Sunday, March 14, 2010
समाज में महिलाएं
सचीन तन्दूलकर ने एक दिवसीय क्रिकेट मैच में २०० बनाए सारे विश्व में डंका बज गया की पहली बार सचीन ने एक दिवसीय मैच में २०० रन बनाकर सारे रिकार्ड तोड़ दिये१ औरत कहाँ से कहाँ पहुँच कर भी कहीं नहीं है ! जब १६/१२/१९९९ को आस्ट्रेलिया की बेलिंडा क्लार्क ने मुम्बई में डेनमार्क के खिलाफ खेलते हुए २२९ रन बनाए थे तब इतना शोर शराबा नहीं मचा था! मीडिया भी एक कोने में एक हल्की सी खबर छाप कर किनारे बैठ गया था। क्योंकि वह एक नारी थी, उसको उतना ही सम्मान दिया गया, सचीन पुरुष है, समाज पुरुष प्रधान है, फिर भल्ला पुरुष कभी नहीं चाहेगा की नारी उसका नंबर काट जाए या उसके बराबर खादी हो जाए ! भारत की प्रथम प्रधान मंत्री की पुत्री इन्द्र गांधी, प्रथम महिला प्रधान मंत्री बनी, क्यों की वह नेहरू गांधी खानदान से तालुख रखती थी इसलिए ! आज सोनिया गांधी विश्व की महिलाओं में शिखर पर है, कारण की वह दिवगंत राजीव गांधी की पत्नी है और नेहरू-गांधी परिवार की बधू है ! जो महिलाएं सक्षम हैं उन्हें रिजर्वेसन की जरूरत ही नहीं है, बल्की आरक्षण से आने वाली महिलाएं अपने पति द्वारा प्रभावित के जाएँगी! दूर दराज के पिछड़े गाँवों में जाकर देखें जहां पेपरों में तो महिलाएं महिलाएं ग्राम प्रधान हैं लेकिन या तो काम काज उनके पति करते हैं या फिर पति के दबाव में काम करती हैं !
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