Friday, July 30, 2010

मेरी कहानी (तेरहवां भाग}

मार्च के प्रथम सप्ताह में हमारी सेनाएं वापिस अपने स्थायी जगहों पर जाने लगे ! हमारी यूनिट भी वापिस नसीराबाद आ गयी थी ! मुझे परिक्षा देने दिल्ली जाना था, सो दो महीने की छुट्टी लेकर मैं दिल्ली चला गया ! वहां मामा जी के फ्लेट में जाकर परीक्षा की तय्यारी की, परिक्षा दी और वापिस यूनिट में आ गया ! यूनिट के लगातार ६ साल जम्मू कश्मीर में रहने और फिर ७१ की लड़ाई में सामिल होना, युद्ध के दौरान उसके जवानों द्वारा किये गए वीरता के कार्यों से खुश होकर सेना मुख्यालय ने यूनिट को आराम देने के लिए मुंबई, "महाराष्ट्र गुजरात हेडक्वाटर्स" कोलाबा मुंबई भेज दिया ! सितम्बर में यूनिट पूरे साजो सामान तमान जवान ऑफिसरों की फेमिलियों के साथ मुंबई पहुंचे ! फरवरी ७, ८ और ९, १९७३ को बटालियन ने "क्याक म्यांग हेड इरावदी डे" बटालियन डे मनाया ! इस अवसर पर अवकास प्राप्त ऑफिसर्स, जे सी ओज और जवान बहुत बड़ी संख्या में सामिल हुए ! सुबह मंदिर में पूजा आरती, उसके बाद युद्ध भूमि में बटालियन द्वारा किये गए वीरता के कार्यों की समीक्षा, शहीदों को श्रधांजलि दी गयी ! बाहर से कलाकारों को बुलाया गया था ! गाना-बजाना, नाटक, हास्य ब्यंग और कही दूसरे आईटम पेश करके मेहमानों और जवानों का मनोरंजन किया गया ! बूढ़े-जवानों को फ़ौजी जिन्दगी ताजी करने केलिए म्यूजिक चेयर, १०० मीटर दौड़, बौली बौल, बास्केट बौल और भी बहुत से हंसाने हंसाने वाले खेल तमाशे दिखाए गए ! तीन दिन कब बीत गए पता भी नहीं चला ! ऑफिसर्स जेसीओज की ग्रुप फोटो खिची गयी! यूनिट में यह दिन हर साल मनाया जाता है लेकिन इस साल का बटालियन डे एक स्पेशल था, अमन चैन के साथ वह भी मुंबई में ! उस जमाने में मुंबई बम्बई था, मेल मिलाप और भाई चारे का था ! उस समय न कोई राज ठाकरे या बाल ठाकरे जैसा ऊंचे कद का ऊंची नाक का मराठी था जो मुंबई केवल मराठी भाषी और मराठी लोगों का बत लाता ! हाँ नक्षलवाद जैसी समस्याएँ उस समय भी थी लेकिन उनमें कोई राजनीतिक नेता सामिल नहीं था, इसलिए उनको कंट्रोल करने की कोई समस्या नहीं थी ! मेजर रामचंद्र ले.कर्नल बनकर चौथी राज रिफ की कमान करने पोस्ट हो गए और उनकी जगह टू ऐ सी मेजर
वी एन वधवा आगये थे ! वे कनाडा ऑफिसर्स स्टाफ कालेज से कोर्स करके यूनिट में आए थे ! बहुत ही काबिल और मेहनती प्रशासक थे ! शांत मधुर भाषी, जूनियर से नजदीकी बनके रखते थे ! वीर, परिश्रमी जवानों का हमेशा हौशला अफजाई करते थे ! मुझे दो साल उनके मातहत काम करने का मौका मिला और काफी कुछ सिखने को मिला ! अब वे ले.जनरल के रैंक से अवकास ले चुके हैं ! मुम्बई देखने को बहुत कुछ है, 'गेट वे आफ इण्डिया ' समुद्र के किनारे ! यूरोपियन सबसे पहले व्यापार करने इसी स्थान से यहाँ आये थे ! वोट मोटर वोट बड़ी संख्या में समुद्र में घूमने के लिए उपलब्ध हैं ! चौपाटी, समुद्र के किनारे बैठ कर या समुद्र की लहरों का मजा लेने के लिए मुम्बई की सबसे हसीन जगह "चौपाटी जाएंगे भेल पूरी खाएंगे बैंड बाजा बाजेगा डम डम डम " ! समुद्र के किनारे "चोर बाजार" ! उस समय की सबसे बड़ी व्यापार मंडी थी मुम्बई ! देश के सभी प्रान्तों के लोग मिल जाते थे मुम्बई में ! सर्विस मिल जाती थी, पैसा भी था लेकिन रहने की जगह नहीं मिल पाती थी ! लोकल ट्रेन हर पांच मिनट की सर्विस, पर भीड़ उस जमाने में भी बहुत थी ! सरकारी बसें आराम से मिल जाती थी ! अंधेरी मुम्बई हवाई अड्डा सब कुछ देखने का अवसर मिला ! कोलाबा, नेवी नगर मुम्बई की सबसे साफ़ सुथरी जगह ! यहीं से छत पर खड़े हो कर कही बार पूर्ण मासी के दिन समुद्र की ऊंची उठती लहरें देखने का लुप्त उठाया ! उस समय के बस ड्राइवर और कंडक्टर बड़े अच्छे लोग थे ! बाहर से आने वालों और सैनिकों के साथ मित्रता का व्यवहार करते थे ! एक बार मैं बस में तो चढ़ गया लेकिन जेब में पूरे पैसे नहीं थे ! बस अंधेरी से कोलाबा कैम्प जा रही थी ! मैं अपने दो छोटे छोटे बच्चों के साथ था ! मैंने कंडक्टर को अपनी परेशानी बतलाई, उसने बिना ज्यादा पूछ ताछ के मुझे टिकट de दिया और बाकी पैसे अपनी जेब से मिला दिए और सकुशल कैम्प पहुंचा दिया ! ऐसे लोग थे us जमाने men मुम्बई के ! १५-१६ महीने के बाद ही यूनिट को फिर जम्मू कश्मीर पूंछ सेक्टर जाने का आदेश हो गया ! नंबर के महीने में यूनिट ने मुंबई छोड़ दी और पूंछ सेक्टर सेकलू मंदी के नजदीक चली गयी ! उन्ही दिनों सेना मुख्यालय के आदेश के मुताबिक़ जो ऑफिसर्स/जेसीओज/जवान फील्ड में सर्विस कर रहे हैं उसके परिवार को रक्षा मंत्रालय की तरफ से फ्री मकान देश के सभी कंटोमेंट एरिया में दिए गए ! मैंने भी आवेदन किया और मंजूर हो गया ! बच्चों को दिल्ली कैंट (काबुल लाईन्स) सदर सेपरेटेड क्वाटर्स में छोड़ कर मैं २५ नवम्बर को पूंछ चला गया !

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