Thursday, March 4, 2010

चाँद में बरफ

नसान का दिमाग हर समय चलता रहता है । वैज्ञानिक विज्ञान के रहस्यों को समझाने के लिए जिन्दगी गुजार देते हैं, कोंई कोई तो अपने मकसद में सफल हो जाता है, कोई असफलता को गले लगा कर भारी मन से इस संसार से कूच कर जाता है । कुछ ऐसी भी विभूतियाँ होती हैं, जो जिन्दगी भर लगे रहते हैं खोज करने में, भूखे प्यासे, निर्धनता की चद्दर ओढ़े, और आख़िरी वक्त में जाकर उन्हें सफलता मिलती है और फिर सदा के लिए उनकी आँखें बंद हो जाती हैं। उनके अनुसंधान का फल बाद की पीढी उठाती है । धरती की परतें दर परतें उखाड़ी जा चुकी हैं। समुद्र का कही बार मंथन हो चुका है। नील गगन असंख्य रहस्यों से भरा हुआ है। अब इंसान के कदम आसमान के रहस्यों की खोज के लिए उठ गए हैं। भागवत पुराण में एक प्रसंग आता है कि त्रिशंकू ने महर्षि विश्वामित्र से प्रार्थना की कि "आप अपने योग बल से मुझे सशरीर स्वर्ग भेज दें "। विश्वामित्र ने अपने योग से, मन्त्रों से त्रिशंकू को आसमान की ओर उठाना शुरू कर दिया । उधर जब इंद्र को पता लगा कि मृत्यु लोक से एक इंसान सशरीर स्वर्ग लोक की बड़ी तेजी से आरहा है, उसे अपनी गद्दी की चिंता हुई, कि कहीं ये मानव स्वर्ग आकर इंद्र की गद्दी मुझसे न छीन ले। उसने तेजी से स्वर्ग की ओर आते हुए त्रिशंकू के ऊपर बज्र प्रहार कर दिया। उधर बज्र का तेज और इधर महर्षि के योगबल और मन्त्रों की शक्ती । त्रिशंकू बेचारा बीच में अटका रह गया। न ऊपर जा सका न नीचे आ सका । जहां पर वह अटका रह गया था जहां पर पृथ्वी का गुरुत्वाक्षण समाप्त होता है, उस जगह को आज वैज्ञानिक अन्तरिक्ष रेखा कहते हैं। अन्तरिक्ष यान को उड़ाने के लिए राकेट दागे जाते हैं और वे यान को इस रेखा तक पहुंचा देते हैं, यहाँ से दूसरा राकेट दागा जाता है और यान वहां से अपने गंतव्य ग्रह की तरफ उड़ने लगता है । आज इंसान चाँद ही नहीं, मंगल और शनि ग्रह की सीमा में घुस पेट कर चुका है । मंगल में तो वैज्ञानिकों ने जीवन होने का संकेत भी दे दिया है । मंगल ग्रह वैसे भी लाल रंग का सितारों के बीच अलग ही नजर आता है । अनुसंधान कर्ताओं का मानना है कि मंगल में पानी है, वायु का दबाव है । फिर तो वहां जन जीवन संभव हो सकता है । कास की वहां सचमुच में इंसान के रहने लायक जलवायु होती तो पृथ्वी पर पड़ने वाला जन संख्या का बोझ कम हो जाता। इसी तरह चन्द्र यान ने जो रिसर्च किया है उसके मुताबिक़ वहां बड़े बड़े गढ़े हैं जो बरफ से ढके हुए । जहाँ बरफ है वहां पानी है, पानी है तो हवा भी है ! चन्द्र पर सूरज की सीधी रोशनी पड़ती है जिससे वह प्रकाशित रहता है ! इस तरह चाँद पर जीव जरूर है ! हो सकता है बाइसवीं शदी तक पृथ्वी की आधी जनसंख्या चन्द्र में बस जाएगी, और धरती के सारे शैतान, अफराधी, हत्यारे, लुटेरे, कुकर्मी, साधू संतों के रूप में हब्सी, ठग बदमास, तस्कर, नेता के भेष में सरकारी खजाने को अपने घर में भरने वाले, जनता के सेवक का ढोंग रचाकर, उन्हीं से गद्दारी करने वाले लोग अपने कर्मों को सुधारने के लिए चन्द्र लोक चले जाएंगे । धरती पर पाप का बोझ कम हो जाएगा। फिर से राम राज्य आजाएगा । चन्द्र लोक में सबसे बड़ी संख्या में भारत के नेता लोग, आश्रमों, मठों के मठाधीश, डकैत, आतंकवादी, मावावादी, नक्शल पंथी हत्यारे, जमाखोर, मिलावट करने वाले, रिश्वत खोर, तश्कर, अपहरण करने वाले और महिलाओं से अभद्र व्यवहार करने वाले सबसे पहले वाले यान से भेजे जाएंगे । वहां फिर इन्हीं का मंत्री मंडल होगा, इन्हीं की कबिनेट होगी, इन्हीं की सरकार होगी । ये भी खुश और बाकी बचे धरती के प्राणी भी खुश !

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