Thursday, February 25, 2010

क्रिकेटर और सैनिक

२४ फरवरी को भारत ने साउथ अफ्रीका को दूसरे एक दिवसीय मैच में १५३ रनों से हराकर सीरिज पर कब्जा कर लिया है । भारत ४०१ पर ३ और साउथ अफ्रीका २४८ पर सारे आउट । जब वेस्ट इंडीज के ब्रेन लारा ने टेस्ट मैच में एक इन्निंग में ४०० रन बनाए थे सारे विश्व के खेल प्रेमियों ने लारा को हाथों हाथों में ले लिया था । वास्तव में बहुत बड़ी उपलब्धि थी अपने लिए उससे बड़ी देश के लिए । जब अनिल कुंबले ने एक ही टेस्ट इन्निंग में १० विकेट लिए थे और विश्व का दूसरा खिलाड़ी बना इस असंभव रिकार्ड को संभव बनाकर, उस समय भी खूब वाह वाह हुई थी । वीरेन्द्र सहवाग दो बार ट्रिपल सेंचुरी बनाने वाला पहला भारतीय है । उसके भी जैकारा लगे हैं । और विश्व में पहली बार एक दिवसीय मैचों में २०० रन बनाने वाला सचीन तन्दूलकर बना । यह भारतीय खिलाड़ी तो क्रिकेट जगत का चमकने वाला सितारा है, जिसके नाम पर वन डे में और टेस्ट मैचों ९३ सेंचुरिज और १७५९८+१३४४७ रन = ३१०४५ रन जड़ चुके हैं । उसका रिकार्ड तोड़ने की बात तो दूर है उसके आस पास भी कोई पहुँच नहीं पाएगा। विधाता ने क्रिकेटर के रूप में भारत को एक रत्न उपहार में दिया है । आज हर एक जवान पर चाहे वह जवान है या फिर बुढा है एक ही नाम है "सचीन तन्दूलकर "।
दूसरी ओर आतंक वादियों से वीरता से लड़ते हुए देश की आन वान और शान को बचाते हुए सेना का एक कैपटेन देवेन्द्रसिंह शहीद हो गया। यह वीर अपने मां बाप का एक ही लड़का था, अभी केवल २६ साल का था और २००७ में सेना में आफिसर रैंक से इसने प्रवेश किया था । सोमवार - मंगलवार रात को जम्मू-काश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए देश पर कुर्वान होगया, छोड़ गया अपने पीछे रोते हुए माता-पिता को अपनी प्यारी सी बहिन को। इसने इंजिनीयरिंग में डिग्री ले रखी थी, एम बी ए की डिग्री इसके पास थी, सिविल में किसी मल्टी कंपनी में नौकरी पा सकता था, लेकिन उसने सेना में जाना और बड़े से बड़ा रिश्क उठाना अपना लक्ष्य तय कर लिया था । सिग्नल कोर में प्रवेश पाकर भी बहादुरी का काम करने के लिए उसने पैरा कमांडो ज्वाइन किया । सेना में रिश्क है, देश के खातिर मर मिटने जजवा है, लेकिन न पैसा है, न कोई पावर है, और न एक जगह ठिकाना है । इससे बड़ी पावर तो एक पुलिस थानेदार की है । जगह जगह पोस्टिंग होती रहती है बच्चों की पढाई लिखाई में भी विवधान पड़ता है । इसी लिए आज के दिन तीनो फोर्सेस में ऑफिसर्स की करीब २० - २५ हजार जगहें खाली पडी हैं । अच्छे नव जवान ऊंची डिग्री लेकर बड़ी बड़ी पे परक लेकर ऐस की जिन्दगी बिताते हैं । एक उदाहरण के अनुसार सचीन तन्दूलकर की एक साल की आय पूरे पचास करोड़ के लग भग आंकी गयी है और एक सेना के जनरल की ज्यादा से ज्यादा १५ लाख । बड़ी ड्यूटी कौन सी है, देश के लिए कुर्वान होना या क्रिकेट में सेंचुरी बनाना ? २५ फरवरी के पेपरों में पहला और स्पोर्ट्स पेज केवल सचीन के गुण गानों से भरा था, राष्ट्रपति प्रधान मंत्री की बधाई छपी थी, और कैप्टेन देवेन्द्र की खबर "वे आतंकवादियों के साथ वीरता से लड़ते हुए शहीद हुए" पेज तीन पर छपा था । न किसी रक्षा मंत्री ने शोक सन्देश भेजा न जनता के किसी जागरूक नागरिक ने इस खबर पर गौर किया । हाय रे सैनिक तेरी यही कहानी, देश के लिए जिया देश के लिए मरा। फिर किसी ने याद भी नहीं किया !

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