Wednesday, May 12, 2010

धोनी की सेना

धोनी की सेना कमर कसकर टी २० के विश्व कप रूपी संग्राम में गाजे बाजों के साथ निकल पडी थी, जलवा दिखाने के लिए ! चेन्नई की टीम के कप्तान धोनी ई पी एल के चेम्पियन बन गए थे, उन्हें पूरा विश्वास था की उनकी सेना २००७ की तरह इस साल भी विश्व कप जीत कर लाएगी ! हथियार और अम्युनिसन लेकर चमक दमक के साथ, लम्बी चौड़ी डींगे भरते हुए, चले थे वेस्ट इंडीज की समर भूमि में ! अफगानिस्तान और साउथ अफ्रीका को जीत कर आगे बढ़ती गयी ! अब इस सेना के हौसले इतने बुलंद थे की आने वाली कठिन और अनजान रास्तों का सही ज्ञान न होने के बावजूद बिना किसी नयी प्लानिंग और टैक्टिस के आँख बंद कर बढ़ते रहे ! नदी नाले, पर्वत शिखर, जंगल और समुद्रों को लांघ कर ये विजयी झंडा लेकर आगे बढ़ते गए ! इन्हें लगा की आगे के दुश्मन सेना भी अफगानिस्तान की तरह ही होगी ! फिर भिडंत हुई आस्ट्रेलिया के कंगारुओं से ! यहाँ करारी हार का सामना करना पड़ा ! काफी नुकशान हुआ ! दिल्ली से नयी रसद और नए जवानों को भेजने की गुजारिस की गयी, लेकिन बी सी सी ई वालों ने इनकी प्रार्थना अनसुनी कर दी, फिर लगते रहे झटके पर झटके, वेस्ट इंडीज ने हराया फिर लंका के चीतों ने इनका ऐसा पीछा किया की दिल्ली आकर ही इन्हें होश आया ! टीम के जावाज मुरली विजय, केवल एक मैच में विजयी रहे बाकी के मैचों में मुरली बजाते रहे ! युवराज, नाम बड़े दर्शन छोटे ! युसूफ पठान, अन्दर के शेर, बाहर तो नजर ही नहीं आए ! हरभजन को मौका ही नहीं मिला ! धोनी एक रविन्द्र जडेजा को बालर के तौर पर लेकर गए थे, उसने इतने चौके छक्के दिए की विपक्षी टीम ने रनों की झड़ी लगा दी ! अब हमारी टीम की हालत इतनी पतली हो गयी है की वेस्ट इंडीज छोडते हुए उन्हें शायर की ये पंक्तियाँ याद आ गयी, "बड़े बे आबरू होकर तेरे कुचे से हम निकले, हम तो नहीं निकले पर हमारा दम निकले" !

1 comment:

  1. अरे भाई धोनी नहीं, धुलने वालों की सेना है यह।

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