Saturday, January 16, 2010

दिल का बोझ

दिल पर है एक बोझ, कैसा बोझ कर रहा खोज,
की ये नेता जनता के पैसों पर क्यों करते हैं मौज ?
इधर है मंहगाई का जोर, जनता करती शोर,
नेता कहता अभी तो कम है बढ़ाएंगे मोर एंड मोर ।
कल तक था नकारा मंत्री, सर पर गृह मंत्री की छतरी,
मुंबई में आतंकवादी आये, कही लोगों को मार गिराए,
शिवराज पाटिल क्या कर पाया, गृह मंत्रालय से उसे हटाया।
इतना नाकारा कमजोर, राज्यपाल बना फिर मच गया शोर ।
ये हैं एन डी तिवाडी इनको इश्क की बीमारी,
कबर में हैं पाँव लटकाए, हरकतों से बाज न आयें ।
और दिल्ली की ये सरकार, भाषण करती बारम्बार,
चोर लुटेरे गुंडे हत्यारे दिल्ली से भागेंगे सारे,
अमन चैन होगा सब ओर होगा प्रेम शान्ति का दौर ।
कहकर नेता तो सो जाता, गुंडों का दल लूट मचाता,
जनता तो फिर से लूट जाती, पुलिस चोर को पकड़ न पाती ।
ये तो है दिल्ली का हाल, जनता जिए मरे मंत्री उडाएं माल ।

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