जहां आदमी आदमी से कटता हो, पैसा ही पैसा रटता हो,
बात बात पर फटता हो, अपनी बातों से हटता हो,
दुष्कर्म करके नट त़ा हो,
दो नावों पर चलता हो, काले धन पर पलता हो,
क्या तुम भी ऐसे हो लोगे, कहो उसे क्या बोलोगे ? १ !
स्वयं झूठों का भाई हो, झूट में डिग्री पाई हो,
कुकर्मी जिसकी माई हो, घूस रिश्वत खाई हो,
कुर्सी में ही कमाई हो, रंगीन तबियत पाई हो,
जग में होती हंसाई हो, सफ़ेद टोपी लगाई हो,
क्या उसका भेद तुम खोलोगे, कहो उसे क्या बोलोगे ? २ !
काला जिसका चस्मा हो, कुटिलता से हँसता हो,
ठंडा पेय रसना हो , सर्प जैसे डसना हो,
डकैती डाले न फंसता हो, गरीब का गला कसता हो,
करोड़ों का मालिक पर, झुग्गियों में बसता हो,
ऐसा दुर्जन हो पास में, क्या आँख मुंड कर सो लोगे ?
कहो उसे क्या बोलोगे ? ३ !
गरीब के बीच में जाता हो, साथ बैठ कर खाता हो,
गाँवों की हरिजन बस्ती में रोज ही आता जाता हो,
विपक्ष को खूब जलाता हो, मन ही मन हर्षाता हो,
रईसों को तड़पाता हो,
आम आदमी के बच्चों संग आके घूल मिल जाता हो,
उसकी नाव में बैठकर, क्या तुम भी वैसे हो लोगे,
कहो उसे क्या बोलोगे ? ४ !
Saturday, April 17, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Rawatji
ReplyDeleteJo garibon ki baat karta ho kabhi garib ki na sunta ho unhi ke naam ka rat lagakr sansad tak pahuchta ho use Ham NETA Bolenge aur Kya? Neta ki isse badi aur sachi pahchan aur koyi nahi ho sakti yahan ration par bashan jarur hota hai par bhasan par ration kabhi nahi laagu hota kya samjhe?
a k dubey