सन १९७० ई० में मेरी यूनिट मिजोराम में थी ! सब कम्पनियां अलग अलग थी, बटालियन मुख्यालय सेलिंग एक पहाडी के ऊपर था ! जहां पर हमारा मुख्यालय था वह कुदरती पहाडी के ऊपर समतल मैदान जैसा बना था ! यह तीन तरफ से जंगल से ढका था और इसके दक्षिण में उठती हुई पहाडी थी, जिसकी चोटी पर एक गाँव था जिसका नाम था थिनसुथलियां ! हमारी यूनिट की एक कंपनी इसी गाँव में रहती थी ! यहाँ की एक विशेषता थी कि सरकार ने इस प्रदेश के सारे लोगों को पहाड़ों की चोटियों से उतार कर ऐसे गाँव बसाए जो सडकों के किनारें हों, तथा सारे गावों में १२ वीं तक की स्कूल/कालेज, क्लीनिक जहाँ हर समय डा० नर्श और दवाइयों की व्यवस्था हो ! खेल के मैदान ! यहाँ के लोग सारे ईसाई हैं इस तरह हर गाँव में एक एक चर्च भी हैं जहां सारे लोग जवान, बच्चे और बूढ़े हर इतवार को प्रार्थना करने इकट्ठे होते हैं ! काम धंधों के मामले में यहाँ के लोग कुछ कृषि करते हैं और बाकी दुकानदारी, मजदूरी, पुलिस, सेना और अन्य महकमों में नौकरी करते हैं ! यहाँ के लोग मिलनसार और ईमानदार हैं लेकिन जिस किसी ने भी इनके साथ दुश्मनी मोल ले ली तो ये लोग उसे नहीं छोड़ते हैं ! कद काठी में मजबूत और दिलेर हैं ! यहाँ उन दिनों लडकियां ज्यादा थी, लडके कम थे ! लड़कियां बाहर वालों से भी शादी कर लेंगी लेकिन शर्त यह है कि उसे यहीं इन लोगों के बीच रहना पडेगा ! लडके को कप्पी और लडके को कप्पू कहते हैं ! जंगल बहुत घने हैं और इन जंगलों में जीवन दायिनी जडी बूटियों के अलावा जहरीले बेलें भी होती हैं ! इसकी जानकारी देने के लिए यहाँ आने वाली हर सेना की बटालियन के लोगों को एक महीने की जंगल के पेड़ पौधे, पानी की शुद्धता की जांच करने की ट्रेनिंग दी जाती है ! हमारी यूनिट के पूर्व में उतरती हुई पहाडी एक पहाडी नदी की तरफ उतरती थी, और पश्चिम दिशा में प्रदेश की राज धानी आइजोल था ! पानी के चश्मे बहुत सारे हैं लेकिन पीने लायक बहुत कम सोत हैं ! यही कारण है कि यहाँ आकर ज्यादातर जवान पेट के मरीज बन जाते हैं ! वैसे कुदरती सुंदरता बिखरी है चारों ओर ! खाने पीने के मामले में ये लोग मांसहारी हैं और सांप तक भी खा जाते हैं !
यहाँ की एक विशेषता और है कि यहाँ सारा इलाका पहाडी है और इन सपाट पहाड़ों में लोग धान की खेती करते हैं ! यहाँ एक प्रकार का जंगली केला भी होता है जिसका फल छोटी अंगुली के भी आधे के बराबर होता है लेकिन मिठास, एक बार एक केला खा लिया तो ६, ७ घंटे तक इसकी मिठास मुंह में बनी रहेगी !
ऐसे स्थान में तीन साल का समय बिताना बहुत मुश्किल होता है, वशर्ते आपकी एक अच्छी कंपनी न हो ! तो जब हम यहाँ आए तो हमने चार लोगों की एक टीम बनाई जिनकी विचारधाराएं, खान पान, रहन सहन आदतें मेल खा रही थी ! वैसे भी जब आप सेना का अंग बन गए हैं तो समय को एक यादगार बनाने के लिए अपनी कुछ इच्छाओं को भी त्यागना पड़ता है ! कुछ हद तक फ्लेक्षबिलिटी जरूरी है जिन्दगी को मजे से जीने के लिए ! तो हमारी टीम में मैं राजपूत, एक रहीम खान मुसलमान (मुंबई का), एक सरदार हरभजनसिंह और एक ईसाई था नाम था टॉम ! हम चारों शाम को चार या पांच बजे सड़क के साथ साथ कभी उत्तर, कभी दक्षिण दिशा को तो कभी पूर्व तो कभी पश्चिम दिशा में सैर को निकल पड़ते थे ! रहीम खान पेंटर था साथ ही बिना स्कूली शिक्षा लिए वह एक कुदरती आर्टिस्ट कलाकार भी था ! उसकी खूबी थी कि वह चाय पीते पीते सामने वाली की फोटो बना देता था ! उसने एक जंगल का शीन तैयार किया था जहां एक सूखा पेड़ टहनियों के साथ दिखाया गया था, उसके साथ छोटी छोटी झाड़ियाँ, दूरी पर दो तीन हिरन कान खड़े किये हुए और उस पेड़ पर बैठी तीन चार चिड़ियाँ ! यह शीन
इतना आकर्षक बना कि यूनिट के आफिसर्स म्यस, ब्रिगेड मुख्यालय में भी इस शीन को लगाया गया ! एक बार रहीम खान थिनसुथलिया गाँव में चाय पी रहा था ! यहाँ दुकानों में ज्यादातर जवान लड़कियां ही बैठती हैं ! चाय देने वाली भी एक लड़की ही थी, रहीम खान ने चाय पीते पीते एक छोटे से कागज़ पर उस सुन्दर लड़की की तस्वीर बना डाली ! तस्वीर देखकर लड़की ने रहीम खान से चाय के पैसे पच्चीस पैसे तो लिए लेकिन उस समय के पांच रुपये का मुर्गा मुफ्त में दे दिया जिसे हम चारों ने मिल बाँट कर खाया ! सरदार हरभजनसिंह की बात भी न्यारी थी, यूनिट के सब जाट, राजपूत, मुसलमान उससे पंगा लेते थे और उससे प्यारी प्यारी पंजाबी में गाली खाते थे ! सब एक तरफ हो जाते और अकेला सरदार हरभजनसिंह एक लाख के बराबर पड़ता था उन लोगों पर ! न कोई उसकी गालियों को बुरा मानता न हरभजनसिंह ही किसी के मजाक को सीरियस लेता ! उसी तरह टाम जोक सुनाया करता था और खूब हंसाया करता था ! और मैं रोज एक व्यंग कविता बना कर सुनाता था और सबका मनोरंजन करता था ! ये हमारी यारी तब तक जिन्दा रही जब तक हम मिलोराम में रहे ! मिजोराम से निकलते ही हम लोगों की भी अलग अलग जगहों पर पोस्टिंग हो गयी और हम बिछुड़ गए फिर कभी दुबारा नहीं मिल पाए !
Sunday, September 12, 2010
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सुंदर यादें.
ReplyDeleteहर पल होंठों पे बसते हो, “अनामिका” पर, . देखिए