशिया में बढ़ जाएगा ! ०२/०७/१९७२ को शिमला समझौता हुआ ! ज ए भूटो पाकिस्तान का प्रधान मंत्री बन गया ! उसके साथ भारत की प्रधान मंत्री ने आत्मिकता दिखलाई , उनकी जीती हुई जमीन उन्हें वापिस कर दी ! ९० हजार कैदियों को वापिस पाकिस्तान को सौंप दिया ! न काश्मीर की जीती जमीन अपने पास रखी न सारे पाकिस्तान में भारतीय कैदियों को रिहा करवाया ! देखिये फिल्म १९७१ के वार प्रिजनर्स !
३ दसंबर १९७१ रात के १२ बजे और पाकिस्तानी हवाई हमला, हमारे ईयर बेस पर गोला बारी, पठानकोट, अमृतसर, जम्मू, ये सभी सीमा से लगे नगरों पर अचानक का हमला ! भारतीय सेना पहले से तैयार थी और उन्हें पाकिस्तान की इस हरकत का पता था, इसलिए काउंटर अटैक करके पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को कुछ को गिरा दिया बाकियों को भगा दिया ! पहल पाकिस्तान ने की और भारत पाकिस्तान लड़ाई शुरू हो गयी थी ! संयुक्त राष्ट्र संघ को भी मालूम था की लड़ाई पाकिस्तान ने ही शुरू करके अंतर्राष्ट्रीय आदेशों का उल्लंघन किया है लेकिन अमेरिका का दबदबाव यू एन ओ पर इतना था की कोई भी कुछ भी कहने से बचता रहा ! अमेरिका फिर भी पाकिस्तान को अस्त्र शस्त्रों से सहायता देता रहा ! देश में अमर्जेंसी लग गयी थी ! भारतीय सेना को आगे बढ़ने का और पाकिस्तान की धरती पर पाकिस्तानियों को सबक सिखाने का आदेश हो गया था ! पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान की सीमावों के अन्दर हमारी सेना बड़ी तेजी से प्रवेश करने लगी ! प्रधानमंत्री श्रीमती इन्द्र गांधी, रक्षा मंत्री जग जीवन राम थे ! पूर्वी कमान के आर्मी कमांडर ले.जनरल जगजीतसिंह अरोरा और पाकिस्तान के कमान के कमांडर ले.जनरल नियाजी थे ! भारतीय सेना के सेनाध्यक्ष एस एच एफ मानेकशा थे, बाद में उनकी बहादुरी और कुशल नेतृत्त्व के लिए उन्हें फील्ड मार्शल के रैंक से नवाजा गया ! एयर फ़ोर्स के चीफ थे एयर फील्ड मार्शल अर्जुन सिंह ! बंग बंधु मुजीबुर रहमान पश्चिमी पाकिस्तान की जेल में बंद थे ! पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे जनरल याया खान ! मैं कुछ सैनिकों को लेकर नसीरावाद आया हुआ था, दफ्तर से कुछ जरूरी पेपर ले जाने थे ! २ दिसंबर को हम लोग नसीरावाद पहुंचे और ३ की रात बमबारी शुरू हो गयी ! उन दिनों रेडियो काफी पापुलर हो चुके थे ! समाचार और उसके बाद सरकारी आदेश उन तमाम जवान /ऑफिसर्स को जो यूनिट के बाहर, छुट्टी अस्थायी ड्यूटी पर थे, तुरंत यूनिट में हाजिर होने को कहा गया था ! तमाम फौजियों के लिए रेलवे सफ़र फ्री था ! मैंने अगले दिन सुबह ही सारे जवानों को जो मेरे साथ नसीराबाद आये थे, इकठ्ठा किया और रेलवे स्टेशन पहुंचे ! स्टेशन पर सिविलियनों ने फूल मालाओं से हम सारे फौजियों का स्वागत किया, चाय नास्ता खिलाया और भारी मन से विदाई दी ! जेसलमेर के लिए ट्रेन पकड़ी और ट्रेन भी भागती हुई हवा से बात करती हुई मंजिल की ओर जाने लगी ! पाकिस्तानी हवाई हमलावरों ने इसी गाडी को निशाना बनाने के लिए जेसलमेर स्टेशन पर लड़ाकू विमानों से गोले गिरा कर स्टेशन को बुरी तरह से नष्ट कर दिया ! ईश्वर की इच्छा थी की हमारी ट्रेन १० मिनिट लेट थी नहीं तो ट्रेन का कोई यात्री नहीं बचता जिसमें सारे फ़ौजी ही थे ! जेसलमेर स्टेशन पर रात झाड़ियों में बिताई, अगले दिन मिलिटरी कानवाई रामगढ़ होते हुए हमें हमारी यूनिट में पहुंचा गए ५ दिसंबर की शाम को ! हमारा डिविजन किशनगढ़ किले के दक्षिण में कैम्प लगाए था ! हमारी यूनिट थ्री राज रिफ को आदेश था किशनगढ़ के पूरब उत्तर में इसलामगढ़ के किले को कब्जे में करने का ! तथा आर्टलरी को सपोर्ट देना था ! हमारी यूनिट आगे बढ़ गयी, पीछे से खबर आई की रहीमयार खान से पाकिस्तानी ३७ टैंको ने लोंगेवाल भारतीय चौकी पर हमला कर दिया है ! लोंगेवाल में हमारे ब्रिगेड की केवल एक कंपनी तैनात थी, खबर आते ही पूरा डिविजन लोंगेवाल मोर्चे पर भेज दिया गया ! तुरंत एयर फ़ोर्स को इन टैंको को ध्वस्त करने के लिए कहा गया ! ३६ टैंको को उनमें सवार सैनिकों के साथ आग के हवाले कर दिया गया और एक को ज्यों का त्यों म्यूजियम में रखने के लिए दिल्ली पहुंचाया गया ! यहाँ पर हमारे काफी सैनिक मारे गए पर पाकिस्तान का कोई भी सैनिक/अधिकारी बच कर नहीं जा पाया ! (इस लड़ाई पर बार्डर और हिन्दुस्तान की कसम नाम से दो फ़िल्में भी बन चुकी हैं ) !
उधर दूसरे फ्रंट पर थ्री राज रिफ इसलामगढ़ किले पर बिना सपोर्ट के ही डटी हुई थी ! वहां पाकिस्तान की मेकेनाईज कंपनी थी टैंको के साथ लेकिन उन्हें टैंक इस्तेमाल करने का हमारे जवानों ने अवसर ही नहीं दिया ! हमारी यूनिट का एक वीर हवलदार दयाराम इस लड़ाई में वीर गति को प्राप्त हुआ ६-७ जख्मी हुए ! सुबह किले पर तिरंगा फहरा दिया गया था ! हवलदार दयाराम को वीर चक्र (मरणोपरांत ) दिया गया !
नेवी
भारती नेवी ने वाईस एडमिरल कोहली की कमान में कराची पोर्ट पर हमला कर दिया ! पाकिस्तान की पश्चिमी नेवी कमान की कमर टूट चुकी थी ! उनके युद्ध पोत और पंडूबियां समुद्र में डुबाई गयी थी ! पूर्व में हमारे नेवी के जवानों ने वाईस एडमिरल कृष्ण के नेत्रित्व में विक्रांत को लेकर पाकिस्तान के फ़ौजी अड्डे चिटगांव और काक्ष बाजार को तहस नहस कर दिया ! उनके कही जंगी जहाज
पंडूबियां, गन वोट, कार्गो, पेट्रोल टैंकर, और ३ व्यावसायिक और युद्ध पोत समुद्र में डूबा दिए गए ! एक हजार नौ सौ पाकिस्तानी सेलर आफिसर्स मारे गए और १४१३ पकडे गए ! उनका १४ वां हवाई स्काडन पूरी तरह नष्ट किया गया ! ! हमारा खुखरी नामक युद्ध पोत दुशमनों द्वारा अरबियन सागर में डुबाया गया ! इस युद्ध में नेवी के १८ ऑफिसर्स और १७६ सेलर शहीद हुए ! नेवी ने उनके परिवार वालों के लिए कोलाबा में नेवी नगर बसाया, फ्लेट बना बना कर शहीदों की विधवाओं को ये फ्लेट अलाउट किए गए !
भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान की १३००० स्क्वायर मील जमीन पर कब्जा कर दिया था ! जिसको बाद में शिमला समझौते में वापिस कर दिया गया ! १६/१२/१९७१ को पाकिस्तान के पूर्वी कमान के आर्मी कमांडर ए ए के नियाजी ने ९०,००० पाकिस्तानी सैनिकों और सिविलियनों के साथ भारतीय सेना के पूर्वी कमान के आर्मी कमांडर जगजीत सिंह अरोरा के सामने आत्म समर्पण कर दिया ! लड़ाई बंद हो गयी ! पूर्वी पाकिस्तान बंगलादेश बन गया ! १०/०१/१९७२ को मुजीबुर्र रहमान को पाकिस्तान में जेल से रिहा किया गया ! १२/०१/१९७२ को उन्हें नए बंगलादेश का प्रथम राष्ट्रपति बनाया गया ! बाद में नया संविधान बना और उन्हें उनकी जनता ने प्रधान मंत्री बना दिया !
लड़ाई समाप्त होने के दो दिन पहले पाकिस्तानी सेना ने वहां बड़ा कत्ले आम किया ख़ास तौर पर अल्प संख्यक डा०, टीचर और प्रभावशाली लोगों को मौत के घाट उतारा गया ! औरतों को बेइज्जत किया गया ! उनके जुल्मों की रिपोर्ट स्वयं पाकिस्तान के मानव अधिकार आयोग ने तैयार करके पाकिस्तान की सरकार को सौंपी थी और सेना के दुर्दांत जनरलों को इस सबके लिए जिम्मेवार बताया गया था ! अमेरिका के राष्ट्र पति रिचर्ड निक्शन और उसके रक्षा मंत्री किशंगर ने मिलकर भारतीय सेना के खिलाफ पाकिस्तान को मदद देने के लिए अपना युद्ध पोत बंगाल की खाड़ी में भेजा ! साथ ही जोर्डन और ईरान के रास्ते युद्ध सामग्री भी भेजी गयी ! इसके जबाब में रूस ने भी अपने युद्ध पोत बंगाल की खाड़ी में भेज दिए की अगर अमेरिका युद्ध में सामिल होता है तब रूस भी युद्ध में कूद पडेगा ! रूस बंगलावासियों को पाकिस्तान के चंगुल से बचाना चाहता था और इसलिए भारत की सहायता करने को आगे आ गया था ! अगर कहीं ये दो महाशक्तियां आपस में टकरा जाती तो लड़ाई १३ दिनों की जगह लम्बी खिंच जाती और भारत पाकिस्तान की भूमि पर विश्व युद्ध छिड जाता ! दोनों के युद्ध पोत हिंद महासागर में १८/१२/१९७१ से ०७/०१/१९७२ तक तैनात रहे ! निक्शन को खतरा था की भारत ने युद्ध जीतने के बाद यदि पश्चिमी पाकिस्तान पर अटैक कर दिया और पाकिस्तान का अस्तित्व समाप्त हो गया तो रूस का प्रभाव एशिया में बढ़ जाएगा ! ०२/०७/१९७२ को शिमला समझौता हुआ ! ज ए भूटो पाकिस्तान का प्रधान मंत्री बन गया ! उसके साथ भारत की प्रधान मंत्री ने आत्मिकता दिखलाई , उनकी जीती हुई जमीन उन्हें वापिस कर दी ! ९० हजार कैदियों को वापिस पाकिस्तान को सौंप दिया ! न काश्मीर की जीती जमीन अपने पास रखी न सारे पाकिस्तान में भारतीय कैदियों को रिहा करवाया ! देखिये फिल्म १९७१ के वार प्रिजनर्स !
न्यू यार्क का मौसम
मौसम ने इस साल तो कमाल कर दिया ! इस साल न्यू यार्क में बर्फ पडी, खूब पड़ी ! पिछले कही सालों का रिकार्ड तोड़ गयी ! अब गर्मी भी दो कदम आगे बढ़ने की कोशीश कर रही है ! मान के चलें कि सोमवार का दिन सुबह से ही ठंडी ठंडी हवाएं चलेंगी, घूमने फिरने वालों के लिए वरदान ! भूप तेज भी हो तो भी हवाएं चलती रहती हैं, अच्छा लगता है ! चिड़ियाँ चह चहा एंगी, नियमानुसार गीत गाएंगी ! मंगलवार, सुबह सुबह मौसम विभाग वालों की वार्निग आ जाती है, "मौसम खुश्क और तेज गर्मी होगी, बच्चों को अन्दर ही रखें, बाहर न आने दें !" और सच मुच में गर्मी का लेबल बढ़ता ही चला जाता है ! घुटन, उमस, ए सी भी काम नहीं करता ! बाहर धूप भीतर उमस और घुटन, अजीब स्थिति ! समय निकल जाता है शाम को आसमान साफ़, इन्ने गिन्ने तारे नजर आएँगे लेकिन वे भी मगरूर बिलकुल नहीं टिम टिमाएंगे ! स्थिर अटल, तो ये तारे नहीं हैं, ग्रह हैं, शुक्र या मंगल या शनि ! वे भी रूठे लगते हैं, आदमी ने उन्हें वहां भी चैन से नहीं रहने दिया है ! फिर तारे कहाँ गए ? प्रदूषण की आंधी में ढक गए हैं !! बुध, वार्निंग "आज जोर की आंधी (हरिकेन) के साथ वारीश आएगी १० से डेढ़ बजे तक ! बच्चों को पार्क या सडकों पर न जाने दें ! दरवाजे बंद करके रखें !" भविष्य वाणी सत्य होती है ! सही में आंधी आती है वारीश भी और उसी समय १० से डेढ़ बजे तक ! वारीश तेज होगी लगेगा की सड़कें पानी से भर जाएंगे, यातायात बंद हो जाएगा, लेकिन वारीश बंद होते ही पानी भी गायब ! सिस्टम इतना फुलप्रूफ है कि पानी नालियों से सीवर लाईन से पास होता चला जाता है और फिर साईकिलिंग ट्रीटमेंट में साफ़ होकर पाइप लाइनों में आ जाता है ! पानी की एक बूंद भी बरबाद नहीं होती ! हफ्ते में मौसम में अचानक बदलाव आ जाता है ! वैज्ञानिक कहते हैं यह सब आदमी के करनी का फल है फिर भी आदमी वही करता जा रहा है, दुःख उठा रहा है लेकिन बाज नहीं आ रहा है !
Tuesday, July 27, 2010
मेरी कहानी (ग्यारवाँ भाग)
फौजियों को बहलाने के लिए की आपकी बटालियन अब पीस में जा रही है कम से कम तीन साल तो मजे से कटेंगे ! लेकिन सही में यूनिट का पीस टाईम फील्ड टाईम से ज्यादा भाग दौड़ का होता है ! यहाँ ड्यूटियां बढ़ जाती हैं, सिविल सरकार को जरूरत पड़ने पर क़ानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद देनी पड़ती है, दो महीने के लिए ट्रेनिंग कैम्प में यूनिट से दूर जाना पड़ता है, खेल प्रतियोगिताएं होती रहती हैं ! फिर हर जवान को दो महीने की छुट्टी के अलावा आकस्मिक छूटी दी जाती है, जो फील्ड एरिया में संभव नहीं होता ! असली लड़ाई में तो सालों जवानों को छुटियाँ नहीं मिलती ! पीस में हर जवान के बच्चों की पढाई और परिवार के स्वास्थ्य के बारें पूरा ध्यान रखा जाता है ! जम जमाव हो गया था लेकिन अचानक पाकिस्तान के फ़ौजी हुकमरानों के दिमाग की खुरापाती घंटी बजी और सीमा पर फिर पाकिस्तानी सैनिकों की हल चल शुरू हो गयी ! जितनी भी यूनिटें पीस में थी सभी को सीमा पर जाने का आदेश हो गया ! हमारी यूनिट भी पूरे डिविजन के साथ जैसलमेर, रामगढ़ होते हुए सीधे किशनगढ़
पहुँची ! १९६५ तक सड़कें कच्ची थी और यहाँ किशनगढ़ में केवल बी एस एफ की एक प्लाटून तैनात थी ! अब तो जैसलमेर से किशनगढ़ तक चौड़ी और साफ़ सुथरी सड़क है ! किशनगढ़ पाकिस्तान के रहिमयारखान, जहाँ उनका डिविजन मुख्यालय था के बिलकुल नजदीक पड़ता है ! यहाँ एक पुराना किला है जो अभी भी चारों ओर रेत के टीलों के बीच में अकेला खड़ा वीरगाथा काल की स्मृतियों को ज़िंदा रखे हुए है ! यहीं पर हमारी यूनिट का हेड क्वार्टर था ! इसके पश्चिम में एक प्राचीन मंदिर है इस मंदिर के विशाल आँगन में डिविजन/ब्रिगेड मुख्यालय कैमोफ्लाईज करके मोर्चो के अन्दर सेट किए गए थे ! अक्टूबर का महीना दिन में गर्मी और रात को सर्दी ! चारों ओर रेगिस्तान हजारों मील तक रेत और बालू के विशाल भण्डार कहीं ऊंचे ऊंचे रेत के पर्वत तो कहीं दूर दूर तक मैदान ! कंही कंही छोटी छोटी कंटीली झाड़ियाँ, इसके अलावा बनस्पति नाम का कोई पेड़ पौधा नजर नहीं आता है ! आँखें तरस जाती हैं हरियाली देखने के लिए ! हमारी यूनिट की कम्पनियां भी इन रेत के टीलों पर मोर्चे बनाकर कैमोफ्लाईज करके ड्यूटियां देने लगी ! पूरी तैय्यारियाँ ! किशनगढ़ किले के बाहर एक बहुत बड़ा कुंवा है जो यहाँ के पूरे डिविजन को पानी का एक मात्र जरीया था ! एक ऊँट लगातार पानी निकालने के लिए लगा रखा था ! यहाँ इस रेगिस्तान में सांप बिच्छु और हिरन भी देखने को मिल जाते हैं ! कही बार हमने देखा की ये हिरन इन कंटीली झाड़ियों की जड़ें उखाड़ कर अपनी प्यास बुझाते हैं ! यहाँ के स्थानीय लोग न तो इन हिरणों को स्वयम मारते हैं न किसी ओंर को इन्हें मारने देते हैं ! शायद गीदड़ और कुछ और भी छोटे छोटे जानवर इन रेगिस्तानों में पाए जाते हैं ! यहाँ की ट्रांसपोर्ट का काम करते हैं यहाँ के ऊँट जिनको desert ship कहा जाता हैं !
मंदिर
घंटियाली नाम से यहाँ किशनगढ़ किले के दक्षिण में यह मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर है ! यहाँ के स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र बिंदु है ! कहते हैं सन १९६५ ई० की लड़ाई के सीज फायर बाद पाकिस्तानी आर्मी के जवान इस रेगिस्तान के अधिक से अधिक हिस्से पर अपना अधिकार ज़माना चाहते थे, उस समय बी एस एफ की केवल एक प्लाटून इस मंदिर में मौजूद थी ! बाहर से संचार व्यवस्था कट हो गयी थी ! राशन भी समाप्त होगया था ! एक रात को ये जवान अपने कमांडर के साथ भागने के लिए मंदिर से बाहर निकले ! चांदनी रात थी ! अचानक उन्हें मंदिर के द्वार पर एक सफ़ेद वस्त्रों में लिपटी एक छाया नजर आई ! साथ ही एक आवाज आई "मंदिर छोड़ कर जाओगे ज़िंदा नहीं बचोगे, खैर चाहते हो यहीं मंदिर में छिपे रहो, बाहर पाकिस्तानी शिकारी कुत्तों की तरह घूम रहे हैं !" वे लोग वापिस मंदिर में चले गए ! और उसी रात एक चमत्कार हो गया ! पाकिस्तानी हेलीकाप्टर ने पाकिस्तानी गस्ती दस्ते के लिए जो राशन गिराया वह मंदिर के आँगन में गिर गया ! इन जवानों के मजे हो गए, ऊपर से भगवान ने राशन जो गिरा दिया था ! एक महीने तक मंदिर में रहे ऐश किये ! राशन में चावल, आटा, दालें, गर्म मशाले, सूखे मेवे, चीनी, और सब कुछ था ! तब तक दोनों देशों की सेनाएं अपने अपने कैम्पों में लौट गए थे ! इनके लिए भी अपनी यूनिट में जाने का रास्ता साफ़ हो गया था ! देवी माँ को चढ़ाव चढ़ा कर फूल मालाएँ पहिना कर ये लोग मंदिर से निकले और बिना किसी विघ्न वाधा के अपनी यूनिट में पहुँच गए ! यहाँ के स्थानीय लोग एक किस्सा और बताते हैं ! "जब बी एस एफ वाले मंदिर छोड़ कर चले गए तो पीछे से पाकिस्तान आर्मी के एक मेजर और दो सैनिक मंदिर में घुस गए और लगे मूर्तियाँ तोड़ने ! अचानक तोड़ फोड़ करने वाले दोनों सैनिक अंधे हो गए ! उनके कमांडर ने देवी माँ के आगे घुटने टेक कर माफी माँगी, दंड भरा ! इस तरह वे दोनों उदंड सैनिक पूरी तरह तो देख नहीं पा रहे थे लेकिन माँ ने उन्हें पूरा अंधा भी नहीं बनाया ! कहते हैं उस मेजर ने पाकिस्तान पहुँच कर दंड स्वरूप दो हजार रुपये मंदिर समिति को मंदिर की मरम्मत करने को भेजे थे" ! सन १९७१ की लड़ाई के दौरान पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने इस मंदिर के ऊपर काफी गोला बारी की लेकिन माँ की कृपा से एक बम भी नहीं फटा और न कोई नुकशान ही हुआ ! सारे बम रेत में घुस गए !
पहुँची ! १९६५ तक सड़कें कच्ची थी और यहाँ किशनगढ़ में केवल बी एस एफ की एक प्लाटून तैनात थी ! अब तो जैसलमेर से किशनगढ़ तक चौड़ी और साफ़ सुथरी सड़क है ! किशनगढ़ पाकिस्तान के रहिमयारखान, जहाँ उनका डिविजन मुख्यालय था के बिलकुल नजदीक पड़ता है ! यहाँ एक पुराना किला है जो अभी भी चारों ओर रेत के टीलों के बीच में अकेला खड़ा वीरगाथा काल की स्मृतियों को ज़िंदा रखे हुए है ! यहीं पर हमारी यूनिट का हेड क्वार्टर था ! इसके पश्चिम में एक प्राचीन मंदिर है इस मंदिर के विशाल आँगन में डिविजन/ब्रिगेड मुख्यालय कैमोफ्लाईज करके मोर्चो के अन्दर सेट किए गए थे ! अक्टूबर का महीना दिन में गर्मी और रात को सर्दी ! चारों ओर रेगिस्तान हजारों मील तक रेत और बालू के विशाल भण्डार कहीं ऊंचे ऊंचे रेत के पर्वत तो कहीं दूर दूर तक मैदान ! कंही कंही छोटी छोटी कंटीली झाड़ियाँ, इसके अलावा बनस्पति नाम का कोई पेड़ पौधा नजर नहीं आता है ! आँखें तरस जाती हैं हरियाली देखने के लिए ! हमारी यूनिट की कम्पनियां भी इन रेत के टीलों पर मोर्चे बनाकर कैमोफ्लाईज करके ड्यूटियां देने लगी ! पूरी तैय्यारियाँ ! किशनगढ़ किले के बाहर एक बहुत बड़ा कुंवा है जो यहाँ के पूरे डिविजन को पानी का एक मात्र जरीया था ! एक ऊँट लगातार पानी निकालने के लिए लगा रखा था ! यहाँ इस रेगिस्तान में सांप बिच्छु और हिरन भी देखने को मिल जाते हैं ! कही बार हमने देखा की ये हिरन इन कंटीली झाड़ियों की जड़ें उखाड़ कर अपनी प्यास बुझाते हैं ! यहाँ के स्थानीय लोग न तो इन हिरणों को स्वयम मारते हैं न किसी ओंर को इन्हें मारने देते हैं ! शायद गीदड़ और कुछ और भी छोटे छोटे जानवर इन रेगिस्तानों में पाए जाते हैं ! यहाँ की ट्रांसपोर्ट का काम करते हैं यहाँ के ऊँट जिनको desert ship कहा जाता हैं !
मंदिर
घंटियाली नाम से यहाँ किशनगढ़ किले के दक्षिण में यह मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर है ! यहाँ के स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र बिंदु है ! कहते हैं सन १९६५ ई० की लड़ाई के सीज फायर बाद पाकिस्तानी आर्मी के जवान इस रेगिस्तान के अधिक से अधिक हिस्से पर अपना अधिकार ज़माना चाहते थे, उस समय बी एस एफ की केवल एक प्लाटून इस मंदिर में मौजूद थी ! बाहर से संचार व्यवस्था कट हो गयी थी ! राशन भी समाप्त होगया था ! एक रात को ये जवान अपने कमांडर के साथ भागने के लिए मंदिर से बाहर निकले ! चांदनी रात थी ! अचानक उन्हें मंदिर के द्वार पर एक सफ़ेद वस्त्रों में लिपटी एक छाया नजर आई ! साथ ही एक आवाज आई "मंदिर छोड़ कर जाओगे ज़िंदा नहीं बचोगे, खैर चाहते हो यहीं मंदिर में छिपे रहो, बाहर पाकिस्तानी शिकारी कुत्तों की तरह घूम रहे हैं !" वे लोग वापिस मंदिर में चले गए ! और उसी रात एक चमत्कार हो गया ! पाकिस्तानी हेलीकाप्टर ने पाकिस्तानी गस्ती दस्ते के लिए जो राशन गिराया वह मंदिर के आँगन में गिर गया ! इन जवानों के मजे हो गए, ऊपर से भगवान ने राशन जो गिरा दिया था ! एक महीने तक मंदिर में रहे ऐश किये ! राशन में चावल, आटा, दालें, गर्म मशाले, सूखे मेवे, चीनी, और सब कुछ था ! तब तक दोनों देशों की सेनाएं अपने अपने कैम्पों में लौट गए थे ! इनके लिए भी अपनी यूनिट में जाने का रास्ता साफ़ हो गया था ! देवी माँ को चढ़ाव चढ़ा कर फूल मालाएँ पहिना कर ये लोग मंदिर से निकले और बिना किसी विघ्न वाधा के अपनी यूनिट में पहुँच गए ! यहाँ के स्थानीय लोग एक किस्सा और बताते हैं ! "जब बी एस एफ वाले मंदिर छोड़ कर चले गए तो पीछे से पाकिस्तान आर्मी के एक मेजर और दो सैनिक मंदिर में घुस गए और लगे मूर्तियाँ तोड़ने ! अचानक तोड़ फोड़ करने वाले दोनों सैनिक अंधे हो गए ! उनके कमांडर ने देवी माँ के आगे घुटने टेक कर माफी माँगी, दंड भरा ! इस तरह वे दोनों उदंड सैनिक पूरी तरह तो देख नहीं पा रहे थे लेकिन माँ ने उन्हें पूरा अंधा भी नहीं बनाया ! कहते हैं उस मेजर ने पाकिस्तान पहुँच कर दंड स्वरूप दो हजार रुपये मंदिर समिति को मंदिर की मरम्मत करने को भेजे थे" ! सन १९७१ की लड़ाई के दौरान पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने इस मंदिर के ऊपर काफी गोला बारी की लेकिन माँ की कृपा से एक बम भी नहीं फटा और न कोई नुकशान ही हुआ ! सारे बम रेत में घुस गए !
Monday, July 26, 2010
अमेरिका के खरगोश
यहाँ न्यूयार्क म्यल विल में नए घर के पूरब दक्षिण में मखमली घास से ढकी एक खूबसूरत पहाडी है ! बच्चों के पार्क से कुछ ऊंचाई लेते हुए इस पहाडी को और सुन्दर बनाने के लिए इस पर कई किस्म के पेड़ और पौधे लगे हुए हैं साथ ही कई रंगों के फूलों से इसे और आकर्षित बनाया गया है ! इसके साथ दक्षिण दिशा में बीस फूट चौड़ा जंगलात वालों की जमीन है और उसके बाद एक तरफ चलने वाले वाहनों के लिए डब्बल लेंन सड़क है ! इस पहाडी के ऊपर घुमने के लिए ३ फूटा पक्का रास्ता है ! पहाडी के बीच में इस रास्ते को एक गोल चक्कर का घुमाव दिया हुआ है ! हम जैसे लोगों के लिए यह स्थान घुमने फिरने के लिए बहुत ही सुविधा जनक है ! मैं और मेरी पत्नी रोज सुबह सुबह इस पहाडी के चक्कर लगाने चले जाते हैं, इस समय यहाँ पेड़ों और झाड़ियों में भाँती भांति के छोटे बड़े चिड़िया मधुर स्वरों में गाते हुए मिल जाते हैं ! इसी पहाडी पर जो जंगलात वालों की सुरक्षित जमीन है उस पर कही सुन्दर सुन्दर खरगोशों के परिवार रहते हैं ! कुछ बड़े कुछ छोटे और कुछ ऐसे भी हैं जिन्हों ने शायद अभी अभी आँखें खोली हो ! हम जब भी पहाडी पर जाते हैं ये दुम दबाते हुए हल्की दौड़ लगाते हुए मिलते हैं ! फिर कुछ दूरी पर बैठ जाते हैं और मजे से मखमली घास का आनन्द लेते हुए पेट पूजा भी करते हैं ! जैसे हमारी आँखें उन्हें ढूँढती हैं वैसे ही लगता है की वे भी रस्ते के किनारे बैठकर हमारा इन्तजार करते हैं ! यहाँ के स्थानीय लोग कुदरत के इन हसींन उपहारों को बहुत प्यार करते हैं और कभी ऐसा कुछ नहीं करते हैं जिससे इन प्यारे प्यारे नन्ने नन्ने खरगोशों को कोई असुविधा हो ! रात को तो ये फ्लेटों के पीछे के बने बगीचों में आ जाते हैं ! फूलों के ऊपर तितलियों की उड़ान भंवरों की गुंजन इस पहाडी की सुन्दरता में चार चाँद लगा देती है !
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