Sunday, September 19, 2010

देश के लोग विदेश में

यहाँ अमेरिका में बहुत से मतलब लाखों की संख्या में हिन्दुस्तानी मूल के लोग हैं ! कुछ कही पीढ़ियों से रह रहे हैं, कुछ पिछले चालीस या पचास सालों से हैं ! जो पहले से हैं जिनके दादा परदादा यहाँ आए थे और यहीं के होकर रह गए, एक दो पीढी वाले लोग भी धीरे धीरे यहीं के र्रंग में रंग गए हैं ! अब एक तीसरी प्रकार के लोग हैं जो ऐ ऐ टी या मेडिकल से डिग्री पी एच डी करके यहाँ आकर अपना कैरियर बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं ! मकान किराए पर लेने से अच्छा है बैंक से लोन लेकर ही मकान खरीद लें ! और हर नया हिन्दुस्तानी यहाँ आकर इंजिनीयर डाअच्छी कमाई कर रहे हैं, कुछ यहीं की लड़की से शादी करके यंही के हो जाते हैं, लेकिन ज्यादातर लडके अपने हिन्दुस्तानी मूल की लड़कियों से ही शादी करते हैं ! उनके बच्चे यहीं के रंग में रंग गए, जिन्होंने हिन्दुस्तान देखा ही नहीं है जिनको यह भी पता नहीं है की उनके माँ बाप हिन्दुस्तान के हैं और उनके दादा दादी नाना नानी हिन्दुस्तान में रह रहे हैं !
यहाँ १८ तारीख को राजेश के दोस्त युद्धवीर सिंह के लड़की के जन्म दिन पर उनके घर गए थे ! वहां काफी हिन्दुस्तानी परिवार के लोग आए हुए थे, कुछ के माँ बाप हमारी तरह भारत से यहाँ आए हुए थे और कुछ ऐसे भी थे जिनको ३५ - ४० साल यही हो गए, सर्विस से अवकास ले चुके हैं, लेकिन फिर भी पार्ट टाईम जाब कर रहे हैं ! एक सज्जन मिले वोहरा जी, दिल्ली कीर्ती नगर में उनकी प्रोपर्टी है ! प्रोपर्टी उनके साले, रिश्तेदार देखते हैं जो कभी कभी उनके पास य्याहं अमेरिका भी आते हैं ! इनकी तीन लड़कियां हैं और तीनों की शादी अच्छे परिवारों में हुई है और लड़की दामाद यहीं अमेरिका में अच्छी नौकरियों में हैं ! अब ६५ पार कर चुके हैं लेकिन मस्त हैं, पैसों की कमी नहीं, पार्ट टाईम जाब करते हैं ताकी समय कटता रहे और बेकार बैठे ठाले से होने वाली दिमागी परेशानियों से बच के रह सकें ! मैंने जब उनसे पूछा की " क्या उन्हें अपनी जन्म भूमि के खेतों की खूसबू की याद आती है, " उनका दिल भर गया, कहने लगे, " आपने मेरी नाजुक रग को छू दिया, जब कभी फुर्सत में होता हूँ, मन उड़ कर चला जाता है अपने उन हरे भरे खेतों में, लोक गीतों में, उस मिट्टी की भिनी भिनी खुशबू में ! बहुत याद आती है लेकिन इस मकडी के जाल से अब छूट नहीं सकता ! अब यहीं को हो कर रहा गया ! कभी अगर जाने का मन होता है तो पत्नी तैयार नहीं होती, वह पोते पोतियों में खो गयी है ! एक सजन कहने लगे की "हम ६ महीने के लिए आते थे, लडके ने ग्रीन कार्ड बना दिया, और फंस गए, न जाते बनाता है न रहते बनता है ! एक और सजन मिले जिनकी उम्र ६२ हो गयी है और अभी तक कुंवारे हैं ! उनका कहना है "तलाश है एक अच्छी अपनी की जो अभी तक नहीं मिली है, मैं जात पांत, धर्म देश के बंधन से बहुत ऊंचा उठ गया है, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, अमेरिकाम, बंगाली, पाकिस्तानी, चीनी कोई भी हो लेकिन कोई जो मुझे पसंद है, मुझे पसंद नहीं करती, जो मुझे पसंद करती है वह मुझे नहीं जचती है " ! वैसी जन्म दिन पार्टी बड़ी मजेदार रही ! ६ - ७ घंटे पता ही नहीं लगा की समय कैसे निकल गया !

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