Sunday, June 20, 2010

राज्य सभा

ये सभा क्या है ? हारे हुए नेताओं के लिए संसद पहुचने और मंत्री बनने का एक सुगम और सरल रास्ता, जिसकी इन्ट्री पिछले दरवाजे से होती है ! ये नेताk जो जनता द्वारा न चुने जाते हैं, न जनता जिसके ये प्रतिनिधि कहलाते हैं, वे इन नेताओं को जानते हैं न पहिचानते हैं फिर भी "मान न मान मैं तेरा महिमान " बनाकर ये हमारे कन्धों पर जबरदस्ती बिठा दिए जाते हैं . मौका पड़ने पर इस तरह के व्यक्ति प्रधान मंत्री बनकर देश का शासन भी चलाते हैं ! और हम इसको नाम देते हैं "प्रजातंत्र" ! प्रजा तंत्र की सही परिभाषा है, "जनता द्वारा, जनता को जनता के लिए " , लेकिन दिल्ली के नेताओं ने प्रजातंत्र की परिभाषा ही बदल दी है "प्रजातंत्र नेताओं द्वारा, नेताओं को नेताओं के लिए " ! पहले बरसाती नेता, अगर किसी पार्टी ने घास डाल दी तो विधायक या सांसद अगर जनता ने ठुकरा दिया तो पिछला दरवाजा खोल दिया जाता है ! फिर मंत्री, मंत्री कुर्सी पर ही मर गए तो जिस मकान में रहते हैं उसको उसके नाम पर म्यूजियम का नाम दिया जाता है ! आम आदमी को रहने की जगह मिले या न मिले ! कमाल की बात विधायक/सांसद को पढ़े लिखे होना जरूरी नहीं है, लेकिन एक क्लास फोर को कम से कम दसवीं पास होना जरूरी है ! क्योकि ये नेताओं का प्रजातंत्र है ! ये जब चाहें अपना वेतन भता बढ़ा सकते हैं और जनता की खून पसीने की कमाई को अपने शान शौकत में उड़ा देते हैं ! दूसर लोगों के लिए पे कमीशन बैठता है और वो भी दस साल बाद ! क्या इस तरह की बैक डूवर इंट्री प्रजातांत्रिक देश के लिए सही है ? मैं समझता हूँ नहीं !

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