Monday, May 31, 2010

समस्याओं में घिरी दिल्ली

हाँ यह दिली है स्वतंत्र भारत की राजधानी, जहां विश्व भर के सारे लोग अपनी परम्पराओं और कलचर का विशेष ध्यान रखते हुए बड़ी संख्या में निवास करते हैं ! इस समय यानी मई-जून २०१० में दिल्ली की गद्दी पर कांग्रेस कई जाने अनजाने पार्टियों के सहयोग से पिछले ६ सालों से बैठी है, सरदार मन मोहनसिंह जी प्रधान मंत्री हैं लेकिन सरकार चलाने का रिमोट कंट्रोल मैडम सोनिया गांधी के हाथ में है ! वे तमाम सहयोगी दलों की चीफ भी हैं ! उनके लाडले बेटे राहुल गांधी कांग्रेस में अपनी जड़े गहराई तक जमाने के लिए नित नए नए प्रयोग करते जा रहे हैं, वे कभी अचानक गरीबों की झुग्गी झोपडी में रात बिता आते हैं तो कभी अनाथ बच्चों के साथ कबड्डी खेलते नजर आते हैं ! अब तो कांग्रेस लौबी के पुराने धुरंधर जो प्रधान मंत्री की कुर्सी पर बैठने के स्वप्न देख रहे थे, कहने लगे हैं, "मन मोहनसिंह जी कुर्सी छोड़ो राहुल को आने दो " ! सोनिया जी को उनके विदेशी मूल का होने की वजह से भारत की बड़ी संख्या ने प्रधान मंत्री स्वीकार नहीं किया, तो उन्होंने सबसे इमानदार, शरीफ वफादार व्यक्ति को इस कुर्सी पर बिठा कर रिमोट अपने हाथों ले लिया ! दिल्ली में जो प्रगति हो रही है बढ़ती हुई आबादी के कारण रोज नगण्य होती जा रही है ! मेट्रो ने दिल्ली ही नहीं बल्की अगल बगल के शहर गुडगाँव, नोएडा फरीदाबाद गाजियाबाद तक को जोड़ दिया ! जगह जगह फ्लाई ओवर लेकिन बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण सडकों पर जाम ज्यों का त्यों है ! बिजली पानी दम तोड़ती नजर आ रही है ! प्रदूषण का जहर बड़ी तेजी से बढ़ता जा रहा है ! शास्त्रों में वर्णित पवित्र यमुना नदी नदी न रह कर एक गंधे नाले में तब्दील हो गयी है ! दिली सरकार, केंद्र सरकार चौकनी है, कही बार इस नदी को सफाई करने का अभियान भी चलाया गया है करोड़ों रुपये खर्च भी हुए हैं लेकिन यमुना औरभी गंधी होती जा रही है ! माफिया हर मोड़ पर भारी पर रहे हैं, दिनदहाड़े चोरी डकैती, ह्त्या, किडनैपिंग, व्यभिचार, दुराचार भ्रटाचार बदता जा रहा है ! नेता बढ़ रहे हैं उनकी सुरक्षा दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी बन जाती है तो आम आदमी की सुरक्षा का सवाल कहाँ उठता है ? दिल्ली दिल वालों की है जहाँ आसमान को चुने वाले भी हैं तो जमीन नापने वाले भी हैं, आलीशान महलों बंगलों में रहने वाले भी हैं जिनके बंगलों के आगे फुवारे, स्वीमिंग पूल, टेनिस बास्केट बॉल कोर्ट हैं, पूरी कोठी बंगला वातानुकूल है, वहीं तपती धूप में सडकों के किनारे परिवार के साथ गरीबों की एक बड़ी भारी फ़ौज दिल्ली की समस्याओं से जूझ रहे हैं ! जगह जगह सडकों पर भीख माँगने वाले नंगे भूखे बच्चे की सेना हर रेड लाईट पर नजर आ जाती है ! यह है मेरी दिल्ली आम आदमी तो संघर्षों से जूझ ही रहा है कभी बिजली के लिए, कभी पानी के लिए तो कभी सफाई के लिए तो कभी भीड़ भरी बसों और मेट्रो में सफ़र करने के लिए ! आज यहीं तक !

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