Sunday, November 28, 2010

हमारी आकाश गंगा (अवर सोलर सीस्टम )

( अवर सोलर सीस्टम - लेखक
स्मिथसोनियन और सेयमौर सिमोन )

आइये अपनी आकाश गंगा के बारे में जानकारी करें ! वैज्ञानिक कहते हैं की हमारी ये आकाश गंगा अरबों तारों के साथ पैदा हुई है ! जो आसमान हमारी नज़रों के आगे है वहां नौ ग्रह तथा उनके इर्द गिर्द चाँद घूमते हैं ! सबसे नजदीक का ग्रह बुध है जो सूर्य से ५८ मिलियन किलोमीटर दूर है, ८८ दिनमें यह सूर्य का एक पूरा चक्कर लगा लेता है ! इसके बाद शुक्र ग्रह आता है, यह ग्रह सूर्य से १०८ मिलियन किलोमीटर दूर है, और २२४.७ दिनों में सूर्य का चक्कर लगा लेता है ! इस ग्रह में कार्बन डाई आक्साईड और नाईट्रोजन गैसें हैं ! पृथ्वी की दूरी भी सूर्य से १०८ मिलियन किलो मीटर है और यह सूर्य का चक्कर ३६५.२४ दिनों में लगा लेती है ! २३ घंटे, ५६ मिनिट और ४ सेकिंड में (दिन रात) अपनी धुरी पर घूम जाती है ! वातावरण में नाईट्रोजन और ऑक्सिजन गैसें विद्यमान है ! पृथ्वी का एक चाँद भी है जो 24 घंटे में पृथ्वी का एक चक्कर लगा लेती है ! इसके बाद का गृह है मंगल (लाल) यह ग्रह सूर्य से २२८ मिलियन किलोमीटर दूर है और ६८७ दिनों में सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेता है ! यह अपनी धुरी पर २४ घंटे ३७ मिनिट और २३ सेकिंड में घूम जाती है ! इस ग्रह में कारवन डाई आक्साईड, नाईट्रोजन गैसें हैं ! मंगल ग्रह के अपने दो चाँद हैं ! सारे ग्रह छोटे हैं और सूर्य के काफी नजदीक हैं ! सन १९५०ई० में गढ़वाल की जूनियर हाई स्कूलों में पहली बार विज्ञान की पढाई शुरू करवाई गयी थी ! उन दिनों मंगल ग्रह की चर्चा जोरों पर थी की मंगल ग्रह पृथ्वी के बाद का पूरे यूनिवर्स में एक ही ग्रह है जहाँ जीवन संभव है ! विज्ञान की पुस्तक में बच्चों को पढ़ाया गया था की वहां बड़ी बड़ी नहरे हैं, वनस्पति होने से बहुत हरियाली है ! यहाँ तक चर्चा का बाजार गर्म था की "मंगल ग्रह से समय समय पर उड़न तस्तरियाँ पृथ्वी ग्रह पर आती हैं धरती के लोगों के साथ संपर्क करने के लिए, धरती की खुशहाली और विज्ञान के क्षेत्र में पृथ्वी के बढ़ते हुए कदमों की समीक्षा करने के लिये आते हैं" ! पेपरों में मंगल संबंधी अजीबो गरीब खबरें छपती थी ! नौ ग्रहों में इसका रंग लाल होने की वजह से यह अलग ही दिखाई देता है ! यह बहुत तेज और गुस्से वाला ग्रह है, जो लोग इस ग्रह के प्रभाव में आते हैं वे फ़ौजी वीर जवान -अफसर बनकर नाम कमाते हैं ! ये कही गुणों के माहिर होते हैं पर उनमें एक गुण विशेष होता है जिसमें वे मास्टर होते हैं !
इसके अलावा जो ग्रह सूर्य से भी और पृथ्वी से भी दूर हैं, उनमें सबसे बड़ा ग्रह है वृस्पति (जुपिटर), यह ग्रह सूर्य से ७७८ मिलियन किलोमीटर दूर है, ११.८६ साल में सूर्य का एक चक्कर लगा पाता है ! ९ घंटे ५५ मिनिट और १८ सेकिंड में अपनी धुरी पर पूरा घूम जाता है ! इसकी परिधि में हाइड्रोजन और हीलियम गैसें हैं ! अपनी तरफ खींचने की शक्ती (सर्फेस ग्रेविटी) पृथ्वी की १ है और इस ग्रह की २.१४ है, इसके ६३ चंद्रमा हैं तथा एक रिंग है ! शनि ग्रह
(सैटर्न ) यह सूर्य से १४२७ मिलियन किलो मीटर दूर है, २९.४ साल में सूर्यका एक पूरा चक्कर लगा पाता है, १० घंटे ३९ मिनिट और २२ सेकिंड में अपनी धुरी पर पूरा घूम जाता है ! इस ग्रह पर भी हाईड्रोजन और हीलियम गैसें हैं ! सर्फेस ग्रेविटी ०.७४ है इसके ५६ चंद्रमा हैं और एक हजार से ज्यादा रिंग हैं ! युरेनस - सूर्य से २८७१ मिलियम किलोमीटर दूर है, ८४ साल में सूर्य का एक चक्कर लगा पाता है ! इसमें हीलियम, हाईड्रोजन मिथाइन गैसें पायी जाती हैं ! इसकी सर्फेस ग्रेविटी ०.८६ है, २७ इसकी चंद्रमां हैं और ११ रिंग हैं ! नेपच्यून - यह ग्रह सूर्य से ४,४९८ मिलियम किलोमीटर दूर है, १६४.७९ सालों में यह सूर्य का एक चक्कर लगा पाता है, १६ घंटे, ६ मिनिट और ३६ सेकिंड में अपनी धुरी पर पूरा घूम जाता है ! इसमें भी वही गैसें पायी जाती हैं जो युरेनस में पायी जाती हैं, इसकी सर्फेस ग्रेविटी १.१० है १३ इसके चंद्रमां हैं और ५ रिंग हैं ! इकुटोरियल डायमीटर मीलों में -बुध का ३,०३२, शुक्र का
७,५२०, पृथ्वी का ७,९२६.४, मंगल का ४,२२२, वृस्पति का ८८,८४६, शनि का - ७४,८९२, युरेनस का - ३१,७६४,
नेपच्यून -३०,७७६ !
मिल्की वे गैलेक्सी
लेखक लिखते हैं की हमारा सोलर सीस्टम अरबों टिमटिमाते तारों के साथ पैदा हुआ था ४.६ अरबों साल पहले !वातावरण में धूल का बादल और हाईड्रोजन गैस ने मिलकर इस आकाश गंगा की रचना की ! धूल के बादलों और हाईड्रोजन गैस के दबाव में ये छोटे छोटे कण ज्यादा दबते गए और गर्म होते गए और उससे न्यूक्लीयर विस्फोट हुआ और ऊर्जा प्रज्वलित हुई वही चमकता हुआ प्रकाशित सूर्य का उदय काल था ! बाकी के बिखरे टुकड़े आकाश गंगा में बिचरने लगे, वही आगे चलकर ग्रह चाँद बनकर सूर्य का चक्कर लगाने लगे, अरबों खरबों चाँद और तारों के साथ नीला आकाश अनंत विशाल लाखों करोड़ों आकाश गंगा के साथ कुदरत का मनुष्य को एक अनुपम भेंट जिसकी खोज में इसकी कितनी पीढियां अन्तरिक्ष में समा गयी लेकिन खोज अभी जारी है ! रोज विज्ञान के नए चमत्कार देखने और सुनने को मिल रहे हैं ! लेकिन इसका रहस्य अभी भी रहस्य ही बना हुआ है और आगे भी रहस्य ही रहेगा, इस रहस्य से परदा उठेगा जरूर उठेगा तब, जब फिर कृष्ण का अवतार होगा ! क्यों की मनुष्य अपने स्वार्थ सीधी के लिए कुदरत की इस सुन्दर कृति को दूषित करता जा रहा है रोज अरबों टन बिषैली गैसें वातावरण में पहुंचाता जा रहा है और अपने लिए एक विस्फोट करने का इंतजाम कर रहा है !
सूर्य
हमारी आकाश गंगा की तरह इस ब्रह्माण्ड में करोड़ों आकाश गंगाएं हैं ! सूर्य की ही तरह पूरे यूनिवर्स में २०० अरब चमकते तारे हैं और उनकी रोशनी इस धरती पर आते आते करोड़ों साल लग जाते हैं ! भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता के ११ वें अध्याय में अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाते समय इन अनंत ब्रह्माडों का जिकर किया है ! उन्होंने अपने को सूर्य से भी पहले का बताया है और इस पूरे ब्रह्माण्ड का रचनाकार अपने को ही बतलाया है ! उनका कहना है की हे अर्जुन जिस सीमा के अंदर तुम रह रहे हो, ये तो केवल एक ही सूर्य द्वारा प्रकाशित आकाश गंगा है और हर आकाश गंगा को नियंत्रित करने के लिए मेरी शक्तियां, ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं ! इस तरह पूरे यूनिवर्स में इस तरह की दो सौ अरब आकाश गंगाएं हैं और हे अर्जुन "मैं ही इन सारे आकाश गंगाओं को नियंत्रित करता हूँ" !
हमारी धरती के एक सूरज है जो धरती से बहुत विशाल है करीब १३ लाख प्रथ्वी के बराबर है ये सूर्य महाराज ! सूर्य का ईधन है हाईड्रोजन गैस ! यह एक सेकिंड में करीब ४० लाख टन हाईड्रोजन गैस का इस्तेमाल करता है ! वैज्ञानिकों का मानना है इतनी ज्यादा हाईड्रोजन कंज्यूम करने के बाद भी सूर्य के पास अभी पांच छ अरब सालों तक के लिए हाईड्रोजन बाकी है ! सूर्य धरती के जीव जंतु, पशु पक्षी और पेड़ पौधों के लिए जीवन दायिनी औषधी है ! इससे प्राणी मात्र को ऊर्जा मिलती है, पेड़ पौधों को बढ़ने में मदद मिलती है, समुद्र से भाप के बादल बनाकर वारीष भी सूर्य के ताप का ही प्रताप है ! इसके बिना धरती पर जीवन संभव नहीं है ! सूर्य का केंद्र वृस्पति ग्रह के बराबर है जिसका तापमान २७,०००,००० डिग्री फायरन हाईट है ! सूर्य के भीतरी भाग को क्रोमोस्फयर और बाहरी भाग को कोरोना कहते हैं !जब पूरा सूर्य ग्रहण लगता है तो भीतरी भाग धक् जाता है लेकिन कोरोना सूर्य के किनारे किनारे नजर आता है !
बुध - इसका नाम रोम वालों ने तेज भागने वाला सन्देश पहुंचाने वाला (हलकारा) रखा ! यह ग्रह सूर्य का चक्कर तो बहुत जल्दी लगा लेता है लेकिन अपने धुरी पर घूमने में ५८.६ दिन लगाता है ! इसका आकार पृश्वी से तो छोटा है ही बल्की वृस्पति और शनि ग्रह के सबसे बड़े चाँद से भी छोटा है ! इसका अपना कोइ चाँद नहीं है ! यह वैसे दिखाई नहीं देता लेकिन सुबह और शाम जब सूर्य उदय हो रहा हो या पश्चिम दिशा में अस्त का समय हो बुध ग्रह दिखाई दे सकता है ! टेलेस्कोप से यह दिखाई देता है और धरती के चाँद की तरह या रोज अपनी आकृति बदलता रहता है ! चाँद की तरह इसके धरातल में बहुत से क्रेटर्स हैं ! यह एयरलेस प्लेनेट है, दिन के समय इसका टेम्प्रेचर ७५० डिग्री (एफ) होता है जोलोहे को गला सकता है लेकिन रात को -३०० तक चला जाता है इतना ठंडा जितना पृथ्वी के साउथ पोल जितना !
शुक्र ग्रह - पृथ्वी के बराबर होने से इसे प्रिथ्व्व की बहिन भी कहा जाता है ! रोम में इसे सुन्दरता कीदेवी कहा जाता है ! चाँद के बाद यह सबसे चमकीला ग्रह है और सुब और शाम नजर आजाता है ! इसमें सल्फुरिक एसिड और कार्बन डाई औक्षाइड गैसें हैं ! ९०० डिग्री तक टेम्प्रेचर है ! ११ अक्टूबर १९९४ ई० में स्पेस क्राफ्ट के द्वारा इस ग्रह की पूरी जानकारी ली गयी थी !
पृथ्वी - इसे ओसियन या वाटर का नाम भी दिया गया है ! यही आकाश गंगा में एक मात्र ऐसा ग्रह जिसमें तीन हिस्सा पानी है और एक हिस्सा मिट्टी कंकन पत्थर है ! स्पेस से अपोलो १५ द्वारा पृथ्वी की तस्वीर ली गयी थी !
जब सूर्या इसके नजदीक आता है तो समुद्र का पानी उबलने लगता है और जब दूर होता है तो पानी जमने लगता
है ! गर्मियों में पृथ्वी का उतरी भाग में दिन बड़े और मॉम गर्मी का होता है लेकिन दक्षिणी भाग (साउथ पोल) में दिन छोटे और सरदी का मौसम रहता फिर अगले च महीने थी इसके बिपरीत होता है ! पृथ्वी का वातावरण को संतुलित करने के लिए यहाँ नाईट्रोजन और आक्सीजन तथा छोटी सी मात्रा में कार्बन डाई आक्साईड गैंसे हैं !
चाँद के बाद पृथ्वी पर सबसे चमकीला ग्रह शुक्र है ! रोम में शुक्र ग्रह को प्रेम की देवी कहा जाता है (गौडेज आफ लव एंड ब्यूटी ) ! इसे सुबह और शाम का तारा कहा जाता है, लेकिन वास्तव में यह स्टार नहीं है बल्की एक गढ़ है (प्लानेट) ! कोइ कोइ तो शुक्र ग्रह को पृथ्वी की बहीं बताते हैं क्योंकि इन दोनों का साईज बराबर है !
यह सबसे गर्म ग्रह है, इसका टेम्प्रेचर ९०० डिग्री (एफ)। इसमें पानी की मात्रा काफी कम है !
मंगल - यह सूर्य का चौथा ग्रह है ! यह धरती के नजदीक होने से ज्यादा चमकीला लालिमा लिए हुए है ! रोमन इसे लड़ाई का देवता कहते हैं ! सन १९७० ई० में पहली बार मानव रहित स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी से मंगल ग्रह के नजदीक भेजा गया था ! इसके द्वारा भेजी गयी तस्वीरों से ऐसे लगता है की मार्स (मंगल) के दोनों पोल बर्फ से ढके हैं !
वृस्पति - ग्रहों में सबसेबड़ा ग्रह ! यह गैस प्लानेट है जो हाईड्रोजन और हीलियम गैसों से बना है ! यह ग्रह बादलों से ढका हुआ रहता है ! लेकिन पृथ्वी की तरह इन बादलों में यहाँ पानी नहीं है ! इसमें बड़ा लाल सपाट है जो पृथ्वी से तीन गुना बड़ा है ! इसे ३०० साल पहले इंसान ने टेलेस्कोप से इसे देखा था ! समय के साथ यह बढ़ता है घटता है कभी पिंक कभी प्रकाशवान होता है लेकिन यह स्पोट अपनी जगह नहीं बदलता ! सदियों से ओवल शेप में है ! १९९६ ई० में इः पता लगा की वृस्पति रिंग से घिरा हुआ प्लानेट है ! शनि, युरेनस और नेपच्यून के भी रिंग हैं । इस ग्रह का केंद्र बहुत गर्म है ! इसके १६ बड़े चंद्रमा हैं और ४७ छोटे चंद्रमा हैं ! चार बड़े चाँद का नाम है यूरोपा, गनिमेडे, ऐओ और कालिस्तो ! इन्हें गेली लियन मून कहा जाता है क्यों की गैलिलियो ने १६१० ई० में इनकी खोज की थी !
शनि - वृस्पति के बाद सबसे बड़ा ग्रह पृथ्वी जैसे ७५० प्लानेट इसमें समा सकते हैं ! इसे रोमन गौड आफ फार्मिंग कहते हैं ! चार सौ साल पहले गैलिलियो ने अपने हलके पावर के टेलेस्कोप से देखा था ! पचास साल बाद बड़े टेलेस्कोप से अन्तरिक्ष यात्री ने देखा की शनि दो ग्लोबस और एक फ्लेट रिंग से घिरा हुआ है शनि ग्रह ! यह ऋण ऐसा लगाया है की यह हजारों पतले पतले रिंगों से जुड़ा हुआ है ! यह रिंग १७००० मील के घेरे पर होते हुए तीन मील से कम मोटाई वाली है ! इसके एक बड़ा मून तथा ६ छोटे मून हैं ! ये सारे बर्फ से ढके हुए हैं !
उरेनस - इस ग्रह का पता १७८१ ई० में विलियम हर्चेल ने अपने टेलेस्कोप से लगाया ! इसका नाम ग्रीक गौड आफ हैवन और रूलर आफ वर्ड रखा गया ! इसका रिंग है ! यह पृथ्वी से पचास गुना बड़ा है ! इसके पांच बड़े चाँद हैं और २२ छोटे हैं ! इसका रिंग १७ पतले पतले रिंगों से जुड़ा हुआ है !
नेपच्यून - यह ग्रह धरती से बहुत दूर है ! इसका पता भी गैलिलियो ने किया था ! यह भी रिंग से लिपटा गैस वाला ग्रह है ! यहाँ पर आंधी तूफ़ान हर समय आता रहता है ! यह नीला दिखाई देता है ! २५ अगस्त १९८९ ई० में इस ग्रह से वोयागर २ स्पेसक्राफ्ट से इसके बारे में काफी जानकारी हासिल की गयी थी ! इसके २ बड़ी और ११ छोटे चाँद हैं ! इसकी सतह में बर्फ जमी होने का अनुमान है ! इसके बाद सबसे छोटा ग्रह प्लूटो जिसकी खोज १९३० ई० में की गयी ! इसका एक बड़ा मून भी देखा गया जिसका पता १९७८ ई० में चला ! प्लेटो का चाँद ६ दिन में इसका एक पूरा चक्कर लगा देता है ! यह है हमारी आकाश गंगा १ युनिअर्स गैलेक्सी !

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