Friday, February 5, 2010

मोनिका

क्या इस मेरे देश को कोंई राठोर, पी महालिंगम (गाजियाबाद के संतोष मेडिकल कालेज के अध्यक्ष) और इन्स्पेक्टर अनिल समानिया शैतानो से निजात दिला पाएगा। पी लिंगम ने मोनिका, जो गाजियाबाद संतोष मेडिकल कालेज में डाक्टरी कोर्स कर रही थी, के पिता से २५ लाख रुपये लोन लिए थे। जब मोनिका के पिता ने लोन का पैसा वापिस माँगा तो इस नर पिचास ने बेचारी निर्दोष मोनिका और उसके भाई को दूसरे जालिम पुलिस इन्स्पेक्टर की मदद लेकर पिटवाया, झूठे केस में फंसाकर डासना जेल में डाल दिया और १८ दिन तक उन्हें बाहर नहीं निकलने दिया । जनता की सुरक्षा करने वाला मनुष्य रूपी भेडिया पुलिस इन्सपेक्टर अनिल सुमानिया ने इस भाई बहिन पर इतनी मार लगाई की मोनिका की हथेली की हड्डी ही टूट गयी । और मजे की बात तो देखो इन जालिमों के डर से नोएडा के किसी अस्पताल ने मोनिका का एक्सरे तक नहीं किया। हमारा देश स्वतंत्र है और पुलिस जनता की मदद गार है। ये मदद करते हैं ये खाकी वर्दी पहिने अनिल जैसे लोग । अब केस सुप्रीम कोर्ट में जा चुका है । राष्ट्रीय सहारा के एडिटर और पत्रकार पंकजकुमार की सूज बूझ से मोनिका की कहानी बाहर आई और महालिंगम - अनिल जैसे शैतानों की करतूतें जनता तक पहुँची । (राष्ट्रीय सहारा ५ फरवरी पहला पेज और ६ फरवरी दूसरा पेज २०१०) । धन्य है वो भारतीय नारी मोनिका जो इतने जुल्म सहते हुए भी टूटी नहीं केवल जुल्मी को तोड़ने के लिए । ये रसूकदार महालिंगम-अनिल सोमानिया और राठोर जैसे लोग इस धरती के बोझ हैं, नासूर हैं जिन्हें काट कर फेंक देना चाहिए। इन्हें कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए ताकी ऐसे जालिम फिर इस तरह की हरकत न कर सकें।

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