चलो अब चलते हैं, हम विछुड़ते हैं , थोड़ा सा हंस कर चक्षु भिगा लेते हैं !
तुम्हे तो जाना है लंबे सफर में, मुझे यहीं रहना है,
कह दो तुम अब दिल की बातें जो कुछ तुमको कहना है !
पता नहीं कब दिन आए वो जब हम फ़िर बतियाएंगे,
गिलवा शिकवा आपस में मिल एक दूजे को बताएंगे !
जब आएगी रिमझिम वारीश, बच्चे शोर मचाएंगे,
गरमी से परेशान सब भीगने बाहर आएँगे,
बैठ अकेला एक किनारे मैं यादों की खिड़की खोलूंगा,
साथ साथ बीते हर पल हंसते हंसते रो दूंगा !
क्या सच मुच ऐसे ही एक दिन सभी जुदा होते हैं,
चलो अब चलते हैं, जुदा होते हैं, थोड़ा सा हंसकर चक्षु भिगा लेते हैं !
रोज सबेरे ब्रह्म मुहर्त में बजेगी मन्दिर की घंटी,
याद आएगी प्रिये तुम्हारी, जैसे लहरें समुद्र की !
दिन गिनता हूँ तुम आओगी सात समुद्र पार से,
करूंगा स्वागत अर्धांगिनी का गुलदस्ता और हार से,
जुदाई के दिन कट जाएंगे सुबह का सूरज निकलेगा,
होगा मिलन हम दोनों का फ़िर मन मयूर फ़िर हर्षेगा !
ये विडम्बना है जीवन की मिल के जुदा होते हैं,
चलो अब चलते हैं जुदा होते हैं, थोड़ा सा हंसकर चक्षु भिगा लेते हैं !
Tuesday, December 8, 2009
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kisi mashhuur shaayar ki rachna hai--
ReplyDeletehto kaandhe se, ye aanshu pochh dalo
wo dekho relgadi aa rahi hai
main tumhe chhor ke kabhi n jata magar
ye garibi mujhko liye ja rahi hai