Friday, June 25, 2010

मैं भी जवाँ

मैं भी जवाँ तुम भी जवाँ
फिर ये बचपन बुढापा कहाँ ?
नज़ारे कुदरत के बिखरे जहां,
हर दिल की धड़कन धड़के वहां !
संगीत कानों में बजने लगे,
लबों से गीत निकलने लगे,
पाँव जमीन पे थरकने लगे,
चकवा चकवी से मिलने लगे,
रंगीन स्वप्ने आँखों में सजे,
पायल या घूंघरू पावों में बजे !
बन ठन के दुलहन चली है कहाँ ?
नज़ारे कुदरत के बिखरे यहाँ !!
अमुवा की डाली पे कोयल के गीत,
घाटी में गूंज रहे संगीत,
नदियों की कल कल
चलता ही चल ,
रुक न पाए एक भी पल,
बादल भी करते हैं अपना काम,
बरसाता पानी सुबह और शाम,
हवा का झोंका हिलते हैं पेड़,
गिरते हैं पते मत इनको छेद !
कुदरत ने सबको किया है जवाँ,
फिर ये बचपन बुढापा कहाँ ?

Tuesday, June 22, 2010

अमेरिका रहस्यों से भरा

नयी दुनिया, कोलंबस की खोज ! सन १४९२ ई० तक दुनिया के नक़्शे पर अमेरिका का नाम नहीं था और आज हकीकत ये है की अमेरिका विश्व की तमाम शक्तियों का केंद्र बिन्दु है ! संयुक्त राष्ट्र संघ हो या सुरक्षा परिषद्, अमेरिका सबका लीडर है ! यहाँ का इतिहास कहता है की अमेरिका के मूल इंडियन थे ! गहराई से अध्यन करने पर पता चलता है की "ऐस एज " एक ऐसा युग था जब सारा संसार बर्फ से ढका हुआ था, लेकिन इंसान उस बर्फीले युग में भी था ! वह खाना बदोष था और जंगली जानवरों को मार कर खाता था ! इनका कोई स्थाई घर नहीं था, एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते थे ! अमेरिकन इतिहासकार कहते हैं की अमेरिका के पूर्वज एशिया के पश्चिम दक्षिण से शिकार की टोह लेते लेते रूस के कोर्याक रेंज, चुकची पहाड़ियों को पार करते हुए, अमेरिका के अलास्का प्रदेश तक पहुँच गए ! चुक्चे सागर जो चुकची पहाड़ियों और अलास्का के बीच में पड़ता है बर्फ से ढका था ! उस समय वाइसन (जंगली भैंसा) बड़ी मात्र में पाए जाते थे और ये लोग शिकारी बन कर इनके पीछे पीछे अमेरिका के उत्तरी किनारे तक पहुँच गए थे ! जब शिकार मिलना मुश्किल होगया तो ये लोग वापिस एशिया की ओर लौट पड़े तब तक बर्फ पिघल चुकी थी और समुद्र की गहराई रुकावट बन गयी ! इस तरह वे लोग अमेरिका के होकर रह गए ! फिर वे लोग दक्षिण की ओर बढ़ने लगे तथा जंगली फल फूलों से अपनी आजीविका चलाने लगे ! फिर इन लोगों ने खेती करना शुरू किया ! खेती में सबसे पहले उन लोगों ने मकई की फसल शुरू की ! जब १४९२ में कोलंबस अमेरिका आया, उसने समझा की वह इंडिया (भारत) आगया है ! इस कारण भी यहाँ के मूल वासियों को इंडियन कहा जाता है ! अपने यात्रा वर्णन में उसने लिखा है की "यहाँ के लोग बड़े बड़े खेतों में मकई नाम की फसल उगाते हैं" ! उसके बाद पूरे यूरोप के लोग यहाँ बसने लगे ! कहते हैं कोलंबस की यात्रा के वक्त तक अमेरिका के लोगों की जनसंख्या अस्सी लाख थी ! योरोप से आने वाले अपने साथ भयानक बीमारी लेकर आये थे, जिसने यहाँ के निवासियों के लिए कब्र स्थान बना दिया ! कुछ लोगों को आने वालों ने मरवा दिया और उनके खेतों पर कब्जा कर दिया ! आज हालत यह है की पूरे अमेरिका में एक लाख भी मूल निवासी नहीं होंगे ! धीरे धीरे अमेरिका में यूरोप से बड़ी संख्या में लोग आने लगे, फ़्रांस से, स्पेन से, पुर्तगाल से, इटली, जर्मनी से, स्वीटजरलैंड से तथा ब्रिटेन से ! ब्रिटेन ने तो आते ही अपने बाहुबल से धीरे धीरे सारे अमेरिका को अपने किंग के ताज अधीन कर दिया ! अफ्रीका से स्वयं अमेरिका से मूल इंडियनों से उनकी जमीने हड़प कर उन्हें गुलाम बनाया गया और तम्बाकू की फसल उगाई गयी ! व्यापार पर, आर्थिक नीतियों पर, आयात निर्यात पर, शासन के तीनों अंगों पर न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायक पर इंगलैंड के राजा का पूरा नियंत्रण था ! इंगलैंड के तानाशाही रवैये से यहाँ स्थायी तौर पर रहने वालो को नागँवार लगा ! इन लोगों में करीब सभी देशों के लोग थे जिसमें इंगलैंड के लोग भी शामिल थे! इन सभी स्थायी तौर पर बसने वाले विदेशी नस्ल के अमेरिकनों ने एक झंडे के नीचे इकठे होकर जार्ज वासिंगटन के नेतृत्व में इंगलैंड के खिलाफ जेहाद छेड़ दिया ! ४ जौलाय १७७६
एक विराट सम्मलेन में अमेरिका की स्वतंत्रा की घोषणा की गयी ! इंगलैंड ने अपनी सेना के तीनों अंगों को इनके खिलाफ अमेरिका भेज दिया, काफी खून खराबा हुआ, ऐन वक्त पर फ़्रांस ने इन स्वतंत्रा प्रेमियों की मदद के लिए अपनी सेना भेज दी, सन १७८१ में एक निर्यायक युद्ध में ब्रिटेन की सेना हार गयी और अमेरिका एक स्वतंत्र देश बन कर उभरा ! और आज अपनी मेहनत, सूजबुझ, नयी नयी तकनीकी के बल बूते पर अमेरिका विश्व का लीडर बन गया ! यहाँ का हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी बड़ी इमानदारी से निभाता है ! बाहर से आने वाला भी अमेरिकेन बन कर एक सुधरा हुआ नागरिक जैसे ही व्यवहार करता है ! दोनों विश्व युद्धों में अमेरिका की भूमिका निर्णायक रही ! संयुक्त राष्ट्र की स्थापना अमेरिका की देन है ! विज्ञान के क्षेत्र में अमेरिका ने अन्तरिक्ष पर भी विजय पा ली है ! चंद्रमा में की सतह पर चंद्रयान पहुंचा दिया, अन्तरिक्ष में वैज्ञानिकों को भेज दिया, मंगल, शुक्र और शनि की परिधि में जाकर इन ग्रहों की जानकारी हासिल करने की पहल की ! जिस देश ने आँख दिखाई उसको उसकी हैसियत दिखा दी ! पाकिस्तान जो इतना उछल कूद मचा रहा है केवल अमेरिका के बल बूते पर उसके द्वारा दी गयी भिक्षा पर ! जिस दिन अमेरिका ने भिक्षा देना बंद किया उसी दिन पाकिस्तान और उसका आतंकवाद भूमिसात हो जाएगा ! इंतज़ार है हम भारतियों को उस दिन का !

Sunday, June 20, 2010

राज्य सभा

ये सभा क्या है ? हारे हुए नेताओं के लिए संसद पहुचने और मंत्री बनने का एक सुगम और सरल रास्ता, जिसकी इन्ट्री पिछले दरवाजे से होती है ! ये नेताk जो जनता द्वारा न चुने जाते हैं, न जनता जिसके ये प्रतिनिधि कहलाते हैं, वे इन नेताओं को जानते हैं न पहिचानते हैं फिर भी "मान न मान मैं तेरा महिमान " बनाकर ये हमारे कन्धों पर जबरदस्ती बिठा दिए जाते हैं . मौका पड़ने पर इस तरह के व्यक्ति प्रधान मंत्री बनकर देश का शासन भी चलाते हैं ! और हम इसको नाम देते हैं "प्रजातंत्र" ! प्रजा तंत्र की सही परिभाषा है, "जनता द्वारा, जनता को जनता के लिए " , लेकिन दिल्ली के नेताओं ने प्रजातंत्र की परिभाषा ही बदल दी है "प्रजातंत्र नेताओं द्वारा, नेताओं को नेताओं के लिए " ! पहले बरसाती नेता, अगर किसी पार्टी ने घास डाल दी तो विधायक या सांसद अगर जनता ने ठुकरा दिया तो पिछला दरवाजा खोल दिया जाता है ! फिर मंत्री, मंत्री कुर्सी पर ही मर गए तो जिस मकान में रहते हैं उसको उसके नाम पर म्यूजियम का नाम दिया जाता है ! आम आदमी को रहने की जगह मिले या न मिले ! कमाल की बात विधायक/सांसद को पढ़े लिखे होना जरूरी नहीं है, लेकिन एक क्लास फोर को कम से कम दसवीं पास होना जरूरी है ! क्योकि ये नेताओं का प्रजातंत्र है ! ये जब चाहें अपना वेतन भता बढ़ा सकते हैं और जनता की खून पसीने की कमाई को अपने शान शौकत में उड़ा देते हैं ! दूसर लोगों के लिए पे कमीशन बैठता है और वो भी दस साल बाद ! क्या इस तरह की बैक डूवर इंट्री प्रजातांत्रिक देश के लिए सही है ? मैं समझता हूँ नहीं !

Friday, June 18, 2010

अमेरिका में

आज जून की १८ तारीख हो गयी हैं ! जहां पर हम लोग रह रहे हैं काफी रमणीक जगह है ! यहाँ कुदरत तो मेहरवान है ही साथ ही इंसान ने भी कुदरत की इस सौगात को और ज्यादा ख़ूबसूरत बनाने में अपना पूरा योगदान दिया है ! इसके दक्षिण में ११० हाई वे की रोड है ! एक काफी बड़ी कॉलोनी बसी है लेकिन हर मकान की अपनी अलग पहचान है, पूरब में पक्की सड़क जो हर मकान को एक दूसरे से जोड़ती है सड़क और मकान के बीच की दूरी २० फीट है और इस बीच दरवाजे तक पक्का रास्ता है, इसके दोनों तरफ रंग बिरंगे फूलों भरा छोटा सा बगीचा ! मखमली घास तो हर खाली जगह पर मुस्कराती हुई मिल जाएगी ! सड़क के साथ साथ पक्की पगडंडी जिस पर आप पैदल पैदल आराम से चल सकते हैं ! कॉलोनी के अन्दर ही जीम है, खेलने के लिए टेनिस कोर्ट है, स्वीमिंग पूल है, बच्चों के लिए खेलने की तमाम सुविधावों से युक्त एक सुन्दर पार्क भी है ! अन्दर ही अन्दर कालोनी को घेरे हुए दस फूटा रास्ता है जो पक्का बना हुआ है ! इसका घेरा पूरी कालोनी को कबर करें तो चार किलोमीटर का सैर करने का लाभ मिल जाता है ! पगडंडी के बाहर मखमली हरी घास ख़ूबसूरत पेड़ पौधे, सुन्दरता में चार चाँद लगा देते हैं ! मेन रोड औए पगडंडी के बीच २० फीट चौड़ा फोरेस्ट्री जमीन है ! जंगल है लेकिन सुन्दर सुन्दर छोटे छोटे खरगोशों के अलावा कोइ अन्य जीव यहाँ नजर नहीं आता है ! यहाँ न तो लावारिस घूमने वाले पशु हैं न कोंई गली का कुता ही है ! कॉलोनी के चारों तरफ चार गेट हैं और चारों गेटों पर सुरक्षा गार्ड है, इसलिए कोंई चोरी डकैती नहीं होती ! बच्चे मस्त होकर पार्कों में खेलते हैं बिना किसी डर के ! यहाँ कुछ ही परिवार हैं जिनके पालतू कुते हैं ! उनको घुमाने पोटी कराने के लिए ले जाते वक्त पोटी साफ़ करने का बैग और हाथ के दस्ताने उनके पास होते हैं ! सफाई पर विशेश ध्यान दिया जाता है ! सड़कें साफ़ सुथरी कम से कम चार लेन की हैं ! सडकों पर चलने के लिए क़ानून बड़े शक्त हैं और यहाँ की जनता इन कानूनों का स्वेच्छा से पालन करती है ! यहाँ दाहिने हाथ की ड्राविंग है ! स्पीड १०० किलो मीटर से भी ज्यादा है लेकिन केवल अपनी लेन पर ही रहना पड़ता है इसलिए यहाँ दुर्घटनाएं कम होती हैं !

बड़ी बड़ी लाईब्रेरी हैं जहाँ हर तरह की पुस्तकें मिल जाती हैं ! बच्चों का साहित्य काफी मात्र में मिल जाता है, इस तरह यहाँ के बच्चे भारी बस्तों से बचे रहते हैं लेकिन दिमाग को बढाने के लिए कही तरह की वैज्ञानिक टेक्निक का सहारा लिया जाता है ! कास्को, शाप्को ट्वाय शाप, पटेल ब्रदर्स से सभी तरह का खाने पीने से लेकर पहनने ओढ़ने तक का सामान मिल जाता है ! वे सभी फल फ्रूट्स जो हिन्दुस्तान में मिलते हैं यहाँ भी मिल जाते हैं, मंहगे हैं पर शुद्ध !

Tuesday, June 15, 2010

मेरी छटी अमेरिका यात्रा

मैं अपनी पत्नी के साथ छटी बार अमेरिका आया हूँ ! ब्रिटिश एयर वेज से टिकिट राजेश ने पहले ही बुक कर दी थी ! समय और दिन -रविवार - सोमवार १३/१४ जून २०१० रातके २.१५ पर जहाज को दिल्ली की जमीन से ऊंचाई नापनी शुरू कर देनी थी ! दो घंटे पहले एयर पोर्ट पहुंचना था ! घर पर मेरा १६ महीने का पोता आर्नव मेरे से चिपका हुआ था, शायद उसको भी पता चल गया था की दादा और दाद्दी कहीं जाने तैय्यारी कर रहे हैं ! जब बिंदु उसे मेरी गोदी से उठा कर ले जाने लगी वह बहुत रोया था ! बच्चों को आर्शिया, आर्नव और शोभा का बेटा श्रे को प्यार देकर ब्रिजेश और शोभा के साथ हम दोनों एयर पोर्ट के लिए चल पड़े ! १२ बजे एयर पोर्ट पंहुच गए थे, ब्रिजेश और शोभा भारी मन से वापिस गए और हम दोनों सुरक्षा पंक्ती से पासपोर्ट और टिकेट चेक करवा कर एयर पोर्ट के अन्दर दाखिल हुए ! ब्रिटिश एयरवेज के काउंटर से बोर्डिंग पास लिया और तीन बैग जहाज में बुक करवा दिए, तीन हलके हैण्ड बैग अपने साथ रख लिए ! सुरक्षा कर्मियों ने भी चटकी दिखाते हुए पूरी चेक्किंग की और हम निश्चिन्त होकर गेट नंबर ८ पर जहाज में बैठने के लिए इन्तजार करने लगे ! सबसे पहले क्लास वन, फिर बिजिनिस क्लास वालों का नंबर आया, उसके बाद बच्चे वाले और अपंग लोगों को सहायता देकर जहाज में बैठाया ! फिर सिलसिलेवार सीट नंबर के हिसाब से हम लोग भी अपनी सीटों की तरफ आगे बढ़ने लगे ! जहाज परिचायकाएं हमें सही स्थान पहुंचाने में मदद कर रही थी ! आखिर कार हम दोनों ने भी अपनी सीट नंबर ३६ ए, बी पर कब्जा जमा ही लिया ! जहाज ने ठीक टाईम पर उड़ान भरी और ऊंचाइयां नापते हुए ३८००० फिर ४०००० फीट पर उड़ने लगा ! यहाँ टेम्परेचर -५०, ५२ डिग्री था ! जहाज में ही कम्बल रखे थे यात्रियों ने ओढ़ लिए ! हर सीट पर टी वी सेट थे, अपनी मर्जी की पिक्चर देखी ! परिचायाकाएं काफी हंस मुख और हर यात्री की मांग पर ध्यान दे रही थी ! खाना आया, जूस चाय, काफी कुछ भी डिमांड कर लो मिलेगा, यहाँ तक ड्रिंक भी पर बीयर आदि एक सीमा तक ! सीटें काफी आराम दायक थी, ८ घंटे की थकाने वाली यात्रा ! आखिर लन्दन के हीथ्रो पर जहाज रुका ६.२३ पर ! यहाँ बदली करनी थी, अमेरिकेन एयरवेज तक जाने में काफी समय लगा ! पहले ट्रेन, फिर बस की यात्रा फिर जाकर टर्मिनल थ्री आया ! यहाँ भी गेट नंबर ४२ तक जाने में काफी समय लगा, फिर सिक्यूरिटी चेकिंग ! साढ़े आठ बजे फ्लाईट नंबर ए ए ११५ ने उड़ान भरी ! हमारी सीट नंबर २४ ग, फ थी ! इसमें भी सीटें काफी आराम दायक थी ! कुछ सीटें खाली होने से यात्री और भी आराम से सोने का उप क्रम कर रहे थे ! कुछ ही देर में जहाज ३६००० फीट की ऊंचाइयां नापने लगा ! जहाज और अटलांटिक महासागर के बीच बादल आगये थे ! लन्दन से और न्यू यार्क की दूरी ३००० किलोमीटर के लगभग है और ये पूरी दूरी अटलांटिक महासागर के ऊपर से ही तय करनी होती है ! खाना नान विज तथा विज दोनों प्रकार का था ! इतना स्वादिष्ट तो नहीं था जितना ब्रिटिश एयर वेज में था फिर भी अच्छा था ! परिचारिकाएँ पढी लिखी स्मार्ट अनुशासित और हंस मुख थी लेकिन उनमें भी करेन नाम की एक परिचारिका बहुत सुन्दर खूब हँसने और हंसाने वाली थी ! स्वभाव और दिल की बहुत ही अच्छी थी ! मैं ने उससे एक बीयर की डिमांड कर दी, उसने ६ डौलर डेबिट कार्ड से मांगे ! मैंने कहा "मैडम मैं कैश दे सकता हूँ, मेरे पास डेबिट कार्ड नहीं है, मेरी डिमांड कैंसिल कर दें !" करेन ने वीयर की बोतल मुझे देते हुए कहा "यह मेरी तरफ से " और मैंने उसे धन्यवाद देते हुए बोतल लेली ! शायद ऐसा व्यवहार हमें हमारे देश की परिचारिकाओं से न मिल पाए ! अमेरिका के लोकल टाईम के मुताबिक़ प्लेन ११.२१ पर जौहन कैनेडी एयर पोर्ट पर उतर गया था पूरे १० घंटे बाद ! फॉर्म सही न होने की वजह से सुरक्षा काउंटर पर कुछ देर लग गयी ! जब बैगेज लेने आए तो पता लगा की हमारा एक बैग गुम है ! आफिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई और एयर पोर्ट से बाहर आगये ! यहाँ भी सही गेट पर न आकर हम लोग सीधे कार पार्किंग में पहुँच गए ! यहाँ मैंने एक अमेरिकन सजन से सही गेट तक पहुचाने का आग्रह किया और वह साथ चलने लगा, ठीक इसी समय मेरा लड़का राजेश पोता वेदांत के साथ वहीं पर आगया, मजे की बात यह थी की राजेश ने कार वहीं पर पार्किंग कर रखी थी ! साढ़े बारह बजे हम लोग अपने अमेरिकन ठिकाने १६६ ब्रेटल सर्कल मेलविल लौंग ऐलैंड न्यू यार्क पहुंचे, यहाँ बहु काजल, पोता आत्रेय धेवता करण इंतज़ार कर रहे थे ! इस तरह यात्रा का पहला सोपान सम्पूर्ण हुआ ! अगले ही दिन यानी १५ जून को हमारा खोया युआ बैग भी घर पहुँच गया था !

Friday, June 11, 2010

ब्लेम गेम

अब एंडरसन को भारत से बाहर भेजने में किसने सहायता की थी ? कांग्रेसी ही आपस में एक दूसरे के ऊपर कीचर फेंक रहे हैं ताकि जनता का ध्यान बँट जाए और जब चुनावों की लहर चले तो फिर जनता कांगेस की झोली में वोट डाल दें और भूल जाएं की अंडरसन कौन था ? उस समय देश का प्रधान मंत्री राजीव गांधी था, मध्य प्रदेश का मुख्य मंत्री अर्जुन सिंह था, बिना एक दूसरे की सहमति के भोपाल काण्ड के सबसे बड़े हत्यारे को देश से बाहर भेजना असंभव था ! और वह गया, सरकारी सहमति से ! देश के साथ देश के कर्ण धारों द्वारा किया गया धोका ! जनता के साथ जनता के नेताओं द्वारा किया गया ऐसा मजाक जो माफी के काबिल नहीं है ! फिर भी जनता जवाहर लाल नेहरू, इन्द्रा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नामों की ही माला जपती है, ६३ साल प्रजातांत्रिक देश में राज तंत्र की व्यवस्था चल रही है, भाई भतीजा वाद जोरों से चल रहा है और देश की भोली जनता बैल बन कर खींच रही है एक विशेष परिवार की गाडी को जानते हुए भी की देश का भविष्य इन हाथों में सुरक्षित नहीं है ! फिर इन्हें जनता की सुरक्षा से ज्यादा अपने और अपने परिवार, बेटी के परिवार की सुरक्षा की चिंता है ! कब जागेगा हिन्दुस्तान ? कब होगा कलजुगी अवतार ? कब होगी कृष्ण की यह वाणी सत्य की "जब जब धर्म की हानि और अधर्म का विस्तार होता है, तब तब मैं अवतार लेता हूँ, दुष्टों का नाश करने और अधर्म की पताका को मिटाकर धर्म की पताका फहराता हूँ !"

Wednesday, June 9, 2010

शिव राज पाटिल अफजल गुरु का शुभ चिन्तक

दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित जी फरमा रही हैं की अफज़ल गुरु की फाईल को पेंडिंग में डाले रहो चाहे हम दिल्ली सरकार को सचेत करते रहें तुम टस से मस न होना, न अफज़ल को फांसी क्यों नहीं लग रही इस बात को लेकर रोना, मैं हूँ न !! ये वही तो शिव राज पाटिल हैं जो भारत के गृह मंत्री की कुर्सी पर बैठे थे मुम्बई में आतंकवादी पाकिस्तान से आकर निर्दोष लोगों की ह्त्या कर रहे थे, और ये महाशय अपने कार्यालय में न बैठकर अपने ड्रेसिंग रोम में आदमकद लुकिंग ग्लास के आगे खड़े होकर शूट बदली कर रहे थे, जब मीडिया का जोर पड़ा तो इस्तीफा दे दिया, और सोनिया जी ने खुश होकर उन्हें राज्य पाल बनाकर फैशन करने की पूरी छूट दे दी ! अब सवाल उठता है की उनहोंने अफज़ा गुरु की राष्टपति को भेजी क्षमा याचना की फाईल चार साल तक दिल्ली सरकार के पास क्यों रोकी राखी, किसके कहने से ! कांग्रेसी मंत्री संतरी कहते हैं की अभी उसका नंबर फांसी लगाने वालों में २१ वां है और जब उसकी बारी आएगी, तब देखी जाएगी ! अजीब जबाब है ! मतलब कांग्रेस सरकार आम हत्यारों को भी आतंक वादियों के साथ जोड़ रही है ! मतलब एक देसी अफराधी ने दो लोग मार दिए चोरी करने या डकैती डालने के लिए, अफज़ल को उस मामूली हत्यारे के साथ जोड़ा जा रहा है जो संसद पर हमला करके पुरे सांसदों को बंदी बनाकर एक नया इतिहास लिखने जा रहा था !! क्या बात है, सरकार का क्या नया है ! फिर जिस देश की असली कंट्रोलर सता से बाहर बैठकर रिमोट कंट्रोल से सरकार चला रही हो और पाटिल जैसे गृहमंत्री हों उस देश में तो ऐसा ही होगा !!