Tuesday, May 4, 2010

और अचानक चहरे से मुस्कान गायब हो गयी

मैं सेना का अवकाश प्राप्त अधिकारी हूँ ! जिन्दगी का एक बहुत बड़ा हिस्सा देश को दिया और बदले में हमारे प्यारे भारत देश ने मुझे पेंशन देकर बाकी रही सही जिन्दगी को शान से जीने का अवसर दिया ! पेंशन तो आगया था, बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे थे, पेंशन इतनी नहीं थी की इससे बच्चों को भी पढ़ा सकता, और सर के ऊपर के लिए एक छत भी ड़ाल सकता ! बड़ी मेहनत करनी पडी, लेकिन फ़ौज में बनाया हुआ शरीर था, परेशानी नहीं हुई, फ़ौज के रूल यहाँ भी कायम थे, समय पर उठना, टहलना, व्यायाम करना और समय पर अपनी ड्यूटी पर जाना ! मेरी जीवन संगिनी मेरे से एक कदम आगे रहती थी, भारतीय नारी है, पहले उठना, मेरे साथ घूमने जाना, हल्का सा व्यायाम करना, नास्ता और लंच तय्यार करना, मुझे समय पर ड्यूटी पर भेजना, बच्चों को स्कूल के तैयार करना उनकी हर मांग पूरी करना ! गाडी यहाँ सिविल में भी पटरी पर अच्छी स्पीड से चलने लगी ! इन दिनों एक शौक 'योगा' का लगा, और मैंने और मेरी पत्नी ने जनकपुरी में बिना कोई नागा किए 'भारतीय योग संथान से पांच साल योगा सीखा, घर में उसका अभ्यास किया ! अब हम दोनों आदमी योगा के बल पर तंदुरस्त हैं, तथा बच्चे सभी अपने अपने आफिसियल कार्यों में मस्त हैं ! हम बच्चों के साथ ही हैं !
ईश्वर की दया से द्वारका में फ्लेट में रहने का अवसर मिला, जहां लम्बे चौड़े पार्क, छायादार पेड़, फूलों की क्यारियाँ और उनमें रंग बिरंगे फूल और फूलों की महक ! सुबह की ताजी हवा, घूमने के लिए साफ़ सुथरी चौड़ी सड़कें, पार्कों में मखमली घास ! इस मखमली घास में योगा सिखाने वाले गुरुओं से योगा अभ्यास ! इन पार्कों में सभी तरह के लोग आते हैं, अपनी अपनी मन पसंद की क्रीडाएं करते हैं और हंसते खेलते हुए घर चले जाते हैं ! इनमें बच्चे भी हैं, जवान भी तथा बुजुर्ग नर नारी भी हैं ! मैं तथा मेरी पत्नी ने भी पार्क में योगा अभ्यास करना शुरू किया ! धीरे धीरे लोग हमारे कैम्प में आने लगे ! हम यहाँ योगा करते हैं, शेर की गरजना करते हैं, खिलखिलाकर हंसते हैं, प्राणायाम तथा चक्षु व्यायाम का भी अभ्यास करते हैं ! एक दिन एक सज्जन अपनी पत्नी के साथ मेरे पास आए और योगा सिखाने की इच्छा जाहिर की, मैंने उन्हें अगले दिन से समय पर योगा कैम्प ज्याइन करने को कह दिया ! अचानक श्रीमान जी ने मुझ से मेरी उम्र पूछ ली, मैंने उनसे कहा, "अनुमान से बताओ कितनी होगी ?" उन्होंने कहा "फ़ौजी पेंसनर हो एकूरेट तो बता नहीं सकता फिर भी आप ५०-५५ के आस पास के लगते हो ! " मैंने हामी भर दी और बात आयी गयी हो गयी ! वे दोनों चल दिए अपनी घर की और ! और हमने भी अपना आसन फोल्ड किया बगल में दबाया और चहरे पर हल्की सी मुस्कान लिए हुए उनके पीछे एक दूरी बना कर चलने लगे ! श्रीमान की पत्नी बोली, "तुम इतने सयाने होते हुए भी किसी के चहरे को देख कर उसकी उम्र का अंदाजा नहीं लगा सकते हो ! ये योगा टीचर तुम्हे ५०-५५ का लगता है, ६०-६५ का खूसट बुढा लगता है !" आदमी बोला, लगता तो मुझे भी इतना ही था, लेकिन कल से योगा जो सिखाना है उनसे, थोडा सा मक्खन लगा दिया, खुश कर दिया हमारा क्या गया ?" उनका तो कुछ नहीं गया लेकिन मेरे चहरे की मुस्कान गायब हो गयी ! अभी भी इन्तजार है किसी भद्र पुरुष के मुंह से यह सुनने के लिए की "रावत जी क्या बॉडी बनाके रखी है , अभी तो ५५ के आस पास के लगते हो " !

2 comments:

  1. Rawatji,
    mujhe un sajjan se milwawyiye jinhone aapki umar par shak kiya, main confirm karta hun ki aap 70 ke katayi nahi lagate par 50/55 ke bhi nahi lagte haan 60 se upar jarur lagte hain, Ab batayiye yah makhan kaisa laga chikna ya khurdara, are Rawat Saheb kahan logon ke kahne sunne me lage hain Aapne suna nahin hai "kuchh to log kahenge logon ka kam hai kehna chhodo bekar ki baatonme kahi beet na jaye raina"
    dubey

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  2. are dubey saheb jaraa chup naheen rh sakate, kyon meree image bigaadane men lage ho. are mere bhee aap jaise bahut chaahane vaale hain aur ve samajhate hain ki "main abhee to jawaan hoon aur aap bhee kisee se kam naheen hain (makhanbaajee)?" harendra

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