Wednesday, June 2, 2010

मेट्रो में बन्दर

२ जून २०१० स्थान दिलशाद गार्डन मीडिया पंजाब केशरी, - खबर है की आज कल वैसे भी जगह जगह पर मेट्रो ट्रेन तकनीकी खराबी के कारण रुक जाती हैं ! कहीं कहीं पर देर तक भी रुकी रहती हैं, भीड़ रोज बढ़ती जा रही हैं ! रेल पेल ठेलम ठेल का नजारा रोज मिल जाता है ख़ास तौर पर उनको जो रोज इन मेट्रो ट्रेनों में लम्बा सफ़र करते हैं ! जब दरवाजे पर भीतर भीड़ बड़ी हो लेकिन बाहर कोई न हो तो बन्दर को मेट्रो में आने में क्या ऐतराज हो सकता है ! हमारे इतिहासकार भी इस बात को मानते हैं की "हमारे पूर्वज बन्दर थे, उनहोंने धीरे धीरे कमर सीधी करने की कोशीश की और वे चार पावों से दो पाँव दो हाथ वाले हो गए और बन्दर से इंसान बनगए ! जिन बंदरों ने कोई कसरत न कोई व्यायाम किया वे रह गए बन्दर के बन्दर ! तो जनाब एक पढ़ा लिखा बन्दर दिलशाद गार्डन के मेट्रो स्टेशन पर खडी मेट्रो में घुस गया ! लोग डर के मारे सीट छोड़ कर अलग हो गए, बन्दर महाशय भारत के एक
जाने माने केन्द्रीय मंत्री की तरह एक खिड़की के साथ वाली सीट पर बैठ गया और चहरे पर मुस्कान भर कर फोटो खिंचवाई ! कुछ चमचागिरी करने वाले यहाँ भी मौजूद थे उनहोंने बंदर महोदय को बड़े प्रेम से बिस्किट खिलाए ! मेट्रो में सफ़र करते हुए आम आदमी न ध्रूमपान कर सकता है न म्यूजिक बजा सकता है न कुछ खा सकता है न पी सकता है, लेकिन यह प्रतिबन्ध नेताओं और बंदरों पर लागू नहीं होता ! एक विशेष सम्पादाता की रिपोर्ट के मुताबिक़ दिल्ली के तमाम गन मान्य बंदरों की एक जबरदस्त मीटिंग हुई जहाँ मेट्रो में बैठने वाला एक मात्र बन्दर चीफ गेस्ट था ! सबसे पहले उस मेट्रो वाले बन्दर को फूल मालाओं से लादा गया और उसे "ऑनर आफ दी मंकी " के खिताब से नवाजा गया ! कुछ बंदरों ने उसे मंकी रत्न की उपाधी दे डाली ! इसके बाद भाषण वाजी हुई, और आखिर में प्रस्ताव पास किया गया की भारत सरकार को एक विज्ञापन भेज कर उनसे अनुरोध किया जाए की "भारत में हर एक को आरक्षण मिल रहा है, हम तो आपके पूर्वज हैं हमें भी आरक्षण का लाभ दिया जाए ! हमारी मांग है की दिल्ली के सभी भागों में मेट्रो दौडने लग गयी है, हमारी विरादरी को भी शहर के विभिन इलाकों में जाना पड़ता है, मेट्रो में वरिष्ट नागरिकों और महिलाओं के लिए कुछ सीटें आरक्षित हैं, माना की उन पर जवान लडके ही बैठे रहते हैं और महिलाएं व् वरिष्ट बूढ़े नागरिक खड़े खड़े ही सफ़र करते हैं फिर भी आप कृपा करके केवल पांच सीटें हमारे लिए प्रत्येक ट्रेन में आरक्षित कर दें ! हम सारे बन्दर आभारी रहेंगे ! अगर आरक्षण न दिया गया तो इसका खामियाजा केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को भुगतना पड़ेगा ! हम तो अब मेट्रो में सफ़र करेंगे सीधे नहीं तो टेढ़े ही सही !

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