Friday, September 17, 2010

रामायण के रहस्य (पांचवां भाग)

रावण जब सीता जी का हरण करके लाया था तो भक्त विभीषण ने रावण को आगाह किया था की वह जो कुछ भी कर रहा है वह एक राजा के कर्म क्षेत्र के बाहर है ! नैतिकता भी पर स्त्री का अपहरण करने की इजाजत नहीं देता ! अब अगर लंका को बचाना है तो सीता जी को आदर के साथ भगवान राम को सौंप दो ! इस से नाराज होकर रावण ने उन्हें लात मार कर अपनी सभा से बाहर निकाल दिया था ! वे संत थे इसलिए फिर भी उन्होंने रावण के पाँव पकड़ लिए और विनती की कि वे अधर्म का रास्ता छोड़ कर भगवान राम की शरण में चले जांय ! लेकिन रावण ने उसकी एक भी बात नहीं मानी और धिक्का देकर लंका को ही छोड़ कर जाने को कह दिया ! वह भगवान की शरण में आ गया और भगवान राम ने उसी समय उसे राज तिलक करके लंकापति घोषित कर दिया ! रावन के मरने के बाद विधि विधान से लंका के राजा के रूप में उनका राज तिलक कर दिया गया ! अब जानकी जी भगवान राम के सामने लाई गयी ! भगवान जी ने उनकी पवित्रता की परीक्षा करने के लिए उन्हें अग्नि में प्रवेश करने को कहा ! इस तरह सीता जी का प्रतिविम्ब अग्नि में प्रवेश कर गया और असली सीता जी अग्नि से बाहर आ गयी ! रावण
के पास एक पुष्क विमान था, अयोध्या जाने के लिए इसी विमान को तैयार किया गया ! जब विमान में राम, लक्ष्मण, सीता जी, हनुमान जी, सुग्रीब, जामवंत, अंगद और विभीषण बैठ गए और विमान उड़ने के लिए तैयार हो गया तो जिस पर्वत को हनुमान जी हिमालय से उखाड़ कर लाए थे संजीवनी वटी के साथ वह उठ कर हनुमान जी की पीठ पर चिपक गया यह कह कर कि "मुझे हिमालय पर्वत से उखाड़ कर अपना मतलब सिद्ध करके मुझे यहीं छोड़ कर जा रहे हो "? भगवान् राम ने कहा "नहीं हम तुम्हे ऐसे ही नहीं छोड़ेंगे, अब हम तुम्हे विंद्रावन में स्थापित करेंगे और आने वाले दिनों में वहीं पर तुम्हारी पूजा होगी "! इस तरह उस पर्वत खंड को हनुमान जी ने मथुरा के नजदीक वृंदा वन में उतार दिया और द्वापर में कृष्ण जी ने इसी पर्वत को गोवर्धन पर्वत के नाम से उसकी पूजा शुरू करवाई !
भगवान् राम अयोध्या पहुंचे, वहां उनका राज्य भिषेक किया गया ! अयोध्या में राम राज्य था ! सब लोग सुखी थे, राज्य में चारों और अमन चैन और शांती का माहोल था ! पर शायद माता सीता जी को अभी और कष्टों का सामना करना था ! भगवान राम ने एक धोबी के अपनी पत्नी को कहे गए शब्दों के कारण कि " राम ने अपनी पत्नी को एक साल तक रावण की कैद में रहने पर भी अपना लिया लेकिन मैं रामचंद्र जी की तरह तुम्हे नहीं अपना सकता " ! इसी बात को लेकर भगवान ने मर्यादा के नाम पर सीता जी को वनवास दे दिया ! लक्ष्मण जी को आदेश दिया गया कि वे सीता जी को जंगल घुमाने के बहाने जंगल में छोड़ कर आएं ! कितना कष्ट हुआ होगा लक्ष्मण जी को ! लेकिन राज्याज्ञा थी इसलिए भारी मन से वे सीता जी को वियावान जंगल में छोड़ कर वापिस अयोध्या आ गए ! आते हुए कितना आंसू बहाया होगा उन्होंने ! जिनकी सुरक्षा के लिए वे भगवान राम के साथ १४ साल वनवास में रहे, सीता को रावण की कैद से छुड़ाने के लिए मेघनाथ द्वारा चलाया गया ब्रह्माश्त्र को आत्मसात किया और मुर्छित हुये थे ! आज उसी महारानी सीता माता को वे जंगल में असुरक्षित छोड़ कर आ गए ! उधर जंगल में भटकती सीता जी को महर्षि बाल्मिकी जी मिल गए और वे सीता जी को अपने आश्रम में ले गए ! इसी आश्रम में सीता जी का पुत्र लब का जन्म हुआ ! एक दिन सीता जी चश्मे से पानी लाने जा रही थी, लब आँगन में खेल रहा था ! बाल्मिकी जी ध्यान मग्न होकर लिखने में लीन थे ! सीता जी लब को बाल्मिकी जी के भरोषे पर छोड़ कर चश्मे पर चली गयी ! अचानक बाल्मिकी जी का ध्यान टूटा, देखा बालक लब वहां नहीं है ! उन्होंने चारों ओर ढूँढा लेकिन बच्चे का कहीं भी पता नहीं चला ! अब वे सीता जी को क्या जबाब देंगे, इसी डर के मारे उन्होंने जल्दी से 'कुश' इकट्ठा किया उसे एक गद्दी पर रख कर अपनी मन्त्र शक्ती से एक बच्चे को प्रकट कर दिया ! कुछ देर बाद सीता जी पानी लेकर आ गयी, उनके साथ साथ लब आ रहा था जो बिना बाल्मिकी जी की जानकारी के अपनी माँ के साथ चला गया था ! इस तरह लब कुश दो भाई हुए ! भगवान् रामचंद्र जे अश्वमेध यज्ञ किया ! अश्वमेध यज्ञ का घोडा आश्रम में चला गया वहां लव कुश ने घोड़े को बाँध दिया ! शत्रुघन लक्षमण लव कुश के वाणों से घायल हो गए ! भगवान् राम अब स्वयं इन दोनों बच्चों से युद्ध करने मैदान में पंहुचे ! हनुमान जी किसी तरह आश्रम में पहुंचे वहां उन्हें सीता माता के दर्शन हुए ! यह सुनकर की लव कुश अपने पिता भगवान् राम से युद्ध कर रहे हैं सीता जी जल्दी से वहां आई और दोनों बच्चों को बताया की 'जिनसे तुम लड़ाई करने जा रहे हो वे तुम्हारे पिता श्री रामचंद्र भगवान हैं" ! माता सीता ने दोनों बच्चों को अपने पिता के हवाले किया और स्वयम धरती माँ की गोद में समा गयी !

2 comments:

  1. harendra ji apke dwara prastut "ramayan' ke kuch prasang kkeval jan-jan me faili lok kathao par aadharit lagti hai.'VALMIKI'ramayan me spasht ullekh hai ki mata sita ne do judva kumaro ko janam diya tha.aap bhi tathayatmak jankari ke lie 'VALMIKI'ramayan athva any grantho ka yahan ullekh kare;tab lekh jyada swikarye hoga. likhte rahiye ;ramayan charcha karte rahiye; best wishes for next blog post.

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  2. अनसुना सत्य जानने हेतु नीचे शब्दों पर क्लिक करें और पढ़ें...!!

    राम ने न तो सीता जी को वनवास दिया और न शम्बूक का वध किया

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