आया हूँ दर पे तेरे दीप जलाने, मंदिर में घंटी है उसको बजाने,
दीपों की रोशनी से तुमको मनाने, आरती के गीतों से जग को जगाने !
आया हूँ दर पे तेरे.......
मैं तो एक आदमी हूँ, तुम तो भगवान हो,
राम कहूं कृष्ण कहूं तुम ही घनश्याम हो !
सूर्य लोक जा सके वह बाल हनुमान हो,
आदमी की भक्ती मुक्ती, तुम ही परम धाम हो !
केदार भी गया हूँ मैं तुमको मनाने,
आया हूँ दर पे तेरे दीप जलाने ! २ !
केदार तू है बद्री भी तू है,
सोमनाथ तू अमरनाथ भी तू है,
रामेश्वर तू है, जगन्नाथ तू है,
धरती और आकाश के कण कण में तू है,
प्रयाग कुम्भ गया गंगा नहाने, आया हूँ दर पे तेरे दीप जलाने,
दीपों की रोशनी से तुमको मनाने ! ( हरेंद्रसिंह रावत )
Wednesday, March 17, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment