मुझको अपना गीत दे दो, मैं मगन हो गाऊँगा,
जब बुलाओगे मुझे लौट के मैं आउंगा,
ये चमन ये वादियाँ, रोकती मुझको यहाँ,
और झरनों की झंकारें, कह रही जाते कहाँ ?
मेरा मन फिर डोलता, मैं नहीं कुछ बोलता,
और गीतों के मधुर स्वर, कौन है मुंह खोलता ?
ये शमा अब कह रहा, टिमटिमाता जाउंगा,
मुझको अपना गीत दे दो, मैं मगन हो गाऊँगा !
फूलों की घाटी मुस्कराती, और कुदरत गुण गुनाती,
भंवरों के पीछे भागता हूँ, चाल अपनी नापता हूँ,
फिर पवन पल्लव हिलाता, जैसे है पंखा झुलाता,
है कोइ मुझको बुलाता, सामने फिर भी न आता,
सोचता हूँ एक दिन मैं ढूंढ उसको लाउंगा,
मुझको अपना गीत दे दो, मैं मगन हो गाऊँगा !!
Wednesday, December 16, 2009
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गीत अच्छा लिखा है
ReplyDeleteशुभकामनाएं