Wednesday, July 28, 2010

मेरी कहानी (बारहवां भाग)

१९७१ भारत पाक संग्राम
३ दसंबर १९७१ रात के १२ बजे और पाकिस्तानी हवाई हमला, हमारे ईयर बेस पर गोला बारी, पठानकोट, अमृतसर, जम्मू, ये सभी सीमा से लगे नगरों पर अचानक का हमला ! भारतीय सेना पहले से तैयार थी और उन्हें पाकिस्तान की इस हरकत का पता था, इसलिए काउंटर अटैक करके पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को कुछ को गिरा दिया बाकियों को भगा दिया ! पहल पाकिस्तान ने की और भारत पाकिस्तान लड़ाई शुरू हो गयी थी ! संयुक्त राष्ट्र संघ को भी मालूम था की लड़ाई पाकिस्तान ने ही शुरू करके अंतर्राष्ट्रीय आदेशों का उल्लंघन किया है लेकिन अमेरिका का दबदबाव यू एन ओ पर इतना था की कोई भी कुछ भी कहने से बचता रहा ! अमेरिका फिर भी पाकिस्तान को अस्त्र शस्त्रों से सहायता देता रहा ! देश में अमर्जेंसी लग गयी थी ! भारतीय सेना को आगे बढ़ने का और पाकिस्तान की धरती पर पाकिस्तानियों को सबक सिखाने का आदेश हो गया था ! पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान की सीमावों के अन्दर हमारी सेना बड़ी तेजी से प्रवेश करने लगी ! प्रधानमंत्री श्रीमती इन्द्र गांधी, रक्षा मंत्री जग जीवन राम थे ! पूर्वी कमान के आर्मी कमांडर ले.जनरल जगजीतसिंह अरोरा और पाकिस्तान के कमान के कमांडर ले.जनरल नियाजी थे ! भारतीय सेना के सेनाध्यक्ष एस एच एफ मानेकशा थे, बाद में उनकी बहादुरी और कुशल नेतृत्त्व के लिए उन्हें फील्ड मार्शल के रैंक से नवाजा गया ! एयर फ़ोर्स के चीफ थे एयर फील्ड मार्शल अर्जुन सिंह ! बंग बंधु मुजीबुर रहमान पश्चिमी पाकिस्तान की जेल में बंद थे ! पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे जनरल याया खान ! मैं कुछ सैनिकों को लेकर नसीरावाद आया हुआ था, दफ्तर से कुछ जरूरी पेपर ले जाने थे ! २ दिसंबर को हम लोग नसीरावाद पहुंचे और ३ की रात बमबारी शुरू हो गयी ! उन दिनों रेडियो काफी पापुलर हो चुके थे ! समाचार और उसके बाद सरकारी आदेश उन तमाम जवान /ऑफिसर्स को जो यूनिट के बाहर, छुट्टी अस्थायी ड्यूटी पर थे, तुरंत यूनिट में हाजिर होने को कहा गया था ! तमाम फौजियों के लिए रेलवे सफ़र फ्री था ! मैंने अगले दिन सुबह ही सारे जवानों को जो मेरे साथ नसीराबाद आये थे, इकठ्ठा किया और रेलवे स्टेशन पहुंचे ! स्टेशन पर सिविलियनों ने फूल मालाओं से हम सारे फौजियों का स्वागत किया, चाय नास्ता खिलाया और भारी मन से विदाई दी ! जेसलमेर के लिए ट्रेन पकड़ी और ट्रेन भी भागती हुई हवा से बात करती हुई मंजिल की ओर जाने लगी ! पाकिस्तानी हवाई हमलावरों ने इसी गाडी को निशाना बनाने के लिए जेसलमेर स्टेशन पर लड़ाकू विमानों से गोले गिरा कर स्टेशन को बुरी तरह से नष्ट कर दिया ! ईश्वर की इच्छा थी की हमारी ट्रेन १० मिनिट लेट थी नहीं तो ट्रेन का कोई यात्री नहीं बचता जिसमें सारे फ़ौजी ही थे ! जेसलमेर स्टेशन पर रात झाड़ियों में बिताई, अगले दिन मिलिटरी कानवाई रामगढ़ होते हुए हमें हमारी यूनिट में पहुंचा गए ५ दिसंबर की शाम को ! हमारा डिविजन किशनगढ़ किले के दक्षिण में कैम्प लगाए था ! हमारी यूनिट थ्री राज रिफ को आदेश था किशनगढ़ के पूरब उत्तर में इसलामगढ़ के किले को कब्जे में करने का ! तथा आर्टलरी को सपोर्ट देना था ! हमारी यूनिट आगे बढ़ गयी, पीछे से खबर आई की रहीमयार खान से पाकिस्तानी ३७ टैंको ने लोंगेवाल भारतीय चौकी पर हमला कर दिया है ! लोंगेवाल में हमारे ब्रिगेड की केवल एक कंपनी तैनात थी, खबर आते ही पूरा डिविजन लोंगेवाल मोर्चे पर भेज दिया गया ! तुरंत एयर फ़ोर्स को इन टैंको को ध्वस्त करने के लिए कहा गया ! ३६ टैंको को उनमें सवार सैनिकों के साथ आग के हवाले कर दिया गया और एक को ज्यों का त्यों म्यूजियम में रखने के लिए दिल्ली पहुंचाया गया ! यहाँ पर हमारे काफी सैनिक मारे गए पर पाकिस्तान का कोई भी सैनिक/अधिकारी बच कर नहीं जा पाया ! (इस लड़ाई पर बार्डर और हिन्दुस्तान की कसम नाम से दो फ़िल्में भी बन चुकी हैं ) !
उधर दूसरे फ्रंट पर थ्री राज रिफ इसलामगढ़ किले पर बिना सपोर्ट के ही डटी हुई थी ! वहां पाकिस्तान की मेकेनाईज कंपनी थी टैंको के साथ लेकिन उन्हें टैंक इस्तेमाल करने का हमारे जवानों ने अवसर ही नहीं दिया ! हमारी यूनिट का एक वीर हवलदार दयाराम इस लड़ाई में वीर गति को प्राप्त हुआ ६-७ जख्मी हुए ! सुबह किले पर तिरंगा फहरा दिया गया था ! हवलदार दयाराम को वीर चक्र (मरणोपरांत ) दिया गया !
नेवी
भारती नेवी ने वाईस एडमिरल कोहली की कमान में कराची पोर्ट पर हमला कर दिया ! पाकिस्तान की पश्चिमी नेवी कमान की कमर टूट चुकी थी ! उनके युद्ध पोत और पंडूबियां समुद्र में डुबाई गयी थी ! पूर्व में हमारे नेवी के जवानों ने वाईस एडमिरल कृष्ण के नेत्रित्व में विक्रांत को लेकर पाकिस्तान के फ़ौजी अड्डे चिटगांव और काक्ष बाजार को तहस नहस कर दिया ! उनके कही जंगी जहाज
पंडूबियां, गन वोट, कार्गो, पेट्रोल टैंकर, और ३ व्यावसायिक और युद्ध पोत समुद्र में डूबा दिए गए ! एक हजार नौ सौ पाकिस्तानी सेलर आफिसर्स मारे गए और १४१३ पकडे गए ! उनका १४ वां हवाई स्काडन पूरी तरह नष्ट किया गया ! ! हमारा खुखरी नामक युद्ध पोत दुशमनों द्वारा अरबियन सागर में डुबाया गया ! इस युद्ध में नेवी के १८ ऑफिसर्स और १७६ सेलर शहीद हुए ! नेवी ने उनके परिवार वालों के लिए कोलाबा में नेवी नगर बसाया, फ्लेट बना बना कर शहीदों की विधवाओं को ये फ्लेट अलाउट किए गए !
भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान की १३००० स्क्वायर मील जमीन पर कब्जा कर दिया था ! जिसको बाद में शिमला समझौते में वापिस कर दिया गया ! १६/१२/१९७१ को पाकिस्तान के पूर्वी कमान के आर्मी कमांडर ए ए के नियाजी ने ९०,००० पाकिस्तानी सैनिकों और सिविलियनों के साथ भारतीय सेना के पूर्वी कमान के आर्मी कमांडर जगजीत सिंह अरोरा के सामने आत्म समर्पण कर दिया ! लड़ाई बंद हो गयी ! पूर्वी पाकिस्तान बंगलादेश बन गया ! १०/०१/१९७२ को मुजीबुर्र रहमान को पाकिस्तान में जेल से रिहा किया गया ! १२/०१/१९७२ को उन्हें नए बंगलादेश का प्रथम राष्ट्रपति बनाया गया ! बाद में नया संविधान बना और उन्हें उनकी जनता ने प्रधान मंत्री बना दिया !
लड़ाई समाप्त होने के दो दिन पहले पाकिस्तानी सेना ने वहां बड़ा कत्ले आम किया ख़ास तौर पर अल्प संख्यक डा०, टीचर और प्रभावशाली लोगों को मौत के घाट उतारा गया ! औरतों को बेइज्जत किया गया ! उनके जुल्मों की रिपोर्ट स्वयं पाकिस्तान के मानव अधिकार आयोग ने तैयार करके पाकिस्तान की सरकार को सौंपी थी और सेना के दुर्दांत जनरलों को इस सबके लिए जिम्मेवार बताया गया था ! अमेरिका के राष्ट्र पति रिचर्ड निक्शन और उसके रक्षा मंत्री किशंगर ने मिलकर भारतीय सेना के खिलाफ पाकिस्तान को मदद देने के लिए अपना युद्ध पोत बंगाल की खाड़ी में भेजा ! साथ ही जोर्डन और ईरान के रास्ते युद्ध सामग्री भी भेजी गयी ! इसके जबाब में रूस ने भी अपने युद्ध पोत बंगाल की खाड़ी में भेज दिए की अगर अमेरिका युद्ध में सामिल होता है तब रूस भी युद्ध में कूद पडेगा ! रूस बंगलावासियों को पाकिस्तान के चंगुल से बचाना चाहता था और इसलिए भारत की सहायता करने को आगे आ गया था ! अगर कहीं ये दो महाशक्तियां आपस में टकरा जाती तो लड़ाई १३ दिनों की जगह लम्बी खिंच जाती और भारत पाकिस्तान की भूमि पर विश्व युद्ध छिड जाता ! दोनों के युद्ध पोत हिंद महासागर में १८/१२/१९७१ से ०७/०१/१९७२ तक तैनात रहे ! निक्शन को खतरा था की भारत ने युद्ध जीतने के बाद यदि पश्चिमी पाकिस्तान पर अटैक कर दिया और पाकिस्तान का अस्तित्व समाप्त हो गया तो रूस का प्रभाव एशिया में बढ़ जाएगा ! ०२/०७/१९७२ को शिमला समझौता हुआ ! ज ए भूटो पाकिस्तान का प्रधान मंत्री बन गया ! उसके साथ भारत की प्रधान मंत्री ने आत्मिकता दिखलाई , उनकी जीती हुई जमीन उन्हें वापिस कर दी ! ९० हजार कैदियों को वापिस पाकिस्तान को सौंप दिया ! न काश्मीर की जीती जमीन अपने पास रखी न सारे पाकिस्तान में भारतीय कैदियों को रिहा करवाया ! देखिये फिल्म १९७१ के वार प्रिजनर्स !

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