हमारा भारत देश एक महान देश है, इसकी संस्कृति और सभ्यता की जड़ें बहुत गहरी हैं ! इसकी समृद्धि की चर्चा विदेशों में भी होती थी और यही कारण था की विदेशी बार बार यहाँ आते रहे, मार काट करते रहे, लुटेरे धन दौलत लूट के ले जाते रहे और असमर्थ, साधनहीन विदेशी यहीं बस जाते थे ! तुर्कों का आक्रमण हुआ, मंगोलों ने आकर मार काट की, अफगान आये मुग़ल आये ! लाखों लोग हर आक्रमण में मरते रहे, कटते रहे, लुटते रहे ! जोर जबरदस्ती धर्म परिवर्तन होते रहे ! १०९२ की तराई के युद्ध में पृथ्वी राज चौहान के बाद मोहम्मद गोरी तो मार काट, लूट पाट करके वापिस गौर देश चला गया और पीछे छोड़ गया अपना गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को यहाँ का शासक बनाकर ! १७५७ ई० में अंग्रेजों ने बंगाल के शासक शिराजुद्दीन को मार कर भारत में अपने पैर जमाने शुरू कर दिए थे ! कोलंबस जो भारत की धन सम्पति के लालच में इंडिया की जगह अमेरिका पहुँच गया ! फ्रांस, पुर्तगाल, स्पेन, डच, ब्रिटेन ये तमाम यूरोपियन लोग समय समय पर भारत आते रहे व्यापारी बन कर और यहाँ के लोगों की आपस की लड़ाई, सज्जनता और सीधेपन का फ़ायदा उठाकर पूरे देश को ही हड़प कर गए ! १८५७ ई० का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम ने तो रही सही कसर पूरी कर दी और अंग्रेज हिन्दुस्तानी राजा, महाराजाओं को आपस में लड़वा कर यहाँ के सर्वे सर्वा बन गए ! अगर हम लोग अपने निजी स्वार्थों के कारण आपस में नहीं लड़ते, आपस में मिल कर विदेशी लुटेरों का मुकाबला करते तो क्या देश १०९२ से लेकर १९४७ई० तक गुलाम बन कर रहता ?हमारे पास आत्मिक बल था, ताकत थी, तकनीक थी, विज्ञान था, इंसानियत थी लेकिन इतना होने के बावजूद हमारे पास एकता नहीं थी ! पड़ोसी ने अपने पड़ोसी की समय पर सहायता करना तो दूर, उसको मरवाने में दुश्मन का साथ दिया, नतीजा अगली बार जब उसकी बारी आई तो उसको बचाने कौन आता ? लाखों की कुर्बानियां देकर यह आजादी हमने हासिल की है ! बड़े बड़े देश के रत्न हमने स्वतंत्रता की बली बेदी पर चदा दिए, ६३ साल स्वतंत्र हुए भी हो गए ! आम आदमी को क्या मिला पांच साल में एक बार वोट देने का अधिकार, वह भी नेता की गुंडागर्दी के आगे लाचार हो जाता है !
सारा देश खुश था, "हम आजाद हो गए, "! लेकिन स्वप्न भग्न हो गया पहले अंग्रेजों के गुलाम थे अब नेताओं के ! गरीब तो गरीबी रेखा से भी नीचे चला गया, नेता आसमान की नीलीमा को छू रहा है ! इनके बेनामी खाते स्वीस बैंक में अरबों का देश से चुराया हुआ पैसा जमा है ! मजे की बात यह है की सरकार जानते हुए भी इसे वापिस नहीं मंगा पा रही ! कल तक जो देश गरीबी से उभरने के लिए भारत की समृद्धि देख देख कर ललचाया करते थे, वे ही आज हमारे सामने ऊंचे हो गए और हम, नेता कहते हैं भारत विकासशील देश है ! इस बात कभी पर किसी ने विचार किया है की आखिर इसका कारण क्या है ? हम दुनिया की रेस में हर बार पिछड़ क्यों रहे हैं ? लूट खशोट, रिश्वतवाजी, घूसखोरी, भ्रष्टाचार ! भाई भतीजा बाद, सता पर पैत्रिक अधिकार ! दादा प्रधान मंत्री तो, बाप भी और फिर पोता भी प्रधान मंत्री बनेगा ! संसद सदस्य की सीट एक बाद हथिया ली तो फिर लड़का ही एम पी बनेगा ! और देश की जनता आज भी उतनी ही भोली है जितनी पहले थी ! क्यों देते हैं ये लोग उसी परिवार को वोट !
अब हमें अपने दिल दिमाग का इस्तेमाल करना होगा ! क्षेत्रवाद, भाई भतीजा वाद, जातिवाद, धर्मवाद, पार्टीवाद से ऊपर उठकर देश की सुख समृद्धि पर विचार करना पडेगा ! मिलकर चलो ! अधिकारों के लिए लड़ो !
सबसे पहले देश उसके बाद, प्रदेश, जिला, तहसील का ध्यान रखो ! विदेशों में एक हिन्दुस्तानी दूसरे हिन्दुस्तानी से मिलता है, परिचय पूछेगा, " कहाँ के हो, पंजाबी हो, बंगाली हो, गुजराती हो, बिहारी, उडीया, छतीसगढ़ी, झारखंडी या उत्तराखंडी हो ? पहले भारतीय हैं फिर, महाराष्ट्रीयन, मद्रासी, कर्नाटकी या और कोई हैं ! अगर हम सब मिलकर हिन्दुस्तानी बन जांय, उंच नीच, जाति पांति, हिन्दू मुसलिम, सिख ईसाई के बंधनों से ऊपर उठ जांय तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा ख़्वाब की हम विश्व में नंबर वन बनेंगे पूरा होने में देर नहीं लगेगी ! क्रिकेट की तरह ओलम्पिक, एशियाड, में चीन की तरह हमारे भी आँगन में गोल्ड और सिल्वर के मैडल गिरेंगे !
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रावत जी सुन्दर लेख लिखा है आपने. अच्छा लगा.
ReplyDeleteपढ़कर जोश आ गया । लेख सफ़ल है ।
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