Sunday, November 28, 2010

हमारी आकाश गंगा (अवर सोलर सीस्टम )

( अवर सोलर सीस्टम - लेखक
स्मिथसोनियन और सेयमौर सिमोन )

आइये अपनी आकाश गंगा के बारे में जानकारी करें ! वैज्ञानिक कहते हैं की हमारी ये आकाश गंगा अरबों तारों के साथ पैदा हुई है ! जो आसमान हमारी नज़रों के आगे है वहां नौ ग्रह तथा उनके इर्द गिर्द चाँद घूमते हैं ! सबसे नजदीक का ग्रह बुध है जो सूर्य से ५८ मिलियन किलोमीटर दूर है, ८८ दिनमें यह सूर्य का एक पूरा चक्कर लगा लेता है ! इसके बाद शुक्र ग्रह आता है, यह ग्रह सूर्य से १०८ मिलियन किलोमीटर दूर है, और २२४.७ दिनों में सूर्य का चक्कर लगा लेता है ! इस ग्रह में कार्बन डाई आक्साईड और नाईट्रोजन गैसें हैं ! पृथ्वी की दूरी भी सूर्य से १०८ मिलियन किलो मीटर है और यह सूर्य का चक्कर ३६५.२४ दिनों में लगा लेती है ! २३ घंटे, ५६ मिनिट और ४ सेकिंड में (दिन रात) अपनी धुरी पर घूम जाती है ! वातावरण में नाईट्रोजन और ऑक्सिजन गैसें विद्यमान है ! पृथ्वी का एक चाँद भी है जो 24 घंटे में पृथ्वी का एक चक्कर लगा लेती है ! इसके बाद का गृह है मंगल (लाल) यह ग्रह सूर्य से २२८ मिलियन किलोमीटर दूर है और ६८७ दिनों में सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेता है ! यह अपनी धुरी पर २४ घंटे ३७ मिनिट और २३ सेकिंड में घूम जाती है ! इस ग्रह में कारवन डाई आक्साईड, नाईट्रोजन गैसें हैं ! मंगल ग्रह के अपने दो चाँद हैं ! सारे ग्रह छोटे हैं और सूर्य के काफी नजदीक हैं ! सन १९५०ई० में गढ़वाल की जूनियर हाई स्कूलों में पहली बार विज्ञान की पढाई शुरू करवाई गयी थी ! उन दिनों मंगल ग्रह की चर्चा जोरों पर थी की मंगल ग्रह पृथ्वी के बाद का पूरे यूनिवर्स में एक ही ग्रह है जहाँ जीवन संभव है ! विज्ञान की पुस्तक में बच्चों को पढ़ाया गया था की वहां बड़ी बड़ी नहरे हैं, वनस्पति होने से बहुत हरियाली है ! यहाँ तक चर्चा का बाजार गर्म था की "मंगल ग्रह से समय समय पर उड़न तस्तरियाँ पृथ्वी ग्रह पर आती हैं धरती के लोगों के साथ संपर्क करने के लिए, धरती की खुशहाली और विज्ञान के क्षेत्र में पृथ्वी के बढ़ते हुए कदमों की समीक्षा करने के लिये आते हैं" ! पेपरों में मंगल संबंधी अजीबो गरीब खबरें छपती थी ! नौ ग्रहों में इसका रंग लाल होने की वजह से यह अलग ही दिखाई देता है ! यह बहुत तेज और गुस्से वाला ग्रह है, जो लोग इस ग्रह के प्रभाव में आते हैं वे फ़ौजी वीर जवान -अफसर बनकर नाम कमाते हैं ! ये कही गुणों के माहिर होते हैं पर उनमें एक गुण विशेष होता है जिसमें वे मास्टर होते हैं !
इसके अलावा जो ग्रह सूर्य से भी और पृथ्वी से भी दूर हैं, उनमें सबसे बड़ा ग्रह है वृस्पति (जुपिटर), यह ग्रह सूर्य से ७७८ मिलियन किलोमीटर दूर है, ११.८६ साल में सूर्य का एक चक्कर लगा पाता है ! ९ घंटे ५५ मिनिट और १८ सेकिंड में अपनी धुरी पर पूरा घूम जाता है ! इसकी परिधि में हाइड्रोजन और हीलियम गैसें हैं ! अपनी तरफ खींचने की शक्ती (सर्फेस ग्रेविटी) पृथ्वी की १ है और इस ग्रह की २.१४ है, इसके ६३ चंद्रमा हैं तथा एक रिंग है ! शनि ग्रह
(सैटर्न ) यह सूर्य से १४२७ मिलियन किलो मीटर दूर है, २९.४ साल में सूर्यका एक पूरा चक्कर लगा पाता है, १० घंटे ३९ मिनिट और २२ सेकिंड में अपनी धुरी पर पूरा घूम जाता है ! इस ग्रह पर भी हाईड्रोजन और हीलियम गैसें हैं ! सर्फेस ग्रेविटी ०.७४ है इसके ५६ चंद्रमा हैं और एक हजार से ज्यादा रिंग हैं ! युरेनस - सूर्य से २८७१ मिलियम किलोमीटर दूर है, ८४ साल में सूर्य का एक चक्कर लगा पाता है ! इसमें हीलियम, हाईड्रोजन मिथाइन गैसें पायी जाती हैं ! इसकी सर्फेस ग्रेविटी ०.८६ है, २७ इसकी चंद्रमां हैं और ११ रिंग हैं ! नेपच्यून - यह ग्रह सूर्य से ४,४९८ मिलियम किलोमीटर दूर है, १६४.७९ सालों में यह सूर्य का एक चक्कर लगा पाता है, १६ घंटे, ६ मिनिट और ३६ सेकिंड में अपनी धुरी पर पूरा घूम जाता है ! इसमें भी वही गैसें पायी जाती हैं जो युरेनस में पायी जाती हैं, इसकी सर्फेस ग्रेविटी १.१० है १३ इसके चंद्रमां हैं और ५ रिंग हैं ! इकुटोरियल डायमीटर मीलों में -बुध का ३,०३२, शुक्र का
७,५२०, पृथ्वी का ७,९२६.४, मंगल का ४,२२२, वृस्पति का ८८,८४६, शनि का - ७४,८९२, युरेनस का - ३१,७६४,
नेपच्यून -३०,७७६ !
मिल्की वे गैलेक्सी
लेखक लिखते हैं की हमारा सोलर सीस्टम अरबों टिमटिमाते तारों के साथ पैदा हुआ था ४.६ अरबों साल पहले !वातावरण में धूल का बादल और हाईड्रोजन गैस ने मिलकर इस आकाश गंगा की रचना की ! धूल के बादलों और हाईड्रोजन गैस के दबाव में ये छोटे छोटे कण ज्यादा दबते गए और गर्म होते गए और उससे न्यूक्लीयर विस्फोट हुआ और ऊर्जा प्रज्वलित हुई वही चमकता हुआ प्रकाशित सूर्य का उदय काल था ! बाकी के बिखरे टुकड़े आकाश गंगा में बिचरने लगे, वही आगे चलकर ग्रह चाँद बनकर सूर्य का चक्कर लगाने लगे, अरबों खरबों चाँद और तारों के साथ नीला आकाश अनंत विशाल लाखों करोड़ों आकाश गंगा के साथ कुदरत का मनुष्य को एक अनुपम भेंट जिसकी खोज में इसकी कितनी पीढियां अन्तरिक्ष में समा गयी लेकिन खोज अभी जारी है ! रोज विज्ञान के नए चमत्कार देखने और सुनने को मिल रहे हैं ! लेकिन इसका रहस्य अभी भी रहस्य ही बना हुआ है और आगे भी रहस्य ही रहेगा, इस रहस्य से परदा उठेगा जरूर उठेगा तब, जब फिर कृष्ण का अवतार होगा ! क्यों की मनुष्य अपने स्वार्थ सीधी के लिए कुदरत की इस सुन्दर कृति को दूषित करता जा रहा है रोज अरबों टन बिषैली गैसें वातावरण में पहुंचाता जा रहा है और अपने लिए एक विस्फोट करने का इंतजाम कर रहा है !
सूर्य
हमारी आकाश गंगा की तरह इस ब्रह्माण्ड में करोड़ों आकाश गंगाएं हैं ! सूर्य की ही तरह पूरे यूनिवर्स में २०० अरब चमकते तारे हैं और उनकी रोशनी इस धरती पर आते आते करोड़ों साल लग जाते हैं ! भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता के ११ वें अध्याय में अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाते समय इन अनंत ब्रह्माडों का जिकर किया है ! उन्होंने अपने को सूर्य से भी पहले का बताया है और इस पूरे ब्रह्माण्ड का रचनाकार अपने को ही बतलाया है ! उनका कहना है की हे अर्जुन जिस सीमा के अंदर तुम रह रहे हो, ये तो केवल एक ही सूर्य द्वारा प्रकाशित आकाश गंगा है और हर आकाश गंगा को नियंत्रित करने के लिए मेरी शक्तियां, ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं ! इस तरह पूरे यूनिवर्स में इस तरह की दो सौ अरब आकाश गंगाएं हैं और हे अर्जुन "मैं ही इन सारे आकाश गंगाओं को नियंत्रित करता हूँ" !
हमारी धरती के एक सूरज है जो धरती से बहुत विशाल है करीब १३ लाख प्रथ्वी के बराबर है ये सूर्य महाराज ! सूर्य का ईधन है हाईड्रोजन गैस ! यह एक सेकिंड में करीब ४० लाख टन हाईड्रोजन गैस का इस्तेमाल करता है ! वैज्ञानिकों का मानना है इतनी ज्यादा हाईड्रोजन कंज्यूम करने के बाद भी सूर्य के पास अभी पांच छ अरब सालों तक के लिए हाईड्रोजन बाकी है ! सूर्य धरती के जीव जंतु, पशु पक्षी और पेड़ पौधों के लिए जीवन दायिनी औषधी है ! इससे प्राणी मात्र को ऊर्जा मिलती है, पेड़ पौधों को बढ़ने में मदद मिलती है, समुद्र से भाप के बादल बनाकर वारीष भी सूर्य के ताप का ही प्रताप है ! इसके बिना धरती पर जीवन संभव नहीं है ! सूर्य का केंद्र वृस्पति ग्रह के बराबर है जिसका तापमान २७,०००,००० डिग्री फायरन हाईट है ! सूर्य के भीतरी भाग को क्रोमोस्फयर और बाहरी भाग को कोरोना कहते हैं !जब पूरा सूर्य ग्रहण लगता है तो भीतरी भाग धक् जाता है लेकिन कोरोना सूर्य के किनारे किनारे नजर आता है !
बुध - इसका नाम रोम वालों ने तेज भागने वाला सन्देश पहुंचाने वाला (हलकारा) रखा ! यह ग्रह सूर्य का चक्कर तो बहुत जल्दी लगा लेता है लेकिन अपने धुरी पर घूमने में ५८.६ दिन लगाता है ! इसका आकार पृश्वी से तो छोटा है ही बल्की वृस्पति और शनि ग्रह के सबसे बड़े चाँद से भी छोटा है ! इसका अपना कोइ चाँद नहीं है ! यह वैसे दिखाई नहीं देता लेकिन सुबह और शाम जब सूर्य उदय हो रहा हो या पश्चिम दिशा में अस्त का समय हो बुध ग्रह दिखाई दे सकता है ! टेलेस्कोप से यह दिखाई देता है और धरती के चाँद की तरह या रोज अपनी आकृति बदलता रहता है ! चाँद की तरह इसके धरातल में बहुत से क्रेटर्स हैं ! यह एयरलेस प्लेनेट है, दिन के समय इसका टेम्प्रेचर ७५० डिग्री (एफ) होता है जोलोहे को गला सकता है लेकिन रात को -३०० तक चला जाता है इतना ठंडा जितना पृथ्वी के साउथ पोल जितना !
शुक्र ग्रह - पृथ्वी के बराबर होने से इसे प्रिथ्व्व की बहिन भी कहा जाता है ! रोम में इसे सुन्दरता कीदेवी कहा जाता है ! चाँद के बाद यह सबसे चमकीला ग्रह है और सुब और शाम नजर आजाता है ! इसमें सल्फुरिक एसिड और कार्बन डाई औक्षाइड गैसें हैं ! ९०० डिग्री तक टेम्प्रेचर है ! ११ अक्टूबर १९९४ ई० में स्पेस क्राफ्ट के द्वारा इस ग्रह की पूरी जानकारी ली गयी थी !
पृथ्वी - इसे ओसियन या वाटर का नाम भी दिया गया है ! यही आकाश गंगा में एक मात्र ऐसा ग्रह जिसमें तीन हिस्सा पानी है और एक हिस्सा मिट्टी कंकन पत्थर है ! स्पेस से अपोलो १५ द्वारा पृथ्वी की तस्वीर ली गयी थी !
जब सूर्या इसके नजदीक आता है तो समुद्र का पानी उबलने लगता है और जब दूर होता है तो पानी जमने लगता
है ! गर्मियों में पृथ्वी का उतरी भाग में दिन बड़े और मॉम गर्मी का होता है लेकिन दक्षिणी भाग (साउथ पोल) में दिन छोटे और सरदी का मौसम रहता फिर अगले च महीने थी इसके बिपरीत होता है ! पृथ्वी का वातावरण को संतुलित करने के लिए यहाँ नाईट्रोजन और आक्सीजन तथा छोटी सी मात्रा में कार्बन डाई आक्साईड गैंसे हैं !
चाँद के बाद पृथ्वी पर सबसे चमकीला ग्रह शुक्र है ! रोम में शुक्र ग्रह को प्रेम की देवी कहा जाता है (गौडेज आफ लव एंड ब्यूटी ) ! इसे सुबह और शाम का तारा कहा जाता है, लेकिन वास्तव में यह स्टार नहीं है बल्की एक गढ़ है (प्लानेट) ! कोइ कोइ तो शुक्र ग्रह को पृथ्वी की बहीं बताते हैं क्योंकि इन दोनों का साईज बराबर है !
यह सबसे गर्म ग्रह है, इसका टेम्प्रेचर ९०० डिग्री (एफ)। इसमें पानी की मात्रा काफी कम है !
मंगल - यह सूर्य का चौथा ग्रह है ! यह धरती के नजदीक होने से ज्यादा चमकीला लालिमा लिए हुए है ! रोमन इसे लड़ाई का देवता कहते हैं ! सन १९७० ई० में पहली बार मानव रहित स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी से मंगल ग्रह के नजदीक भेजा गया था ! इसके द्वारा भेजी गयी तस्वीरों से ऐसे लगता है की मार्स (मंगल) के दोनों पोल बर्फ से ढके हैं !
वृस्पति - ग्रहों में सबसेबड़ा ग्रह ! यह गैस प्लानेट है जो हाईड्रोजन और हीलियम गैसों से बना है ! यह ग्रह बादलों से ढका हुआ रहता है ! लेकिन पृथ्वी की तरह इन बादलों में यहाँ पानी नहीं है ! इसमें बड़ा लाल सपाट है जो पृथ्वी से तीन गुना बड़ा है ! इसे ३०० साल पहले इंसान ने टेलेस्कोप से इसे देखा था ! समय के साथ यह बढ़ता है घटता है कभी पिंक कभी प्रकाशवान होता है लेकिन यह स्पोट अपनी जगह नहीं बदलता ! सदियों से ओवल शेप में है ! १९९६ ई० में इः पता लगा की वृस्पति रिंग से घिरा हुआ प्लानेट है ! शनि, युरेनस और नेपच्यून के भी रिंग हैं । इस ग्रह का केंद्र बहुत गर्म है ! इसके १६ बड़े चंद्रमा हैं और ४७ छोटे चंद्रमा हैं ! चार बड़े चाँद का नाम है यूरोपा, गनिमेडे, ऐओ और कालिस्तो ! इन्हें गेली लियन मून कहा जाता है क्यों की गैलिलियो ने १६१० ई० में इनकी खोज की थी !
शनि - वृस्पति के बाद सबसे बड़ा ग्रह पृथ्वी जैसे ७५० प्लानेट इसमें समा सकते हैं ! इसे रोमन गौड आफ फार्मिंग कहते हैं ! चार सौ साल पहले गैलिलियो ने अपने हलके पावर के टेलेस्कोप से देखा था ! पचास साल बाद बड़े टेलेस्कोप से अन्तरिक्ष यात्री ने देखा की शनि दो ग्लोबस और एक फ्लेट रिंग से घिरा हुआ है शनि ग्रह ! यह ऋण ऐसा लगाया है की यह हजारों पतले पतले रिंगों से जुड़ा हुआ है ! यह रिंग १७००० मील के घेरे पर होते हुए तीन मील से कम मोटाई वाली है ! इसके एक बड़ा मून तथा ६ छोटे मून हैं ! ये सारे बर्फ से ढके हुए हैं !
उरेनस - इस ग्रह का पता १७८१ ई० में विलियम हर्चेल ने अपने टेलेस्कोप से लगाया ! इसका नाम ग्रीक गौड आफ हैवन और रूलर आफ वर्ड रखा गया ! इसका रिंग है ! यह पृथ्वी से पचास गुना बड़ा है ! इसके पांच बड़े चाँद हैं और २२ छोटे हैं ! इसका रिंग १७ पतले पतले रिंगों से जुड़ा हुआ है !
नेपच्यून - यह ग्रह धरती से बहुत दूर है ! इसका पता भी गैलिलियो ने किया था ! यह भी रिंग से लिपटा गैस वाला ग्रह है ! यहाँ पर आंधी तूफ़ान हर समय आता रहता है ! यह नीला दिखाई देता है ! २५ अगस्त १९८९ ई० में इस ग्रह से वोयागर २ स्पेसक्राफ्ट से इसके बारे में काफी जानकारी हासिल की गयी थी ! इसके २ बड़ी और ११ छोटे चाँद हैं ! इसकी सतह में बर्फ जमी होने का अनुमान है ! इसके बाद सबसे छोटा ग्रह प्लूटो जिसकी खोज १९३० ई० में की गयी ! इसका एक बड़ा मून भी देखा गया जिसका पता १९७८ ई० में चला ! प्लेटो का चाँद ६ दिन में इसका एक पूरा चक्कर लगा देता है ! यह है हमारी आकाश गंगा १ युनिअर्स गैलेक्सी !

ख़बरें आज तक की

भारत में क्या हो रहा है, हमारी एशियन गेम की उपलब्धि और न्यूजी लैंड पर वन डे क्रिकेट मैच में विजय !
आदर्श सोसायटी की महत्त्व पूर्ण फाईलें गायब हो गयी हैं ! इस सोसायटी में कही महान हस्तियों के फ्लेट अलाटमेंट का राज दबा पड़ा था ! महाराष्ट्र के मुख्या मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था। पूर्व सेनाध्यक्ष का नाम भी इन फाईलों में था ! अब फ़ाइल ही गम हो गयी है किस्सा भी खत्म !

२८ नवम्बर को गोहाटी में पहला वन डे क्रिकेट मैच भारत और न्यूजी लैंड के बीच खेला गया ! भारत यह मैच ४० रनों से जीत गया ! भारत के २७६ रन के मुकाबले न्यूजी लैंड २३६ ही रन जुटा पाया ! भारत की तरफ से कोहली ने १०५ रन बनाए और उसे मैन आफ दी मैच घोषित किया गया ! युवराज ने ४२ रन और ३ विकेटें लेकर अपनी वापिसी दर्ज करवा दी ! गौतम गंभीर इस मैच का कैप्टेन था और उसने ३८ रन बटोरे ! असवीं और श्री सांत ने ३, ३ विकटें ली ! मजे की बात यह थी की भारत इस टीम में नये खिलाड़ियों के साथ उतरा था ! इसमे धोनी, सहवाग, सचीन, हरभजन, ज़हीरखां, द्राविड ईश शर्मा को आराम दिया गया था !
भारत ने एशियन खेलों में क्या पाया !
२००६ के मुकाबले भारत ने कामनवेल्थ गेमों के बाद एशियन गेमों में भी अपनी पकड़ मजबूत की और १४ गोल्ड मैडल के साथ छटे स्थान पर रहा ! अपने गोल्ड मैडल वीरों से भी मिलें :
१ पंकज आडवाणी - विलियर्द
२ बजरंग लाल (आर्मी) रोइंग
३ रंजन सोधी शूटिंग
४ प्रीजा श्रीधरन एथलेटिक
५ सुधासिंह 3000meetar (एथलेटिक)
६ सोमदेव वर्मन और सुमनसिंह - टेनिस डबल
७ सोमदेव वर्मन टेनिस सिंगल
८ विकास कृष्ण बाक्षिंग
९ अश्वनी अन्कुजी बाधा दौड़
10 अब्राहम जोसफ बाधा दौड़
११ कबड्डी महिओला और पुरुष - दो गोल्ड
१२ रिले रेस ( ४ = ४०० ) ४ लड़कियां (मंदीप, मंजीत कौर, सिमी जौन, अश्वनी
१३ विजेंद्र बौक्षिंग
कौन कहाँ पर पूरी जानकारी नीचे दी गयी है !
संख्या नंबर देश का नाम गोल्ड सिल्वर ब्रोंज टोटल

१ चीन १९९ ११९ ९८ ४१६
२ साउथ कोरिया ७६ ६५ ९१ २३२
३ जापान ४८ ७४ ९४ २१६
४ इरान २० 14 २५ ५९
५ कज़ाकिस्तान १८ २३ ३८ ७९
६ भारत १४ १७ ३३ ६४
७ चाइनीज ताइपेई १३ १६ ३८ ६७
८ उज़बेकिस्तान ११ २२ २३ ५६
९ थालैंड ११ ९ ३२ ५२
१० मलेसिया ९ १८ १४ ४१
११ होँग कोंग़ ८ १५ १७ ४०
१२ नोर्थ कोरिया ६ १० २० ३६
१३ स अरबिया ५ ३ ५ 13
१४ बहरीन ५ ० ४ ९
१५ इंडोनेसिया ४ ९ १३ २६
१६ सिंघापुर ४ ७ ६ १७
१७ कुवैत ४ ६ १ ११
१८ क़तर ४ ५ ७ १६
१९ फिलिपाईन्स ३ ४ 3 १०
२० पाकिस्तान ३ २ ३ 8
३६ देश टोटल ४७७ ४७९ ६२१ 1577

अगले एशियन गेम में फिर मिलेंगे ! जय हिंद -

Wednesday, November 24, 2010

भारत के टाईगर

कहते हैं एक सौ साल पहले अकेले भारत में ५० हजार टाईगर थे, जो आज सीमिट कर दो हजार के लगभग रह गए हैं ! पूरे विश्व में आज सात और आठ हजार के लगभग टाईगर बचे हैं ! जंगल कट गए, कुदरती तालाब झीलें सूखने लगी, जंगलों में सड़क बनाने, पत्थर तोड़ने के लिए बारूद जैसे भयानक आवाज करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल होने से भी टाईगर के बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ने से उनकी आने वाली नस्ल धीरे धीरे समाप्ति के कगार पर है ! शेर या टाईगर का शिकार करना रजवाड़ों, रईसों और अंग्रेजों का शौक रहा है ! एक आंकड़े के मुताबिक़ अकेले सरगुजा के महाराजा ने अपने जीवन काल में ११०० टाईगरों का शिकार किया था ! फिर जंगल कटने से जंगली जानवर भी कम होते चले गए, बाकी बचे हुए टाईगर गाँव के नजदीक आकर पालतू जानवरों को मारने लगे, कभी कभी तो वे आदमियों और बच्चों को ही उठाने लगे, नतीजा गाँव वालों ने मरे हुए जानवरों के शरीर पर जहर मिला कर उन्हें मार डाला, इस तरह उनके आतंक से गाँव वालों को तो छुटकारा मिल जाएगा लेकिन कुदरत की दी हुई टाईगर नाम के इस खूबसूरत तोहफे को हम जल्दी ही खो देंगे ! कहीं ऐसा न हो की टाईगर नाम का जीव इतिहास के पनों में डैनासोर की तरह बंद हो जांए ! चोरी चोरी शिकारी इनका शिकार कर रहे हैं ! पैसे के लोभ में ये लोग टाईगर को मार कर उसकी खाल, दांत, नाखून, हड्डियों को बेच देते हैं ! हड्डियों से दवाइयाँ बनाई जाती है, दांत और नाखूनों से नेकलेस बनाया जाता है, कुछ लोगों का विश्वास है की इस नेकलेस को पहिनकर वे भी शारीरिक और जिस्मानी तौर पर टाईगर की तरह ताकतवर बन जाएंगे !
कदम कदम पर मौत के शौदागर
एक मादा
टाईगर तीन साल की उम्र पूरी होने पर एक समय में एक से सात बच्चे देती है लेकिन उनमें दो या तीन ही बच पाते हैं ! नर टाईगर की उम्र चार साल होने पर वह एक पूरा जवान टाईगर स्वालंबी बन जाता है, बच्चों को आँख खोलने में तीन से चार दिन का समय लग जाता है ! नर टाईगर जंगल के करीब तीन सौ वर्ग किलोमीटर तक अपनी सीमा का मालिक होता है ! उसकी उस सीमा में तीन से चार परिवार होते हैं ! मादा टाईगर प्रेगिनेंसी के ३ महीने बाद बच्चों को जन्म देती है ! बच्चों के लिए एक ऐसी गुफा का चुनाव करती है जो सुरक्षित हो, पानी नजदीक हो, खाने के लिए जानवर नजदीक हों ! पहले के एक महीने तक मादा को बच्चों की सुरक्षा की ज्यादा ही चिंता रहती है, उस वक्त उन्हें, चील और लोमड़ी जैसे जीवों से बचाना होता है ! पिता के अलावा इन नादान बच्चों को दूसरा टाईगर, शेर, भालू भी उठा ले जाता है ! एक महीने बाद उनकी माँ उन्हें जानवरों के शिकार पर पालती है, बच्चे मां का दूध पीना बंद कर देते हैं ! दो महीने बाद माँ उन्हें खतरा भांपने की ट्रेनिंग देती है, वह चिड़ियों जैसी एक अजीब आव्वज करती है और बच्चे खतरा समझ कर छिप जाते हैं ! दो महीने के बाद माँ बच्चोंको शिकार के लिए साथ ले जाती है करीब एक मील के घेरे तक ! बच्चे शिकार खाकर जल्दी ही बढ़ने लगते हैं ! उन बच्चों में भी एक ज्यादा चतुर चालाक और ताकतवर होता है, ज्यादा शिकार खाता है और पहले हाथ मारता है ! पांच महीने पूरे होते ही वे अपनी माँ के साथ लम्बे लम्बे सफ़र पर जाने लगते हैं ! बच्चे मोर, खरगोश, गिलहरी जैसे छोटे छोटे जीवों को मार देते हैं ! उन्हें शिकार करने की ट्रेनिंग दी जाती है ! वे अपनी माँ की मदद करने लगते है झाडी से जानवरों को भगा कर अपनी माँ की तरफ भगाते हैं और माँ उन्हें मार देता है ! जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं उन्हें ज्यादा शिकार की जरूरत होने लगती है, माँ को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है ! सात महीने पूरे होते होते तक माँ बच्चों को अपनी सुरक्षा और शिकार को पकड़ने के गुर सिखाने लगती है ! शिकार करना इतना आसान नहीं होता १५ - १६ बार तो असफता ही मिलती है लेकिन १६ वें या १७ वें कोशीश रंग ले आती है और एक बड़ा सा जानवर काबू में आजाता है !
कभी कभी अनजान नर टाईगर आ जाता है तो मादा बच्चों को बचाने के लिए उस से भीड़ जाती है और कभी जख्मी भी हो जाती है ! ९ महीने होने पर बच्चे ४५ किलो वजन के और ६ फीट की लम्बाई ले लेते हैं ! वे इस उम्र में आपस में लुका छिपी का खेल खेलते हैं ! पेड़ भी चढ़ने लगते हैं ! अब माँ को ज्यादा शिकार करने के लिए गुफा से दूर भी जाना पड़ता है ! जब काफी देर के बाद बच्चों की माँ वापिस आती है तो वे माँ से लिपट जाते हैं ! १२ महीने के होते ही उन्हें माँ अपने साथ शिकार कहाँ मिल सकता है, उन स्थानों पर ले जाती है, माँ शिकार को घायल करके छोड़ देती है और देखती है की बच्चे किस तरह उस घायल जानवर को मारते हैं और खाते हैं ! टाईगर अमूमन सूबह और शाम अपने शिकार को मारते हैं, पानी के नजदीक जब वे पानी पीने आते हैं ! वे, मोर, खरगोश, हिरन, बारहसिंघा, जंगली बकरा, जंगली भैंसा, हाथी का बच्चा, गैंडे का बच्चा तथा मौक़ा पड़ने पर झील या तालाब से मगरमच्छ के बच्चे का भी शिकार कर देते हैं ! जब बच्चे १६-१७ महीने के होजाते हैं तो आपस में खेलना छोड़ देते हैं, अगर खेल खेल में गुस्से में आगये तो एक दूसरे को चोट पहुंचा देते हैं ! २० महीने के बाद ये बच्चे जवान टाईगर बन जाते हैं जो बचों में ज्यादा मजबूत और ताकतवर होता है वह माँ का घर छोड़ कर अपना इलाका चुन लेता है ! ज्यादा से ज्यादा बच्चे २४ महीने तक अपनी माँ की छत्र छाया में रहते हैं उसके बाद अपने इलाके के स्वंभू बन जाते हैं ! मादा टाईगर को प्रभावित करने के लिए दो नर टाईगर जबरदस्त फाईट करते हैं और जो जीतता है वह मादा टाईगर से सम्बन्ध बनाने में कामयाब होता है ! ये झाडी में चुप चाप अपने शिकार का इन्तजार करते हैं, उनके शरीर की धारियां घास या झाड़ियों में छिपने के लिए उनकी मदद करता है ! हाँ पेड़ के बन्दर की नजर उस पर पड़ जाती है और वह शोर मचाकर सभी जानवरों को सावधान कर देता है !
इसकी जीब का द्रब्य (सलीवा) आंटी सेफ्तिक होता है इस तरह जब यह आराम कर रहा होता है यह अपनी जीब अपने जख्मों पर फिराता रहता है ! इस तरह शिकार खेलते हुए जो चोट या जख्म इन के शरीर पर लगी होती है जल्दी ही ठीक होजाती है ! कभी कभी एक टाईगर के शिकार मारने पर अचानक दूसरा टाईगर आकर उस शिकार पर अपना अधिकार जमाने लगता है फिर दोनों का संग्राम शुरू हो जाता है जो जीतता है वह पहले शिकार पर हाथ साफ़ करता है और दूसरा टुकुर टुकुर अपनी बारी आने के इंतज़ार में दूर जाकर लेट जाता है ! टाईगर अपने प्रतिद्वन्दी को अहसास दिनाने के लिए की यह इलाका उसका है पेड़ पर पंजों का निशाँ लगा देता है !
बंगाल का नर टाईगर पूँछ सहित १२ फीट लंबा होता है ! पूछ पूरी लम्बाई का तीसरा हिस्सा पड़ता है इस तरह असली लम्बाई ८ फीट हुई ! वजन दो सौ केजी ! मादा का कद कम होता है !
टाईगर का भविष्य
टाईगर का भविष्य अन्धकार में है ! विश्व के वाईल्ड लाईफ संगठन इसको बचाने का भरसक यत्न कर रहा है ! विश्व के सारे देशों को इस जीव को बचाने के लिए उचित कदम उठाने के लिए निर्देश दिए गए ! भारत में सरकार भी चिंतित है ! इनके लिए आरक्षित क्षेत्र बनाए गए हैं ! सार्थक कदम उठाए गए हैं लेकिन फिर भी कुछ दुश्मन तश्कर अपने निजी स्वार्थ केलिए इन वेजुवान जीवों की ह्त्या कर रहे हैं ! क्या आप इन जीवों को बचाने का कोइ कारगर कदम उठाने जा रहे हैं ! (साभार नेचुरल वर्ड टाईगर लेखक वाल्मिक थापर )

Tuesday, November 23, 2010

BUDDHA: उल्लुओं की मीटिंग में फंस गया एक हंस

BUDDHA: उल्लुओं की मीटिंग में फंस गया एक हंस

खबरों के जंगल में

भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल बज चुका है, आम आदमी अब जगने लगा है, सुप्रीम कोर्ट सरकार के कार्य शैली पर उंगली उठाने लगी है ! १.७५ लाख करोड़ रुपयों का घोटा हुआ और प्रधान मंत्री चुपचाप देखते रहे ! वो तो पूरा देश नमन करेगा जनता पार्टी अध्यक्ष श्री सुबरामनियम स्वामी को जिन्होंने केन्द्रीय मंत्री ए राजा के खिलाफ १.७५ लाख करोड़ के घोटाले को उजागर किया ! सुप्रीम कोर्ट तक वे इस केस को ले गए ! लेकिन पूरा कांग्रेस संगठन इसको घोटाला नहीं मानता ! क्यों की इस घोटाले में केन्द्रीय सरकार के सभी मंत्री, संतरी और नौकरशाह सामिल हैं ! क्या जनता आने वाले संसद चुनावों में वही गलती दुबारा करेगी जो उनहोंने २००९ ई० में की थी ! अरे ये कांग्रेस सरकार तो उस हद तक चली गयी की उसने सी वी सी का चेयरमैन एक दागी नौकरशाह को बना दिया है ! कामनवेल्थ गेम्स के भ्रष्टाचारियों को खुला छोड़ रखा है की जाओ शेरो जो घोटाला किया है उसको रफा दफा करने की कोशीश करो ! सारे साक्ष्य मिटा दो, जो रास्ते में आते हैं उन रुकावटों को हटा दो ! लेकिन भ्रष्टाचारियो कहाँ तक बचोगे, जनता का रौद्र रूप करवट लेने लगा है, वे धीरे धीरे अपने ढंग से इन भ्रष्टाचारियों को घेरने का जाल तैयार करने लगा गयी है ! देश सच्चे नागरिक देश की मिट्टी के कण कण से जुड़े लोग आगे आ रहे हैं ! सन १९७७ ई० में जो आन्दोलन लोक नायक श्री जयप्रकाश जी ने चलाया था जिसकी ज्वाला में उस जमाने की महान हस्ती
श्रीमती इन्द्र गांधी भी नहीं बच पायी थी, तो आज तो ये बे मौसमी कीट पतंगे हैं जिनको जलाने में जनता को ज्यादा परेशानी नहीं होगी !" भ्रष्टाचारियो, शासको, नौकरशाहों बचना चाहो बचलो, सामत आने वाली है,
दूर गगन में बादल फट गए ये बाढ़ तो खप्पर वाली है ! "
एशियन गेम
हम कहते हैं हम चीन से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं ! एशियन गेम में आजतक चीन १६५ गोल्ड, ८५ सिल्वर और ७९ ब्रोंज लेकर ३२९ मैडलों पर कब्जा कर चुका है और हमारा देश कांग्रेस शासित देश कज़ाकिस्थान के बाद ८ वें नम्बर पर ७ गोल्ड १२ सिल्वर, २० ब्रोंज लेकर कुल जमा घटा कर ३९ मैडल बटोर पाया है ! सन १९६० तक तो चीन अंतर्राष्ट्रीय खेलों से बाहर था और आज आलम यह है की ओलम्पिक में नम्बर वन फिर दूसरे गेमों की तो कहने ही क्या ! जन संख्या के हिसाब से भी चीन के बाद हमारा ही नंबर आता है फिर खेलों में क्यों नहीं ? यहाँ भी राजनीति, भाई भतीजा वाद !
क्रिकेट
वैसे क्रिकेट भी इन राजनीतिज्ञों से बचा नहीं है, फिर भी बी सी सी ऐ के धनाढ्य होने के कारण वहां ये चोच नहीं मार पाते ! हमारी टीम ने कुछ दिन पहले आस्ट्रेलिया को मात दी थी और अब न्यूजी लैंड की टीम भी तीन टेस्ट मैचों में से दो को तो ड्राव कराने में कामयाब हो गयी लेकिन तीसरा मैच एक इन्निंग और १९८ रनों से हार गयी ! इसमें राहुल के १९१, (मैन आफ दी मैच) गंभीर के 78, सहवाग के ७४, सचीन के ६१ और धोनी के ९८ रन मददगार साबित हुए ! इस टेस्ट सीरिज में हरभजन अपनी दो सेंचुरी और 10 विक्केट लेने में कामयाब रहा तथा मैन आफ दी सीरिज पर पहली बार कब्जा जमाया ! न्यूजी लैंड १९३ और १७५, भारत ५६६/८.पारी समाप्ति की घोषणा !
लक्ष्मी नगर का हादसा
कुछ दिन पहले पूर्वी दिल्ली में एक बिल्डिंग के गिरने से ७०-८० लोगों के मरने की खबर थी ! खूब हंगामा हुआ ! दिल्ली सरकार ने एम सी डी को इस हादसे का जिम्मेदार ठहराया वहीं भाज पा अपना पल्ला झाड कर उलटा केंद्र और दिल्ली सरकार पर वार कर रही थी लेकिन विधान सभा में दोनों पार्टियों को जैसे सांप सूंग गया किसी ने भी इस विषय पर चर्चा के लिए जोर नहीं दिया ! मतलब यह की हैं जनता को दिखाने के लिए काँग्रेस और भा ज पा सता और विपक्षी पार्टियां हैं लेकिन जनता की नजर बचाकर ये एक ही चक्की के दो पाट हैं और इनके बीच में जनता पीस रही है ! आज तक इतना ही कल आएँगे बहुत कुछ नया लेकर

Thursday, November 18, 2010

जिन्दगी के ७५ बसंत

हाँ आज मैंने अपनी जिन्दगी के ७५ बसंत पूरे कर लिए हैं और ७६ वीं सीढ़ी में कदम रख दिए ! २००३ ई० में मैं इन दिनों उटाह (अमेरिका) में था ! उसके बाद २००६ से २०१० तक मैं अपना जन्म दिन अमरीका में ही मनाता आ
रहा हूँ ! यहाँ मेरा सबसे छोटा पोता है वेदान्त, मैं उसके साथ बच्चा बन जाता हूँ ! आत्रेय सात साल का हो गया है, लेकिन दादा के साथ उसका भी लगाव ज्यादा ही है ! इस तरह दोनों बच्चों के साथ अपना जन्म दिन मनाने का आनंद ही और है !आज सुबह उठ कर परमपिता परमात्मा को नमस्कार किया, स्नान करके पूजा की, योगा प्रायाम करके २ मील की सैर करने कालोनी के पूरब दक्षिण में एक छोटी सी पहाडी है, उसके ऊपर खड़े होकर सूरज की प्रथम सुनहरी किरणों के नज़ारे देखे, फिर बच्चों के बीच हंसते खेलते हुए उन्हें स्कूल भेजा ! काजल और मेरी पत्नी ने मुझे जन्म दिन पर बधाई दी और गर्म गर्म मीठे हलवा खिला कर मीठे मूंह से दिन की शुरुआत हो गयी ! कम्यूटर पर मेल देखी, कही दोस्तों, साथियों और भारत से बच्चों की मेल देखी सब मेरे जन्म दिन की बधाई के थे !
दिल्ली से मेरी पोती आर्शिया और पोता अरनव ने भी मुझे जन्म दिन की वधाई दी अपनी तूतली बोली में (वह अभी एक साल और ९ महीने का है ) ! पटपडगंज दिल्ली से लड़की का तथा मेरी ध्योती नीतिका ने भी फोन पर अपना सन्देश दिया ! राजेश इस समय बंगलौर में है एक जरूरी मीटिंग के लिए, उसने भी फोन करके जन्म दिन की बधाई दी इसी तरह ब्रिजेश और बिन्दू भी पीछे नहीं रहे ! फिर दोस्तों के फोन आने शुरू हुए, कुछ पूछते थे "रावत जी अब कितने साल के हो गए "? और मैं गर्व से कहता की "अनुमान लगाओ," *७०, ८० ", ७० तक तो मैं मुस्कराता रहता लेकिन जब ८० कहते तो मैं आपा खो देता, "कमाल करते हैं आप, अभी बहुत सारे बच्चे मुझे अंकल कह कर पुकारत्ते हैं और आप मुझे ८० का बताते हैं ", वे कहते
"रावत जी माफ़ करना, आपका कसरती शरीर देखकर तथा बालों से आप ६५ के लगते हैं लेकिन चहरे की झुरियां हमें चक्कर में डाल देती हैं यकीन मानो आपके शरीर की लचक और स्फूर्ति देखकर कोई आपको ६०-६५ से से ऊपर का नहीं कह सकता और मेरे मन में खुशियों की फूल झड़ियां झड़ने लगती ! शाम तक बच्चे स्कूल से वापिस आजाते हैं फिर हो जाती बचों के साथ लुका छिपी, कबड्डी कबड्डी, दौड़ भाग ! एक सजन ने मुझे पूछा "रावत जी आप इस उम्र में भी इतनी दौड़ भाग वह भी बच्चों के साथ कैसे करलेते हैं " ? मैं जबाब देता हूँ, सुबह सुबह उठ कर स्नान ध्यान, योग, कसरत, प्राणायाम और सूरज निकलने के साथ ही २ मील की सैर ये सब मेरे दैनिक कार्य कर्म में सामिल है !
मैं यहाँ ६ दिसंबर तक हूँ फिर इंडिया चला जाउंगा और वहां भी यह नियम इसी तरह पालन किया जाएगा ! यहाँ के लोगों के पास पैसा है, सजा सजाया शानदार मकान है, महंगी कार हैं, दिमाग है, वह सब कुछ है जिसको हम भौतिक सुख कहते हैं, लेकिन मन की शांती नहीं है , जिस्मानी स्थिरता नहीं है ! जवानी पैसा कमाने और भाग दौड़ में बीत जाता है और बुढापा बीमारियों के बोझ तले बीतता है ! मैं योग गुरु बाबा रामदेव के बताए हुए वसूलों का पालन करता हूँ , दिमाग को चिंता मुक्त रखता हूँ ! आप भी इस विधि को अपनाइए !

Sunday, November 14, 2010

भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी

सदियों पहले लोक नायक जय प्रकाश नारायण ने चम्बल के डाकुओं को शांती सन्देश देकर उन्हें अपने हथियारों सहित समर्पण करने का अनुरोध किया था और प्रदेश व केन्द्रीय सरकार को समर्पण करने वाले डाकुओं को अमन चैन की जिन्दगी जीने के लिए, समाज की मुख्या धारा से जुड़ने के लिए ग्राम, जिला स्तर पर स्कीम बनाने की प्रार्थना की थी ! लोक नायक के अनुरोध को स्वीकार करते हुए उस समय के नामी ग्रामी और दैशत फैलाने वाले डाकुओं ने आत्म समर्पण कर दिया था ! संत विनोवा भावे ने भी इस शुभ कार्य को अंजाम तक पहुंचाने में लोकनायक की बड़ी मदद की थी ! श्री जयप्रकाश नारायण जी समाजवाद के समर्थक सच्चे देश भक्त थे ! उस जमाने के त्रिमूर्ति जय प्रकाश नारायण, मनोहर लाल लोहिया और नरेंद्र देव विपक्ष में रहकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार की योजनाओं का जो आम आदमी के हितों की रक्षा न करके बड़े घरानों के हितों की चिता करती थी, का घोर विरोध करते थे ! वे जनता से जुड़े असली नेता थे ! सन १९७७ ई० तक भ्रष्टाचार की भनक तो सुनने को मिलती थी लेकिन ८० प्रतिशत तक राजनीतिग्य, नौकरशाह ईमानदार थे ! हाँ पुलिस में घूसखोरी और रिश्वत खोरी की दो चार घटनाएं प्रकाश में आ जाती थी ! सन १९६२ ई० में रक्षा उपकरणों की खरीदारी में दलाली लेने का पहला केस प्रकाश में आया था, उस समय प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू और रक्षा मंत्री मेनन थे ! केस रफा दफा कर दिया गया था ! तश्कर, जमाखोर, मिलावट करने वाले, जुवारी, समाज को धर्म और उंच नीच की सीमाओं में बांटने वाले अपने पंख फैलाने लगे थे ! सन १९७५ ई० में इन्द्रा गांधी के प्रधान मंत्रित्व काल में देश में अमर्जेंसी लग गयी ! वह एक अन्धकार युग था, पुलिस और सरकार से जुड़े लोगों ने अपने विरोधियों को खूब सताया ! तमाम विपक्षी नेता जेलों में डाले गए ! सन १९७७ ई० के चुनाव ने कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा और जनता पार्टी के नाम पर
जिसको भी टिकट मिला चाहे वह डाकू-लुटेरा, तश्कर, जमाखोर था, सब जीत कर सांसद बन गए ! क़ानून तोड़ने वाले क़ानून बनाने वाले हो गए ! महंगाई बढ़ गयी, क़ानून व्यवस्था चरमराने लगी, पूरी जनता जनता पार्टी के राज में अपने को ठगा हुआ महसूस करने लगी ! वे इस गठ बंधन के आपसी झगड़े से परेशान हो गए ! हर सता से जुड़ने वाला अपनी मन मानी करने लगा ! सांसद और प्रदेशों में विधायक अपने गुंडे पालने लगे ! कल तक विहड़ों में छिपने फिरने वाले आज क़ानून गले में डाल कर भ्रष्टाचार जैसे अवैओध काम करने लगे, पहले छिप कर करते थे अब खुले आम करने लगे ! "जब सैंया कोतवाल तो डर काहे का" ! वही क़ानून बनाने वाले, कौन किसको पकड़ता ! फिर जनतापार्टी में प्रधान मंत्री की कुर्सी हथियाने के लिए फूट पड़ गयी और लोक नायक जयप्रकाश नारायण द्वारा सभी विपक्षी पार्टियों का गठ जोड़ नॉर्थ और साऊथ ब्लाक के चौराहे पर फूट गया ! सन १९८० ई० के मध्यावधी चुनाव में कांग्रेस बड़ी शक्ती शाली पार्टी बन कर फिर सतापर काविज हो गयी ! जनता ने सोचा कांग्रेस कितनी भी खराब क्यों न हो फिर भी इस जंगली राज से तो अच्छी ही है और इस बार फिर कांग्रेस की झोली वोटों से भर दी गयी ! कांग्रेस में भी परिवर्तन आगया और सच्चे ईमान दार सांसद विधायक किनारे कर दिए गए और पावरफूल, पुराने राज घराने , व्यापारी वर्ग के लोग, डाकू बाहुबली सता में आने लगे ! जनतापार्टी के हिस्टरी सीटर अपने गुंडों की फ़ौज के साथ आया राम गया राम बनकर सता पार्टी के साथ जुड़ने लगे ! भारतीय संविधान में एक सांसद या विधायक को भारत का नागरिक होना चाहिए, मानसिक तौर पर स्वस्थ होना चाहिए, १८ साल की उम्र वोट देने के लिए और २५ साल चुनाव लड़ने के लिए होनी चाहिए, बाकी कोई शर्त नहीं रखी गयी न शिक्षा का बंधन ही रखा गया, अंगूठा टेक मंत्री तक बन सकता है ! और इसी का फायदा उठाते हुए रौबदार, दभंग, ऊंची पहुँच वाले पैसे वाले लोग, दहशत फैलाने लोग संसद व विधान सभाओं में भरने लगे ! हर किसी को ऐश आराम की जिन्दगी जीने की इच्छा है, सैर सपाटे के लिए कीमती कार, विदेश यात्रा, बंगला, सुन्दर पार्क, कीमती फर्नीचर, इन सबके लिए पैसे चाहिए, अगर वेतन भता से पूर्ती नहीं होती तो ऊपर की कमाई का जरीया ढूँढा जाने लगा ! जनता के पैसों पर डाका पड़ने लगा ! इन्क्वारी बैठने लगी, लेकिन इन्क्वारी भी तो वही लोग कर रहे हैं जो भ्रष्टाचार के दल दल में स्वयं भी फंसे हुए हैं, फिर रिजल्ट क्या होगा ? कुछ दिन पहले एक खबर छपी थी की पी एम आफिस का एक यू डी सी ग्रेड का क्लर्क दो साल तक तीन ऐ ए एस अधिकारियों का वेतन भता लेता रहा, जो पी एम ऑफिस में डेपूटेशन पर आये थे और दो साल पहले ही अपने स्टेट को पोस्ट हो चुके थे ! क्लर्क पकड़ा गया था फिर क्या हुआ कोई जानकारी नहीं मिली ! क्या एक मामूली सा क्लर्क इतना पडा काण्ड कर सकता है वह भी लगातार दो साल तक और किसी की नजर में भी नहीं आया, जब की हर साल ऑडिटर आकर अकाऊनट्स का औडिट करते हैं ! अधिकारियों की सैलेरी सीधे बैंक अकाउंट में जाती है वहां से उनके अकाउंट्स से पैसे कैसे निकाले जाते रहे सबकी नज़रों के सामने ! इसी तरह हर मिनिस्ट्री में हो रहा होगा कौन पूछ रहा है ! एक एम पी या विधायक एक साल में ही करोड़ पति बन जाता है कैसे ? सी बी ऐ इन्क्वारी चलती है और अचानक बंद हो जाती है क्यों ? कहने का मतलब आज हिन्दुस्तान की मिट्टी का रंग भी भ्रष्टाचार के रंग में रंग गया है ! जहां भी खोदोगे भ्रष्टाचार की जड़ नजर आएगी !
हम कहते हैं हमारा देश आर्थिक दृष्टि से चीन को भी पीछे छोड़ देगा ! ऐसे भ्रष्टाचारी लोग क्या देश को आगे बढ़ने
देंगे ? आजकल चीन में एशियाड खेल हो रहे हैं, सब कुछ प्रोग्राम के मुताबिक़ हो रहा है, न कोई अफरा तफरी, न भाग दौड़ ! वहां भी औरगनाईजर घोटाला कर रहे होंगे लेकिन इस सीमा तक नहीं की मूल तो पूरा खा गए और ब्याज लगा दिया कामनवेल्थ गेम की तैय्यारियों में ! चीन, जापान, साऊथ कोरिया जैसे देश बिना किसी हूँ हां के एशियाड और ओलम्पिक बड़े आराम से सम्पन कर देते हैं और हमने केवल १९८२ के बाद एक कामनवेल्थ गेम औरग्नाईज किया और नतीजा सबके सामने है ! दुर्जन, भ्रष्टाचारी मजे में घूम रहे हैं और आम जनता इनके दुष्कर्मों के बोझ तले दबी जा रही है ! आएगा कभी कोई पालनहार इस देश को बचाने वाला इसी उम्मीद पर जी रहे हैं करोड़ों देश वासी आम आदमी का लवादा पहिनकर !