Friday, March 26, 2010

वे लोग

वे लोग अधकचरे हैं,
जो कचरे का ढेर लगाते हैं,
दूसरों के घर के आगे जा कचरा फैलाते है।
फिर वे लोग क्या कहलाते हैं ?
जो सफ़ेद टोपी लगाते हैं,
रात के अँधेरे में मुंह कचरे से रंगाते हैं,
और
दिन के उजाले में सफ़ेद पोस बन जाते हैं !
समाज में तो वे भी रहते हैं,
सुरक्षा कर्मी कहलाते हैं,
छेद उसी थाली में करते
जिसमें खाना खाते हैं !
कुछ लोग तो ज्यादा कचरे हैं
संसद भवन तक जाते है,
अपने ही गुंडों से मतदाता को लुटवाते हैं !
इन लोगों के दिल पत्थर के
खुद सरकार बनाते है,
आतंकवाद से हाथ मिला देश भक्त कहलाते हैं !
देश भरा है संतों से, जनता में पूजे जाते हैं,
गुंडा गर्दी करते करते ह्त्या तक करवाते हैं,
आरक्षण कोटे में महिला
ग्राम प्रधान बन कर आई,
लडके ने काम संभाला,
महिला थी अंगूठा टेक भाई ,
लडके के मन में शैतान जागा,
करोड़ों का फिर किया घोटाला,
ये है आरक्षण का खेल,
सुरक्षित नहीं हैं अपनी रेल !
फिर भी मेरा देश महान,
नाम है इसका हिन्दुस्तान !

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