सदियों पहले लोक नायक जय प्रकाश नारायण ने चम्बल के डाकुओं को शांती सन्देश देकर उन्हें अपने हथियारों सहित समर्पण करने का अनुरोध किया था और प्रदेश व केन्द्रीय सरकार को समर्पण  करने वाले डाकुओं को अमन चैन की जिन्दगी जीने के लिए, समाज की मुख्या धारा से जुड़ने के लिए ग्राम, जिला स्तर पर  स्कीम बनाने की प्रार्थना की थी ! लोक नायक के अनुरोध को स्वीकार करते हुए उस समय के नामी ग्रामी और दैशत  फैलाने वाले डाकुओं ने आत्म समर्पण कर दिया था ! संत विनोवा भावे ने भी इस शुभ कार्य को अंजाम तक पहुंचाने में लोकनायक की बड़ी मदद की थी ! श्री जयप्रकाश नारायण जी समाजवाद के समर्थक सच्चे देश भक्त थे ! उस जमाने के त्रिमूर्ति जय प्रकाश नारायण, मनोहर लाल लोहिया और नरेंद्र देव विपक्ष में रहकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार की योजनाओं का जो आम आदमी के हितों  की रक्षा न करके बड़े घरानों के हितों की चिता करती थी, का घोर विरोध करते थे ! वे  जनता से जुड़े असली  नेता थे ! सन १९७७ ई० तक भ्रष्टाचार की भनक तो सुनने को मिलती थी   लेकिन ८० प्रतिशत तक राजनीतिग्य, नौकरशाह ईमानदार थे ! हाँ पुलिस में घूसखोरी और रिश्वत खोरी की दो चार घटनाएं प्रकाश में आ जाती थी ! सन १९६२ ई० में रक्षा उपकरणों की खरीदारी में दलाली लेने का पहला केस प्रकाश में आया था, उस समय प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू और रक्षा मंत्री मेनन थे ! केस रफा दफा कर दिया गया था !  तश्कर, जमाखोर, मिलावट करने वाले, जुवारी, समाज को धर्म और उंच नीच की सीमाओं में बांटने वाले अपने पंख फैलाने लगे थे ! सन १९७५ ई० में इन्द्रा गांधी के प्रधान मंत्रित्व काल में देश में  अमर्जेंसी  लग गयी ! वह एक अन्धकार युग था, पुलिस और सरकार से जुड़े लोगों ने अपने विरोधियों को खूब सताया ! तमाम विपक्षी नेता जेलों में डाले गए ! सन १९७७ ई० के चुनाव ने कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा और जनता पार्टी के नाम पर
जिसको भी टिकट मिला चाहे वह डाकू-लुटेरा, तश्कर, जमाखोर था, सब जीत कर सांसद बन गए ! क़ानून तोड़ने वाले क़ानून बनाने वाले हो गए ! महंगाई बढ़ गयी, क़ानून व्यवस्था चरमराने लगी, पूरी जनता  जनता पार्टी के राज में अपने को ठगा हुआ महसूस करने लगी  ! वे इस गठ बंधन के आपसी झगड़े से परेशान हो गए  ! हर सता से जुड़ने वाला अपनी मन मानी करने लगा ! सांसद और प्रदेशों में विधायक अपने गुंडे पालने लगे ! कल तक विहड़ों में छिपने फिरने वाले आज क़ानून गले में डाल कर भ्रष्टाचार जैसे अवैओध काम करने लगे, पहले छिप कर करते थे अब खुले  आम करने लगे ! "जब सैंया  कोतवाल तो डर काहे का"   ! वही क़ानून बनाने वाले, कौन किसको पकड़ता !   फिर जनतापार्टी में प्रधान मंत्री की कुर्सी हथियाने के लिए  फूट पड़ गयी और लोक नायक जयप्रकाश नारायण द्वारा सभी विपक्षी पार्टियों का गठ जोड़ नॉर्थ और साऊथ ब्लाक के चौराहे पर फूट गया ! सन १९८० ई० के मध्यावधी चुनाव में कांग्रेस बड़ी शक्ती शाली पार्टी बन कर फिर सतापर  काविज हो गयी ! जनता ने सोचा कांग्रेस कितनी भी खराब क्यों न हो  फिर भी इस जंगली राज से तो अच्छी ही है और इस बार फिर कांग्रेस  की झोली वोटों से भर दी गयी ! कांग्रेस में भी परिवर्तन आगया और सच्चे ईमान दार सांसद विधायक  किनारे कर दिए गए और पावरफूल, पुराने राज घराने , व्यापारी  वर्ग के लोग, डाकू बाहुबली  सता में आने लगे ! जनतापार्टी के  हिस्टरी  सीटर अपने गुंडों की फ़ौज के साथ आया राम गया राम बनकर सता पार्टी के साथ जुड़ने लगे ! भारतीय  संविधान में एक सांसद या विधायक को भारत का नागरिक होना चाहिए, मानसिक तौर पर स्वस्थ होना चाहिए,  १८ साल  की उम्र वोट देने के लिए और २५ साल चुनाव लड़ने के लिए होनी चाहिए, बाकी कोई शर्त नहीं रखी गयी  न शिक्षा का बंधन ही रखा गया, अंगूठा टेक मंत्री तक बन सकता है  ! और इसी का फायदा उठाते हुए रौबदार, दभंग,  ऊंची पहुँच वाले पैसे वाले लोग,  दहशत फैलाने लोग संसद व विधान सभाओं में भरने लगे ! हर किसी को ऐश आराम की जिन्दगी जीने की इच्छा है, सैर सपाटे के लिए कीमती  कार, विदेश यात्रा, बंगला, सुन्दर पार्क, कीमती फर्नीचर, इन सबके लिए पैसे चाहिए, अगर वेतन भता  से पूर्ती नहीं होती तो ऊपर की कमाई का जरीया ढूँढा जाने लगा ! जनता के पैसों पर डाका पड़ने लगा ! इन्क्वारी बैठने लगी, लेकिन इन्क्वारी भी तो वही लोग कर रहे हैं जो भ्रष्टाचार के दल दल में स्वयं भी फंसे हुए हैं, फिर रिजल्ट क्या होगा ?  कुछ  दिन  पहले एक खबर छपी थी की पी एम आफिस का एक यू डी सी ग्रेड का क्लर्क दो साल तक तीन ऐ ए एस अधिकारियों का वेतन भता लेता  रहा,  जो पी एम ऑफिस में डेपूटेशन पर आये थे और दो साल पहले ही अपने स्टेट को पोस्ट हो चुके थे ! क्लर्क पकड़ा गया था फिर क्या हुआ कोई जानकारी नहीं मिली ! क्या एक मामूली सा क्लर्क इतना पडा काण्ड कर सकता है वह  भी लगातार दो साल तक और किसी की नजर में भी नहीं आया, जब की हर साल ऑडिटर आकर अकाऊनट्स का औडिट करते हैं !  अधिकारियों की सैलेरी सीधे बैंक अकाउंट में जाती है  वहां से उनके अकाउंट्स से पैसे कैसे निकाले जाते रहे सबकी नज़रों के सामने ! इसी तरह हर मिनिस्ट्री में हो रहा होगा कौन पूछ रहा है ! एक एम पी या विधायक एक साल में ही करोड़ पति बन जाता है कैसे ? सी  बी ऐ इन्क्वारी चलती  है और अचानक बंद हो जाती है क्यों ?  कहने का मतलब आज हिन्दुस्तान की मिट्टी का रंग भी भ्रष्टाचार के रंग में रंग गया है ! जहां भी खोदोगे भ्रष्टाचार की जड़ नजर आएगी !
हम कहते हैं हमारा देश आर्थिक दृष्टि से चीन को भी पीछे छोड़ देगा ! ऐसे भ्रष्टाचारी लोग क्या देश को आगे बढ़ने
देंगे ?  आजकल चीन में एशियाड खेल हो रहे हैं, सब कुछ प्रोग्राम  के मुताबिक़ हो रहा है, न कोई अफरा तफरी, न भाग दौड़ !  वहां भी औरगनाईजर घोटाला कर रहे होंगे लेकिन इस सीमा तक नहीं की मूल तो पूरा खा गए और ब्याज लगा दिया कामनवेल्थ गेम की तैय्यारियों में ! चीन,  जापान, साऊथ कोरिया जैसे देश बिना किसी हूँ हां  के एशियाड और ओलम्पिक बड़े आराम से  सम्पन  कर देते हैं और हमने केवल १९८२ के बाद एक कामनवेल्थ गेम औरग्नाईज किया  और नतीजा सबके सामने है ! दुर्जन, भ्रष्टाचारी मजे में घूम रहे हैं   और आम जनता इनके दुष्कर्मों के बोझ तले दबी जा रही है ! आएगा कभी कोई पालनहार इस देश को बचाने वाला इसी उम्मीद पर  जी रहे हैं करोड़ों देश वासी आम आदमी का लवादा पहिनकर !
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