मायावती जिस दिन से उत्तर प्रदेश की मुख्या मंत्री बनी उस दिन से लखनऊ कानपुर और बड़े बड़े शहरों के पार्को में अरबों रुपये खर्च करके स्टेच्यू खड़े किए गए, उनमें मायावती की अपनी भी मूर्तियाँ हैं ! जो महिला पांच से दस करोड़ की माला पहिनती है, जिसके जन्म दिन मनाने में करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, वह संविधान द्वारा हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार देने पर बेचैन हो गयी ! ये माया जी इन मूर्तियों के रख रखाव और सुरक्षा के लिए हजारों सुरक्षा कर्मियों को भर्ती कर सकती है, लेकिन प्रदेश के बच्चों की शिक्षा के लिए उनके खजाने में धन की कमी हो गयी है ! अभी हाल ही में उनके जन्म दिन पर उनकी पार्टी के उनके नजदीकी सदस्य ने तो उन्हें चाँद पर एक भूखंड की रजिस्ट्री भी भेंट करदी थी ! अकेले उस भूखंड की कीमत ही उत्तर प्रदेश की अर्थ व्यवस्था को पटरी पर ला सकती है १ फिर मायावती को केंद्र से पैसे माँगने की क्यों जरूरत पड गयी ।
माया जी ने अभी तक जो भी कार्य किये हैं उन में कोई भी सामाजिक काम नहीं कहा जा सकता, गरीबों के लिए, बच्चों की शिक्षा के लिए, बेरोजगार युवकों के लिए, बीमारियों से बचने के लिए, उनकी सरकार ने क्या किया ?उलटा जो धन केंद्र से विकास कार्यों के लिए मिला उसे मूर्तियाँ लगाने में, रैली निकालने में, समाचार पत्रों में अपनी विशालकाय फोटो निकलवाने में खर्च किया है !
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