Thursday, January 14, 2010

शेर चीतों के आगे ढेर

श्री लंका ने आखिर फाइनल जीत कर दिखा दिया की वे भी किसी से कम नहीं हैं ! भारत की टीम के दीगाज कहे जाने वाले बैट्स मैंन एक के बाद एक कोइ जीरो पर कोंई २ या १४ पर लुढ़कते चले गए बिना पेंदे के लोटे जैसे ! वह तो सुरेश रैना और जडेजा के १०६ और ३८ रनों ने भारत और धोनी की इज्जत बचा ली और भारत २४५ रन तक बना गया नहीं तो एक समय ऐसा आगया था की जब पांच दिग्गज खिलाड़ी मात्र ६० रन बनाकर पैविलियन लौट गए थे तो लगने लगा की ये विश्व की नंबर वन टीम १०० रन भी मुस्किल से बना पाएगी ! चलो गरूर तो कम हुआ एक झटका जरूरी था । आगे बंगलादेश के साथ दो टेस्ट मैच खेलने हैं अब ये महारथी संभल कर खेलेंगे ।
इधर देश में क्रिकेट खिलाड़ी एक बार राष्ट्रीय टीम में प्रवेश पा जाते हैं दो तीन मैचों के बाद करोड़ों से खेलने लगते हैं, और उधर देश का असली खेल हॉकी के टीम को देने के लिए सरकार या हॉकी फेडेरेसन के पास अपने खिलाड़ियों को पे देने के लिए पैसा नहीं है और खिलाड़ियों ने ऐलान कर दिया की "भूखो भजन न होत गोपाला, ये तेरी कंठी ये रही माला " । पूरी टीम हड़ताल पर बैठ गयी । कमाल तो देखिये पहले मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री ने इन खिलाड़ियों के वेतन भत्ते की पूरी भरपाई करने का जिम्मा लिया अब यूं पी की मुख्य मंत्री मायावती ५ करोड़ रुपये देने को तैयार हो गयी है । कहते हैं मामला सुलझ गया है और पूरी टीम अब कैम्प में प्रैक्टिस करने में जुट
गयी है । एक बुरी खबर की राठोर जुल्मी आदमी को जमानत मिल गयी । वह फिर मुस्कराने लगा है । कहता है यह मुस्कान उसने प्रथम प्रधान मंत्री नेहरू जी से सीखी है । "सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली " । लेकिन ऐसे जुल्मी और खतरनाक लोगों के लिए हज के रास्ते भी बंद हो जाते हैं ।

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